Rajinder Ji,
The following is the tentative list of singers:
Subhash ji, Roopa ji, Jessi ji, Rita ji, Rajni ji and her Ashok ji, Rani ji, Ashok Singh ji, Yourself and myself.(1) Rita Ji ---- जो गाते है वह खाते जरूर है , पर खाते है कब ? जब तक संगीत की तेह में न पहुँच जाएँ , संगीत का सरूर चढ़ता नहीं तब तक खाना नहीं , कुछ ऐसी ही सोच से मैं रीता जी को पहले इस लिए बुलाना चाहता हूँ क्योंकि वोह जब तक गा नहीं चुकती खाना बिलकुल नहीं खाती , बिलकुल ठीक है अपनी साँसों में गीत के सुर कहीं खाने के स्वाद में उलझ के न रह जाएँ , हम रीता जी की इसी खूबी के साथ पहले गीत की शुरुआत करते है।
(2) Rajani Ji ------ऐसा संजोग बहुत कम होते हैं के " पति पत्नी दोनों ही सर्व गुण सम्पन हों , एक इतना खूबसूरत लिखती हैं , मंच का संचालन करती है सूंदर गाती भी है और उनके जीवन संगी ताल देते हैं , फिर जब वोह गाते है तो सुनने वालों के दिलों को झकझोर डालते है , मैं बात कर रहा हूँ रजनी जी और उनके संगी अशोक जी की। इस शाम के दूसरी गीत की अदायगी रजनी जी करेंगी , उनका स्वागत है , रजनी जी प्लीज आइये और कोई मधुर सा गीत हमें सुनाईये
(3) Roopa Ji------
इंदौर में जन्मी एक गरीब घर की लड़की को जब फिल्मों में गाने के लिए खेमचंद प्रकाश द्वारा लाया गई थी जो रंजीत स्टूडियो में नौकरी करते थे फिल्मों का संगीत दिया करते थे तो उस समय के कदावर निर्माता निर्देशक लेखक और रंजीत स्टूडियो के मालिक चंदू लाल शाह ने इस लड़की को सुना और रिजेक्ट कर दिया की इसकी आवाज फिल्मों के काबिल नहीं ,
उस जमाने में गौहर चंदू शाह , जौहरा बाई अम्बालेवाली , शमशाद बेगम , नूरजहां जैसी दमदार और बुलंद आवाज़ वाली गायिकाओं की तूती बोलती थी लिहाज़ा चंदूलाल को इस लड़की की आवाज में कोई कशिश नहीं लगी और उन्हें गीत गवाने से मना कर दिया ।
खेमचंद प्रकाश इस बात को लेकर चंदूलाल शाह से भीड़ गए। दोनों की बात झगडे में बदल गई। नाराज हेमचंद प्रकाश ने रंजीत मूवीटोन से इस्तीफा दे दिया और गुस्से में आकर चंदूलाल से कहा -
" एक दिन यही आवाज़ दुनिया पर राज करेगी' फिर तुम पछताओगे , और वाकई बाद में वोह बहुत पछताए
उस लड़की को आज फिल्मों में गाना गाते-गाते क़रीब 80 साल जैसा तवील अर्सा हो गया है ।
जी हाँ दोस्तों लीजेंड गायिका लता मंगेशकर ने पहला गाना आज से 80 बरस पहले 16 दिसंबर सन 1942 में गाया था।कोई किसी का भाग्य नहीं बनाता वह खुद अपने साथ लेकर इस दुनिया में आता है
Sushma ji
Annu ji
(4) Rani Ji -
दुखी लोगों के बीच रह कर , खुद को संभालना और लोगों के दुखों को बाँटना और फिर उनका उपचार भी सुझाना , माहौल कैसा भी हो हाथ में कलम हो कुछ सफ़ेद कागज़ बस वहीँ से प्रेरणा लेकर लिखना , फिर दिल को हल्का करने के लिए कुछ ऐसा गुनगुनाना जो सबको भा जाए जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ रानी जी की जो अभी अभी आये नए मेहमान ओमीक्रॉन को भी बहार का रास्ता दिखाने में लगी है ताकि हम सब खुल कर मस्ती कर सकें
(5) Ashok Singh
,
मैं पीता भी हूँ पिलाता भी हूँ , और हूँ जज्बाती भी
मुझे कुछ भी समझ लेनादोस्तों , पर शराबी नहीं
गाता भी हूँ सुनाता भी हूँ , ख्वाईशें रखता हूँ कुछ नया करने की
जिंदगी की कड़वाहट को नजरअंदाज करने को थोड़ी ले लेता हूँ
मुझे कुछ भी समझ लेना दोस्तों ,पर शराबी नहीं ,
यह तुक बंदी मैंने अपने one एंड only अशोक सिंह जी के लिए की है , आइये अशोक जी कुछ सुनाइये
