-LOVE MARRIAGE ---VS --ARRANGED MARRIAGE
ARRANGED---- MARRIAGE
परिवार द्वारा नियोजित शादी विवाह को ही हम arranged मैरिज कहते है , इसमें जैसे थाली सजा के होने वाले दूल्हा दुल्हन के सामने परोस दी जाए के तुम्हे यह ही मिलेगा , ऐसी शादिओं में कुछ रिश्तेदारों या कुछ बिचोलिये किस्म के लोग दो परिवारों के बीच सबंध बनाने का काम करते है , माँ बाप ने जुबान दे दी बस इसके आगे कुछ नहीं ,बस हो जाती थी शादी , न कोई उम्र ना कोई शक्ल सूरत का सवाल ,घर के बुजुर्गों ने जो कर दिया वही पत्थर की लकीर। ऐसा बहुत समय तक चला और एशियाई देशो में आज तक भी काफी प्रचलित है ,। धर्म , बिरादरी से बाहर शादी तो बड़ी मुश्किल थी।
। पहले अखबारों में विज्ञापन दो उसपे खर्चा करो,फिर हर बायोडाटा को गौर से छटनी करना , हज़ारो खत आ जाते है , फिर हम जवाब देते टेलीफोन किये जाते , रिश्तों की दोनों तरफ इतनी भरमार हो जाती थी के मिलने की नौबत ही नहीं आती थी और सारी मेहनत बेकार , फिर से ढूंढ़ना शुरू करो , कहीं मिलने जुलने का प्रोग्राम बन भी जाता तो कभी लड़की रिजेक्ट कभी उसका परिवार रिजेक्ट और कभी लड़के की कमाई और पढाई ही रिजेक्ट , बस यही होता रहता था और यही सोच कर चुप होना पड़ता था की अभी भगवान को मंजूर नहीं है या अभी वक्त नहीं आया। वक्त ही नहीं आया तो हे भगवान् इतनी मेहनत ही क्यों करवाई ?
मुझे अपनी शादी याद है कितने पापड़ बेलने पड़ते है अपनी पसंद की पत्नी चुनने के लिए ताकि परिवार भी उसे स्वीकार कर ले शिक्षाऔर आर्थिक गतिविधियों के प्रसार के साथ ही शुरू हो गई लड़का लड़की की आपसी पसंद वाली रजा मंदी वाली हाइब्रिड शादी , लेकिन फिर भी दोनों परिवारओं की निगरानी में ही सम्पन होती थी ,। लड़के लड़की के परिवार वालों ने एक दुसरे को पसंद कर लिया फिर भी कुछ दिन लड़का लड़की को आपस में बात करने का मौका देना जरूरी था एक दुसरे को जानने के लिए , यहाँ भी रिश्ता रिजेक्ट होने का पूरा खटका बना रहता है।
पहले लड़की के घर के बड़े बुजुर्ग लड़का देखने उसके घर ,उसके माँ बाप का खानदान ,माली हालत देखते थे , बिज़नेस व्यपार या नौकरी की पूरी छान बीन की जाती थी , लड़का इंजीनियर डॉक्टर आईएएस ,आईपीएस, जज ,वकील है तो ठीक , , नौकरी के साथ साथ ऊपर की कमाई यानी के रिश्वत लेने वाले लड़के , हमेशा अच्छे कहे जाने वाले घरानो की पहली पसंद हुआ करती थी। लड़की वालों की सोच बस यहीं तक होती थी की हमारी लड़की पैसों में खेले चाहे वह गलत कमाई गई दौलत ही क्यों न हो। लड़के की सूरत कोई माने नहीं रखती थी। मेरे मामले में ऐसा कोई सवाल ही नहीं उठा न ही स्टेटस का न ही कुछ और क्योंकि रिश्ते ऊपर से बन के आते है मेरे साथ यही हुआ '
लडकियां बहुत दिखाई गई थी मुझे भी लेकिन ,एक दुसरे के घर आने जाने में , फिर आवा भगत करने में दोनों परिवारों का काफी पैसा खर्च हो जाया करता था , किसी भी छोटी बात पे या आडोसी पड़ोसियों से ली गई जानकारी के आधार पर परिवार चुपी साध लेते थे , कभी कभी तो ऐसी जासूसी कंपनियों को भी लड़का लड़की या उनके परिवार की पूरी जानकारी एकत्र करवाई जाती थी ,और रिश्ता करने से पीछे हट जाते थे ,लेकिन कारण नहीं बताते थे ,
कुछ भी कहो अरेंज्ड मैरिज एक बड़ा पारिवारिक घूमने फिरने खाने पीने का कभी घरों में तो कभी होटलों में खाने का उत्सव हुआ करता था , खर्चा किसी का भी हो ,रिश्ते हो न हो मिलना जुलना बहुत कुछ सीखा जाता था की इस बार की गलती अगली बार न दोहराई जाए , अगर सच बोलने से रिश्ते मना हो रहे है तो थोड़ा झूट का तड़का भी लगाया जाये , लड़का हो या लड़की उसके बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताया जाए ,
