Saturday, June 13, 2020

ADABI SANGAM ----------------MAY30th, 2020--------------- TOPIC---NO---------------- " बहारें "फिर भी आती है ----------

अदबी संगम। 

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-खिज़ाएं कितनी भी घिर जाएँ -------
-------बदल जाए अगर माली -- चमन होता नहीं खाली
-----------" बहारें "फिर भी आती है ----------
--- बहारें फिर भी आएँगी ----
 
जब इंसान हार जाता है ,अपने मुकदर से
डूब कर टूट जाता है ,ग़मों के समुन्द्र में
गमो की लाश से ,जब वोह बाहर आता है ,
थोड़ा सकून से मुस्कराता है याद कर वो तूफानी जवारें ,
समझ लो लौट आई हैं , जिंदगी में उसकी बहारें
 
बड़े फक्कर से किस्से सुनाता है ,
खिज़ाएं छा गई हैं ,तो छाने दो ,
जिंदगी नासाज हो गई है तो होने दो ,
न कोई साथी रहा है न ही कोई
, हमकदम तुम्हारा ?।
 
फिर है किसका गम ? सोचो
जाने वाले लौट कर आते नहीं , न ही गुजरा वक्त।
वक्त लौटे या न लौटे , हिम्मत रखोगे तो
"बहारें"लौट कर जरूर आती है
 
कितने ही रुसवा हुए थे खुदा से,
और खुद से भी हम ?हासिल कुछ न हुआ
जब हमें हमारे अपने,हमारे सामने ही
हमारी दुनिया वीरान कर छोड़ गए
फिर भी हम जिन्दा रहे ,उमीदे भी जिन्दा रही?
 
सुलगती रही एक आग हमारे भीतर ,
क्या सोच कर?
दिल हर वक्त हर पल बोलता था , मायूस न हो
वह वक्त भी न रहा , वक्त तो यह भी बदलेगा ,
जिसको जाना है वह तो जाएगा ही ,
 
मगर आती जाती बहारों को कौन रोकेगा ?
बहारें हमेशा आती रहीं हैं ,बहारें फिर भी आएँगी,
जिंदगी के दुःख सुख ऐसे ही मौसम हैं
जो बदलते ही रहते हैं ,
गर दुःख पतझड़ हैं तो ,सुख ,बसंत बहारें हैं
 
बदलाव का दूसरा नाम ही हैं।बहारें
विश्वास न हो तो आँख खोल कर देख लो।
अब बहारें कल से कुछ अलग सी दिखने लगी है ,
पक्षियों को पिंजरों में कैद करने वाले
 
खुद सिमट गए है चारदीवारी में
रोज मिलकर मस्ती करने वाले ,
आज बेचैन हैं परिंदों की आजादी पर
तपती गर्मी में झुलसते हैं इंसान और परिंदे भी ,
इंसान बेबस होकर पड गया है बिस्तर पर ,
 
अपनी बहारों की तलाश और इंतज़ार में
पक्षिओं के झुण्ड स्वछंद उड़ रहे बेखौफ होकर
कुछ वक्त पहले बर्फों में दब जो बिखर कर सूख गए थे
गर्मी में दमकने लगी हैं ,उन्हीं हरे हरे पेड़ों की बहारें ,
जंगल में मंगल होने लगा है , पेड़ो के ठूठ हरयाली में सजने लगे हैं
 
पक्षी भी अपने घरोंदे सजाने लगे है
बिजली की चमक , बादलों की गरज ,
याद दिला रही है इंसान को ,कि जो
बहारें आने वाली थी वोह बहारें अब आ चुकी हैं
 
जमीन पे बिछ चूका है , सब्ज हरे घास का कालीन ,
जंगलों में भी कुदरत ने बिछा दिए है सब्ज हरे बिछोने ,
हर जानवर और परिंदे के जीवन में बहार लौट आई है
हवाओं में भी घुली है बरसातों की बहारें ,
 
आई हैं बूँदें जमीन पे उत्तर कर देखने
खेतो में लहलहाती फसलों की बहारें
कोयल की कूक बता रही सब को जगा जगा के
मोर भी नाच रहा देख देख के कुदरत की बहारें
 
