Wednesday, March 15, 2023

क्या हम आज़ाद है तो कैसे और किस से ? ----- FEBRUARY 5th ,2022 , for republic day in asamai Temple

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "


Though we became a free country from British rule, by transfer of power by the Britishers to their favorite set of people belonging to a particular party, which became a republic on 26 Th January 1950, 

This was the day when our own written constitution By Baba Bheem Rao Ambedkar came into force, 

Interestingly the country called Great Britain had ruled us for almost 200 years they themselves had no written constitution but had various criminal and civil and common laws in place but no codified written document to be called a constitution like we have in India  Their supreme law-making body is parliament which protects the rights of citizens.

 or we are happily celebrating it with full enthusiasm and vigor just ritually as we do other festivals of our Indian culture for the last several centuries. 

This year is very special as being a landmark, of 75 years of our freedom/transfer of power in 1947, with a wonderful display of our progress in industry, agriculture, and military by exhibiting our latest fighting equipment on public displays.

 we exhibit numerous Jhaankis/  without giving them a serious thought for even a moment to understand what we gained and lost after our independence, and what this republic day means for us?

 In These 75 years? Don't take it otherwise, I am as patriotic and nationalist as you all are, but have a little more curiosity than usual 

we are all Indians here so I take the liberty of giving you my mind in Hindi today 



आज हम फिरसे मना  रहे गौरव का वही   दिन ,
दर्ज हैं जिसके हर  किस्से, भारत के इतिहास में। 
 हर इबारत जो दफन थी , फिर से उभरने लगी है 
उन गुलामी की दिनों के यादे भी अब चुभने लगी है 
पूछने लगी है आज की युवा पीढ़ी   ,
तो क्या इससे पहले हम कभी आजाद नहीं थे ?

किसी ने कभी  पुछा नहीं, न ही किसी ने बताया 
जश्ने आजादी के पर्व हर साल आते रहे जाते रहे ,
75 सालों से लगातार इसे दिल से मनाते  भी रहे
लेकिन इससे पहले के सालों को हम कैसे  भूल गए ? 

भूल गए या भुलाने को विवश किये गए ?
क्या हम सिर्फ आज से 75 साल पहले गुलाम थे ?
एक हज़ार वर्षो की नींद से हमें जगाता है 
उससे  पहले का इतिहास ,आज भी हमें रुलाता है। 

बड़ा अच्छा लगता है आजादी के तराने सुनकर, गा कर 
हम नाचने गाने लगे इतिहास के उन पन्नो को भुला कर 
इस आनन्दो उल्हास में भी है एक अजीब सा कोलाहल 
मन ही मन डर जाता हूँ  , भविष्य की एक  भयानक तस्वीर बुनकर 

सच्चाई कहने, सुनने  से, फिर भी हम बचते रहे 
 बुरा न मान जाए कहीं कोई , इसी सोच में डरते रहे।
खोई थी अपनी आजाद संस्कृति जिनके आक्रमणों से 
उनके बीज अभी भी जिन्दा है , फिर से हमें कब्जाने में 

अपनी अपनी मस्त दुनिया में जीने वाले, क्या करेंगे इसे जानकर  ?
पूछिए उस लुप्त होती पीढ़ी से , जान कैसे बची थी  , उनकी ,?
 सब कुछ लुटाकर , घर बार छोड़ा , अपनों ही को गवां कर 
और अपने ही देश ,अपने ही घर से , खाली हाथ भाग कर 

एक मानव सभ्यता को कुचलने की वीभत्स कोशिश हुई इतिहास में । 
जब जला डाले , गौरव के वोह निशान जिनमे बसी थी पहचान हमारी 

इतनी प्राचीन सभ्यता , राम और  कृष्ण की करम भूमि 
प्रचार प्रसार था पूरी दुनिया में , भारतीय सनातन का 
तो क्या तब हम आजाद नहीं थे ? 

आज उसी पावन  धरती को इंतज़ार है ,फिर से अपने सपूतों का ,
 बादल खतरों के फिर से मंडराने लगे है , नफरत की आग फिर से जलाने  लगे है 
आज़ादी की  मशाल , जलती रहे हमेशा जिसमे खून मिला है पुरखों का 
उसी मशाल को बुझाने में लगे है 

जनता की उदासीनता , नेताओं की दुष्टता , 
लालच , देश से गद्दारी , जयचंदो की है भरमार यहाँ भारी 
उठो देश प्रेमियों , हवाओं को समझो ,
 गफलत छोड़ो ,
मत भूल जाना अपने गौरवशाली इतिहास को 
अशोका , मौर्या , पृथिवीराज ,और  मरहटों ने भी ,
संभाला था कभी इसकी आन और शान को 
इसी आजादी को संजोने को , वही बीड़ा उठाने को, 
जागना होगा ,हर छोटे बड़े इंसान को 

जय भारत 


क्या हम आज़ाद है तो कैसे और किस से ? क्या इस्लाम और विदेशी ताकतों ने हमें जीने दिया है आज तक ? गजवाये हिन्द भी चालू है ा और विदेशी ताकतें भी लगी है हमारी हस्ती मिटाने में और हम लगे है 
नाचने और गाने में ? 
धिक्कार है हमारी मासूमियत और हमारी आराम पसंद युवा पीढ़ी पर जो है तो भारत माँ की संतान परन्तु सिर्फ पैसे को खुदा मानती हैऔर विदेशों को अपनी करम भूमि , उसके लिए देश और उस पे आये खतरों की कोई चिंता ही नहीं है , लव जिहाद है जमीन जेहाद है और हम कहाँ है अपने देश को नोच के खाने वालों की जी हज़ूरी में लगे है सिर्फ ढोंग सेकुलरिज्म के नाम पर ?पैसा कमाने के नाम पर > भूल गए कभी हमें ऐसे ही बांग्लादेश , पाकिस्तान , कश्मीर से उगांडा से , ईरान से अफ़ग़ानिस्तान से खदेड़ा गया और हमें भूखा नंगा देश से निकाल दिया और हमारी बहु बेटियां , जमीन जायदाद सब वहीँ छोड़ कर खाली हाथ भागना पड़ा ?
वही खतरे अभी टले नहीं ,
सकूं के पल अभी हमें मिले नहीं