( 6) Ashok (Rajni )
रोक नहीं पता हूँ अपने जज्बात और थिरकती उंगलिओं को , मेरे होते कोई बिना रीदम के गाये यह हो नहीं सकता , अशोक जी की इस खासियत से हम सब वाकिफ है अब वह अपनी कोई मनपसंद रचना सुनाएंगे
(7) Subhash Arora
Muhammed Rafi, (born December 24, 1924, Kotla Sultan Singh, near Amritsar, Punjab, British India—died July 31, 1980), a legendary playback singer who recorded more than 25,000 songs in a career spanning almost 40 years.
In 1941, Rafi made his debut in Lahore as a playback singer with the duet, ‘Soniye Nee, Heeriye Nee’ with Zeenat Begum in the Punjabi film “Gul Baloch’. However, the film was released only in 1944.
He then moved to Bombay to try for a singing career in the Hindi film industry. He made his Hindi film debut with the movie, ‘Gaon Ki Gori in 1945. ‘Aji Dil Ho Kaaboo Mein’ from this movie is considered his first Hindi song.
During this time he also appeared on the screen in two movies. He appeared on the song ‘Tera Jalwa Jis Ne Dekha’ in the movie ‘Laila Majnu’ in 1945. He also made an appearance in ‘Shahjahan’ in 1946, a movie for which he sang a number of songs.
His popularity began to soar during the late 1940s. He sang the song ‘Tera Khilona Toota Balak’ from the movie ‘Anmol Ghadi in 1946 and ‘Yahan Badla Wafa Ka’ in the 1947 film, ‘Jugnu’.
He decided to stay in India after the partition and made Mumbai his home. It was a very good decision as his Hindi film career was going great and would help him touch newer heights.
During the 1950s and 1960s, Rafi enjoyed great fame and glory as he became the undisputed voice of the super stars Dev Anand and Guru Dutt. It was the songs for movies like ‘Pyaasa’ (1957) and ‘Guide’ (1965) that made Rafi a celebrity.
He formed a very successful partnership with Shankar Jaikishan which produced many melodious and super hit songs. Some of the partnership’s most successful songs are ‘Teri Pyari Pyari Surat Ko’, ‘Baharon Phool Bharsao’ and ‘Dil Ke Jharokhe Mein’.
Rafi’s talents and his versatility to adjust his voice to suit any actor he sang for made him an extremely popular playback singer. However, during the 1970s he faced stiff competition from the new singer on the block, Kishore Kumar. But professional rivalry apart, the two singers also produced many duets.
He also formed successful collaborations with the leading female singers of his times, the sisters Lata Mangeshkar and Asha Bhosle with whom he sang a number of super-hit duets that are popular even today.
(8) Jessy Ji
(9) Parvesh Chopra Ji
बेटा – पापा मेरी मैडम कितनी मस्त हैं ना😋😋
बाप – बेटा मैडम माँ समान होती हैं
बेटा – आपको तो हमेशा अपनी खुशी ही दिखाई देती हैं
एक आदमी खड़े-खड़े चाबी से अपना कान खुजा रहा था।
दूसरा व्यक्ति उसे गौर से देखते हुए बोला-
भाई साहब, आप स्टार्ट नही हो रहे...
तो धक्का लगाऊं ?
😛😂😛😂😛😂😛
Solid बेइज्जती:--
(10) Rajinder Nagpal
लता की आवाज़ को खारिज़ करने वाले चंदूलाल शाह की दर्दभरी दास्तां....
✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक)
इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर को आज फिल्मों में गाना गाते-गाते क़रीब 80 साल जैसा तवील अर्सा हो गया।
जी हाँ दोस्तों लीजेंड गायिका लता मंगेशकर ने पहला गाना आज से 80 बरस पहले 16 दिसंबर सन 1942 में गाया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि एक जमाने में इन्हीं लता मंगेशकर की आवाज को अपने जमाने के कद्दावर और नामचीन निर्माता-निर्देशक चंदूलाल शाह ने ये कहकर खारिज़ किया था कि लता बाई की आवाज फिल्मों के क़ाबिल नहीं।
चंदूलाल शाह 1930 से लेकर 1950 के दशक में एक नामचीन निर्माता-निर्देशक और लेखक थे।
वो रणजीत स्टुडियो के मालिक भी थे।
जहां सैकड़ों कलाकार और लोग नौकरी किया करते थे।
उन्हीं दिनों खेमचंद प्रकाश भी रणजीत मूवीटोन की फिल्मों में संगीत दिया करते थे।
एक मर्तबा वो लता को लेकर चंदुलाल शाह के पास पहुँचे। उन्होंने लता की आवाज़ सुनी।
उस जमाने में गौहर चंदू शाह , जौहरा बाई अम्बालेवाली , शमशाद बेगम , नूरजहां जैसी दमदार और बुलंद आवाज़ वाली गायिकाओं की तूती बोलती थी लिहाज़ा चंदूलाल को लता की बारिश आवाज़ मौजूदा दौर के हिसाब से मुनासिब नहीं लगी। उन्होंने लता को गवाने से मना कर दिया।
खेमचंद प्रकाश इस बात को लेकर चंदूलाल शाह से भीड़ गए। दोनों की बात बहस में बदल गई।
नाराज हेमचंद प्रकाश ने रंजीत मूवीटोन से इस्तीफा दे दिया और गुस्से में आकर चंदूलाल से कहा -
" एक दिन यही आवाज़ दुनिया पर राज करेगी'
खेमचंद प्रकाश ने जिद्दी फ़िल्म में लता से गीत गवाया।
उसके बाद महल फ़िल्म में कमाल अमरोही के लिखे 3 लफ़्ज़ों को गाकर लता ने हिंदी फिल्मों में मधुर आवाज़ का बिगुल बजा दिया
वो 3 लफ्ज़ थे- ' आएगा आने वाला आएगा'
बेशक़ आने वाला वक्त लता के लिए कामयाबी और चंदूलाल शाह के लिए बर्बादी लेकर आया।
अफसोस लता की ये कामयाबी महल फ़िल्म के संगीतकार और लता को गोल्डन चाँस देने वाले खेमचंद प्रकाश देख नहीं पाए।
महल फ़िल्म की रिलीज के फ़क़त 2 महीने पहले वो चल बसे। लता की कामयाबी के बाद चंदूलाल शाह के पतन के दिन शुरू हो गए।
रणजीत स्टूडियों के कलाकार मनमाफिक और तगड़ी फीस मिलने पर दूसरे स्टूडियो में जाने लगे। चंदूलाल की फिल्में पीटने लगी। हॉलीवुड फिल्मों की नकल बॉलीवुड में करने की शुरुआत करने वाले चंदूलाल शाह जुए और घुड़दौड़ में सब हारते गए।
बिल-आख़िर रणजीत मूवीटोन के मालिक चंदूलाल शाह जिनके बंगले के बाहर ढ़ेरों गाड़ी-मोटरें खड़ी रहती थी। दर-बदर भटकने के लिए रोडवेज की बसों में सफर करने पर मजबूर हो गए।
एक मर्तबा रोडवेज बस में सफ़र करने के दौरान उनके पास बस कंडक्टर को देने के लिए टिकिट के पैसे तक नहीं थे। गुस्से में तमतमाए बस कंडक्टर ने बिना टिकिट सफर कर रहे चंदूलाल शाह को धक्के देकर बस से धकेल दिया।