पि पि करके पपीहा भी बिगुल बजा रहा।
सब खुश है क्या मनुष्य क्या पखेरू
देख कुदरत की नई नई बहारें ,
बड़ा शोर है उस इंसान के घर में ,
 
लोग नाचे जा रहे बेतहाशा हैं
जश्न ही होगा कोई, शाय्यद
शादी विवाह का कोई मौका होगा ,
किसी की खुश्क वीरान जिंदगी में
किसी नई बहार का तौफा होगा ,
सजे हैं गुलाबी फूलों से वह आँगन भी ,
जो कभी वीरान थे
 
न आती गर उनकी किस्मत में बहारे ,
वीरान पड़े आंगन बन चुके शमशान थे
जिंदगी में जिनके है बहारें , वह ख़ुशी में नाच नाच कर
काटें है राते सारी
 
गम में जो होते हैं , उनकी राते रोती है ,होती है नींद पे भारी
दुःख में उनके सीने फड़कते है
आहें निकलती है आंसू भी टपकते है
ऐसे में जब --------
 
किसी के घर संसार में तशरीफ़ लाती हैं बहारें ,
जिंदगी के रंग ढंग बदलने लगते है
हुस्न बहक जाता है ,नए नए जलवे दिखाती है बहारें
परिवारों में किस किस तरह के गुल भी खिलाती हैं यही बहारें
 
हुस्न पे जो छाईं है तुम्हारे, इतनी हसीं कयामत
यह सब के नसीब में कहाँ ,
" उन्होंने मायूस होकर कहा"
गर्दिशों में लगता है आज इतर सारा जहाँ।
 
बहारें जो तुम्हारे जीवन में है सबके नसीब में कहाँ ?
मेहरबान है शायद तुम पर,वक्त की बहारें
हमने भी बोल दिया ,
अम्मा बहारें तो चारों तरफ बिखरी पड़ी है
जो चाहिए ले लो , यह तो मन का भरम है
 
जिसका मन सदा बहार हो उसे बहारों से क्या लेना ?
हमने भी अपने ज्ञान चक्षु खोल कर ज्ञान देना शुरू कर दिया ,
दोस्त मेरे -----
तमाम बहारों की मंडी सजी है इस दुनिया में ,
तुम्हारे मन की असली बहार छीनने को
आओ चुन लो '''------------
 
सब्जों की लहलाहट, खेतो बाग़ात की बहारें ,
तूफ़ान , ओले बारिश
कुदरत के कहर लील देते है यही बहारें
हरे भरे बाग़ फल फूलों से लदे यह खेत
 
आँधिया उडा देती हैं किसान की यही बहारें
बूंदों की झमझमा झम फुहारों की बहारें ,
बहा ले जाती है खेत खलिआनो और गरीब के
आशिआनो से तमाम जिंदगी की बहारें
 
किस किस का जिक्र करें किस किस का फ़िक्र
यहाँ हर बात के तमाशे , हर घाट की बहारें ,
टेलीविज़न पर परोसे गए विज्ञापन की बहारें ,
बेसिर पैर , झूठे सच्चे समाचारों की बहारें ,
 
इन बहारों की बाढ़ में कहीं दूर डूब गई हैं
मेरे सच्चे दिल की बहारें
सच्ची बहारें तो कुदरत के तोफे है ,
इंसानी बहारों के वजूद का क्या ?
 
आज हैं कल नहीं , कुदरत का विधान है
इंसान को कर के बेदखल ,
इंसान को ही कुछ देने को
बहारें फिर भी आती है.
बहारें हमेशा आएँगी

SAMEER NAGPAL & NEETIKA KAUSHAL NAGPAL AWAITING DAUGHTER *SWEET PEECHOO *



***"LIFE BEGINS HERE AGAIN"**





        * SAMEER NAGPAL & NEETIKA NAGPAL
              CELEBRATING BABY SHOWER * 
                            * Peech darling *
                   IS COMING IN JULY 2020
                                      

                                                      
 MAY 30th,2020
                                            
आज गोद भराई के शुभ अवसर पर। ..

