Sunday, June 27, 2021

ADABI_ SANGAM ---TOPIC-- REUNION -पुनर्मिलन-- Post Pandemic first real meeting


"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
ADABI_ SANGAM ---TOPIC-- REUNION -पुनर्मिलन--suggested Book titles for my Book ,


अदबी गुफ्तुगू, अदबी आइना , अविसम्रानिये लम्हे अदबी महफ़िल के , अदबी संगम के पड़ाव ,

लिख रही है आजकल , जिस संजीदगी से
मजबूरियां हमारी ,कहानियां कैसी कैसी
जैसे के कर रही हो खुद ही रहनुमाई ,
एक अदृश्य मौत , खुद की जिंदगी की

चारों तरफ यह ऐलान जो ,हो के चुका था ,
चाहता है ज़िंदगी ?,तो घर से बाहर मत निकल,

नियम कायदे क़ानून मान ,रोक ले अपनी साँसों को
एक नफीस नकाब से , और खबरदार हो जा ,
जाना कहीं भी हो चले जाना भले ,
कितना भी नूर हो चेहरे पे, मगर जाना छुपाके

सुना है साँसों के जरिये जिंदगी नहीं ,मौत मिलने लगी है
फिर भी साँसों को सिलिन्डर में ,कैद करने की होड़ लगी है ,
नादान हैं कितने हम लोग ?कुदरत की जो नेमते थे जंगलात
उन्हें नष्ट कर के छोड़, अब वेंटिलेटर्स बनाने में लगे है

कैसा जिरह बख्तर पहन ,फैला कोरोना का कहर,
ला इलाज़ सा , न ही कोई उपाय न दवाई का असर
डर फैला था ,आठो पहर। ,खामोशियां थी हर ओर,
मौतों का तांडव ,चेहरे कहीं भी यहां दिखते नहीं थे ,
बाज़ारों में रौनक नहीं , न लोग घर से निकलते।
पुनर्मिलन की बात तो क्या करते ,जनाब
मिलना तक भी गवारा न था उन्हें ।

किसने घोला यह जहर हवा में ,बला का खौफ़ था जिसमे ,
रेलें नहीं मेले नहीं रिक्शे नहीं ठेले नहीं,
जीवन की रेलमपेल में , सभी पडे अकेले से
ऐसे तो पल हमने कभी , जीवन में झेले नहीं,

बस इतना ही इत्मीनान था ,अब हम घर में है पर अकेले नहीं ,
पहली बार अपने परिवार से , पुनर्मिलन का अवसर मिला ,
वक्त की कमी का रोना रोते रोते ,न जाने कितने अकेले ही गुजर गए
कुछ लोग अपने माँ बाप से भी , बहुत दिनों बाद पहली बार मिले

उन्हें समझने का वक्त भी खूब मिला , दूर होने लगे सिले ,
बच्चों के भी मिट गए गिले
बरसों में एक बार फिर से एक साथ बैठे ,
भूल के अपनें सभी शिकवे गिले ,
मसरूफियत का किसी के पास कोई बहाना न था ,
बहुत समय बाद हमको ,अब ड्राइंग रूम सजाना था ।

लेकिन कमी खल रही थी जोर से बस एक ही ,
काश मित्रों से मिलकर ,एक बार महफ़िल फिर सजा ले ,
कसक थी आलिंगन कर बतियाने की ,जाम से जाम टकराने की

जीवन की गति अवरुद्ध थी ,गतिरुद्ध था सारा जहाँ ।
कस्बे सभी, सूबे सभी ,डूब गए थे मिलने के , मंसूबे सभी
कैसी लहर यह बेरहम थी , जिसे न तमीज थी न कोई शर्म

हर एक जुदाई की दास्तां शुरू होती है,
किसी अप्रशित क़यामत के आने से ,
और वह क़यामत सब पर एक साथ टूटी

मगर यह भी तो हकीकत है ,हर वोह क़िस्सा भी ,
तमाम हो जाता है, अपनी उम्र गुजर जाने के बाद ,

मिल तो पहले भी रहे थे एक दूरदर्शन के अदाकारों की तरह ( सिर्फ ज़ूम पर )
छटपटाहट थी रूबरू मिलने की, वह ख्वाइश आज पूरी हुई

बस इतना ही तो समझना और समझाना था
मांगता है हर शख्स का इश्क़ भी तो एक लम्बा इंतज़ार ,
और लम्बी जिंदगी?
अम्मा यार इसे भी इश्क समझ लो ------
मिलकर आज खत्म हुई ,रुसवाई भी

मैंने जब यह लाइने लिखी और दोस्त को सुनाई
दोस्तों ने टोका , अरे कहाँ के कवि हो तुम ?
तुकबंदी ही किये जा रहे हो ? बिना कलम दवात
अपने लैपटॉप पे अपने अरमान परोस रहे हो क्या ?

