PERCEPTION CHANGES JOKES WITH A SENSE
क्यों डुबाते हो दूसरों को अपने गम के प्याले में,
क्यों करते हो दर्द का इज़हार ..
जन्नत उसी में है जब लोगों को गुमान हो
की खुशियाँ तेरे दामन में हैं हज़ार ..
बिखर जाने दो पंखुरियां तेरी 'मुस्कान' की इतनी
की दूसरों के उजड़े चमनो में आ जाये बहार.. .... )
"तुम ग़लत या हम ग़लत,
तुम सही या हम सही........,
इस बात का राज न जाने कब खुले !
छोड़ो इन बातों में अब क्या रखा है ?
गर मिले फुर्सत कभी ,तो सोचेंगे यही की ,.
ये ज़ालिम ज़माने कि साजिश ही रही
असल में थे तुम भी सही, और हम भी सही.?
**********************************************
मनु,"डेडी, ज्यादा काबिल कौन है मैं या आप?"
डैडी, " मै, क्योकि मैं एक तो तुम्हारा बाप हुँ, दुसरे उम्र मे भी तुम से बडा हुँ और मेरा तजुर्बा भी तुम से ज्यादा है।"
मनु, "फ़िर तो आप जानते होगें कि अमेरिका की खोज किस ने की थी? "
डैडी, "कोलम्बस ने की थी"
मनु, "कोलम्बस के बाप ने क्यों नही की, उसका तजुर्बा तो कोलम्बस से कही ज्यादा होगा न ?????
****************************************************** दिल्ली जाने वाली एक बस खचाखच भर चुकी थी। एक बुढिया बस रुकवा कर जबरदस्ती चढ गई। कंडक्टर के मना करने के बावजूद उस ने कहा मुझे ज़रुरी जाना है। किसी ने बुढिया को सीट नही दी। अगले बस स्टैंड से एक युवा सुंदर लडकी बस मे चढी तो एक दिल फैंक युवक ने अपनी सीट उसे आँफर कर दी और खुद खडा हो गया। युवती ने बुढिया को सीट पर बैठा दिया और खुद खडी रही । युवक अहिस्ता से बोला, " मैने तो सीट आप को दी थी।" इस पर युवती बोली, "धन्यवाद, लेकिन किसी भी चीज पर बहन से ज्यादा मां का हक होता है।"
MY EARINGS WERE TOO HEAVY FOR MY EARS, MY BODY HAS PROTECTED THEM FROM CHAIN SNATCHERS?
कंजूस आदमी (मृत्युशैय्या पर)—रा..म बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह आपका सिर दबा रहा है।
कंजूस आदमी — श्या..म बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह आपका पैर दबा रहा है।
कंजूस आदमी — ग..णे..श बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह गंगाजल लिये आपके बाजू में ही खड़ा है ?
कंजूस आदमी — म..हे..श बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वही तो आपको हाथ—पंखा से हवा कर रहा है।
कंजूस आदमी (झुंझलाते हुए) — मे..रे चा...रों बे..टे य..हीं प..र हैं तो फि..र दु..का..न में कौ..न बै..ठा है ?
क्यों करते हो दर्द का इज़हार ..
जन्नत उसी में है जब लोगों को गुमान हो
की खुशियाँ तेरे दामन में हैं हज़ार ..
बिखर जाने दो पंखुरियां तेरी 'मुस्कान' की इतनी
की दूसरों के उजड़े चमनो में आ जाये बहार.. .... )
"तुम ग़लत या हम ग़लत,
तुम सही या हम सही........,
इस बात का राज न जाने कब खुले !
छोड़ो इन बातों में अब क्या रखा है ?
गर मिले फुर्सत कभी ,तो सोचेंगे यही की ,.
ये ज़ालिम ज़माने कि साजिश ही रही
असल में थे तुम भी सही, और हम भी सही.?
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मनु,"डेडी, ज्यादा काबिल कौन है मैं या आप?"
डैडी, " मै, क्योकि मैं एक तो तुम्हारा बाप हुँ, दुसरे उम्र मे भी तुम से बडा हुँ और मेरा तजुर्बा भी तुम से ज्यादा है।"
मनु, "फ़िर तो आप जानते होगें कि अमेरिका की खोज किस ने की थी? "
डैडी, "कोलम्बस ने की थी"
मनु, "कोलम्बस के बाप ने क्यों नही की, उसका तजुर्बा तो कोलम्बस से कही ज्यादा होगा न ?????
****************************************************** दिल्ली जाने वाली एक बस खचाखच भर चुकी थी। एक बुढिया बस रुकवा कर जबरदस्ती चढ गई। कंडक्टर के मना करने के बावजूद उस ने कहा मुझे ज़रुरी जाना है। किसी ने बुढिया को सीट नही दी। अगले बस स्टैंड से एक युवा सुंदर लडकी बस मे चढी तो एक दिल फैंक युवक ने अपनी सीट उसे आँफर कर दी और खुद खडा हो गया। युवती ने बुढिया को सीट पर बैठा दिया और खुद खडी रही । युवक अहिस्ता से बोला, " मैने तो सीट आप को दी थी।" इस पर युवती बोली, "धन्यवाद, लेकिन किसी भी चीज पर बहन से ज्यादा मां का हक होता है।"
MY EARINGS WERE TOO HEAVY FOR MY EARS, MY BODY HAS PROTECTED THEM FROM CHAIN SNATCHERS?
कंजूस आदमी (मृत्युशैय्या पर)—रा..म बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह आपका सिर दबा रहा है।
कंजूस आदमी — श्या..म बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह आपका पैर दबा रहा है।
कंजूस आदमी — ग..णे..श बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वह गंगाजल लिये आपके बाजू में ही खड़ा है ?
कंजूस आदमी — म..हे..श बे..टा क..हां है ?
परिवारजन — आप चिंता न करें, वही तो आपको हाथ—पंखा से हवा कर रहा है।
कंजूस आदमी (झुंझलाते हुए) — मे..रे चा...रों बे..टे य..हीं प..र हैं तो फि..र दु..का..न में कौ..न बै..ठा है ?
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