                             दादी दादा की तरफ से एक प्यारभरी चिट्ठी _
                
                                    __पीच के नाम --



प्रिये सनी और नीतिका तुम्हे आने वाले सूखद पलों की बहुत बहुत शुभ कामनाएं :-
हमारे जीवन की एक यादगारऔर खुशगवार घडी फिर से आ गई है ,
बरसों से था इंतज़ार जिसका वोह खत्म होने को है, यह खबर आई है

हमारी बगिया के तीन खिले , फूलों को साथ देने ,ईश्वर ने और एक
लहलहाती नई कली नीतिका-समीर की गोद में खिलाई है।

हमारी परी के आने का ,खत्म बस अब इंतज़ार है .....
पीच ,मैं हूँ तेरे पापा की मम्मी ,लगती हूँ दादी तेरी ,
मेरे साथ बैठे हैं  दादा भी तेरे,खुशियों से सराबोर हैं ,

सब दीवाने ,उड़ कर आना चाहते है ,पास तेरे ,
 दिल से सब मजबूर है ,आ नहीं सकते मगर , 

दुनिया में परी हमारी जब आएगी ,सबको हंसाएगी 
रोते रोते भी कैसे खुश रहें ,यह सबको समझाएगी।

तू है परिवार की आशा ,हमारी किस्मत की कड़ी ,
और हमारे ख्वाबों की है, लाड़ली हुस्न परी

जल्दी से बस अब खत्म हमारा भी ,यह इंतज़ार हो जाए ,
तेरी मासूम हंसी पे हम सब निस्सार हो जाएँ
रब करे तेरे क़दमों से, हर तरफ ,गुलजार हो '''जाए

बहुत चाहा पीच के आने से पहले , हम भी सब मौजूद होंते ,
हमारे सामने ही वह हसीं लम्हेँ हकीकत का रूप लेते


पर ऐसा हो न पाया , गहरा जो गया है कोरोना का साया
कैद होकर रह गए है हम अपने जज्बातों के समुन्द्र में

WITH OUR BEST OF BLESSINGS 

दादा और दादी का बहुत बहुत प्यार
*










Friday, June 12, 2020

My unforgetable moments with my father

        My unforgettable moments with my father "



Memories of my life are always moving with me, If Mother is a soul of my body, then the father is certainly my driving force, he has been always treating me like his sons and always encouraging to achieve seemingly unachievable to most of us in this life. every son or a daughter may have a different account of their father but I have mine quite different and unique to me. I always cherish my past memories when I was just a baby or a  school going, child. I remember sleeping over his chest when I felt like shivering in cold, He never felt uncomfortable himself sleeping like a cot without changing sides just to soothe me.

He taught me to drink plenty of juices and water every day to be healthy and active, I remember this habit going into my deep head and even when I fell ill ever, I used to drink water every half an hour and it lowered my fever without taking a medicine. This is one such golden habit inculcated in me by my father, which still continues to be part of my daily routine to enjoy a healthy life.


I remember him running on his scooter, leaving aside his own commitments, to drop and pick me up from my school every day. My career would not have taken a sky jump had he not pushed and guided me to jump into information technology despite my being from non-tech graduation, he taught me how to strive hard and turn the stride in my favour. He got me admitted in Masters in computer science in a top university in India and changed my course of life to technology, with his active participation on every step, To my disbelief, I topped the university even in my unchartered technology territory which boosted my morale beyond my expectation in the life to come.

I solely give credit to my father who not only motivated but also helped me understand the nitty-gritty of career education. Today I am well placed IT professional in the USA working for Federal Government only because of his motivation and presentation. I was the first and the only  Girl from My whole of the extended family who immigrated to the USA on H1b visa to work in the USA  all alone only on my merits and capabilities well supported by my parents, 

who will have the heart to send his young unmarried daughter of just 22 to far of land in the USA that too with no local support? My father had dreamt of seeing me excel in my life like a son so I realised his dream with whatever efforts I could do to achieve it.


My life story has a happy continuation, My parents on my strong insistence have again moved to the USA to be with me and bless me further by transmitting best sanskaras to my two daughters, and My pleasure has no bounds now when I found my daughters also equally attached emotionally to my father as I was all throughout my life. I wish every daughter in this world should have a father like him.


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Saturday, June 6, 2020

Rajinder Nagpal with Bikash Bohrah


        Rajinder Nagpal with Bikash Bohrah                        














              My Residence in Punjabi Bagh