Wednesday, March 15, 2023

JANUARY. 29 , 2022 ADABI SANGAM----MEETING [508-]TOPIC --- SOCH---- "सोच " THOUGHT---THINKING---- TIME -- 6 PM-- VENUE --VIRTUAL

"सोच "अपनी अपनी 
JANUARY. 29, 2022 
ADABI SANGAM----MEETING [508-]
TOPIC --- SOCH---- THOUGHT---THINKING----
 TIME -- 6 PM-- VENUE --VIRTUAL 





सोच एक दिमागी प्रिक्रिया है , वक्त की तरह  बदल जाती है ,
जो थी कल सोच 
 हमारी?  कहाँ मेल खाती है आज की सोच से?

दिलो दिमाग पे हावी है , रस्ते बनते है सोच से वरना ,
चाल ही बदल जाती है जरा सी पाँव की मोच से।


बात उनकी भी ठीक है , हम दकियानूस ही तो थे
जो सब के लिए सम्मान वाली, सोच रखा करते थे ?
धन दौलत से अधिक इंसानो की कदर किया करते थे
किसी की सोच को काटे बिना ही उसकी सीढ़ी बना कर ,
अपनी सोच बना लिया करते थे।


नारे लगे सोच बदलो , देश को बदलो ,
लोगो की सोच बदली दौलत की भूख जगी ,पेट की भूक फिर भी न मिटी
न ही देश बदल पाए ,न ही अपनी इंसानी फितरत ,
आपसी प्यार नफरत में बदल गया सो अलग ,

सोच क्या बदली , सारा जहाँ ही बदल गया
सोच सीमित है सिर्फ दौलत और शौरत तक ,
इज़्ज़त और प्यार देने का पैमाना भी बदल गया ,
फिर भी कहते हो ,सोच बदलो

हाँ अब तो ,
सोच भी बदलने लगी मौसम की तरह ,
वक्त बदला,हमारी सोच भी बदली
जो कल ठीक था वोह आज नहीं ,

जो आज ठीक लग रहा है कल फिर बदल जाएगा ,
यही दस्तूर है बदलते ज़माने का ,
खुद बखुद ही सबकुछ बदलने लगा है ,
फिर भी कहते हो सोच बदलो ?

हाँ सोच पॉजिटिव है तो क्या बात है ?
अगर सोच नेगेटिव यानी के उलट तो ,
समझ लो मुसीबत सामने खड़ी है।
आपको लपेटने के लिए ,

बात सोच की चली तो, बड़ी देर तक सोचता रहा, फिर थोड़ा सोचा उठा , चलो पता करते है हमारे आस पास लोगों की सोच कैसे चल रही है , उनकी सोच हमसे कितना मेल खाती है ?

बड़ी ही प्यारी सोच थी उनकी बोले " सोचना छोड़ दिया है आजकल , कोरोना ने हमारे दिमाग का दही बना छोड़ा है जिसे हम खा भी नहीं सकते ,सोचें क्या ख़ाक ? ऑन लाइन शॉपिंग ने दिवाला निकाल दिया है हमारा पूरा परिवार इसी सोच में लगा है के कल क्या खरीदना है ?

लडकियां 300 की सैंडल खरीद के लाती है पूरे घर को फक्र से दिखाती है ऑन लाइन शॉपिंग करके आई हूँ, दूकान पे जाती तो तीन हज़ार में मिलती असली चीनी माल है "मजबूर है अपनी सोच से ,
और लड़के बेचारे मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक , 1000 रुपए की दारु की बोतल पी कर आते है और चुपचाप सो जाते है बिना कुछ कहे ,की बड़े स्टोर से खरीदता तो पांच हज़ार की मिलती , इसे कहते है ऊंची सोच लेकर शराफत का जीवन जीना ?



सोच अपनी अपनी,ऊंचे विचार ऊंची सोच ही इंसान को ऊँचा ले जा सकती है , ऐसा अक्सर कहा जाता है पर लोग उसपे अमल कितना करते है यह मत पूछो आज के इंसानो से ?

गालिब ने भी क्या खूब सोच के लिखा है...

दोस्तों के साथ जी लेने का
मौका दे दे ऐ खुदा...
तेरे साथ तो मरने के बाद भी
रह लेंगें ।..
यही सोच आज हम सबकी भी है ,क्योंकि कोरोना जो रास्ता रोके खड़ा है

डॉक्टर्स भी बोलने लगे ज्यादा मत सोचा करो ,
दिल और दिमाग पे असर पड़ता है।
मौजूदा हालात में कभी किसी से बहस भी न करें ,

उसकी सोच को दुरुस्त करने के लिए ,
आपको किसीने ठेका दिया है क्या ?

