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Tuesday, January 4, 2022

Thanks Giving .... Being Grateful --------,शुकराना -- -शुक्रिया



              Thanks, Giving. Being Grateful - शुकराना -शुक्रिया 




वैसे तो कई अवसर आते है हमारी जिंदगी में जब हम किसी न किसी का शुक्रिया या थैंक्स कर रहे होते है , परन्तु जो पश्चिमी दुनिया अमेरिका कनाडा ब्राज़ील वगैरह में हर साल नवंबर में इस चौथे वीरवार को थैंक्स गिविंग दिन के रूप में याद किया जाता है। इस नाम का ,इसका अपना एक ऐतिहासिक सन्दर्भ भी है ,

बात तब की है जब यूरोप में धार्मिक उत्पीड़न अपने चरम पर पहुँच गया था , धार्मिक गुटबाज़ी में मार काट मच गई थी , यूरोप का यह वीभत्स दौर था जिसमे लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने देश छोड़ के भागने लगे , फ्रांस , इटली ,इंग्लैंड ,पुर्तगाल ,स्पेन से पलायन करते बहुत से लोगों ने अमेरिका के समुंदरी तटों पर अपना ठिकाना ढूंढा , लेकिन अमेरिकी आदिवासी रेड इंडियन इस आमद से घबरा गए और उनसे , उनका खुनी संघर्ष भी हुआ ,

लेकिन इतनी मारकाट के बाद जब सचाई समझ में आई तो दोनों विजातियों में मिलजुलकर रहने का समझौता हुआ , अब इन्ही आदिवासी रेड इंडियन की वजह से इन यूरोप से विस्थापित शरणार्थियों को खाने का सहारा मिला , इस अवसर को एक बड़े जश्न के रूप में मनाया गया , टर्की और जो भी जीव इन रेड इंडियंस के पास थे उन्हें सर्व किये गए और तब से माइग्रेंट लोगों द्वारा इसे रेड इंडियंस को थैंक्स डे के रूप में मनाया जाने लगा , बेशक थैंक्स गिविंग का इतिहास धार्मिक और रीती रिवाजो के बीच खुनी संघर्ष से शुरू होकर एक ऐसा नेशनल दिन बन गया है जिसे आज भी सब पुरानी रंजिशों को भूल कर इसे मिल जुल कर पूरी दुनिया में मानते है। अब तो इसे एक राष्ट्रीय पर्व के रूप मान्यता और राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया है।

सभी सरकारी दफ्तर , व्यपारिक संसथान , स्कूल , कॉलेज इस दिन अवकाश में रहते है , यात्रा के हिसाब से भी थैंक्स गिविंग का लॉन्ग वीक एन्ड सबसे अधिक व्यस्त रहता है जब लोग इन छुट्टिओं का जी भर के लुत्फ़ उठाते है , लेकिन भीड़ , ट्रैफिक जाम , अत्यधिक व्यस्त सड़के शॉपिंग माल्स , थैंक्स गिविंग परेड की वजह से ट्रैफिक का सुचारु रूप से न चल पाना , कुछ मजा खराब भी हो जाता है , अगर थोड़ा ऐतिहासिक परिपेक्ष में देखें तो

वर्ष 1863 से ही थैंक्स गिविंग डे को एक वार्षिक अवकाश के रूप में मनाया जा रहा है , कुछ लोगो का मानना है के टेक्सास के अल्पासो शहर में 1598 से ही मनाया जा रहा है , कुछ लोगो ने आधुनिक रूप में मनाये जाने वाले थैंक्स गिविंग डे को हार्वेस्ट कटाई - बुआई के सीजन के उत्सव से भी जोड़ा है ,उनके हिसाब से पहला थैंक्स गिविंग डे 1621 - 1623 में मनाया गया जब सूखे से ग्रसित किसानो ने बारिश होने पर जश्न मनाया , जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे उन्होंने 1789 में अलग अलग वक्त पे मनाया जाने वाला थैंक्स गिविंग दिनो को एक कर के इसे राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में घोषित किया था और तब से यह सिर्फ बृहस्पत वार हर वर्ष नवंबर के 4th thursday को ही जाता है ,

खुशियां होती है वहां गम भी होते है , हर व्यक्ति इस उत्सव से खुश नहीं होते , 1970 के शुरू से ही आदिवासी रेड इंडियन समुदाय इसका विरोध करता है और उनका मानना है की हमारी जमीनों पर कब्ज़ा कर के यह देश बसै है किस बात की ख़ुशी मनाएं ? हमारा हक़ छीना गया है हम इसका विरोध करते रहेंगे , उन्होंने इस दिन को 1970 से ही विरोध दिवस मनाना शुरू किया हुआ है ,