सड़क पर गिरे पड़े चंदूलाल शाह के सामने एक पल के लिए मानो बिजली गिर पड़ी। सुनहरी दौर से लेकर मुसीबत के दौर तक का ख़्याल उनकी नज़रों के सामने से गुज़र रहा था कि कैसे उन्होंने सिर्फ एक कहने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को कांग्रेस के फंड में 1 लाख रुपए दे दिए थे।
तकरीबन 600 कलाकरों का पेट उनके स्टूडियों से पलता था। नामचीन फ़नकार भी जिनके स्टुडियो में काम किया करते थे जिसमें राजकपूर , मोतीलाल और गौहर जैसे नामचीन अदाकर भी शामिल थे। आज सड़क पर निढ़ाल और बेबस पड़ा था।
लता का तिरस्कार उन्हें आजीवन कचोटता रहा।
हिंदी फिल्मों का ये सरदार मुफ़्लिसी से जंग लड़ते-लड़ते सन 1975 में दुनिया को अलविदा कह गया।
चंदूलाल शाह का फिल्मी जीवन हमें ये सबक दे गया कि आसमान की बुलंदियों से सड़कों पर आने में देर नहीं लगती।
एक Doctor ने नया Clinic खोला..|
थोडी देर बाद एक आदमी आया,
Doctor ने अपने आप को Busy शो करने के लिए Telephone का Receiver ऊठाया
और
Appointment देने के अंदाज़ में बोलने लगा.|
फिर फोन रखने के बाद Doctor आदमी से:- हाँ बताइए क्या हुआ...???
आदमी:- Bsnl से आया हूँ,बात खत्म हो गई हैं तो Telephone Activate कर दूँ...???
मम्मी अपने बच्चों से-
जो मेरी सारी बात मानेगा और जरा सा भी उल्टा जवाब नही देगा उसको मैं गिफ्ट दूंगी
बच्चे -
लो कर लो बात
इस तरह तो सारे गिफ्ट पापा ही ले जायेंगे।
😉😜
लोगों के बहकावे में आकर कछुए🐢 और खरगोश 🐰में फिर से पाँच मील की दौड़ लग गई.
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तीन मील की दूरी पर जा कर खरगोश को एक ठेका दिखा🐰ख़रगोश ने सोचा कि कछुआ तो अभी 🐢🐢बहुत दूर है... उसने सामने के ठेके से एक बोतल 🍾🍻ली और लिटिल लिटिल पीना शुरू कर दिया..!
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दो 🍻🍺या तीन लिटिल लिटिल पैग पीने के बाद...
उसने
सामने से कछुए 🐢को आता हुआ देखा,
*🐰बोला - ले भाई, तू भी ले.. लिटिल लिटिल.! अब तो दोनो बराबर ही हैं *
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कछुआ भी बैठ गया
और लिटिल लिटिल पीते-पीते बोतल खत्म हो गई.
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कछुए ने कहा : -
तुम मेरे इतने अच्छे दोस्त हो, और मैं तुम्हारे साथ दौड़ने की होड़ के लिए लोगों की बातों में आ गया, तुम्हारे साथ क्या हार क्या जीत,,,
चल भाई एक हॉफ और मँगा ले 🍺🍻🥂🥃🥃🥃🥃..
दोनो ने मिलकर वो हाफ़ भी लिटल लिटल खतम कर दिया... फिर दोनों खुशी खुशी घर चले गए...
कथासार : -
अपने दोस्तों के साथ
आख़िर किस बात की रेस,
हर समय हार-जीत के पीछे ही
भागते न रहें, साथ बैठिये, दो लिटिल लिटिल लीजिए और देखिए कि ये ज़िन्दगी
सच में कितनी ज़्यादा खूबसूरत है.
🌹 वृद्धावस्था में मानसिक संभ्रम👴🏻
जब भी मैं अपने चौथे वर्ष के विद्यार्थियों को क्लीनिकल मेडिसिन पढ़ाता हूँ, तो मैं पूछता हूँ- “वृद्धावस्था में मानसिक संभ्रम के क्या कारण होते हैं?
कुछ कहते हैं- “मस्तिष्क में ट्यूमर”, मैं कहता हूँ- नहीं! कुछ अन्य कहते हैं- “अल्ज़ाइमर का प्रारम्भ।” मेरा उत्तर फिर वही होता है- नहीं!
