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Wednesday, December 13, 2023

ADABI SANGAM --- First Part compering--- Meet Number 525 _ on 30th September 2023 _ topic------- दिल दौलत दुनिया

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "

Moderation ---दिल दौलत दुनिया



आज  525 वे अदबी संगम के समागम पर मुझे एक बार फिर आपसे रूबरू बात चीत का और आपके दिलों की आवाज को सुनने का अवसर प्रदान हुआ है , एक विचार आप सबके लिए पेश है , इसी के बाद हम अपने अदबी सदस्यों के पहले भागीदार से उनके विचार सुनेंगे 

इस पार्ट में हम पोएट्री और दिए गए टॉपिक पे एक दुसरे के अलग अलग  विचार सुनते है और इसमें मैं एक बात जोड़ दू , यह खाली पांच छे मिनट के टॉपिक की बात नहीं है इसके पीछे आप सब की घंटों की मेहनत है जो आपने अपने दिमाग पे जोर डाल के अपने विचारों को एक टॉपिक या पोएट्री के रूप में पिरोया होता है , लेकिन जाने अनजाने आपको जो इसका फायदा हुआ शायद हम में से बहुतों को इसका पता भी न चला होगा ? 

अपनी समरण  शक्ति या  यादाश्त और तजुर्बे के आधार पर हम जब भी दिमाग पर जोर डालते है तब दिमाग के बेकार पड़े कोशिकाओं यानी के सेल्स और उसके कनेक्शंस जिसे हम न्यूरॉन्स कहते है , हरकत में आने लगते है , दिमाग के उस हिस्से में खून दौड़ने लगता है , आज मेडिकल साइंस ने भी इस क्रिया को दिमाग की संजीवनी माना है जिसमे हमारे शरीर में आने वाली बीमारियां जैसे पार्किंसंस ( शरीर की नसों का कमजोर होकर कांपने लगना , एल्ज़िमर ( भूलने की बिमारी ) 

लिखने या टाइप करने में हाथों का दिमाग से कनेक्शन जुड़े रहना , आँखों का एकाग्र होकर अपनी लेखनी या टाइपिंग पे जहां नजर रखना ताकि कोई गलती न हो गई हो , फिर संगीत और गीत का समयोग सोने पे सोहागा , लोगो के आगे बोलना , बोलना भी दिमाग के एक हिस्से को बहुत बड़ा व्ययाम है ,आपके आत्म बल को बढाता है 

 इस सब का हम जैसी उम्र या हमसे बड़े  लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ है , इसके लिए अदबी संगम का इसमें बहुत सहयोग मिल रहा है ,लोगो की सोई प्रितभाये तो जाग ही रही हैं और साथ साथ दिल दिमाग को भी बहुत फायदा हो रहा  है, और आप सब जब भी अदबी संगम से किसी भी वजह से गैर हाज़िर हों तो इन फायदों को जरूर याद रख लेना 

जब जब भी अदबी संगम का कहीं भी किसी रूप में आगाज़ होगा  , तब तब इस दुनिया के सवभाव में भी बदलाव होगा 
कहने सुनने को तो यह सब टाइम पास है , पर दोस्तों टाइम तो तब पास होगा न जब आपके पास टाइम होगा ? शरीर ही साथ छोड़ने लगे तो वक्त जितना भी होगा पास किस काम का  होगा ?

अब क्या घडी देखते हो जिंदगी के इस मुकाम पे आके ? खो जाओ खुद में , लिखते रहो , बोलते रहो , गाते रहो सुनते रहो और हँसते रहो , हंसाते रहो ,जो वक्त हमारा है वोह अब है अभी है , इससे ज्यादा  ,और खास क्या होगा ?
इसी के साथ अब हम आज के विषय पर अपने भागीदार सदस्यों को एक एक करके बुलाएंगे 


(१)     डॉ संगीता सेठी 

नारी का महत्व सबसे अधिक सनातन में विभिन प्रकार की देविओं द्वारा स्थापित किया गया है ,आज फिर से नारी पहली कतार में आ खड़ी हुई है , इसी  शक्ति का सबसे पहले अपने इस पार्ट में अभिवादन करेंगे और इस पार्ट की शुरुआत करेंगे उस नारी से जो जीती जागती मिसाल है नारी शक्ति की , हर शारीरिक और मानसिक रूकावट को पार करते हुए और अपने प्रोफेशन को बड़ी लगन और त्याग से जी रही है , अपने परिवार के साथ साथ बहुत से लोगों की पीड़ा को भी कम कर रही है अपने ज्ञान की शक्ति से आइये उनका अभिवादन करते हुए उनके आज के विचार सुने।  जी हाँ मैं डॉ संगीता सेठी का ही नाम ले रहा हूँ 


(२) विनीता जी - 
      
     स्त्रियों की परिभाषा से इत्र कुछ महिलायें करती सब कुछ हैं पर अपने आप में खोई रहती है अपने काम से काम रखना भी अपने आप में एक अलंकार है।  कभी कभी उन्हें सुनने में हमें बहुत इंतज़ार भी रहता है , इसी कड़ी में मुझे विनीता जी का नाम याद आ रहा है , विनीता जी से सप्रेम अनुरोध है के अपने विचारों से हमें अभिभूत करें 


(३) अन्नू जी - 

जीवन में उस पड़ाव पे जब एक स्त्री पर जिम्मेवारी सबसे अधिक होती है , पूरे परिवार की नीव उस के कंधो पे टिकी होती है , बच्चों की परवरिश के साथ साथ उन्हें अच्छी शिक्षा संस्कार देना , काम और कर्तव्य में सामजस्य बनाते हुए जिंदगी को अकेले अपने हौसले से जीने का दृढ़ संकल्प प्रस्तुत करना , और इसके साथ साथ एक अच्छी पोएट्री भी लिख लेना , यह खासियत हमारी अन्नू जी में कूट के भरी हुई है , अन्नू जी आप आये और हमें अपनी कोई नई कविता सुनाएँ 


( ४)      रजनी 
    
    जब जब त्याग कर्मठता , जुझारू शख्सियत का जिक्र आएगा उनका भी उस स्त्री शक्ति में ऊँचा नाम आएगा , कैसा लगता है जब आपका अपने वतन से सालों पुराना रिश्ता उस देश की अव्यवस्था , मार काट , भय के साये में अपनी जवानी के कीमती साल , खानदानी जमा जमाया कारोबार आप को छोड़ना पड़े और अच्छे बुरे सपनो की तरह उन्हें भूल कर फिर से जिंदगी से लड़ना और हर तरह की कश्मकश को जीतते हुए खुद को फिर से स्थापित कर लेना वो भी अपने मुल्क से हज़ारो मील दूर अपनी लगन और हिम्मत से तो उसमे रजनी जी खरी उतरती हैं , रजनी जी प्लीज आप आईये और अपनी लेखनी हमें सुनाईये 

 (5 )    मुकेश सेठी :-

     कहते है हर कामयाब परिवार में त्याग , प्यार , लगन ,दूसरों को इज़्ज़त देना , सबसे ऊपर माँ बाप का पूरा ध्यान और साथ देना ही उस परिवार की मजबूत नीवं होती है , उतार चढाव आते रहते है , लेकिन स्त्री पुरुष की सांझी गाडी अगर कभी स्मूथ और कभी धचकोलों के बावजूद पटरी पे चले जा रही है तो वो यात्रा बड़ी सुखद और याद गार रहती है , उस गाडी में पहिया चाहे आगे वाला हो या पीछे वाला , गाड़ी को धकेलने में दोनों का बराबर का योगदान होता है , ड्राइवर अपना काम , गार्ड अपना और इंजन अपना काम करता है , यात्री तो सिर्फ यात्रा करते है और अपने अपने स्टॉप पर उतर जाते है , पर  गाडी तो  मंजिल पे पहुँच की ही रूकती है , यह मेरे अनुभव और अपने  विचार हैं ,  कोई इसे अन्यथा न ले ,लेकिन ऐसा कहते हुए मुझे मुकेश सेठी जी की प्रेरणा आ रही है इसी लिए मुकेश जी आप प्लीज आएं और अपने विचार सबको सुनाएँ 

( 6 )      रानी नगेंदर 
       
स्त्री शक्ति से परिपूर्ण वीरांगनाओं की फ़ेहरिस्त कभी ख़त्म नहीं होती , अपने गृहस्थ और पारिवारिक कर्तव्य को निभाते हुए उस वक्त भी लोगों की सेवा करना जब इंसान इंसान से मिलते हुए डरने लगा था , सब लोग मुहं पे  मास्क लगाए ,या यूँ कहिये मुहं छुपाये घर में दुबके रहे ,  जी हाँ ऐसा ही कुछ खौफनाक मंजर था कोरोना काल में ,तब भी अगर कुछ लोगो ने अपना प्रोफेशनल कर्तव्य और मजबूरी दोनों को बखूबी निभाया साथ में अपने लिखने पढ़ने और अपनी कहानियों को दूसरो को किताब के रूप में प्रस्तुत करने की लगन दिखाई , ऐसी एक स्त्री शक्ति हमने रानी नगेंदर जी में भी देखि है , रानी नगेंदर जी को इस मंच पे सादर आमत्रण है आप आईये और अपनी किसी नई रचना से हमें सराबोर करें 

   
(7 )   डॉ चंद्रा दत्ता ---
      
      ज्ञान अर्जित करना और फिर उसे आगे बाँटना एक बहुत टाइम consuming कार्यकर्म होता है , एक टीचर गुरु को अपनी निजी समस्याओं से हमेशा ऊपर उठ कर अपना कर्तव् निभाना होता है , बहुत राजनीती ,टकराव , दबाव और कभी कभी न ख़त्म होने वाली पढाई और आत्म चिंतन और सबसे ऊपर बच्चों के भविष्य का निर्माण एक अच्छी शिक्षा देकर , इन्ही लोगों के कन्धों पे होता है , बिना इनकी लगन के आप समाज को दिशा नहीं प्रदान कर सकते , हर उस स्त्री शक्ति को सलाम जिन्होंने इस साक्षरता आंदोलन को बढ़ चढ़ कर अपना प्रोफेशन बनाया , और पुरषों से भी आगे जाकर न केवल शिक्षा बल्कि हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया , आज जिन्हे मैं आमत्रित करने जा रहा हूँ उनकी लेखनी में वो सब झलक दिखती है जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में ग्रहण किया और फिर दूसरो को अपना ज्ञान बांटा , जी बिलकुल डॉ चंद्रा दत्ता जी भी कुछ ऐसी ही शख्सियत की मालकिन है , आइये आज वह हमारे लिए क्या लाइ है उन्ही के शब्दों में सुनते है , डॉ चंद्रा जी 
          



