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Monday, April 29, 2024

Musafir --- Safar -- # 530 Adabi sangam 27 Th April , 2024

                                           अदबी संगम ----# 530 ---मुसाफिर --- सफर -- 

 





मुसाफिर हूँ यारो , न घर है न कोई ठिकाना , मुझे तो ......... चलते जाना ,है बस ,चलते जाना

ज़िन्दगी यूँ तो ख़ुद भी एक सफ़र ही तो है ----------और हम सब इसके( suffering ) मुसाफिर।


उम्र की राह में पड़ने वाले स्टेशन , कुछ छोटे तो कुछ बड़े जंक्शन , कोई किसी स्टेशन पे उतर जाता है और कोई जंक्शन से दूसरी दिशा को चल पड़ता है , सफर सब कर रहे है , कोई मंजिल पर पहुँच चूका ,और कुछ पहुंचने वाले है , किसी किसी की  मंजिल का ,अभी कोसो दूर तक पता नहीं है


मुसाफिर है सब ,कुछ दिन रुक जाते है मुसाफिर खाने में जिसे हम अपना   घर कहते हैं , जहाँ न जाने कितने ही हमारे दुसरे साथी यात्री भी अलग अलग नाम से सदियों से वहां रहते रहे है, जिसे हम अपना शहर अपना घर समझते हैं असल में वो एक मुसाफिर खाना है ,हम उसके मलिक नहीं सिर्फ कुछ वक्त काटने आये  हैं 
 लगभग 76  साल से मेरी यात्रा में बहुत लोग साथ रहे है इस सफर में ,कुछ साथ है कुछ छोड़ चुके है और कुछ थक कर बैठने लगे है 


खूब बातें करते है , मिलकर , वहीँ खाने पीने का सब प्रबंध है , खाना पीना , हंसना रोना सब कुछ है यहाँ ,और भी नन्हें मुन्हे यात्री आये हमारे जीवन में , यहीं बीते उनके भी कुछ साल , फिर वह भी अपने अगले सफर को निकल पड़े इस स्टेशन को छोड़ कर ,न  ख़त्म होने वाली एक रिले रेस जो पीढ़ी दर पीढ़ी बखूबी चली जा रही है ,नए मुसाफिर बन उन्ही पुरानी राहों से अपनी एक अलग दुनिया ढूंढ़ने को


"हमारा सफर  शुरू हुआ है, -----इसका अंत भी होगा,
कहीं दिल मिलेंगे, कहीं प्यार  तो कहीं तकरार भी 
होगा,
 यह जिंदगी का सफर है --इसी के साथ ही ख़त्म होगा 
 "


यह दुनिया है अगर सैरगाह , मुसाफिर हैं हम भी मुसाफिर हो तुम भी
फिर क्यों यूँ हर जगह अपना एक नया रैन बसेरा बनाते रहते हो ?

धुप बारिश आंधी तूफानों से बचने का एक जरिया मात्र है यह बसेरा
तुम से पहले भी थे और तुम्हार बाद भी रहेगा लोगों का यहाँ डेरा 


मुसाफिरों से मोहब्बत की बात तो करते है सब लेकिन
मुसाफिरों की मोहब्बत का कोई  ऐतबार नहीं करते
कौन कब मिले कब बिछड़ के चल दे ? 

बहुत खटपट रहती है इनके बीच , कभी किसी बात पे कभी बिना बात के 
 मंजिल अभी दूर है , और सफर भी लम्बा है
समझते सभी है। पर अटक जाते है "अपनी औकात पे "
फिर यह समझौता एक्सप्रेस ही आखिरी सहारा है 
फिर से अविरल दौड़ने लगती है जिंदगी की गाडी, 
एक और नए स्टेशन की और

"

मुसाफिर के रास्ते बेशक बदलते रहे:
"मुकद्दर में चलना लिखा था, 
इसलिए हम चलते रहे, 
कोई फूल सा हाथ था एक कांधे पर, 
 जिम्मेवारियां थी दुसरे काँधे पर , 
इसलिए हम सफर करते रहे "
तब तक 
 जब तक हम खुद किसी के कंधे पर नहीं आ टिके।


मुसाफिर ही मुसाफिर है हर तरफ इस शहर में
मगर आखिरी स्टेशन  तक कोई  नहीं मेरा 
साथ जरूर थे मेरी जवानी में ,
अब वो इस शिकस्ताये   ,कश्ती के हमसफ़र नहीं: 
 

 "सफर में हम खूब सफर ( कष्ट ) झेलते रहे जिंदगी भर
दुश्वारिआं फिर भी न ख़त्म हुई , मंजिल पा जाने के बाद भी 


कोई इधर तो कोई उधर भागे जा रहा था 
भीड़ तो बहुत थी , हर तरफ 
लेकिन हर शख्स तनहा ही चले जा रहा था 



यहाँ मंजिल वह आखिरी पड़ाव है जहाँ यात्री मुसाफिर गिरी से थकने लगता है
फिर वह एकांत में बैठ अपने सफर नामे को खुद ही पढ़ने लगता है


क्या "जीवन का सफर "एक"सुखद यात्रा"थी ..!🤞 जिसपे हम तुम सब चले ?
हाँ बहुत कुछ समझ में आया 