अगर कोई कहे के हाथी भी उड़ सकता है,
तो उसे बताएं के आज सुबहः ही हमारे घर की तार पे बैठा था ,

अपनी सोच को अपने लिए मेह्फूस रखिये साहब ,
आप ही के काम आएगी
दुसरे की बदलने के चक्कर में कहीं अपनी ही न खो जाए ,
दुश्मनी होगी मुफ्त में ,सो अलग

सोच चिंता में न बदल जाए ,
चिंतन जरूर कीजिये पर चिंता नहीं ,
ध्यान रखिये चिंता और सोच दोनों अलग है ,
चिंता चिता सामान है तो सोच आत्म चिंतन ,
हमारी हर समस्या का समाधान चिंतन में है चिंता में नहीं

मेरे दोस्त की दूसरी शादी शर्मा जी की लड़की से तय हुई थी सो मैं भी बारात में शामिल था , पुछा अब यह फिर से शादी लेकिन कैसे ? उसने भी ढीठता से बोला , यार same virus hai but with different mutation , मैंने सोचा कब तक यूं अकेले रहूँगा ?

कोरोना कॉल है हर इंसान हर तरफ चिंता और सोच में ही तो है और क्या है ? रंग में भंग तो तब पड़ा जब
कलेक्टर जी ने अचानक शर्मा जी की बेटी की शादी में रेड मारी , के कोरोना नियमों का पालन सही से हो रहा के नहीं ?

कलेक्टर मेहमानो के बीच के फासले और आपसी चुपी से बहुत प्रभावित हुए ,कोई किसी से बात ही नहीं कर रहा बोले शर्मा जी बहुत अच्छे " सोशल डिस्टैन्सिंग मेन्टेन किये हो , बहुत अच्छा लगा देखकर के कोई तो सरकार के नियमों को ध्यान से सुनता है और पालन करता है ,

कलेक्टर साहिब यह सरकारी फरमानो की भाषा हम क्या समझें " अब क्या बताएं हज़ूर "हमने मेहमानो की लिस्ट में लोग ही वही बुलाये थे जिनकी आपस में बिलकुल ही नहीं बनती थी , जनाब बड़ी ही सोच समझ से काम किया है। इसलिए ऐसा माहौल बना है ,

साहब
गुज़र रही है ज़िन्दगी ऐसे ही आजकल , 
सोच सोच कर ऐसे मुकाम से, 
विवाह शादी में क्या बुलाएं किसी को 
अपने भी दूर हो जाते हैं, ज़रा से ज़ुकाम से।

तमाम क़ायनात में एक क़ातिल बीमारी की हवा हो गई,
वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि "दूरियाँ" ही 'दवा' हो गई...
इसलिए आज यह दिल की  दूरियां भी काम आ गई

अधिक सोच भी कितनी घातक होती है यह भी जरा सुनिए :-
मनुष्य को अपनी सोच और अहंकार को हमेशा अपने वश में करना चाहिए?
वरना कितने ही बड़े बड़े दिमाग सोचते सोचते ही अपना संतुलन खो बैठे हैं और हमेशा के लिए बर्बाद हो गए

एक बार अमेरिका में
कैलीफोर्निया की सड़कों के किनारे
पेशाब करते हुए देख एक बुजुर्ग आदमी को ,पुलिसवाले पकड़ कर उनके घर लाए
और उन्हें उनकी पत्नी के हवाले करते हुए
निर्देश दिया कि वो उस शख्स का बेहतरीन ढंग से ख़याल रखें औऱ उन्हें घर से ऐसे
बाहर न निकलने दें ।बहुत गलत हो गए है , शराब तो इन्होने नहीं पी थी फिर भी
यह कौन है हमेशा क्या सोचते रहते है हमें नहीं मालूम इनकी यादाश्त का क्या हुआ ?लेकिन इन्हे सड़क पर चलने के नियम ही भूल गए हैं , किसी गाडी के नीचे आकर कुचले जाएंगे अगर ध्यान नहीं रखा गया इनका

दरअसल वो बुजुर्ग सारा दिन किसी न किसी उधेड़ बुन में कुछ सोचते रहते थे और बिना बताए
कहीं भी औऱ किसी भी वक़्त घर से बाहर निकल जाते थे और ख़ुद को भी
नहीं याद रख पाते थे ।

बुजुर्ग की पत्नी ने पुलिस वालों को
शुक्रिया कहा और अपने पति को प्यार से संभालते हुए कमरे के भीतर ले गईं।

पत्नी उन्हें बार बार समझाती रहीं कि
तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए।
ऐसे बिना बताए बाहर नहीं निकल जाना चाहिए।तुम अब पहले से जवान नहीं हो ,बुजुर्ग हो गए हो,