(8 )डॉ सेठी -
अगर इस पूरी दुनिया को एक सागर मान ले तो इस सागर में कई जहाज अगर चलते है तो उसके पीछे भी एक टीम वर्क और एक शीट एंकर का किरदार बहुत दमदार होता है उसके बिना कुछ भी संभव नहीं , ऐसे ही अदबी संगम हमारा उन  लोगों का एक छोटा सा जहाज़ है जिसे पिछले ४५ सालों से अधिक अगर कोई दिशा और दर्शन दे रहा है तो ही तो यह जहाज़ निर्बाध आगे आगे बढ़ता जा रहा है , इसमें कप्तान और उनकी पूरी टीम इसे हमेशा एक उत्सव की तरह हर महीने निसंकोच चलाती जा रही है , जहाज़ इधर उधर न भटक जाए उसे एक लाइट हाउस की तरह दिशा निर्देश देना और शीट एंकर की तरह सबको अपने अपने काम में लगे हुए देखना और उनका हौसला बढ़ाना , यह काम हमारे पूजनीय डॉ सेठी बड़ी लगन से कर्तव्य समझ किये जा रहे है और हम जैसे कितने ही यात्री उनकी देख रेख में अपने जीवन के अध्भुत अनुभव सबसे मिलकर आदान प्रदान किये जा रहे है , हमेशा की तरह डॉ साहिब सबसे आखिर में अपने अनुभवों से हम सबको ज्ञान प्रदान करते है और अपने जीवन के अनमोल पल हमसे साझा करते है , आदर सहित डॉ सेठी जी को आमंत्रण है के वह भी आज के अपने विचार साझा करें 






     ANNU .K
1- Mohinder and Meena gulati -------------------
2-sushma loomba -----------------------------------
3- saroj & subhash Arora --------------------------
4 chandra dutta & sanjay -------------------------- shruti
5-Rajni &Ashok --------------------------------------
6-Rupa &Ashok Awal --------------------------------
7- Parvesh Chopra & Geeta Chopra ----------------

8-Mukesh & Sangeeta ---------------------------------
9- Dr. Sethi -----------------------------------------------
10- Vinita ji & Vijay -----------------------------------
11-Usha & Vinod Kapoor------------------------------
12- Subhash Arora
13-Chetan Sodhi
14 - Usha sethi -- Prerna sethi
 15 -Rita Kohli
  16 -Rani Nagender














Monday, July 31, 2023

ADABI -SANGAM- # 523 ------Adabi Sangam ----- ---मन -----सावन

मन -----सावन
# 523 Adabi Sangam


Host : Mrs Datta ji Sanjay Datta
Topic : Mann and Sawan
Venue: Datta resident


मेरा मन ,सावन से सराबोर है
कहाँ से शुरू करू?
इन बादलों के बहते आंसुओं से
या अपने मन में सुलगते शोलों से ?
अब क्या बताएं आपको




सकूँन वहां नहीं है जहाँ धन मिले
भाईओ , बहनो और मेरे दोस्तों
छोड़ भी दो अब गलतफहमियां
सकूं तो वहां है जहाँ मन मिले


नहीं समझ सका ,मेरे अन्दर उठती लहरें कोई भी
पानी आँखों से बरस रहा था ,लोग समझे सावन है

छुपा गया मैं भी सारे मन के भाव , बिना किसी मोल भाव के
बहता नमकीन झील का ,पानी मेरी झील सी आँखों से

लोगो ने देखा , मुझे समझाया , किसी डॉक्टर को दिखाया क्या ?
लगता है तुम्हे कोई मौसमी , वायरल अलेर्जी हुई है, क्या बोलता ?
मेरा चेहरा भी  गजब का एक्टर हैं , सिर्फ मुस्करा के रह गया

वैसे तो बहुत सयाने है दुनिया वाले , बहुत पढ़े लिखे भी
पर मन की भाषा पढ़ लेना किसी यूनिवर्सिटी ने सिखाई ही नहीं ,

किसी ने वजह न पूछी, सिर्फ अंदाज़ा लगाने लगे
क्यों मजनू  बने हो , क्या बीवी भाग गई है तुम्हारी ?


बताओ अब इस उम्र में मजाक भी करेंगे, वही सदियों पुराने
उन्हें कौन बताये घुटनो के दर्द से, बड़ी मुश्किल से चल पाती है वो
और ताना देते है , उसके भाग जाने का ?
हद्द है भाई इनकी मन और मानसिक स्थिति ?


वैसे सावन आज कल बरसते नहीं , जिसमे बसती थी हमारी खुशियां
अब कहीं सूखा और कहीं बाढ़ , पहाड़ों का दरकना,उजड़ती बस्तियां 
 बाढ़ की चपेट में शहरों का यूँ बह जाना।जैसे आँखों से अरमानो  का बह जाना 
डर गए हम ऐसे भयानक सावन से , जिसने मिटा दी हों इंसानी हस्तियां  


ऐसी नीरस और क्रूर बरसात, अब किसी शायर को झकझोरती नहीं
उनकी कलम से, आज कोई बरसात की रात की नज़म उकरती नहीं


,वो बरसात की रात, या वह भीगी हुई जवानी , वह सावन के महीने में पवन करे शोर की कहानी ,किसी के गले उतरती नहीं ,क्योंकि वो  आवाज ,वाहनों के शोर से उबर पाती नहीं



बचपन में बहुत नटखट थे हम ,
माँ कहा करती थी ,
फिर शादी हो गई हमारी
सब नट तो ढीले हो गए हैं ,
अब बस खट खट बची है ,
अब कहीं जा के नटखट होने का ---------मतलब समझ आया



रोटी जली , रसोईये ने कहा , तवा बदल दो ,
रोटी फिर जली , रसोइये ने कहा -आट्टा बदल दो
रोटी फिर जल गई , रसोइये ने कहाँ पानी बदल दो ,
रोटी फिर जली , रसोइये ने कहा चूल्हा बदल दो
रोटियां यूँ ही जलती रही , लेकिन हिम्मत न हुई किसी की कहने की


-------------रसोइया बदल दो----------  

सब जानते है हमारी जिंदगी के दुखों के पीछे हमारा "मन "और हमारी सोच है फिर भी कोई नहीं चाहता के अपनी सोच और मन को बदल दे ?


मिटटी से भी यारी रख , दिल से दिलदारी रख
चोट न पहुंचे तेरी बातों से , इतनी तो समझदारी रख
पहचान हो तेरी सबसे हटकर , भीड़ में कलाकारी रख
पल भर है यह जोशिये जवानी , बुढ़ापे की भी तैयारी रख
मन सब से मिला करता नहीं ------------------
कमसे कम जुबान तो प्यारी रख

आज सावन भी रो रहा देख के खुद की इतनी बेकदरी
लड़खड़ाते बुढ़ापे के मंजर को ,अज्ञान गरूर में भटके ,
सावन के झूलों से कोसो दूर , नई सोच के नवजवानो को


सावन के अंधे है सब यहाँ ,हरियाली और
सावन की फुहारें बेमानी हैं इनके लिए ,
इन्हे सिर्फ नोटों की हरियाली है पसंद
कुदरत के रंगों से अब क्या सबब इनका ?

आज मन फिर बड़ा उदास हुआ ,
वहिःगर्मी भी है ,उलझे विचारों की घूमस भी,
वही सावन की फुहारें भी
वही देश है वही आस्मां , वही चहल कदमी भी

बदला है तो सिर्फ हमारे जीने का अंदाज़ ,
गुज़री है तमाम उम्र इसी शहर में ,
जहाँ मेरा मन भी बहुत लगा करता था
जान पहचान भी है मेरी बहुतों से

पर अब के सावन वह नहीं , वह चाशनी में डूबे मालपुए
वह पकोड़ो और जलेबी की दावतें
, अब तो मुस्करा के निकले जाते है लोग मेरे पास से
जैसे मुझे यहां ,पहचानता कोई नहीं..

ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है, हमने 
अपने ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।

मन तो बहुत करता है , खोल के रख दूँ अपने मन को ,
पर डरता हूँ ,कमाई कम बताओं तो रिश्तेदार इज्जत नहीं करते
ज्यादा बताओं तो उधार मांगते हैं साले ,

कुछ समझ नहीं आता
अपनी इज्जत बचाएं या पैसा ? मन बड़ी पशोपेश में है
ऊपर से इस सावन का कहर , जो मुद्दतों में बड़ी मेहनत से बचाया था
सब कुछ बहाये दे रहा है , बिना झिजक के

सुना है बहुत बरस रहा है सावन तेरे शहर में, भी आज कल ?
थोड़ी सावधानी जरूर बरत लेना ,इसमें ज़्यादा भीगना मत …
अगर धुल गयी वह सारी ग़लतफ़हमियाँ,जिसने तुम्हे दूर किया था हमसे -----------
तो माँ कसम बहुत याद आएँगे हम...

मुसीबत में ये मत सोच, “ के अब कौन काम आऐगा ”
बल्कि ये सोच, “ के अब कौन कौन छोड के जाऐगा “

इस लिए कोशिश करें सिर्फ ख़ानदानी लोगों से ही वास्ता रखें ।
वो नाराज़ भी होंगे  तो इज़्ज़त पर वार नहीं करते...!!!

किस्मत ने जैसा चाहा , वैसे ढल गए हम ,
बहुत संभल कर चले फिर भी ,फिसल गए हम
किसी ने विश्वास तोडा तो किसी ने दिल ,
और लोग कहते हैं के बदल गए हैं हम ?

अधिक"दूर"देखने की"चाहत"में,
बहुत"कुछ"पास से"गुज़र"जाता है..!👍
"जब"हम"गलत"होते हैं तो,
"समझौता"चाहते हैं..!
और..🤞
दूसरे"गलत"होते हैं तो,
"न्याय'चाहते हैं..!!
अपने"मन"की"किताब"ऐसे"व्यक्ति"के पास ही "ख़ोलना"..!
जो"पढ़ने"के बाद आपको"दिमाग से नहीं ,दिल से समझ"सके..

