Friday, December 16, 2011

HOW LIFE UNFOLDS IT SELF?

PEOPLE WHETHER YOUR RELATIVES , BROTHERS SISTERS   , OR EVEN ALL OF YOUR FRIENDS SHALL NEVER IGNORE YOU IF THEY LIKE YOU BY HEART, THEY WILL SPARE NO OPPORTUNITY TO EITHER CALL YOU OR PAY YOU A VISIT SURPRISINGLY 




महबूबा को तुम चाँद कहते हो, और कभी खुदा बताते हो
नए नए हासिल मित्रों से भी,अन्तरंग प्यार जताते  हो ?
घर में पड़े  बुढे माँ बाप को ,आज भी तुम क्या समझते हो!
लड़खड़ाते गिरते तेरे  कदमो को, जिन्होंने संभलना सिखाया,
पकड़ के ऊँगली तेरी जिन्होंने ,जीवन का मार्ग दिखाया
आज हुई उनकी असहाए काया पर, क्या तेरा दिल रोता है ?.
...
कभी माँ की लोरी सुनकर ही तुझे, चैन की  नींद आती थी,
पूरी रातों को जाग जाग कर, वो तेरा पोषण भी करती थी,
आज पड़ी लाचार तुझे वो पुकार रही ,,,,,,,,,,,.....................
खांस खांस कर अपना दुःख,सारे घर को  सुना रही
रात को माँ खांस रही हैं,तेरी नींद में खलल भी ड़ाल रही !
देख के उसकी यह  बेचैनी क्या तेरा दिल रोता है?
......
निगाहे- नाज़ की तारीफ , कभी हुस्न के  सजदे खूब किये
 सतरंगी दुनिया के रंगों में अपनी आँखों को खूब नहलाया
देखा था कभी जिन आँखों से, उन आँखों का मंजर क्या होगा
अपनी बूढी नजरों से ढून्ढ  रही,जो  तुझ में वो उजाला
टूटे हुए बाप के चश्मे पर,तेरी माँ की बुझती आँखों में
झांक के उनके सपनों में ,तो  क्या तेरा दिल रोता है ?
*****
इक अजनबी पे तुम फ़िदा होकर सारी दुनिया लुटातेहो ?
पर जिन्होंने लुटाया अपना सब कुछ तुमपर ?,

















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