एक और संधर्ब सामने आता है की इसे वार्षिक राष्ट्रीय बनाने में कनाडा और अमेरिका में इसे हार्वेस्टिंग सीजन के रूप में मनाया गया , और पिछले वर्ष की उपलभ्दीओं और कुदरत के आशीर्वाद को मान्यता देने के लिए ही इस दिन को चुना गया , अमरीकी लोगो को विश्वास है की 1621 को जो दिन थैंक्स गिविंग के रूप में मनाया गया वही बाद में आधुनिक थैंक्स गिविंग डे इसका सूत्रधार बना , जिसमे ब्रिटिश यात्री जो की प्लायमाउथ में पहुंचे थे ,

इंग्लैंड से आने वाले कोलोनिस्ट अपना थैंक्स गिविंग हर साल प्रार्थनाये कर के मनाते थे क्योकि उन्होंने पूरी दुनिया को अपने कब्जे में लेने के लिए कई घोर युद्ध लड़े और जब जीत जाते थे या कभी सूखे की समाप्ति पर ईश्वर का धन्यवाद दिवस मनाते थे

थैंक्स गिविंग को तब तक कोई मान्यता नहीं मिली थी जब तक अमेरिकी सरकार में नार्थ अमेरिकन लोगो का दबदबा रहा , उन्नीसवीं सदी के मध्य तक जाती दंगे खूब होते रहे , पूरा देश सिविल वार की लपेट में आ गया था ,मैडम सारहा जोसफ हेल ने जो की एक godey lady book नामकी मैगज़ीने चलाती थी thanks Giving day की सपोर्ट में काफी बड़ा आंदोलन किया की इस दिन को राष्ट्रीय घोषित करते हुए ,इन दंगों को रोका जाए और आपसी सौहार्द स्थापिक किया जाए , उनकी यह मेहनत राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की सपोर्ट से 3 अक्टूबर ,1863 को राष्ट्रपति ने इसे राष्ट्रीय दिवस के नाम से आदेश जारी कियाकी हर साल 26 नवंबर वृहस्पति वार को थैंक्स गिविंग डे मनाया जाए


जैसे जैसे वक्त गुजरा , सभ्यता का विस्तार हुआ , हर सामाजिक समुदाय की आने वाली पीढ़ी ने इसे अपने ही रूप में परिभाषित करना शुरू किया , कुछ ने कहा जो हमारे पास है वह किसी की देंन ही तो है और उस देने वाले का हर वर्ष धन्यवाद करना बनता है , इसी में खान पान के आलावा शॉपिंग का मजा भी इसमें जोड़ दिया गया है , जिसमे तरह तरह की सेल्स और डिस्काउंट सेल जोर शोर से मनाई जाती है और इस की वजह से आर्थिक गतिविधिओं में भी जान आ जाती है , 

 इसी की कड़ी में क्रिसमस भी जुड़ जाता है और व्यपारिक संसंस्थानो के लिए पूरे वर्ष की कमाई और पिछले स्टॉक्स को क्लियर करने का एक सुनहरी अवसर मिल जाता है। थैंक्स गिविंग के अगले ही दिन ब्लैक फ्राइडे को जोड़ दिया गया है जिसमे लॉन्ग वीकेंड का पूरा मजा लोग उठा पाते है। और व्यपारिक संसथान भी अपनी तिजोरी खूब भर लेते है , सबका ही फायदा।

इन सब को देखते हुए मुझे अहसास हुआ की अमेरिकी कैनेडियन त्यौहार के पीछे एक देश के लोगों द्वारा दुसरे देश की जमीनों पे कब्जा करके अपने शहर बसाना और फिर जिन लोगों से यह सब छीना गया उनका शुक्रिया करके उन्हें पार्टी दावत देना , हमारे भारत देश में भी वैसाखी लोहड़ी मनाई जाती है जिसके पीछे ख़ुशी उल्हास फसलों के कटने का और लोहड़ी का दिन बरसात के लिए हवन करे या फिर एक इसमें और वृतांत जुड़ा है जिसमे सुंदरी मुंदरी नामक दो युवतिओं को मुगलों से बचा कर उनका विवाह कराना और लोहड़ी को अग्नि कुंड की तरह बनाया जाना , कहीं भी इसके पीछे मारकाट या लड़ाई का कोई जिक्र भी नहीं है ,यह सब भी तो थैंक्स गिविंग था उस शक्ति के लिए जिसकी वजह से उनकी फसलें अच्छी हुई और पूरे समाज में खुशहाली आ गई।



