चाहे हो खूसट बास का आफिस , या हो आपका घर ?
खुश रहो, घर हो या बाहर,सदा तुम खुश रहो ....
आज पनीर नही है', तो दाल खाके ही खुश रहो ...
. आज जिम को जाना महंगा है तो हाय दोस्त
पैदल सैर करके ही खुश रहो ....
आज दोस्तों का साथ भी गर नही,
तो अकेले बैठ कर भी खुश रहो .... आज कोई सागर भी गर दिल न बहलाए तो
बेखुदी में भी करार न आये अगर ........
तो मेरे भाई फेस बुक पर खुद की सूरत ,
खुद ही देख कर हमेशा खुश रहो .......
(किसी ने क्या खूब कहा है :-)-
जीनी है जिंदगी तो जरुरत के मुताबिक जियो ,
ख्वैशों के आधीन नहीं ?
जरुरतें तो एक फकीर की भी पूरी हो जाती है ,लेकिन ,
ख्वायेंशेय तो एक बादशाह की भी अधूरी रह जाती हैं ?
(किसी ने क्या खूब कहा है :-)-
जीनी है जिंदगी तो जरुरत के मुताबिक जियो ,
ख्वैशों के आधीन नहीं ?
जरुरतें तो एक फकीर की भी पूरी हो जाती है ,लेकिन ,
ख्वायेंशेय तो एक बादशाह की भी अधूरी रह जाती हैं ?
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