अपना मकान अच्छा नहीं तो पडोसी दोस्त के यहाँ या होटल में ही मिला जाए , अपनी कार अच्छी नहीं तो कार भी उधार लेकर रॉब जमाया जाए ,किसी तरह रिश्ता तो हो , लेकिन दोनों परिवार इतने जागरूक और स्मार्ट होते है एक दुसरे की किसी भी झूटी तस्वीर में नहीं फंसते।
और वाकई भगवान् को ही हम पे दया आई , जिस मंदिर हम जाया करते थे उन्ही की सेविकाओं द्वारा हमारा रिश्ता चुटकी बजाते ही करवा दिया गया क्योंकि दोनों परिवार के बीच में एक स्पिरिचुअल रिश्ता जो आ गया था , यहाँ सब कुछ पहली ही बार में क्लिक हो गया , पहली मुलाकात मेरी भी हुई ,इधर उधर की गप शप से एक दुसरे को समझने की कोशिस की।
ईश्वर के आशीर्वाद से संस्कारों का मिलन ऐसा हुआ की राम मिलाई जोड़ी वाली बात यथार्थ हो गई , मेरी शुरू से एक ही भावना थी की जो लड़की मुझे पसंद करे उसी से मेरी शादी होनी चाहिए न की जिसे मैं पसंद करूँ ? और जिससे मेरी शादी हुई उसने अपने कई ख्वाब जो के वह आईएएस बनने वाली थी ट्रेनिंग से पहले सगाई हो गई तो , मेरे माँ बाप ने कहा हम नौकरी वाली लड़की तो नहीं लेंगे , बस हमारी होने वाली पत्नी ने अपना सब कर्रिएर छोड़ दिया मेरे लिए । बाकी सब माँ बाप अपनी पैनी निगाहों से तय कर लिया करते थे के क्या ठीक है क्या गलत।
पर यह तो एक ब्लाइंड चाल ही की तरह है , सब कुछ ठीक मिल जाए तो लाटरी वरना सजा। लेकिन भगवान् ने मुझे सब ठीक ही दिया और खुशियों भरा परिवार मेरी पत्नी ने बनाया।
यही ख़ूबसूरती होती है अरेंज्ड रिश्तों की जिसमे घर का बड़े अपनी उम्र के तजुर्बों का पूरा फायदा अपने परिवार को बचाने में लगा देते है कोई गलत रिश्ता जिसके लिए बाद में पछताना पड़े होने ही नहीं देते। शुक्र है इन ७५ सालो में यह सब बदल गया है और सेल्फ सिलेक्शन कम अरेंज्ड मैरिज ही आजकल सिर्फ मान्य है। आज लड़का लड़की अपने फैसले जिम्मेवारी से लेते है और माँ बाप का आशीर्वाद लेकर उसे अरेंज्ड मैरिज का रूप दे देते है।
1 शरफ़त की हद ही हुआ करती थी जब हमारे घर बसाने का काम भी हमारे माँ बाप करते थे
२ कुछ लोग हुआ करते थे जो बिचोले का काम करते थे और अखबार में मैट्रीमोनिअल्स
३ मैंने अपना मैट्रिमोनियल अखबारों में दिया क्योंकि होता है न की बड़ी खोज चॉइस जो (मैच मेकर्स ) बिचौलियों के पास नहीं होती
४ इतने जवाब आते है के हाथ पेअर फूल जाते है जवाब देते देते , कितने परेशां होते होंगे माँ बा अपने बच्चों को लेकर इसी से पता चलता था।
५ मीटिंग पहले तो होती बड़ी मुश्किल से हो जाए तो सिरे कम ही लगती थी , कोई न कोई नुक्स निकल ही आता है किसी भी तरफ से ,
वाकई जोड़ियां ईश्वर ही बनता है तो हमारी मेहनत का क्या ?
६, हुआ भी ऐसा ही मेरी शादी के लिए लड़की का ऑफर हमारे जानकार मंदिर के पुजारी की तरफ से आया।
७ परिवार वालों ने मिलकर एक दुसरे को पास किया
खट पट
यह उन दिनों की बात थी, जब हमारी नई नई शादी हुई थी.
वाइफ पहली बार किचन में घुसी और खाना बनाने लगी.
अचानक मुझे ख्याल आया कि रोटी बनाने वाला चकला बिल्कुल भी आवाज नही कर रहा. मगर यह कैसे सम्भव था? उसकी तीनो टाँगे कभी स्लेब पर टिकती ही नही थी. एक टांग छोटी होने से खट पट होती रहती थी।
जैसे ही मै किचन में घुसा तो देखा, वाइफ आराम से रोटी बना रह थी और चकले की तीनो टांग अलग पड़ी थी. मैंने उससे पूछा “यह क्या किया तुमने?”
“कुछ नही यह ज्यादा खट पट कर रहा था तो मैंने इसकी तीनो टांग तोड़ दी, मेरा यही स्टाइल है”
उसका यह स्टाइल देखकर फिर मेरी भी कभी खटपट करने की हिम्मत नही हुई..जो तीन तोड़ सकती है मेरे तो दो ही हैं।🤣🤣🤣आज कि नारी सब पे भारी...😀😀👌
😙😚🤨😚😙😗
आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष
मौन दिवस है