सो जाएये सब तकलीफों को सिरहाने रख कर
क्योंकि सुबह उठते ही इन्हे फिर से गले लगाना है

जतन करो बहुरे सब ,तन को तो रोज धोते हो ?
धो डालो ,अपने मन को तुम भी अब तो इस सावन
कब तक रखोगे संजो के इस मन मैल को ?
बह जाने दो इस नफरत को भी इस सैलाब में ,
फिर से एक नए सावन को आने दो

यह दौलत भी ले लो , यह शौरत भी लेलो ,
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती ,वो बारिश का पानी

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Wo kagaz ki kashti Wo barish ka pani

मोहल्ले की सबसे पुरानी निशानी ,
वो बुढ़िया ,जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वह चेहरे की झुरिओं में सदिओं का फेरा

भुलाये नहीं भूल सकता है कोई ,
वह छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी
कभी रेत के ऊंचे टीलों पे जाना ,
घरोंदें बना बना कर मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वह ख्वाबों ख्यालों की जागीर अपनी न दुनिया का गम था , न रिश्तों का बंधन
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो जिंदगानी यह दौलत भी ले लो , यह शौरत भी लेलो ,
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती ,वो बारिश का पानी


मन की शांति 
चाय कॉफि की दुकान  आज बहुत भीड़ रही , आज शनिवार का हजूम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था , सारा दिन ग्राहकों को निबटाने में शरीर दुखने लगा , सर भी दर्द कर रहा था जैसे अभी फटा के अभी फटा। 

जैसे जैसे शाम होती गई दर्द भी बढ़ता गया , रहा नहीं  गया तो अपने नौकरों के हवाले दुकान करके वह सड़क पार कर केमिस्ट की दूकान पर जाकर कुछ गोलियां  खरीदी और निगल ली अब उसे विशवास हो चला था के सर का दर्द अब कुछ देर में ठीक  हो जाएगा। 

जाते जाते उसने काउंटर पर सेल्स गर्ल से पुछा आज मालिक साहब कहाँ हैं वह नजर  नहीं आ रहे ?सर आज उनका बहुत सर दर्द से फट रहा था ,  यह कह  के गए है की सामने की दूकान में काफी पीने जा रहा हूँ , गरमा गर्म कॉफ़ी से उसका दर्द ठीक हो जाएगा। 

यह सुन उस आदमी का मुहं खुल्ला का खुल्ला रह गया , अच्छा , बड़ी अजीब  बात है। 
" यह तो वही बात हुई मर्ज की दवा अपने पास है फिर भी बाहर उसका निदान ढूढ़ते  हैं लोग ? कितनी अजीब  बात किन्तु बिलकुल सत्य है ----
.
एक केमिस्ट अपने सर का दर्द कॉफी शॉप में कॉफी पीकर खोज रहा है , और कॉफ़ी शॉप  का मालिक अपने सर का दर्द गोली खाने में खोज रहा है -
.. 
. तो जो हम दर दर भटकते है , मंदिर , गुरुद्वारे , बड़े बड़े तीरथ स्थानों पर जाकर अपने  निवारण ढूंढते है तो क्या वहाँ  हमें सकूँ मिल जाता है ? मन शांत हो  जाता है ? बिलकुल नहीं  और अंत में हमें अहसास जाता है की मन की शान्ति तो हमारे भीतर ही हमारे दिलों दिमाग में है , मन की शान्ति आत्म संतोष और जो हमारे पास है उसकी शुक्र गुजारी में ही  है। 

हमारे जीवन में हमेशा शान्ति  बनी रहे उसके लिए हमारे मन  सवभाव और जीवन का नज़रिया बदलना बहुत कुछ हमारी  इच्छा शाक्ति पर आधारित है। 

जैसे जैसे मेरी उम्र  बढ़ती गई , मेरी जिंदगी की सबसे  कीमती और शानदार चीज़ मेरी नज़र में "शांति की  खोज "मन की शान्ति  प्राप्त कर लेना ही  बन गई 

और मन  की  शान्ति एक मनोदशा है , हंसना हमारी पहली पसंद , और दोनों ही चीज़े हमारे मन मष्तिस्क में पहले से प्रचुर मात्रा में  विधमान हैं , फायदा उसे  मिलेगा जो उसे  अपने मन मंदिर में खोजेगा  














Saturday, July 1, 2023

FARM _______FARMER----KISSAN--------KASHTKAAR-----किसान --24 th june -2023

किसान

FARM ___FARMER----KISSAN--------KASHTKAAR---






मेरी व्यथा भी बड़ी अजीब है  ,जमीन से जुड़ा हूँ हमेशा  से  , 
मिटटी में  हूँ लोट पोट, वही मेरे करीब है  ,,
किसके पास है वक्त , दो पल मेरी कहानी सुन ले 
दुनिया जो ढूंढती रहती है वो मुझ में कहाँ ?
मेरे नसीब को दर्शाती   ,मेरी काया  ही गरीब है 


मेरे खेत में मिली है उनकी भी मेहनत , हर मौसम धुप गर्मी में , साथ दिया है मेरा
इन्हे पशु मत बोलो , इंसानो से बढ़कर 
है, यह परिवार  मेरा।

जिन्हे शहर वाले कभी के भूल चुके , वह आज भी मेरे सुख दुःख के साथी है 
जिनके दूध से  शहरों की बेड -टी बने ,उन्ही पशुओं में बसा मेरा सारथि है 
( उन्ही से मेरा घर सम्भलता  है)

मेरा दुबला अस्थि पंजर सा शरीर , दौड़ता है  
बन खून  इन्ही का दूध मुझ में 

कहाँ से लेता कर्ज पे एक ट्रेक्टर मैं ?इन्ही के बछड़ो ने है मेरा  स्वारा 

अनाज उगाना है काम  मेरा ,अपने पेट के साथ साथ, दूसरों का पेट भी भर पाऊँ 
मेरे स्वार्थ में निहित है  दुनिया का हित  , नहीं करूँ यह काम तो परिवार कैसे चलाऊँ  ?
बस इतना सा ही है मेरा परिचय , पूरी दुनिया में किसान / काश्तकार कहलाऊँ 

Sunday, June 11, 2023

Motivating story for Saisha “ united we stand and divided we fall “

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "

There are thousand of stories which our parents and grand parents always used to tell me , during our childhood to motivate and inculcate good habits in our personality .one such story my grandpa told very often when I was in the habit of quarreling with my sister for petty small things like exchanging our dresses or any thing of common interest to both of us , Moral of the story which taught me a lesson of my life  is very close to my heart , I am repeating it here .

There was a farmer living in a village who had five sons , all grown up and married but always had differences amongst them selves .and always kept on fighting on trivial things . Despite their father always preaching them not to fight unnecessarily and waste their strength , But the sons were a kind of stubborn and determined not to hear and advice from their father , that made farmer father very upset seeing bleak future of his family and farmlands , All of a sudden He fell seriously sick and Doctors advised him complete rest else he may die any time soon because of worries and heart problems. Sons were equally concerned and came to attend their father to enquire if They could do any thing for him to save him ?

Farmer stared at their faces to be assured if they meant what they were saying . Then he asked his elder son to take out a bundle of sticks which he had kept underneath his bed , bundle had five sticks tied to each other tightly with a rope . Son surprisingly asked what we have to do with this bundle of sticks and what does it mean to us ? 

Farmer then asked his elder son to break this bundle of sticks without untying it . Every one tried turn wise to break the bundle of five sticks with full force but did not succeed in breaking it . Farmer noticed his sons getting frustrated on their unsuccessful attempts in breaking the wooden stick bundle . Then he asked his youngest son to open the rope and untie the bundle and asked him to give one stick each to his other four sons as well . Now break it , every one broke the stick very easily and smiled for their strength .

Farmer then started telling them this is not a feat or achievement , each stick individually is not that strong so it broke , Now you take your own case you are five brothers , if I die how will you survive the cruel world around you ? If you remain united like that bundle of sticks ,and stop fighting and cursing each other no one ever will dare to touch you or break you or harm you , but the moment you are severed and become one individual , every body will take for granted that you are weak and very easy to be defeated and harmed .

All the five brothers fell on their father’s feat started crying ,and realized their follies for not listening to their father before .Farmer asked his sons what moral you got from the story as you are crying now ? 

Our dear dad we all have got the message in your story that 
“ united we stand and divided we fall “
In future we promise we will never fight and will always remain united as no body will be able to  succeed in harming us . Hearing this heartfelt statement from his sons , Farmer was very happy and took his last breath leaving his sons crying with tears in their eyes , 

Moral and Lesson in the story is “ always remain united if you want to tide over dangers to your existence 


Sunday, May 7, 2023

ADABI SANGAM--- MEET # 520 बहार --- बसंत ---नज़र --- पलकें ---

बहार --- बसंत ---नज़र --- पलकें 

Bahar -- spring ---Nazar -- palken 






रोज रोज ताकता हूँ इन ,आती जाती बहारों को , कर कुछ नहीं पाता 
कहाँ रूकती है किसी के रोके , यह बहारें कभी किसी के जीवन में ?

किस बहार की बात करूँ ? बसंत की करूँ या ,बरसात की
पतझड़ या आषाढ़ की ?या करूआज कल रिश्तों में गिरावट की त्रासदी की ?

चुभ जाती है हमें ,किसी की बातें कभी-कभी...
चाहे मौसम कितने भी रंगीन खुशगवार हो ---

हैरान हूँ परेशान हूँ ,यह सोच सोच कर ,उदास भी 
के आज   इस बसंत में , क्या क्या बयान करूँ?


लहज़े मार जाते हैं!लोगों के कभी यहाँ 
ये जिंदगी है साहेब, बहार से पहले,

खिज़ाएं  आ बसती है , 
यहाँ
आप बहारों  की बात करते हो ?

और गैरों से ज्यादा... अक्सर 
अपनों की जुबान ,डस जाती  है यहाँ



✏अगर रास्ता खूबसूरत है तो, सबको लुभाएगा ही 
जरा पता कीजिये वहां कौन सी बहार बह रही है ?
किस मंजिल की तरफ जाता है यह हसीं रास्ता !
कहाँ ले जाएगा यह हमें ? कोई खतरा तो नहीं वहां ?
वरना बहारों की तलाश में देखे हुए सपने पल में बिखर जाते है ,
डगमगाते कदमो से गलत रास्तों पे चलते हुए

हम ने भी जवाब दिया दोस्त 
अगर मंजिल का पता मालुम हो तो
फिर रास्ते की परवाह !!क्या करना
मेहनत का फल और समस्या का हल
नजरें चौकस रखिये ,हमें वहीँ मिलेगा

बहारो का आना जाना तो ,नियम है प्रकृति का अगर ,
इंसानी जिंदगी में हमेशा बहार रहे ,मुमकिन नहीं मगर

रिश्तों और बहारों का भी एक रिश्ता होता है 

रिश्तों"की"कद्र"करनी है तो,
"वक्त"रहते"कर"लिजिए...!👌 मिलते रहिये पोषित  करते 
 रहिये 
क्योंकि.... 🤞
जैसे "बाद"में"सुखे पेड"को कितना
"पानी"देकर"भी हरियाली नहीं लाई जा सकती
वैसे ही सुख गए रिश्तों से भी बहारों की "
उम्मीद"करना"बेकार"होता है ..!! 👍

खूब पढ़ाई लिखाई के बाद थी एक उम्मीद ,
खूब कमाई करेंगे , समाज में एक रुतबा होगा
सब अरमान पूरे करेंगे
अब जिंदगी भी खुशबाहार होगी , लेकिन कुदरत हमारे हिसाब से नहीं चलती

जब अक्ल आई तो शादी हो गई
मोहब्बत की खाने खेलने की उम्र थी तो बच्चे पालने पड़े
कमाई की ,और दौलत इकट्ठी की , सोचा बुढ़ापे में आराम करेंगे
औलाद के रिश्ते निभाने का दबाव बढ़ गया ,आराम तो क्या मिलता
बीमार अलग रहने लगे
जिंदगी के उतार चढाव , ख़ुशी गम , मिलन विछोह ,जब "बहारे "समझ आने लगी तो ,
मासूम जिंदगी ही इसी उधेड़ बन में निकल गई