तुम बातें तो पुनर्मिलन की कर रहे थे न ? उसका क्या हश्र होगा ?
पहले अपने खौफजदा दोस्तों से तो पूछ लो ,
उनका पुनर मिलन कैसा रहेगा ?
उनसे क्या पूछें ,मैं खुद ही उसी भंवर से बच कर गुजरा हूँ

दरिया तलाशना ,कहीं सहरा तलाशना,
ख़ुद के जैसी ही दुनिया तलाशना,
फिर खंडरों को फिर से महल बनाना , आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है -------

देखे हुए ख़्वाब सा ,एक ख़्वाब हर बार देखना
फिर उस ख़्वाब में भी एक नया ख़्वाब तलाशना,
खवाबों की भीड़ में ,फक्त एक ख्वाब को पकड़ पाना , आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है ---------

तस्वीर संग बैठ के, एक और तस्वीर देखना
फिर तस्वीर के भीतर की तस्वीर देखना ,
एक दोस्त को ज़ूम पे देख ,उसके भीतर की तस्वीर देखना , आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है -------

जब हम दोस्त दुबारा मिलेंगे , यकीनन
यह जमीन _आकाश तो वही होगा ,
पर एहसास कुछ डरा सेहमा सा होगा ,
अपने भीतर के डर से लड़ पाना ,
आसान नहीं।
बड़ा मुश्किल होता है -----

पुनः मिलेंगे वही लोग वही चेहरे
मिलेंगे अब अक्सर ,इनसे और उनसे
मगर खो गए हैं कुछ पहचाने हुए चेहरे, उन्हें भुला पाना आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है -----

लौटेगा समय फिर ,इस अदब की फुलवारी में ( अदबी संगम )

उम्मीद है अब नहीं सामना होगा किसी अजीब बीमारी से
हंसेंगे हम सब मिलकर पुनर्मिलन के इस जश्न में
महकेंगे ,हँसेंगे गाएंगे हमेशा एक साथ ,जैसे खिलते है बागों में फूल,
वरना मुरझाये फूलों का खिलना, आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है -----

जाम पे जाम ,महकती सांस में मधुमास होगा ,
उम्मीद है सबको अपना, वही पुराना एहसास होगा,
आपका हर दोस्त पास ,और मिलन भी खास होगा

ऐसे में जाम पे जाम पीकर ,बहकने को रोक पाना , आसान नहीं
बड़ा मुश्किल होता है ----------

समय की मार सह लेना ,नहीं रुकना मगर मेरे साथी
अंधेरी राह हो फिर भी ,नहीं रुकना तुम्हे मेरे साथी

राख के ढेर पे क्या शोला-बयानी करते हो
एक क़िस्से की भला कितनी कहानी करते हो , (दोस्त ने फिर टोका )

अच्छा चलो आगे बढ़ चलें , जश्ने गीतों के साथ

तीर्थ जैसे कोई पा लिया हो ,हमने पुनर्मिलन में
अब फिर से मिलगये कोरोना के बिछड़े यार
आप सब मिले हैं तो यादें भी लौट आएँगी
झिलमिलाने लगे है जेहन में दिन वही ,
हम थे , आप भी थे , और थे ,पेग भी चार

मिले फ़ुर्सत तो सुन लेना फिर किसी दिन
मिरा क़िस्सा भी निहायत मुख़्तसर सा है
मेरी रुस्वाई में ,आप सब हैं बराबर के शरीक,
आज वक्त को ऐसे ही गुजर जाने दो

अपने रोज के क़िस्से , यारों को सुनाता भी कैसे ?
निकाल दिया था उसने हमें , अपनी जिंदगी से यूँ -
भीगे कागज़ की तरह ,

न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के
सब को मिले हुए भी ,एक जमाना जो गुजर गया

क्या कहें, मगर ये क़िस्सा भी आज पुराना हुआ
नीयत जिनकी है साफ़ नही, वह क्या समझेंगे पूनर्मिलन की बातें ,

बगल में था मकान उनका ,फिर भी मिलने से डरा करते थे ?
किसी से भी ये छुपा नहीं, न मिलने के कैसे कैसे बहाने ,वो बना लिया करते थे