साथ ही तुम्हें अपने गौरवशाली
इतिहास को याद करने की भी
कोशिश करनी चाहिए।
तुम्हें ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए
जिससे हम सबको शर्मिंदगी महसूस हो ।

यह सज्जन कभी देश के बड़े ही प्रतिष्टित नामों में गिने जाते थे ,एक ऊँचे पद से हटने के बाद जब वो अपनी निज़ी जिंदगी में लौटे,तो कुछ दिनों तक सब ठीक रहा। फिर उनको अपनी खोयी गरिमा और प्रसिद्धि का यूँ ख़त्म हो जाने की वजह से ,उनकी जिंदगी की सोच में बहुत अंतर् आ गया था , दिमाग में जरूरत से ज्यादा नेगेटिव सोच व उदासीनता ने घर बना लिया था
और कुछ दिनों बाद उन्हें अल्जाइमर की बड़ी भारी शिकायत हुई और धीरे-धीरे वो
अपनी याददाश्त भी पूरी तरह से खो बैठे।

शरीर था। एक सोच तो थी पर यादें ?
यादें नहीं थीं। कहाँ गई वह सुखद यादें ?
वो भूल गए कि एक समय था जब लोग
उनकी एक झलक को तरसते थे।
वो यह भी भूल गए कि उनकी सुरक्षा दुनिया की
सबसे बड़ी चिंता हुआ करती थी।

रिटायरमेंट के बाद वो सब भूल गए थे ।
पर अमेरिका की घटना थी तो बात
सबके सामने आ गई कि , कैसे एक व्यक्ति को पुलिस ने उसके घर तक पहुंचाया इतनी रात को
कभी दुनिया पर राज करने वाला ये शख्स ,जब यादों से बाहर निकल गया तो न उसकी सोच रही ,न ही वह शख्सियत , जो वह काफी समय तक था

जिस बुजुर्ग को पुलिस बीच सड़क से
पकड़ कर उन्हें उनके घर ले गई थी,
वो किसी ज़माने में अमेरिका के जाने-माने फिल्मी हस्ती थे।
लोग उनकी एक झलक पाने के लिए
तरसते थे।

उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि
उसी के दम पर वो राजनीति में जा पहुंचे
और दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति
बनकर उभरे तथा एकदिन वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने।

उनका नाम था रोनाल्ड रीगन।

1980 में रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बने , अपनी सोच और लगन के बल पर
और पूरे आठ साल दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति रहे।
राष्ट्रपति रहते हुए उन पर गोली भी चली। कई दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद जब वो दोबारा व्हाइट हाऊस पहुंचे तो उनकी लोकप्रियता दुगुनी हो चुकी थी।
रीगन अपने समय में अमेरिका के सबसे लोकप्रिय नामों में से एक थे। जो आज सड़क पर यूँ भटकते हुए पाए गए , उनकी सोचने समझने की ताकत उनका साथ छोड़ गई थी

ताकतवर से ताकतवर चीज़ की भी एक एक्सपायरी डेट होती है । बहुत ज्यादा चिंता और सोच से जीवन की रफ़्तार नहीं बदल सकती लेकिन थोड़ी भी पॉजिटिव सोच बुरे से बुरे वक्त का रुख जरूर बदल देती है , यह भी सुनो

एक 81 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने बिस्तर पर लेटते हुए अपने 83 वर्षीय बुजुर्ग पति से कहा :
"सुनो .. मैंने अभी खिड़की से बाहर देखा और मुझे लगा कि गैरेज की लाइट जल रही है। क्या आप जाकर गैरेज की लाइट बंद कर देंगे?"😁

बुज़ुर्ग बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठे, दरवाज़ा खोला और बाहर आए तो देखा कि पाँच-छह चोर उनके गैरेज का दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।😐
.
बुजुर्ग पति ने वहीं से करीबी थाने को फोन किया।
"देखो ... मेरा पता लिखो। हम घर पर केवल दो बुजुर्ग पति-पत्नी हैं। अभी पांच -छह चोर मेरे गैरेज में घुस आये हैं । जल्दी से कोई पुलिस टीम भेजें"🥲
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दूसरी तरफ से पुलिस की आवाज आई:
"हमने आपका पता लिख ​​दिया है। चिंता न करें। अभी हमारी कोई टीम फ़्री नहीं है। जैसे ही किसी टीम से हमारा संपर्क हो जाता है मैं उन्हें आप के घर भेज दूंगा।"😀
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ये सुन कर वो बुजुर्ग मानो खून का घूंट पी कर रह गए। उधर चोर अभी भी सारा सामान बाँध कर ले जाने में लगे थे
दो मिनट बाद, उस बुजुर्ग ने कुछ "सोचा " और फिर से पुलिस स्टेशन फोन किया:
"सुनो ... अब किसी को भेजने की जरूरत नहीं है।साले भागने लगे थे , मैंने उन सभी पांचों चोरों को गोली मार दी है..."😎😎
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दुबारा थाने में बुजुर्ग का फ़ोन आते ही अफरातफरी मच गई। पांच मिनट के भीतर ही पुलिस की एक टीम, एक पैरामेडिक, दो डॉक्टर और दो एंबुलेंस के साथ उन बुजुर्ग के घर पर पहुँच गई। उन चोरों पर जल्द ही काबू पा कर पाँचों चोरों को गिरफ़्तार कर लिया गया। बाद में पुलिस टीम का प्रभारी बुजुर्ग के पास पहुँचा और बोला:
"आपने तो कहा था कि आपने उन पाँचों चोरों को गोली मार दी है, लेकिन हम ने तो उन्हें ज़िंदा गिरफ़्तार किया है?"😳😳
.
बुजुर्ग ने जवाब दिया : "और आपने भी तो कहा कि अभी आपकी कोई भी टीम फ्री नहीं है।"😂😂 वह आपकी सोच थी , जो मैंने किया वह मेरी सोच थी