कैसे हर मौसम, हर बहार, हमारे जीवन को छुए बिना , कब निकल गई पता ही नहीं चला






"मेरी व्यथा को समझते हुए "

पतझड में निर्वस्त्र खड़े पेड़ ने पुछा , क्या मायूसी है मेरे दोस्त ?
क्या तुम्हारे जीवन में खुशियां नहीं रही ? कोई खो गया है क्या तुम्हारा ?
मुझे देखो ,मेरा तो पूरा परिवार शरद ऋतू की भेंट चढ़ गया , कोई भी नहीं है मेरे साथ अब तो ,
मेरे पत्तों ने मेरा साथ छोड़ा , फल फूलों ने भी दामन झटका मेरा


मेरा चमन उजड़ा तो लोगों की निगाह भी बदली ,
जो लोग मेरी छाया में ,मेरे फल फूलों से अपना सकूं पाते थे

आज ललचाई नजर से मेरी सुखी काया को देखने लगे हैं 
कुछ मेरी अस्थिओं से फर्नीचर और कुछ मुझे जलाने के ख्याल पकाने लगे हैं 

यह तो भला हो भद्र इंसानो का ,जो कुछ प्रायवरण कानूनी नियम बदल डाले , तो मेरी जान बच गई ,वह मुझे छु भी नहीं पाए, आज मैं  आपके सामने खड़ा हूँ 


मेरी बहार आने जाने की और क्या क्या व्यथा सुनोगे बाबू ?
"बिना"फल वाले"सूखे"पेड़ पर, मैं सोचता हूँ
कोई"पत्थर"क्यों नहीं फेंकता. ,
आपने सोचा कभी?
जरा इंसान की खुदगर्जी तो देखो
फल लगते ही मेरी हर तरह से खुशामद करने लगते है , 
कभी कभी बड़े जोर से पत्थर भी मारते हैं  फल तोड़ने के लिए 
,फल खाते हुए तारीफ भी करते है तो फल की ,
मेरी जिंदगी की  , मेरी जीवन की कश्मकश की नहीं

 अब मुझे भी ब्रह्म ज्ञान हो गया है 
मेरी नजरों में क्या बहार और क्या पतझड़ ,
हर हाल में मुझे तो सताया ही गया है,
कभी मेरे फलों के लिए ,कभी मेरी लकड़ी के लिए 

आप भी व्यथित न हो आपकी जिंदगी भी महकेगी ,
फिर से इसी तरह जैसे मेरी 
कभी आपकी अपनी मेहनत से ,
कभी आपकी अपनी औलाद की सौबत में  ,

फिर भी मैं प्रकृति का शुक्रगुजार हूँ ,
फिर से ऋतू बदली है , नया चोला मिलेगा

फिर से मेरा परिवार बनेगा , मैं फिर से गुलजार हो जाऊंगा ,
फिर से सभी बहार के लालची इंसान लौट आएंगे मेरे पास
मुझे विश्वास है सबके जीवन में ऐसे ही बहारें लौट के आती होंगी
और ऐसे ही मतलबी इंसानो का झुरमुट लगता होगा उनके द्वार पे 


मैंने भी मुस्करा कर कहा कह तो तुम भी ठीक रहे हो 
"शख़्सियत"अच्छी होगी"तभी"तो लोग खिंचे चले  आएंगे 
तभी तो लोग उस में"बुराइयाँ"खोजेंगे, , पत्थर मारेंगे 
किसी की जीवन की बहारें, हर किसी को थोड़ा ही सुहाती है ?
अच्छे लगे लोगों  को तो लोग आन मिले 
वरना..🤞 बुरे लोगों की तरफ़ देखता ही कौन है.!!!


वक्त अच्छा ,सबका आता जरूर है , बस कम्भख्त वक़्त पे नहीं आता
पल पल तरसे थे, हम जिस "पल "के लिए
वो पल भी आया तो, सिर्फ कुछ पल के लिए
सोचा उस पल के कदमो को रोक लू , अपने हर पल के लिए
पर वो पल भी मजबूर था  ,रुक न सका मेरे एक पल के लिए






थकन कैसी घूटन कैसी ,
चल तू अपनी धून में दीवाने
खिला ले फूल काटों में सज़ा ले ,अपने वीराने

हवाये आग भड़काये फजायें जहर बरसाये

अंधेरे क्या उजाले क्या ना ये अपने ना वो अपने
तेरे काम आयेंगे प्यारे तेरे अरमां तेरे सपनें

जमाना तुझ से हो बरहम न आये राहभर मौसम
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी

बदल जाए अगर माली चमन होता नहीं खाली


******************************************************************************



अरे यारों कब सीनियर सिटिजन हो गये, पता ही नहीं चला।

कैसे कटा 18 से 75 तक का यह सफ़र, पता ही नहीं चला ।

क्या पाया, क्या खोया, क्यों खोया, पता ही नहीं चला !

बीता बचपन, गई जवानी, कब आया बुढ़ापा, पता ही नहीं चला ।

कल बेटे थे, कब ससुर हो गये, पता ही नहीं चला !

कब पापा से नानु, दादू बन गये, पता ही नहीं चला । 

कोई कहता सठिया गये, कोई कहता छा गये भापे क्या सच है, पता ही नहीं चला !

पहले माँ बाप की चली, फिर बीवी की चली, अपनी कब चली, पता ही नहीं चला !

बीवी कहती अब तो समझ जाओ, पर क्या समझूँ, क्या न समझूँ, न जाने क्यों, पता ही नहीं चला !
        
दिल कहता जवान हूँ मैं, उम्र कहती नादान हूँ मैं, इस चक्कर में कब घुटनें घिस गये, पता ही नहीं चला !

झड़ गये बाल, लटक गये गाल, लग गया चश्मा, कब बदलीं यह सूरत, पता ही नहीं चला !

समय बदला, मैं बदला, बदल गये सब रिश्ते बदल गये ,मेरे यार भी, कितने छूट गये, कितने रह गये यार, पता ही नहीं चला !

कल तक अठखेलियाँ करते थे यारों के साथ, हंसा खेलते थे परिवार के साथ , कब वो भी और हम भी कब सीनियर सिटिज़न हो गये, पता ही नहीं चला !

अभी तो जीना सीखा था और जाने का वक्त आ गया अभी तक जिंदगी थोड़ी समझ आई, और नासमझी का पता ही नहीं चला !

न दफ़्तर, ना दुकान फ़ैक्ट्री की चिंता न कोई बाॅस, ना कोई लेबर का झंझट ,न काम का कोई बोझ, कब हुए आज़ाद पता ही नहीं चला !

आदर सम्मान, प्रेम और प्यार की वो वाह वाह करती, कब आई और बीत गयी ज़िन्दगी, पता ही नहीं चला । 

बहु, जमाईं, नाते, पोते, ख़ुशियाँ आई, कब मुस्कुराई उदास ज़िन्दगी, पता ही नहीं चला ।

 जी भर के जी ले प्यारे फिर न कहना मुझे पता ही नहीं चला।















Tuesday, April 4, 2023

Relevane and origin of valentine day (valentine day material)

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
I am R.K Nagpal



है प्रीत जहाँ की रीत सदा , मैं गीत वहां के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ ,
कहने को वैलेंटाइन डे एक प्यार का प्रीतक पूरी दुनिया में बन चूका है , जैसे की कभी लोग इससे पहले कभी आपस में प्यार करते ही नहीं थे ?


हमारे सनातन ग्रंथों में रामायण से लेकर महाभारत तक ऐसे ही वैलेंटाइन्स के किस्से है जिसे हम बखूबी जानते भी है ,राधा ने कृष्ण से प्यार किया पर शादी नहीं की , मीरा बाई का कृष्ण प्रेम हो या तुलसीदास जी का सभी प्यार की मिसाल रही है। पर यह सब किस्से उस वक्त के हैं जब भारत देश बहुत विकसित सभ्यता था , यूरोप अमेरिका तो उस वक्त पाषाण युग में जी रहे थे उनके यहाँ के प्रेम प्रसंग को वैलेंटाइन डे का नाम दिया गया

वैलेंटाइन की कहानी यूरोप से कुछ यूँ शुरू हुई
फरवरी का महीना एक सुखद मौसम होता है जब बसंत का आगमन होने को होता है , इन सर्द देशों में सर्दियों में बेशुमार बर्फ पड़ा करती थी और फरवरी से कम होना शुरू करती थी और परिवारों में शादी बिहा इतियादी हुआ करते थे , जैसे की भारत में अप्रैल की फसलों के बाद एक शादी का दौर चलता है ऐसा ही कुछ रोमन राज में फरवरी में लड़के लड़की को मिलने का अवसर देकर विवाह करवाए जाते थे।

यूँ तो साल के हर रोज कोई न कोई उत्सव होते रहते है जिनमे से किसी का ऐतिहासिक महत्व होता है और किसी का सिर्फ एक बिज़नेस मॉडल , या फिर पुराणी सभ्यताओं के रीती रिवाजो को थोड़ा तोड़ मोड़ कर अपना नाम देकर उस को त्यौहार का नाम देकर पैसा कमाना , और उन सभ्यताओं और मान्यताओं को धीरे धीरे समाप्त करके अपनी भाषा ,संस्कृति , धर्म का प्रचार करना और बिज़नेस बढ़ाना , जबकि उनके पास ऐतिहासिक धरोहर नाम की भी नहीं होती न ही कोई उनसे कुछ सीख सकता है


Don't feel bad or either offended if I just narrate few events from History about our Valentine, a day of romance really? which are in public domains and anyone can research and understand what the reality is, But the problem is we just keep on following in this rat race without even applying our minds once, ok let it be the easiest way to live and enjoy?

The History of Valentine's day and the story of St. Valentine is folded around mystery and secrecy.. St. Valentine's day trails its significance from both Christians and ancient Roman traditions. But you wonder who was St. Valentine and what’s the story behind the celebration?

The Romans used to celebrate the feast of Lupercalia from February 13 to 15, in which men sacrificed a dog and a goat. After this, the hides of the slain animals were used by men to whip women.?
is it love for a valentine and hurting someone cant be love, In fact, young women even lined up to be whipped by men due to their belief that this made them more fertile. What to say about these illogical and unscientific beliefs


Though no one has pinpointed the exact origin of the holiday, one good place to start is ancient Rome, where men hit on women with leather ropes made from slain animals, well women the valentines accepted this ritual as necessary to get a good groom,

Now During the celebrations, a matchmaking lottery was also held and men picked out names of women from a box and proceeded to profess their love to these women during the festival. This sometimes also culminated in a marriage.