"रो"कर"जीने"से बहुत"लंबी"लगेगी.यह यात्रा 

"हंस"कर"जीने"पर कब"पुरी"हो जायेगी,
"पता"भी नही"चलेगा"..!!!👌


अंत में एक आवश्यक सुचना :---

जिंदगी के सफर के मेरे हमसफ़र यात्री गण कृपया ध्यान दे जिस गाडी में  हम आप सवार है वह बहुत पुरानी हो चुकी है,  गॅरंटी वारंटी सब ख़त्म हो चुकी है , और तो और कंपनी ने इसके स्पेयर पार्ट्स बनाने भी बंद कर दिए है ,इसके इंजन ( दिल ) में वर्षों से जमा कचरा इसे कमजोर किये हुए है , इसके इनलेट आउटलेट वाल्व और ईंधन की नालियां भी अधमरी हो चली हैं , ड्रेन क्लीनर्स ( हर तरह की दवाईआं )खा खा के इसे और खोकला किये जा रहे हो 

एक्सेलेटर पे अनायास दबाव न बनाएं , बहुत स्पीड झेल न पाओगे, इसे अनावश्यक घुमाओ दार सड़को पे भी न ले जाएँ , जरा इसके टायरों पे लगे पैबन्दों को तो देखो ,( किसी ने घुटने बदलवाए है किसी ने दिल की वाल्व और नालियां ) फिर से कहीं पंक्चर न हो जाए 

चिकनी सड़को पर इस गाडी को न ले जाएँ ( अपने घर और बाथरूम के चमकीले फर्शों की खूबसूरती पे न जाएँ , फिसलने से इसे  को बचा नहीं पाओगे ,पाऊँ के सस्पेंशन और जोड़ों के टाई रोड एंड्स, उठने बैठने में  कैसे चरमराने लगे हैं , कब खुल के बिखर जाएँ और बाकी का सफर गैराज ( हॉस्पिटल ) में गुजरे या  बीच में ही छूट जाए , किसी को क्या पता ?फिर भी नहीं सम्भले तो क्या पता गाडी ही पलट जाए
और राम का नाम सत्य हो जाए

माफ़ कीजिये यह कटाक्ष था हमारी जिंदगी की गाडी और उसके सफर का किसी को बुरा लगे तो मैं शमा प्रार्थी हूँ ,
जिंदगी की कहानी दुःख और हर्ष की होती है , कटाक्ष में छुपी एक सचाई होती है, कीमत जीत की नहीं संघर्ष की होती है 
सुबह होती है शाम होती है , यूँही जिंदगी तमाम होती है ,
 बस के कंडक्टर सा  सफर बन गया है रोज रोज का , बस में रोज सफर करते हैं   और जाना भी कहीं नहीं , सिर्फ टिकट ही काटते रहते हैं 

पर फिर भी दिल नहीं मानता और कहता है ---चल मुसाफिर उठ ----चलता चल -- तू न चलेगा तो चल देंगी राहें , मंजिल को तरसेंगी तेरी निगाहें -- तुझ को चलना होगा --सफर करना होगा 
 
मंजिल मिलेगी ऐ मुसाफिर , भटक कर ही सही ,   गुमराह तो वो है जो सफर में निकले ही नहीं 


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यात्री:“यात्री हूँ मैं, राहों का आवागम, जीवन की यात्रा में बसा हूँ। जब तक चलता रहूँ, जब तक जीता रहूँ, मैं यात्रा का आनंद लेता रहूँ।”


सफर की राहों में:“सफर की राहों में जब तुम मिल जाओ, तो जीवन की यात्रा खुशियों से भर जाए। राहों की धूप, रातों की चाँदनी, सब कुछ अद्भुत लगे, जब तुम साथ हो।”


यात्रा की राहों में:“यात्रा की राहों में जब तुम साथ हो, तो राहें भी अब अधूरी नहीं लगती। जीवन की सफरी में तुम्हारा साथ, खुशियों से भर देता है हर पल।”


यात्रा के रंग:“यात्रा के रंग बदलते रहते हैं, जैसे जीवन के रंग बदलते रहते हैं। राहों पर जो चलते हैं, वो यात्री, उनकी कहानियाँ भी अनगिनत होती हैं।”


सफर की यादें:“सफर की यादें बिखरी हुई राहों पर, जैसे फूलों की खुशबू बिखरी हुई हो। यात्री की आँखों में छुपी है वो सब, जो वो राहों पर पाया है।”

यात्रा की राहों में:“यात्रा की राहों में जब तन्हा हो, तो आसमान के सितारे तेरे साथ हो। जीवन की यात्रा में जब राहें बदलें, तो खुदा की मोहब्बत तेरे साथ हो।”


सफर की यादें:“सफर की यादें बिखरी हुई राहों पर, जैसे फूलों की खुशबू बिखरी हुई हो। यात्री की आँखों में छुपी है वो सब, जो वो राहों पर पाया है।”


यात्री की आवाज़:“यात्री की आवाज़ राहों में गूंजती है, जैसे बादलों की गरज आसमान में। जीवन की यात्रा में जब तू चलता है, तो धरती भी तेरे कदमों में गुलज़ार हो।”


सफर की राहों में:“सफर की राहों में जब तू चलता है, तो राहें भी तेरे साथ चलती हैं। जीवन की यात्रा में जब तू बदलता है, तो तू खुद भी एक नया सफर बनता है।”


मुसाफिर की आँखों में:“मुसाफिर की आँखों में जब देखो, तो दुनिया की हर राह तेरी हो। जीवन की यात्रा में जब तू बसता है, तो तू ही वो ख़ुशियाँ और ग़मों की कहानी हो।”