बुजुर्ग लोगों को हल्के में ना लें उनकी सोच वहां से शुरू होती है जहाँ सब की ख़त्म हो जाती है आखिर जिंदगी का तजुर्बा भी कोई चीज़ होता है ? वही तो उनकी पूरी जिंदगी की कमाई है

इतना भी मत सोच उसकी बदजुबानी पे
देख बहुत उदास है कोई तेरे चुप हो जाने से
क्या रखा है ऐसी सोच में ? हो सके तो
बात कर लो उससे , किसी बहाने से


सोच वही हमारी ,जो वक्त पे काम आये ,
मोह प्यार उतना ही करो जो सकूं दिलाये,

सोच वही ,जो अहंकार न बनने पाए ,
गुजर जाना शमशान के पास से कभी
बेहतरीन सोच के, धनवान मालिक
पड़े है बन के राख यूँ तनहा ,
अपनी अपनी उम्दा सोच लिए हुए

लेकिन मैंने भी खोज निकाला है के
जिंदगी में सपने या तो यकीन से पूरे होते है ,
या व्हिस्की और नमकीन से , 
आपकी दकियानूसी सोच से नहीं ?


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एक प्रोफेसर कक्षा में दाखिल हुए। उनके हाथ में पानी से भरा एक गिलास था। उन्होंने उसे बच्चों को दिखाते हुए पूछा- “यह क्या है?” छात्रों ने उत्तर दिया- “गिलास।” प्रोफेसर ने दोबारा पूछा- “इसका वजन कितना होगा ?” उत्तर मिला- “लगभग 100-150 ग्राम।” उन्होंने फिर पूछा- “अगर मैं इसे थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रहूं तो क्या होगा ?” छात्रों ने जवाब दिया- “कुछ नहीं।” “अगर मैं इसे एक घण्टे पकड़े रहूं तो ?” प्रोफेसर ने दोबारा प्रश्न किया। छात्रों ने उत्तर दिया- “आपके हाथ में दर्द होने लगेगा।”


उन्होंने फिर प्रश्न किया- “अगर मैं इसे सारा दिन पकड़े रहूं तो क्या होगा” ? तब छात्रों ने कहा- “आपकी नसों में तनाव हो जाएगा। नसें संवेदनशून्य हो सकती हैं। जिससे आपको लकवा हो सकता है।” प्रोफेसर ने कहा- “बिल्कुल ठीक। अब यह बताओ क्या इस दौरान इस गिलास के वजन में कोई फर्क आएगा ?” जवाब था कि नहीं। तब प्रोफेसर बोले- “यही नियम हमारे जीवन पर भी लागू होता है। यदि हम किसी समस्या को थोड़े समय के लिए अपने दिमाग में रखते हैंउसके बारे में सोचते हैं । तो कोई फर्क नहीं पड़ता।


लेकिन अगर हम देर तक उसके बारे में सोचेंगे तो वह हमारे दैनिक जीवन पर असर डालने लगेगी। हमारा काम और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होने लगेगा। इसलिए सुखी जीवन के लिए आवश्यक है कि समस्याओं का बोझ अपने सिर पर हमेशा नहीं लादे रखना चाहिए। समस्याएं सोचने से नहीं हल होतीं। सोने से पहले सारे समस्यायुक्त विचारों को बाहर रख देना चाहिए। इससे आपको अच्छी नींद आएगी और आप सुबह तरोताजा रहेंगें।
समस्याओं को लेकर अधिक परेशान नहीं होना चाहिए। उन्हें सोच या चिंता से नहीं बल्कि चिंतन और कर्म करने से ही दूर किया जा सकता है