However, This Lupercalia kind of love celebration was later changed to St Valentine’s Day by the end of the 5th century by Pope Gelasius, and this led to Valentine’s Day being associated with romance as well as the beginning of love. But why this name valentine?
Valentine’s Day: History of its name

St valentine as a priest of the church was performing marriages. He defied Claudius II against his order of no marriage as men were needed for army .but he continued his service of performing marriages of lovers in secret. When Claudius II came to know about Valentine, he ordered to put St.Valentine to death for going against the emperor.

Another legend suggests that Valentine was killed by the order of the emperor because he was helping Christians to escape from harsh and cruel roman prisons. While he was imprisoned Valentine sent the first “valentine” greeting to his lover who was a young girl, speculated to be the jailor’s daughter. The girl used to visit him during the confinement and both of them fell in love with each other.

According to a legend, st. valentine refused to leave Christianity and accept paganism. Roman emperor Claudius 2 executed him. It is said that before his death, somehow he befriended the jailer’s daughter and healed her from the blind world. She converted to Christianity along with her family. Before his execution, he wrote her the last letter and signed it writing “From your Valentine” which became an expression of love later.

All the stories and legends are uncanny but the stories do accent as sympathetic, heroic and above all symbolises the heroic figure. And by the Middle Ages, Valentine became one of the most popular heroic saints in England and France.


In India, this marriage facilitation job is still being done by many priests and pandits in the temples from matchmaking to performing complete rituals in temples, gurdwaras, itself .and some marriages are coordinated through the matchmaker middlemen and women too, but no one is as famous as an st valentine,?

you know why because countries under the control of Christianity encashed this as a business opportunity, By killing st valentine by the emperor, st valentine became the hero of young men and women who started remembering him as their messiah leaving a business opportunity for clever minds to fill in, They expanded valentines day further by seven days

Valentine’s Week begins on February 7, that is a week before Valentine’s Day, and this year, it’ was Sunday.

February 7 is Rose Day,___________ To help rose growers
followed by Propose Day on February 8.
Chocolate Day falls on February 9,
and February 10 marks Teddy Day.
Promise Day falls on February 11,
with Hug Day on February 12,
and Kiss Day on February 13.
The week finally culminates with Valentine’s Day. On the 14th of February, huge sales take place to boost the economy.

However, the week building up to Valentine’s Day is no less exciting, and each day comes with its own aspect of the expression of love, with one of them even being dedicated to people who wish to pop the question to their significant other!
young couples are keeping the fire alive and remembering a priest is another business angle added to it

And for the unversed, we further dig down into history and find out the reason behind this tradition and the festival of love during spring.? and why not in other seasons?

In the mid 18th century, people used to exchange handwritten notes of affection to their loved ones on Valentine’s Day but they were soon converted into printed cards due to advancement in print media. giving a huge boost to the printing industry

The valentine gifts include candies, red roses as the symbol of love. This is the most popular festival in the US, Britain, Canada, and Australia. Other countries like Argentina, Mexico, France, South Korea, etc also celebrate this day with high zeal. This is the most common wedding day in the Philippines where one can witness mass weddings of hundreds of couples.

Today, we can see the huge craze of valentine’s day among youngsters. They eagerly wait for this day to celebrate with their lovers. The full stocked gift shops, flower shops with the symbol of love can be seen everywhere.

The parks full of couples holding hands and going for outings are a common sight on valentine’s day though there is a believe that Valentine’s Day is celebrated to commemorate and remember the death anniversary of Saint Valentine, some believers suggest that the Christian Church would have decided to place St Valentine’s feast day to “Christianize” the pagan celebration of Lupercalia which is a fertility festival dedicated to the Roman god of agriculture ‘Faunus’. logics apart people around the world have embraced it without going into details of it and start following it as to enjoy and make merry with their girlfriends called valentines.

What every legend says, today we all celebrate the middle of the February month as the season of love and romance is a universal truth, whatever be the underlying truth .while remembering now immortal Saint Valentine priest of lovers first choice.


As every country have different cultures and traditions, let us have a look at some of the countries and their tradition on Valentine’s day. According to another legend, this valentine’s day is celebrated in the name of a bishop called the saint valentine of Terni. He was also executed.


This saint use to wear a cupid ring on his finger. This cupid ring was his identity and he use to greet people with paper heart greetings to remind people of their love for God. This is the reason that he became the patron of love. He use to pair lovers and the couple remembers their devotion to God.

The same was depicted by the famous medieval author Geoffrey Chaucer In his writing in 1381 and this was also considered as the origin of modern-day celebrations of Valentine’s day.

Valentine’s day is not immune to tragedy. In 1929, Chicago faced a huge massacre on February 14th. Al Capone gang killed 7 men and this was parked as the flashpoint in prohibition period history. Police and lawmakers chased gangs and mobs to control the illegal smuggling of Alcohol.
Valentine’s Day Tradition

1. France

It is said that the very first Valentine’s Day greeting card was made in France when the duke of Orleans ‘Charles’ sent love letters to his beloved wife in 1415. He was in prison at that time, so he used a greeting card to send her on valentine’s day. There is a village in France called “Valentine” is the epicenter of love. People of this village decorate their houses with roses, and love cards. People send marriage proposals to their loved ones and one can also witness beautiful yards and decorated trees.

2. South Korea

Valentine’s Day in South Korea is celebrated on the 14th of each month and they call it the day of love. 14th May is celebrated as “Day of Roses”, 14th June as “Day of Kisses”, 14th December as “Day of Hugs”. They also have a day for single people in April, which they celebrate by eating black noodles and they call it “The Black Day”. Isn’t it different?

3. Philippines

The Government of the Philippines holds a public event for marrying young couples. This is the Gala event of the country and one of the special days for young people. The valentine’s day celebration in the Philippines is one of the biggest valentine’s day celebrations around the world.
4. Ghana

Ghana celebrates 14th February as “National Chocolate Day”. As Ghana is one of the largest cocoa producing country, the government took this initiative in the year 2007 to attract tourists. One can attend events, performances, and special celebrations on this day. The restaurants also have special menus for National chocolate day.

5. Japan

In Japan, the concept of Valentine’s Day is very different, they celebrate Valentine’s Day on 14th February, and females of japan buy unique and beautiful gifts for their male companions or lovers. If males want to return their gifts, they need to wait until 14th March “The White Day”.

6. England

In England, The women keep 5 bay leaves under their pillows. They believe this way they can dream of their future husband on valentine’s day.

7. Denmark

Denmark has recently started celebrating Valentine’s Day. The young people in Denmark exchange gifts and flowers. Friends and lovers also exchange snowdrops (Handmade card with pressed white flowers).
Significance of Valentine’s Day

Till 16th century, the significance of Valentine’s Day was limited to the exchanges of greetings and love letters among lovers. By the end of the 19th century, the significance changed and people started celebrating Valentine’s day to show love and affection toward everyone who has made their life beautiful.

Today, the Celebration of Valentine’s day is not only confined to lovers but it is the day to celebrate humanity. One can notice people wishing Happy Valentine’s day to their friends and families. Many schools and colleges organize functions to celebrated this day as the celebration of human relationships.
Interesting facts about Valentine’s Day

Valentine’s Day is one of the most interesting festivals around the world. There are many fun facts about this day. Let’s have a look:In the middle ages, people to find the names of their would-be valentine from a bowl and use to pin the name on their sleeves for the rest of the week for everyone to see it. This gave birth to the famous expression “To wear your heart on your sleeve”.
During the medieval era, Girls use to eat strange foods on this day to dream of their future husbands.

King Henry VII of England declared 14th February as Valentine’s day officially in 1537.
Each year people exchange more than 1 million cards on Valentine’s day. This is the second-largest card selling occasion in a year, First one is Christmas.
Valentine cards are mostly given to teachers, friends, lovers, mothers, wives, and pets.

Valentine is one of the biggest flower gifting days. Mother’s day is also one of them.
In 1868, Richard Cadbury ( Son of the founder of Cadbury company) made the first heart-shaped chocolate box on Valentine’s day.
Iran banned the celebration of valentine’s day in any form in 2011. They consider it an anti-Islamic act.

Americans spend more than $277 million on valentine’s day card each year.
In Welsh tradition, it is believed if a child is born on Valentine’s day, he/she will have many lovers. The calf born on valentine’s day will be useless for breeding and eggs hatched on Valentine’s day will be rotten.
Verona, The Italian city received over 1000 valentine’s day cards every year addressing Juliet. This is the place Romeo and Juliet use to live.
Conclusion

Valentine’s Day is celebrated all over the world. In some countries, it is celebrated as a festival while in some countries people celebrate this day just for fun but hardly anyone knows about its history and significance. It is important to know about the festival in depth before celebrating them. The celebration of valentine has evolved with time. The simple greeting exchanges have become grand events and expensive gifts. The day is no more confined to lovers. People also dedicate this day to their family, friends, pets, etc.
Frequently Asked Questions

Q1. Which of the three St. Valentine is one behind the Valentine’s Day?
Ans. This is still a mystery, No one exactly knows which one of the three saints was behind valentine’s day but many people believe St. valentine of Tarni was the one.

Q2. What is Valentine’s Day week list?
Ans. Many countries celebrate valentine’s day throughout the week from 7th February to 14th February. Each day has its significance.

7th February- Rose Day
8th February- Propose Day
9th February- Chocolate Day
10th February- Teddy Day
11th February- Promise Day
12th February- Hug Day
13th February- Kiss Day
14th February- Valentine Day

Q3. Is the celebration only for couples?
Ans. Traditionally yes, This day was celebrated by couples initially but in the modern world, people celebrate valentine’s day as love for humanity. People exchange gifts with parents, siblings, teachers, soulmates, etc. Teachers receive most of the valentine’s day greeting every year.

Q4. I am single. How can I celebrate Valentine’s Day?
Ans. You don’t need a boyfriend or girlfriend to celebrate this day. Look for the special people in your life like your mother, your father, your sister/Brother, Your teacher. Your friend and celebrate with them.

Q5. Is Lupercalia and Valentine’s Day the same?
Ans. Lupercalia was celebrated by the people of Rome during ancient times on 15th February every year. It was later converted into valentine’s day in the name of saint valentine.

Q6. What is Cupid?
Ans. According to Roman mythology, cupid is the son of Venus (The goddess of love). He is depicted as a winged baby carrying a golden bow and arrow. Cupid is considered as the symbol of Valentine’s Day.

Q7. How is Valentine’s Day celebrated in India?
Ans. On valentine’s day, Indian youth offer gifts, flowers, and chocolate to their loved ones. Celebrating valentine’s day is not a part of Indian tradition hence, there is no particular celebration for this day. Many of the people in India are against the celebration of this day but those who like to celebrate this can hang out with their loved ones and celebrated it the way they want.

Q8. How is Valentine’s Day celebrated in Argentina?
Ans. Valentine’s day celebration in Argentina is one of the biggest celebrations in the world. The single valentine’s day is not enough for them, In addition to 14th February, they celebrate sweetness week in July for 7 days. The couple exchanges gifts and kisses during this whole week and it ends with friendship day.

Q9. Who is known as the “Mother of the American Valentine”?
Ans. Esther A. Howland is known as the “Mother of the American Valentine”.






