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Friday, January 25, 2019

ADABI SANGAM - 26.01.2019 AT AMIT PLACE ' MUSIC PART MODERATION "

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "



जिंदगी के रथ में लगाम बहुत है ,                                   

इस हँसी गीतों की  महफ़िल की शुरुआत
हर इंसान के मन में दबे पैगाम बहुत हैं                        
आपसी गुफ्तुगू भी अब तो इतनी होती नहीं ,                     
ख़ामोशी के परदे जो पड़े हैं  हर उस जुबान पर
शायद बेफिक्र बेपरवाह हैं वोह  चुपी के अंजाम से


     आज प्रवेश चोपड़ा जी के गीत से होगी

एक चर्च के सामने एक बार और रेस्टोरेंट खुला , चर्च को बहुत इतराज था इससे , अब वोह चर्च में रोज प्रेयर करने लगे की " GOD FAVOUR US AND HELP US CLOSING THIS BAR , THEY SHOULD ALWAYS FACE HURDLES AND HUGE LOSSES SO THAT THEY CLOSE AND RUN AWAY FROM THIS VICINITY ,

अब गॉड ने सुन ली और एक रात झमाझम बारिश पड़ने लगी और कड़कती हुई बिजली सीधी उस बार होटल की बिल्डिंग पे आ गिरी और उसमे आग लग गई और वोह होटल तबाह हो गया ,
अब बार मालिक ने चर्च के खिलाफ केस दायर कर दिया और कोर्ट से उसे मुवाजा देने को कहा , क्योंकि चर्च में हर रोज मेरे बार होटल की बर्बादी के लिए प्रेयर की जाती थी सो मेरी बर्बादी की वजह इनकी प्रेयर्स हैं इस लिए नुक्सान की भरपाई चर्च को करनी चाहिए ,

अब चर्च वाले जिरह कर रहे हैं ऐसा कहाँ होता है की प्रेयर से नुकसान हो जाए , जज बड़े असंजस में पड़  कर सोचने लगे ,
कितनी अजीब बात है की एक बार होटल चर्च में की गई प्रेयर की ताकत को मान  रहा है और उस चर्च ें जहाँ लोग आते ही इस लिए हैं की हमारी प्रेयर मंजूर होती है , अब चर्च इस बात से ही मुकर रहा है की चर्च में की गई प्रेयर से कुछ होता ही नहीं , केस चल रहा है देखते हैं क्या होता है।

पता नहीं क्यों , जीना मजबूरी सा हो गया है , 
खुश दिखना , खुश रहने से ज्यादा जरूरी हो गया है
अनीता जी अपने मधुर स्वरों से इस पर कुछ रौशनी डालेंगी

जिंदगी एक अभिलाषा है , बड़ी गजब इस्सकी परिभाषा है 
 अशोक आवल जी को सुने बहुत समां बीत चूका

असल में जिंदगी है क्या , मत पूछो यारो आज उनसे कुछ सुनने का बहुत मन कर रहा है
जिस्सकी संवर गई उसकी तक़दीर , बिखर गई तो तमाशा है
हमे ताकत की जरूरत तभी पड़ती है जब किसी का नुक्सान करना  होता है ,
वरना तो प्यार की भाषा ही काफी होती है किसी के दिल  को जीतने के लिए

सुना है लोग भगवान् को प्रेयर इसी लिए करते है की भगवान् का मन उनकी तरफ बदल जाये ,
लेकिन वास्तव में होता इसका उल्ट है , प्रेयर करते करते हमारा खुद का मन ही बदल जाता है

समझ में नहीं आता किस पर भरोसा करें  और किस पे नहीं , यहाँ तो लोग नफरत  भी करते है मोहब्बत की तरह 

मिर्जा ग़ालिब कहा करते थे , फक्त बाल रंगने से क्या हासिल ग़ालिब , कुछ नादानियाँ , कुछ मस्खरियाँ भी तो कर  किया करो जवान दिखने के लिए।

हमने उनसे कहा , आँखें पढ़ो और जानो हमारी रज्जा क्या है ,
मायूस हो के वो बोली , मोतिया बिन्द ने इस काबिल ही  कहाँ छोड़ा है हमें

फितरत किसी की न आजमाया कर ऐ जिंदगी।  हर शख्स अपनी हद में बेहद लाजवाब होता है

तंग बिलकुल नहीं करते हैं हम , उन्हे आजकल ,
अब यह बात भी उन्हे बहुत  तंग करती है


वकील :- माय लार्ड कानून की किताब IPC के पेज नंबर १५ के मुताबिक मेरे मुवक्किल को गुनाह से बा इज़्ज़त बरी क्या जाए
जज :- किताब पेश की जाए , किताब पेश की गई , पेज नंबर 15 खोला गया तो उसमे 1000 /- के पांच नोट थे
जज मुस्कराते हुए :- बहुत खूब इस तरह के दो सबूत और पेश किये जाएँ तो रिहाई पक्की है। 


शाम खामोश है , पेड़ो पे उजाला भी कम है , लौट आये हैं सभी पर एक परिंदा कम है

यही वह परिंदा है जिसे दारु की बोतल लेने भेजा था , उसके बिना शाम भी ग़मगीन है