मायने जिन्दगी के, इक छोटी सी वजह , इस कदर बदल देते हैं
छलावे सपनों के, असूल बनावट के ,सब पीछे छूट जाते हैं ।

कल सब्जी ख़रीदने गया था , अचानक पुरानी मोहब्बत से पुनर्मिलन हो गया , मुझे देखते ही मुस्कराई और हेलो बोला फिर अपने बेटे से बोली " बेटे नमस्ते करो मामा हैं तुम्हारे ,
बेटा था ,मेरी तरह भोला सा , बोला ममी " इतने तो तुमने आलू नहीं खरीदे जितने मेरे मामा गिनवा दिए ? बड़ी ठेस लगी हमारे पुनर्मिलन को ,पर जिन्दा दिल थे सो सब सेह गए , हम तो आप सबके लिए भी ऐसी ही जिन्दा दिल्ली की दुआएं करते है

जिंदादिली इंसान की ,उम्र की मोहताज़ नहीं
नूर ये ज़िंदगी का है ,ताउम्र रहे यही दुआ है ।

पत्नी ने झकझोर के जगाया , क्या बड़बड़ाये जा रहे हो , कितनी देर से चाय रख के गई हूँ तुम्हारे सिरहाने ,ठंडी बर्फ हो गई है , उठो आज एक साल बाद तो तुम्हे अपने अदबी संगम के दोस्तों से भी मिलना है। क्या करू जानू रात बहुत पेंडिंग काम निबटाया , अदबी संगम का टॉपिक "पुनर्मिलन "भी लिखा , हाँ हाँ सुना जो अभी अभी बड़बड़ा रहे थे।

आज थकावट ही नहीं दूर हो रही , कुछ ऐसी जोशीली बात करो के मेरी नींद खुल जाए , ? जोशीली बात का तो मुझे पता नहीं क्या होती है , लेकिन यह जो रोज देर रात ऑफिस का काम कर रहे होते हो न ?
मुझे सब पता है देर रात किसी मर्लिन मोनरो से चैटिंग कर रहे थे न ? नहीं --तो - मैं मैं तो ऑफिस का काम , लेकिन तुम्हे यह सब किसने बताया ? मिस्टर जिस लड़की से आप रोज चैट करते हो न वह मेरी ही फेक प्रोफाइल है।
अब बोलो बाहर ताक झाँक चल रही है वर्क फ्रॉम होम के बहाने ?,
घर में कोरोना की वजह से सोशल डिस्टन्सिंग और बाहर तांकझांक ? घर में तो किसी से न मिलने के कई बहाने हैं तुम्हारे ? घर में पुनर मिलन कब होगा ?
यह सुन कसम से नींद ऐसी खुली के पूछो मत ------ यह तो गनीमत रही वह लड़की मेरी पत्नी ही निकली वरना भाई साहब मत पूछो क्या होता मेरे साथ। बड़ी मुश्किल से खुद को सँभालते हुए मुहं से यही निकला ----- यह तो बस युहीं मजाक मजाक में नींद भगाने के लिए चैटिंग कर लेता था, अब तो नींद पूरी तरह से भाग गई न ? चलो उठो घर के बहुत काम करने है तुम्हे।

तुम तो जानती हो मैं तुम से कितना प्यार करता हूँ ?, तो क्या मैं नहीं करती ? मैं तुम्हारे लिए सारी दुनिया से भी लड़ सकती हूँ , पर तुम तो सारा दिन मेरे साथ ही लड़ती रहती हो , तो क्या गलत करती हूँ ? तुम ही तो मेरी दुनिया हो जानू ,

अब इस प्यार के पुनर्मिलन का मेरे पास भी कोई जवाब नहीं
अब कहीं वह दूरियां खवाबो में भी डरा न सके हमको
नियति से अभिशप्त होती वासनायें भी ,
उठाओ जाम होटों से लगा लो , मेरा प्यार समझ के
इतना रंगीन कर दो इस पुनर्मिलन को, कोई भुल न सके

आओ मिलकर , दंश दिया है जिंदगी को जिसने ,
वह कहानी हम भुला दें
आपसी मनभेद की अंतर्व्यथा को,
हम हमेशा को सुला दें,
हो जाते है छोटे मोटे , मनमुटाव हमारे बीच कभी कभी ,

अब इस पड़ाव पर और नहीं -----------
बहुत भुगत चुके है ,जुदाई के वह लम्हे।
जिंदगी की कड़वी मीठी सचाई भी
धो के मैल दिलों का ,इस पुनर्मिलन से आओ ,
इक नई रीत चला ,खुशहाल खुद को बना ले ,