TANAVI ACHIEVING UNAChIEVABLES




My granddaughter Tanvi Grover has given us pride moments to rejoice in her growth under our eyes, Today on 1st May 2023, she has won Miss Teen New York USA, a prestigious beauty pageant crown, making her family proud and satisfied through her early feats.

The transformation from a timid shy girl to an extrovert confident growing youth symbol is present-day, self-propelled Tanvi, she is not only self-reliant to the core but also a very fast learner, be it academic or extra-curricular she always excels with a formidable grasp on the subject. from her very nascent years, she watched lyrical dancing numbers on TV and started copying their moves with her own additions and alterations here and there to make them more attractive.

 She has acquired an inherent passion to learn and express herself with her own exuberance including dancing from her own family straits, which she confides with everyone proudly. her mother shveta also was a very extrovert and confident outgoing girl in her own days.

Tanvi is an aspiring fast-paced personality who is out to grab the world with her leapfrog jumps, she never has any complex while dealing with her mentors, teachers or even high state official and expresses her views vehemently without any inhibitions of her age . 


ADABI SANGAM ------------ TOPIC NO ------------ पवन , हवा , WIND, वायु -----------27-06-2020


                        हवा के साथ साथ 

                              

 गीत तो कितने ही लिख डालो , हवा को जाने बगैर हम कहीं भी खो जाते है 
हवा के साथ साथ , घटा के संग संग , ओ साथी चल , मुझे भी लेके साथ चल 
हवा में उड़ता जाए , मेरा लाल दुपट्टा मलमल का , हो जी हो जी। 
सावन का महीना पवन करे सोर ,

पवन धीरे धीरे बहे तो समीर कहलाये 
थोड़ा तेज चलने लगे तो हवा हमारे बालों को लहराने लगती है 
पत्तों को सहलाने लगती है 
थोड़ा और गति बढे तो आंधी बन जाती है , धुल मिटटी के गुबार , पेड़ो से पत्तों को छुड़ा देना , इंसान को कहीं छुपना पड़ता है। 

आंधी को तूफ़ान बनाने में कुदरत की पूरी ताकत इसके पीछे लग जाती है। 

हमारे शास्त्रों में भगवान् को बड़ी ही खूबसूरती से  परिभाषित किया है कि भगवान् कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो ऊपर अकाश में रहती हो और जो हमें किसी भी प्रकार से नियंत्रित करती हो , अगर कोई शक्तियां हैं तो वह उन ग्रहो में है जो हमारी पृथिवी की तरह ही ब्रह्माण्ड में स्थापित है और उनकी उर्जित किरणों और विकिरण से उत्पन शक्ति हमारी पृथ्वी को भी प्रभावित करती है और चुंबकीय सौरमंडल में सब ग्रह एक दुसरे से एक उचित दूरी बनाये हुए है और सालों साल से ऐसे ही नियम से चले जा रहे है , यही वोह शक्ति है जो हमारी समझ के परे हो जाती है यहाँ हमारा विज्ञानं भी ज्यादा कुछ नहीं बता पाता।

इन ग्रहो पे न तो जीवन है न ही कोई ऑक्सीजन , जीवन अभी तक नहीं मिला, लेकिन जिसे हम भगवान् कहते है वोह तो वहां भी है , वहां भूमि है , कहीं कहीं जल भी किसी न किसी गैस के रूप में विध्यमान है, न खत्म होने वाला एक विशाल ब्रह्माण्ड रुपी आकाश ।  हवा का प्रचंड रूप एक तूफ़ान के रूप में देखने को वहां भी मिलता है।

हवा कहाँ से आती है क्या है कैसे चलती है , क्यों चलती है?और हमें दिखाई क्यों नहीं देती ?

यहीं पर जिकर आया की कोई शक्ति तो है जो दिखाई नहीं देती है , उसे शास्त्रों में नाम दिया की यह शक्ति एक नहीं बल्कि शक्तियों का समिश्रित समूह है जिसे जब मिला कर देखा जाये तो " भगवान् का रूप सामने आ गया "अब देखिए भगवान् शब्द कैसे बना।


BH -- भूमि
A ---आकाश
G--- आपस में बाँधने वाली शक्ति "गुरुत्व"गुरुत्वाकर्षण
V---वायु
A ----अग्नि
N -- नीर

अब इसी भगवान् ने अपनी प्रिंट फोटो कॉपी इंसान के रूप में बना कर धरती पे उतारी , इंसान में भी यही मुख्य पांच तत्व ही है जो की भगवान् में है।

हनुमान को हम अंजनी -पवन पुत्र क्यों कहते हैं ? क्योंकि पवन और अंजनी के समागम से उत्पन हुए हनुमान की गति हवा से भी तेज़ थी , वोह इतना तेज़ उड़ सकते थे की जैसे हवा ही उन्हें हर जगह लेकर जाती थी। इसलिए इनको  भगवान् का दर्जा हासिल है और घर घर में इन्हें पूजा जाता है। 

इंसान का शरीर भूमि से पैदा हुई खुराक से बना है , पानी ही इसका शरीर और खून है जो की शरीर का 98 % तक है , हवा यानी की इंसान की सांस इंसान के हृदय का इंजन है और हवा में मौजूद ऑक्सीजन इंसान के शरीर की ऊर्जा। पेड़ पौधे भी हवा से नाइट्रोज़न और कार्बन डाइऑक्साइड लेकर सूर्य की ईंधन में अपना भोजन बनाते है और इंसान को जिन्दा रखने के लिए अर्पण कर देते है

अब इसमें भगवान् शब्द के एक अंश का नाम हवा ही तो है "हवा " पवन , wind , वायु किसी ने इसे आज तक देखा तो नहीं पर महसूस जरूर किया है , इसी हवा रुपी इंजन में हमारी सांस की ऑक्सीजन समाहित है , हवा के जरूरी तत्वों में ऑक्सीजन , नाइट्रोज़न , कार्बन डाइऑक्साइड , और बाकी की प्रकृति से उतपन हुई गैस भी हवा के भीतर समाहित हैं।

जब गर्मी लगने लगती है तो ध्यान जाता है की हवा बंद है ,पसीना नहीं सूख रहा तो पंखा चला कर हवा के झोंके पैदा किये जाते है ताकि हमारे शरीर का बाहर निकला हुआ गर्म पसीना हवा के साथ भाप बन के उड़ जाए और हमे ठंडक देने लगे।

हवा गर्म लगने लगे तो ऐरकण्डीशन या कूलर में से इसे गुजार कर ठंडा करके अपने कमरे में आने देते है पर दिखाई यह तब भी नहीं देती सिर्फ अपने होने का अहसास ही देती है , ईश्वर भी कहाँ दिखाई देता है जो उसका ही एक अंश जो हवा है ,हमें दिखाई देगी ?

जब यही पवन , सूर्य देव की चिलचिलाती गर्मी में तप कर , हलकी हो कर आसमान की तरफ उठने लगती है तो ,समुन्दर से पानी भी चुरा लेती है ,ताकि इतनी भी हलकी न हो जाए की धरती पे लौट ही न पाय। और भाप बन कर काले काले बादलों के रूप में दिखाई देने लगती है , भाप के बदरा घिर आते है , सूर्य को पूरा ढक लेते है लोग झूमने लगते है गर्मी से निजात पाकर।

पवन का वायु चक्र अभी थमा नहीं है , यह उन्ही बादलो को अपने कंधे पे सवार कर चल पड़ती है अगले पड़ाव पर , जो है बर्फीले पहाड़ , ठन्डे पर्बतों से टकरा कर यह पवन अब पुरबा बन के वापिस लौटती है मैदानों की तरफ अपनी अगली मंजिल की और ,तो इसमें समुन्द्रों से चुराई हुई पानी की भाप और भाप पहाड़ो की बर्फ से ली हुई गजब की ठंडक होती है, इस लिए भाप अब  पानी की बूंदों का सागर बन चुकी होती है जो खुद को संभल नहीं पाती और मैदानों पर टूट कर बरस पड़ती है। यह सब हवा की देख रेख में चलता रहता है , हवाएं कभी तेज कभी माध्यम पानी को पूरी धरती पर लेजाकर बिखेरती रहती है।  

कुदरत के नियमानुसार हर साल धरती की धुलाई सफाई का जिम्मा हवा के पास ही तो है , हवा में प्रदूषण बढ़ जाए तो सांस लेना दूभर हो जाता है , पानी से भरे बादल बरस के तेज गति की हवा के सहारे , सारे भूमण्डल को झाड़ पोंछ के साफ़ कर देती है ताकि कुदरत का मेहमान " इंसान और जीव जंतु आराम से रह सके "  जी हाँ हम सब यहाँ मेहमान ही तो हैं जब तक कुदरत चाहेगी हमे दाना पानी और हवा  मिलेगा तभी तक जीवन चलेगा। 

 धुलाई किया पानी , बागों और खेतो में पहुँच जाता है ताकि वनस्पति से ऑक्सीजन उतपन होती रहे ,जीवन व्यापन के लिए अन्न पैदा होता रहे , नदियां लबा लब भर के चलती है पृथिवी की प्यास बुझाने के बाद , बचा हुआ जल हमारी साल भर की जमा की गन्दगी को लेकर वापिस समुन्दर को लौट जाता है ,वहां इसी गन्दगी से एक नया जीवन समुन्दर में भी चलता रहता है वहां भी वनस्पति ,जीव , बैक्टीरिया , मछलियां इसी पानी को फिर से शुद्ध कर देती है।  इस पूरी प्रिक्रिया में सूर्य की गर्मी और हवा के दबाव का ही तो मुख्य संगम है।

लेकिन जब इंसान प्रकृति से छेड़ छाड़ करने लगता है तो इसी मंद बहती पवन का दबाव और मिज़ाज़ भी गर्म होने लगता है , इसी दबाव की वजह से मस्त बहती पवन रूद्र रूप धारण कर लेती है और अपनी तेज गति से समुन्दर में तूफ़ान ला देती है , ऊंची उठती लहरें और तूफ़ान कितने ही प्रकृती के दुसरे नुक्सान भी कर देती है , पेड़ उखड जाते है , घरों की छते कागज की तरह उड़ जाती है , इंसान की बिछाई पूरी की पूरी बिसात , बिजली के खम्बे और तारें पलों में छिन भिन हो कर टूट जाते है। लाखों इंसान इन्ही तूफानों की भेंट चढ़ जाते है , प्रकृति इंसान से अपना बदला उसकी जान लेकर ले लेती है और फिर से चलने लगती है अपनी अगली उड़ान पर।  
हमने हकीमों और डाक्टरों को भी अक्सर वायु विकार का नाम लेते सुना है , वात यानी की वायु दोष हमे कितना तकलीफ देती है जैसे की एसिडिटी , शरीर के सूक्ष्म कोशिकाओं में रुकी हुई हवा इंसान को हज़ारों तरह की तकलीफें ,बदहज़मी जोड़ो का दर्द , दिल का दौरा इत्यादि भी देती हैं । इसी वायु का जड़ी बूटी या दवाइओं से इलाज किया जाता है की वात और पित का समीकरण उचित मात्रा में बना रहे। यह हवा जीवन देती भी और लेती भी है।

वात यानी वायु एक संस्कृत शब्द है ,जहाँ जहाँ वात है वहां वहां वातावरण होता है यानी की हवा का निवास। हवा एक उर्दू शब्द है , हिन्दू हवा को पवन कहते है .बिमारी में जब भी हम हॉस्पिटल में भर्ती होते है सबसे पहले हमारी श्वास नाली में हवा मिश्रित ऑक्सीजन डाली जाती है , क्यों की हवा ही तो हमारे शरीर का इंजन है जो हमारे भोजन को पचा कर हमे ऊर्जा प्रदान करता है,

आज अगर कोरोना की बीमारी का प्रकोप फैला हुआ है तो लोगों की मृत्यु उनके फेफड़े जैसे ही वायरल बलगम से संक्रमित हो जाते और हवा के रास्ते बंद होने लगते है तो , फेफड़ों को हवा न मिल पाने यानी की सिर्फ उनकी सांस न ले पाने की वजह से मौत होती है , उन्ही की मदद को वेंटीलेटर और और कृत्रिम ऑक्सीजन हॉस्पिटल में दी जाती है , इसी से अंदाज़ लगता है की इंसान की जिंदगी में हवा की अहमियत क्या है ?

