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Thursday, December 15, 2011

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This is one such temple where ,the followers follow their own logics
They come to this temple with a pledge that they will serve the humanity
but end in serving their own selfish goals ?




       









 दुनिया में अगर शख्सियतें  पूजी जाती है सिर्फ दौलत के जोर पे..?
तो भगवान् के मंदिर में इतना चढ़ावा किस लिए  चढ़ता  है ,,,,,.
सिक्कों की खनक पे ही यहाँ गर  आदमी की औकात बदल जाती,.
तो कोठे इतनी वीरान क्यों हो जाते है ,हुस्न ढल जाने के बाद .?


































































































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