उनका हर उत्तर रद्द हो जाने के बाद उनके पास कोई उत्तर नहीं बचता।
लेकिन उनका मुँह तब खुला रह जाता है, जब मैं निम्नलिखित तीन सबसे अधिक सामान्य कारण बताता हूँ -
1- अनियंत्रित डायबिटीज़
2- मूत्र में संक्रमण
3 - डीहाइड्रेशन (जल की कमी)
यह मज़ाक़ लग सकता है, पर है नहीं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग पानी पीना स्थायी रूप से भूल जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनका तरल वस्तुएँ पीना रुक जाता है। जब उन्हें पीने की याद दिलाने वाला आसपास कोई नहीं होता, तो वे डीहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
डीहाइड्रेशन एक गम्भीर बात है और उसका कुप्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। इससे अचानक मानसिक संभ्रम (mental confusion) हो सकता है, रक्तचाप गिर सकता है, हृदय की धड़कनें बढ़ सकती हैं, वक्ष (chest) में दर्द हो सकता है, गहरी बेहोशी (coma) और मृत्यु तक हो सकती है।
तरल वस्तुएँ पीना भूलने की यह आदत 60 की उम्र में शुरू होती है, जब हमारे शरीर में जल की मात्रा आवश्यक मात्रा की केवल 50% रह जाती है। 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में जल का सुरक्षित भंडार कम होता है। यह उम्र बढ़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया का एक भाग है।
लेकिन इससे कई और भी समस्याएँ होती हैं। हालाँकि उनके शरीर में जल की मात्रा कम होती है, फिर भी उन्हें प्यास तक नहीं लगती, क्योंकि उनका आन्तरिक संतुलन बनाने वाला तंत्र भली प्रकार कार्य नहीं करता।
🌹 निष्कर्ष🤷🏻♀️
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग सरलता से डीहाइड्रेशन के शिकार हो जाते हैं, केवल इसलिए नहीं कि वे पानी कम पीते हैं, बल्कि इसलिए भी कि उन्हें अपने शरीर में पानी की कमी अनुभव नहीं होती।
हालाँकि 60 से ऊपर के व्यक्ति स्वस्थ लग सकते हैं, लेकिन प्रतिक्रियाओं और रासायनिक कार्यों की शिथिलता उनके सम्पूर्ण शरीर को हानि पहुँचा सकती है। इसलिए हमें निम्न दो बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए -
(1) तरल पीने की आदत बनायें। तरल पदार्थों में जल, जूस, चाय, नारियल पानी, दूध, सूप और रसीले फल जैसे तरबूज, ख़रबूज़ा, आड़ू, अनन्नास, सन्तरा, किन्नू आदि शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको हर दो घंटे बाद कुछ तरल अवश्य पीना चाहिए।
(2) परिवार सदस्यों को बता दें कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को तरल पीने के लिए देते रहें। साथ ही उन पर दृष्टि भी रखें। यदि आपको लगता है कि वे तरल पीने में आना-कानी करते हैं और उनमें आए दिन चिड़चिड़ापन, साँस लेने में कठिनाई या ध्यान न देना जैसी समस्याएँ आती हैं, तो निश्चित रूप से ये डीहाइड्रेशन के लक्षण हैं। 🤷🏻♀️
आपके परिवार और मित्रों को भी ये महत्वपूर्ण बातें जाननी चाहिए, ताकि वे अधिक स्वस्थ और प्रसन्न रहें। इस जानकारी को 60 वर्ष से ऊपर के लोगों के साथ साझा करें।
डॉ अर्नोल्ड लिचेंस्टीन
(मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद- डॉ विजय कुमार सिंघल)
"जीवन चक्र क्या है" ❓
आदमी कचौरी समोसे खा कर बीमार हो जाता है, फिर वो अस्पताल में बेड पर लेट के रिश्तेदारों द्वारा लाये संतरे, मौसम्बी खाता है।
उसके रिश्तेदार अस्पताल के बाहर खड़े हो कर समोसे कचौरी खाते हैं।
यही जीवन चक्र है।
The wife got out of the house in anger and a revolutionary invention was made:-
The incident happened in 2004. Currently, Google company CEO Sundar Pichai was struggling to make a career in America at that time. Once one of his acquaintances invited him to his house for dinner. Since Sundar had to go with his wife, he made a plan with his wife. Sundar said that if he has to go to the office in the morning, then after the office, he will go straight to the invited house for dinner. He asked his wife to reach there directly from home. Meaning that the wife had to go straight for dinner from home and Sundar Pichai had to reach for dinner straight from the office.