अब थोड़ा हंसी के लहजे में आप को बताऊँ ,हवा के इतने गुण समझने के बाद कुछ लोग खुद ही हवा में रहने लगते है , अपनी अपनी पतंग भी तो बिना हवा के नहीं उडा पाते यही सोच कर हवाई किले बनाते है , हवा बाज़ी करके लोगो को बेवकूफ भी बनाते है , इसका मतलब सीधा सादा यह है के जैसे हवा दिखाई नहीं देती वैसे ही लोग ऐसी ऐसी बातें करके लोगों को बेवकूफ बना देंगे जो वोह होते नहीं वोह दिखाने लगते है , इसे ही हवा बाज़ी कहते है। मेरी आपसे हाथ जोड़ नम्र निवेदन है की पतंगबाज़ी कर लेना , ठंडी ठंडी हवा के झोंको का पूरा पूरा लुत्फ़ ले लेना पर -----------
भूल कर भी 
हवा बाज़ी न करना। क्योंकि जिसकी शुरुआत हवाबाज़ी  से होती है न उसकी हवा भी जल्दी ही निकल जाती है 

अब किस किस याद का किस्सा खोलूं ,
हवाओं ने कैसे मेरा रुख ही  बदल दिया , 
गुजरी फ़िज़ाओं के बारे में सोचूँ , 
या उन खुशबुओं के बारे में सोचूँ ,
जिंदगी में रचे पलों के बारे में सोचूँ ,
अब जीवन किताब ही  बन गई है यादों की ,
अब उन यादों के सहारे उम्र काटूं 
या हवाओं के साथ खुद को बह जाने दूँ ?

किसी शायर ने मौत को क्या खूब नवाज़ा है :
ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा ,
आज सब मेरी मय्यद को ,घेर कर बैठे जा रहे थे ,
कोई तोहफा न मिला था ताउम्र ,आज तक उनसे ,
और आज फूलों की माला ही माला उनके हाथों में थी,
तरस गया था किसी ने मुझे आज तक एक कपडा भी न दिया,
और आज मेरी अर्थी पे नए नए परिधान ओढ़ाय जा रहें थे ,
ता उम्र दो कदम भी मेरे साथ जो आज तक न चले ,
आज बना के काफिला ,मुझे कंधे पे उठाय चले जा रहें हैं
आज मालूम हुआ की इन्सान की कदर 'मौत 'के बाद ही होती है ?
मैं हैरान हूँ ,मेरी मौत तो मेरी जिंदगी से ज्यादा खूबसूरत निकली ,
कमबख्त 'हम ' तो युही खौफ खाए जा रहे थे ?????





  • SUKH----सुख ---------Adabi sangam -- Meet on --2nd April 2023-----

    सुख ? बनाम दुःख 





    सुख देव और दुःख देव हैं तो जुड़वाँ भाई पर दोनों की फितरत जुदा है और रहते भी अलग अलग है। सिक्के के दो पहलुओं की तरह एक ही सिक्के पर होते हुए भी अपनी अलग अलग पहचान रखते है। लोग सिक्के को हवा में उछाल कर अपना भाग्य आजमाया करते है। सुख दुःख भी कुछ ऐसी ही परिस्थति से पैदा होते है जिनका सीधा तालुक हमारे कर्मो का फल होते है ,


    हम जैसा करते है, जैसा सोचते हैं वैसा ही सुख या दुःख हमारे जीवन में पैदा हो जाता है , चाहे वह आपकी अपनी वजह से हो या ,आपके इर्दगिर्द के माहौल से या हो आपकी औलाद से , आपकी प्रसिद्धि ,धन वैभव भी कभी कभी सुख देते देते दुःख में बदल जाती है ,
    क्यों ऐसे होता है ?आइये थोड़ा विश्लेषण करते है।


    एक बुजुर्ग किसान अपनी खाट पे बैठे हुक्के का मजा ले रहे थे , मैंने पुछा ताऊ कैसी चल रही है जिंदगी सुख से हो न ? भाई तन्ने याद सै मेरे दो बेटे सुखी राम और दुखी राम थे ? मैंने बड़े बेटे का नाम सुखी राम राखिआ था क्योंकि उसके पैदा होते ही घर में खुशीआं बिखर गई थी।


    हमारा पहला बेटा जो होएया था। कीमे दो साल में दूसरा भी पैदा होएया उसने तेरी ताई को घणी तकलीफ देइ , ऑपरेशन करके उसे पैदा करिया डॉक्टरों ने , उसके ढाल चाल देखते होये हमने उसका नाम दुखी राम ही राख दिया।


    दोनों पढ़ने लगे , सुखी पढ़ने में तेज निकला और उसकी नौकरी शहर में लग गई वहां उसने शहरी लड़की से शादी कर ली। वह अपनी बीवी के साथ शहर में ही रहने लगा , अब उसका ध्यान गांव से हट गया न वह हमें फ़ोन करता न कोई हाल चाल पूछता। तेरी ताई ने एक बार उसका नंबर मिलाया तो कहने लगा बहुत बिजी चल रहा हूँ कल फ़ोन करूँगा। वह कल कभी नहीं आया। तो भाई अब नू बता नाम सुखी राम और क्या सुख दिया उसने हमें ?


    दुखी राम तो वैसे ही निकम्मा था बात बात पे लड़ता था और हमारी जमीन की खेती उसी के हवाले थी उसका काम काज सिर्फ खेती करना ही था और वह भी गावं में अपनी बीवी साथ अलग मकान लेकर रहने लगा। उसका मिलना भी बहुत कम था हमसे कभी कभार उसकी बेटी मिलने आ जाती थी और तेरी ताई से खूब बातें किया करती थी, पर अब वह भी पढ़ने शहर चली गई है और हमारे पास अब कोई नहीं आता जाता , सिर्फ एक बोरी गेहूं और चावल और शकर हर साल हमें भेज देता है क्योंकि पंचायत का फैसला है।


    अब तुम ही बताओ दो दो बेटों का हमें क्या संतान सुख मिला ? कितनी मन्नतों से उनको भगवान् से माँगा था , मैंने बचपन में जो सुख पाए वह मुझे अभी तक याद है


    *बचपन के सुख * मित्रों संग खेलते घूमते सुख यात्रा *
    *माँ बाप के सनिग्ध से पाया हुआ सुख *
    *पत्नी सुख *पुत्र सुख *
    बेटी सुख यानी के सब संतान के सुख ,*
    *इन्द्रिये सुख * नौकर चाकर के सुख
    * तन के सुख , बड़ी गाडी बड़ी कोठी के सुख *
    *तरह तरह के स्वादिष्ट खानो का सुख *

    यह सब एक छलावा है ,अस्थाई आभास है हमेशा सुख देने वाले नहीं


    पास सब कुछ होता है फिर भी आप सुखी नहीं हैं तो उस सुख की बुनियाद ही शायद खोकली थी जो सिर्फ ऊपरी चमक थी। यही सोच कर अब हम चुप रहने लगे थे। इसी दौरान तेरी ताई को दिल का दौरा पड़ा और वह चल बसी , सुखी राम ने सिर्फ थोड़ा पैसा भेज दिया और कहने लगा आ नहीं पाउँगा छुट्टी नहीं ले सकता नौकरी चली जायेगी। अरे तेरे को माँ के जाने का तनिक भी सोक नहीं ? नौकरी की चिंता है ? और उसने फ़ोन काट दिया।


    मुझे सदमा लगा मुझे भी दिल का दौरा पड़ गया अब आडोसी पडोसी मुझे शहर के बड़े हस्पताल में ले गए और बोले प्राइवेट हस्पताल है बहुत ज्यादा पैसा लगेगा। पर तेरी जान बच जायेगी। यह मकान गिरवी रख दिया है और पैसा लेकर हस्पताल में जमा करवा दिया। ईश्वर की कृपा से दिल का ऑपरेशन ठीक ठाक हो गया , अब इंतज़ार में थे के छुट्टी कब मिलेगी


    पैसे की बड़ी दिक्कत थी, दुखी राम से तो कोई उम्मीद थी ही नहीं सो ,उसे हमने कोई फ़ोन नहीं किया , लेकिन जैसे ही ताई के मरने की खबर उसे किसी गांव वाले से मिली और मेरे भी हस्पताल में भर्ती की खबर सुनी वह भागा भागा हस्पताल पहुँच गया मेरे गले लग के खूब रोया , माँ को याद करके उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था।


    मैं दुखी राम के ऐसे व्यवहार से हैरान था , जो इंसान खुद हमें पूरी जिंदगी रुलाता रह आज खुद क्यों रो रहा है ? हमारी समझ से बाहर था क्या उसका मन पलट गया था ?


    सुबह हस्पताल से डिस्चार्ज होना था सो फाइनल बिल बन कर मेरे पास आ गया और उन्होंने कहा जल्दी से यह पैसा जमा करवा दो नहीं तो डिस्चार्ज नहीं हो पाओगे। बिल देख मेरे पाऊँ के नीचे से जमीन निकल गई पूरे बारह लाख का बिल था एडवांस जो जमा किया था काट के। अरे भाई हमने हमारी पूरी जिंदगी में इतनी रकम नहीं देखि थी कहाँ से लाऊंगा यह बिल भरने के लिए ?