Plymouth’s Thanksgiving began

with a few colonists going out “fowling,” possibly for turkeys but more probably for the easier prey of geese and ducks since they “in one day killed as much as…served the company almost a week.” Next, 90 or so Wampanoag made a surprise appearance at the settlement’s gate, doubtlessly unnerving the 50 or so colonists. Nevertheless, over the next few days, the two groups socialized without incident. The Wampanoag contributed venison to the feast, which included the fowl and probably fish, eels, shellfish, stews, vegetables, and beer. Since Plymouth had few buildings and manufactured goods, most people ate outside while sitting on the ground or on barrels with plates on their laps. The men fired guns, ran races, and drank liquor, struggling to speak in broken English and Wampanoag. This was a rather disorderly affair, but it sealed a treaty between the two groups that lasted until King Philip’s War (1675–76), in which hundreds of colonists and thousands of Native Americans lost their lives.

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The holiday was annually proclaimed by every president thereafter, and the date is chosen, with few exceptions, was the last Thursday in November. President Franklin D. Roosevelt, however, attempted to extend the Christmas shopping season, which generally begins with the Thanksgiving holiday, and to boost the economy by moving the date back a week, to the third week in November. But not all states complied, and, after a joint resolution of Congress in 1941, Roosevelt issued a proclamation in 1942 designating the fourth Thursday in November (which is not always the last Thursday) as Thanksgiving Day

The New England colonists were accustomed to regularly celebrating “Thanksgivings,” days of prayer thanking God for blessings such as military victory or the end of a drought. The U.S. Continental Congress proclaimed a national Thanksgiving upon the enactment of the Constitution, for example. Yet, after 1798, the new U.S. Congress left Thanksgiving declarations to the states; some objected to the national government’s involvement in religious observance, Southerners were slow to adopt a New England custom, and others took offense over the day’s being used to hold partisan speeches and parades. A national Thanksgiving Day seemed more like a lightning rod for controversy than a unifying force.



कृपया आप सभी ध्यान से पढ़े।
आपका नजरिया बदल देगा ये पोस्ट
पुरा पढ़े और अपना अनुभव बताए🙏

"6 वर्षों में मुझे पता चला" कुछ इसी तरह आपको भी पता चला हो तो आप भी अपने अनुभव जरूर जोड़े।
मात्र 6 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था,
मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।

मगर.....

इन 6 वर्षों में मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।

1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुड़े होते हैं।

2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुडे होते है।

3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नही होते।

4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।

5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है।

6. हिन्दू शब्द सिंधु से नही (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नही आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में लाखों वर्ष पूर्व से ही वर्णित था।

7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नही बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओ को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया।

8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व मे फैला था।

9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए भारत पहुंचा।

10. बप्पा रावल का नाम, काम और और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुस्लिम आक्रांता इधर झांके भी नहीं।

11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, इस्लाम के प्रसारक और हिंदुओं का नरसंहारक थे, यह सच पता चला।

12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और थी।

13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने मुझे महात्मा गांधी के "ब्रह्मचर्य के प्रयोग" और हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताई।

14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे मे ज्ञान हुआ।

15. नेहरू की असलियत, उनके इरादे, उनकी हरकतें, पता चली।

16. POJKL के बारे मे भी इन 6 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।

17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला।

18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नही मिलता, यह भी अब पता चला।

19. AMU मे दलितों को आरक्षण नही मिलता, वह संविधान से परे है।

20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला।

21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे मे पता चला।

22. जय भीम समुदाय के बारे मे पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम भीम दलित औऱ हिन्दू दलित अलग होते है पता चला।

23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई।

24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला।

25. समुदाय विशेष में तीन तलाक, हलाला, तहरुष, मयस्सर, मुताह जैसी कुरीतियों के नाम भी अब जाकर सुना। इनका मतलब जाना।

26. अब मुझे पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं।

27. सच बताऊं, गजवा ऐ हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था। कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 6 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला।

28. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था।

29. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया।

30. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठा इतिहास पढ़ाया गया, जिन मुगलों ने हमे लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे लूटे अत्याचार करे वह महान और लुटने वाला लुटेरा कैसे हो सकता है।

३१ इतना सब पता चलने के बाद भी और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही समझ पाए बाकी वैसे ही हैं।

३२ यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते कुछ विचारधारा से कुछ डर के कारण न्याय नहीं कर सकते।

३३ अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै। इसमें कुछ झूठ का अंश हो सकता है पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था।

और भी कई विषय हैं जो इन 6 वर्षो मे हमें ज्ञात हुए है जो देश से छुपाए गये थे। जो आपके ध्यान में आए वो इसमें जोड़ते जाइए।

जय श्री राम 🙏🚩