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Friday, January 11, 2019

HARIVANSH RAI BACCHAN " POETRY " 2010 ...................(40)





























SO SORRY 
बड़ा ही अजीब शब्द है आज कल सॉरी इंसान कहे तो आपसी कलेश झगड़ा ख़त्म 
भगवान् कहे तो सारी कायनात ख़त्म
वकील कहे तो-- कोर्ट केस ख़त्म।
सॉरी अगर डॉक्टर बोल दे तो इंसान ख़त्म।
पर  वक्त का जवाब हमेशा लाजवाब होता है. 
 सवालों का जवाब वक्त भी देता है।
उस हर जवाब का सवाल ही जवाब होता है
रहमतों की कमी न थी परवरदिगार के खजाने में,
झाँक लेना अपनी झोली में कही कोई सुराख़ तो नहीं,

मेरा ये पैगाम उन लोगो के लिए जो मुझे समझना चाहे
वर्न समझदारों ने तो हमें पहले से न समझ मान रखा है
कोई कहता था दुनिया आपसी प्यार से चलती है,
कोई कहे दुनिया दोस्तों की दोस्ती से चलती है
लेकिन आजमाने का जब मौका मिला मुझे
अहसास हुआ, यह तो खुदगर्जी की राह पे चलती है!


किसी का अक्स पैमाना नहीं उसके प्रतिबिम्ब का
आज कल दर्पण भी थोड़ी सियासत करने लगे हैं
खूबसूरत को बदसूरत और
हैवान को इंसान बताने लगे हैं।

*कद बढ़ा नहीं करते ,* *ऐड़ियां उठाने से,*
*उचाइयां तो मिलती हैं ,* *सर झुकाने से.!!!*



YOU need power only when you want to do something, harmful. against people.. otherwise, love is enough to get everything done !!





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