The dinner program was at 8 o'clock at night. Sundar Pichai's wife Anjali reached the host's house for dinner at exactly eight o'clock in the evening in her car. Sundar Pichai also left the office, but he lost his way midway. By the time they reached there, it was almost 10 o'clock. When Pichai reached there, his wife had left after having dinner there. Now Pichai sahib's condition got worse. Americans being punctual, all the dinner rituals got completed. However, the host gave a warm welcome to Pichai's arrival and bade goodbye
Sundar Pichai went to his house without eating anything from there. As soon as he reached home, his wife was annoyed with Anjali and started her quarrel with him, as he did not reach on time and his wife felt insulted. Seeing Anjali's bad mood, Sundar Pichai thought it appropriate to return to the office again (at the same time at night). Some people say that the wife did not allow him to enter the house in anger
Well, whatever it is, now Sundar has reached back to the office and he spent the whole night there. He kept thinking the same thing all night - if I lost my way, then many people would have lost their way every day. Something would have happened that how good it would have been to not get lost in any way. Thinking the whole night, he thought that if the map was in his pocket and the direction was correct, he would not have lost his way.
The next morning Sundar Pichai called his entire team and put the idea of making a map in front of everyone. The team raised its hands-on hearing this idea. The team did not believe in his idea, but held meetings with the team continuously for almost two days and convinced them to design a product that would show people the way.
Sundar Pichai and his team worked hard and made Google Maps in 2005 and launched it in America. The very next year it was launched in England in 2006 and in India in 2008. And now you already know that the maps made by them are doing the work of showing the right path to the whole world. According to one figure, every seventh person in the whole world uses Google Maps.
Isn't it loud! So sometimes it's okay that your wife can get angry with you. So don't worry. Who knows that in that anger some historical invention of the future is hidden.
(news media) .
मंदी का करवा-चौथ 😢😊
एक सज्जन को कार बेचने वाली कंपनी की सेल्स गर्ल के लगातार कार खरीदने के फोन आ रहे थे।तो उन्होंने टालने के हिसाब से बोल दिया कि आज रात 7-8 बजे के बीच आ जाऊंगा, हुआ यों कि उसी दिन करवा चौथ का दिन पड़ गया था।उसके बाद उनके घर से फोन आया कि आते समय बाजार से छलनी लेते आना , ऑफिस छूटने के बाद वह बाजार गये और एक छलनी खरीदी , मंदी के कारण एक छलनी पर एक छलनी मुफ्त (free) में मिल रही थी । वह दोनों छलनी लेकर करीब 7.30 पर घर पहुंचे और फ्रेश होने चले गए। भाभी जी ने झोला चेक किया तो उनको दो छलनी दिखी तो उनका माथा ठनका।
तभी उस सेल्स गर्ल का फोन आ गया ,जिसे भाभी जी ने उठाया, तो वो बोली , "सर आपने वादा किया था कि आप आठ बजे तक आएंगे?" " मैं कब से तैयार होकर आपका इंतज़ार कर रही हूं।"
बस उसके बाद तो,,! चाँद भी ओर नजारे भी...
डॉक्टर साहब अपनी पत्नी के साथ चाय पी रहे थे, तभी फोन बजा। उधर से उनका मित्र बोला हम तीन लोग बैठे हैं, 18 साल पुरानी व्हिस्की की बोतल लेकर, तू आएगा क्या?
डॉक्टर साहब बोले मैं अभी आता हूँ।
पत्नी ने पूछा क्या बात है
डॉक्टर बोले कि मात्र 18 साल की है, तीन डाक्टर पहुँच गए है उसे देखने, मुझे भी तुरंत जाना है, नही तो बचेगी नहीं।