    दुखी राम वहीँ खड़ा था उस ने वह बिल लेकर बोला , ठीक है जी,मैं बाहर डॉक्टर से बात करके आता हूँ ,लेकिन वह भी पूरी रात वापिस नहीं आया. अब मुझे पूरा डर लग रहा था के अब यह बिल कैसे भरू और सुबह छुट्टी कैसे लू. मेरा और तो कोई है भी नहीं और कोई जमा पूँजी भी नहीं मेरे पास ,इसी उधेड़ बुन में मुझे नींद आ गई और सुबह सिस्टर ने उठाया बाबा तैयार हो जाओ आज आपको वापिस घर जाना है।


    घर ? लेकिन वह बिल ? वह पेमेंट हो गया है। किसने दिया ? यह सब हमें नहीं मालूम लेकिन आप जल्दी से तैयार हो जाओ और बिस्तर खाली करो , दूसरा पेशेंट आने वाला है। नर्स ने जल्दी जल्दी मुझे व्हील चेयर पे बिठाया और लिफ्ट से नीचे लॉबी में लेकर आ गई वहां मेरा बेटा दुखी राम और हमारे गांव का मुखिया साथ में वहां का MP भी खड़े थे।


    सबने मुझे प्रणाम किया मेरा हाल चाल पुछा , मैं अपने बेटे दुखी के आलावा किसी को नहीं जानता था , सब ने मुझे बड़ी इज़्ज़त से गाडी में बिठाया और एक आलिशान कोठी के सामने आकर उनकी गाडी रुकी।


    दुखी तूँ मेरे को कहाँ ले आया है मेरा घर तो गांव में है , बापू वह घर भी आपका ही है और यह भी। इतनी देर में MP साहब बोले आपका बेटा हमारे साथ बिज़नेस करता है मेरी बेटी से इसकी शादी भी हुई है ,यह हमारा दामाद है और आप हमारे समधी ,दुखी राम ने अपनी मेहनत से मेरे काम काज को बहुत बढ़ा दिया है और आज यह यहाँ का पार्षद भी है , यह सुन और सोच कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई , मेरा निक्कमा बेटा "दुखी राम " इतना बड़ा आदमी बन चूका था , जिसकी मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी ,वही दुखी आज मुझे सुख देने चला आया ?


    बापू अब आप आज से यहीं रहोगे अचानक एक सूंदर सी स्त्री ने कमरे में आते हुए बोला , यही मेरे दुखी राम की पत्नी थी , मुझे कुछ कागज़ देते हुए बोली लीजिये बापू जी आपके मकान की रजिस्ट्री हमने छुड़ा दी है आप जो चाहें इससे करे , हमारे पास ईश्वर का दिया सब कुछ है हमें इसमें कुछ भी नहीं चाहिए , मैं फटी आँखों से कभी रजिस्ट्री देखता कभी उस बहु को जो बहुत पढ़ी लिखी सुघड़ लड़की लग रही थी और यह मेरे गंवार दुखी राम की पत्नी ?


    बापू जी मैंने डॉक्टरी की पढाई की है और उसी हॉस्पिटल में ही काम करती हूँ जहाँ आप एडमिट थे। आप ही के गांव की हूँ और आपके बेटे की स्कूल मेट भी। पिताजी और मैंने दुखी राम को भी यहीं शिक्षा दिलवाई है और वह भी आज एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग का ग्रेजुएट है, हमारे गांव के बहुत बड़े बड़े खेतो पे इन्ही की खेती होती है , यह गांव में अपनी मेहनत और दयालुता के लिए जाने जाते है।


    यह सब क्या बोले जा रही हो तुम दुखी राम के बारे में ? और मुझे कुछ पता ही नहीं ?किसी ने मुझे आज तक बताया क्यों नहीं। मेरी आँखों से आंसू बहने लगे आज अगर इसकी माँ जिन्दा होती तो कितनी खुश होती देख के तेरा दुःख कैसे सुख में बदल गया है और शायद वह इतनी जल्दी हमसे जुदा भी न होती




    अब तू बता बेटा सुखी कौन और दुखी कौन ? सुखी कब लिबास बदल ले और दुखी आपको इतने सुख देने लगे , जिस घर में सुख खुशाली होती है न ,उसी के घर की चौखट पर दुःख बैठा इसी इंतज़ार में होता है के आपसे कोई चूक गलती हो, कोई आपका कर्म उल्टा हो , और उसे घर के अंदर आने का मौका मिले। सुख दुःख सब हमारे आस पास ही है किसे हम पनाह देते है अपने घर में यह हम पर ही निर्भर होता है।


    आपके भीतर का संतोष , एकाग्रता , अच्छा चाल चलन , सवास्थ्य खान पान , बीमारी रहित जीवन इतियादी , जो आपको हर हाल में प्रसन्न रखता है चाहे आपके पास धन हो या नो हो। इस सुख का वास्तव में धन से कोई नाता नहीं है बल्कि धन की अधिकता दुःख का कारण जरूर बन जाता है। यही है वह आत्मिक सुख जिसे खोजते खोजते हम दुखों को गले लगा लेते है।
    अश्कों की बारिश नही करते,जो लोग
    क्या उनके दिलोँ में दर्द नही होते ?।
    मुस्कान है होठों पर, हर दम जिनके
    ।उनकी जिंदगी में क्या गम नहीं होते ?


    होते हैं जनाब कुछ दिखा देते है कुछ फींकी हंसी में छुपा लेते हैं

    सुख हो या दुख में---------
    निभाना हो तो फूलों से सीखो,
    बारात हो या जनाज़ा...
    हर वक्त खिले खिले से रहते है !!


    जब बाग़ से लाये गए तब भी खिलखिला रहे थे ,
    इस्तेमाल हुए अब पाऊँ से मसले जा रहे है फिर भी ,

    बिना गिला किये ------
    सुगंध फैलाये जा रहे है


    लता मंगेशकर जी के आखिरी शब्द मुझे याद आ गए के ,सुख दुःख भी सिर्फ कुछ शब्द है ,जैसे बाकी और शब्द ,सब मिथ्या हैं जिंदगी के लिए कामचलाऊ साधन है।



    इस दुनिया में मौत से बढ़कर कुछ भी सच नहीं है। और दुनिया के दुखों से मुक्ति का एक मात्र सुख भी मौत है ,


    दुनिया की सबसे महंगी ब्रांडेड कार मेरे गैराज में खड़ी है। लेकिन मुझे व्हील चेयर पर बिठा दिया गया।


    मेरे पास इस दुनिया में हर तरह के डिजाइन और रंग के , महंगे कपड़े, महंगे जूते, महंगे सामान है लेकिन मैं उस छोटे गाउन में हूं जो अस्पताल ने मुझे दिया था !


    मेरे बैंक खाते में बहुत पैसा है लेकिन अब यह मेरे लिए किसी काम का नहीं है यह अब सब इन्ही लोगों का है जो मेरी तीमारदारी में लगे है और जो मोटे मोटे टेस्ट और बिल बनाने में लगे है।


    मेरा घर मेरे लिए महल जैसा है लेकिन मैं अस्पताल में एक छोटे से बिस्तर पर लेटी हूं। मैं दुनिया के पांच सितारा होटलों में घूमती रही। लेकिन अब मुझे अस्पताल में एक प्रयोगशाला से दूसरी प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है!


    एक समय था, जब हर दिन 7 हेयर स्टाइलिस्ट मेरे आगे पीछे दौड़ते और बालों की सफाई करते थे। लेकिन आज मेरे सिर पर बाल ही नहीं हैं।


    मैं दुनिया भर के विभिन्न फाइव स्टार होटलों में खाना खाती थी। पर आज तो खाने के नाम पे सेलाइन ग्लूकोस ,दिन में दो गोली और रात को एक बूंद नमक ही मेरा आहार है।


    मैं विभिन्न विमानों पर दुनिया भर में यात्रा कर रही थी। लेकिन आज दो लोग अस्पताल के बरामदे में जाने में मेरी मदद कर रहे हैं।


    आज किसी भी सुख सुविधा ने मेरी मदद नहीं की। मुझे तकलीफ से आराम नहीं। लेकिन कुछ अपनों के चेहरे, उनकी दुआएं, मुझे जिंदा रखे हुए हैं। यह जीवन है।यही केवल मेरे जीवन की "सुखी गलियां" थी जो शने शन्ने मुझ से दूर होती जा रही है


    आपके पास कितनी भी दौलत क्यों न हो, आप अंतिम समय खाली हाथ ही निकलेंगे। दयालु बनो, उनकी मदद करो जो कर सकते हो। पैसे और पावर वाले लोगों को अहमियत देने से बचें।वह आपको शौहरत दिला सकते है सुख और सकूं नहीं


    अपने लोगों से प्यार करो,भले वो आपके लिए भला बुरा कहते/ करते हों। पर आप उनकी सराहना करो कि वे आपके लिए क्या हैं, किसी को दुख मत दो, अच्छे बनो, अच्छा करो क्योंकि वही उनका मन पलट पायेगा और यही करम आपके साथ जाएगा जो सच्चा सुख दिलाएगा


    अंत में यह कह के विराम देना चाहूंगा के

    सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

    ऊपर वाला पासा फेंके, नीचे चलते दांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

    भले भी दिन आते जगत में, बुरे भी दिन आते
    कड़वे मीठे फल करम के यहां सभी पाते।

    कभी सीधे कभी उल्टे पड़ते अजब समय के पांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव


    क्या खुशियां क्या गम, यह सब मिलते बारी-बारी
    मालिक की मर्जी पे चलती यह दुनिया सारी।

    ध्यान से खेना जग नदिया में बंदे अपनी नाव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव

    सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव


    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।


    जीवन में सुख-दुःख तो आते रहते हैं। यह जीवन का ही हिस्सा हैं। परन्तु इस संसार में कई ऐसे लोग हैं जो हर परिस्थिति में कोई न कोई अच्छी बात ढूंढ लेते हैं और सुखी रहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अच्छी चीजों में भी नकारात्मक चीजें देख लेते हैं और दुखी होकर उन्हीं का रोना रोने लगते हैं। लेकिन ये सुख दुख क्या है ? आइये जानते हैं इस कहानी के जरिये :-

    सुख दुख क्या है
    एक बार किसी देश की सीमा पर दुश्मनों ने हमला कर दिया। देश की रक्षा हित कुछ सैनिकों को सीमा पर भेजा गया। सारा दिन युद्ध होता रहा। शाम होते-होते सैनिकों की एक टुकड़ी बाकी सेना से बिछड़ गयी। वापस अपने सैनिकों को ढूंढते-ढूंढते रात हो गयी। थक जाने के कारण सभी सैनिक वहां एक नदी के किनारे पहाड़ की चट्टान पर आराम करने के लिए रुक गए।


    तभी उनमे से एक नकारात्मक सोच रखने वाला सैनिक बोला,

    “क्या जिंदगी है हमारी, भूख से मरे जा रहे है और जमीन पर सोना पड़ रहा है।“

    इतना सुनते ही उसके एक साथी ने जवाब दिया,

    “जब हम छावनी में रहते हैं तो वहां की सुख-सुविधाओं का भोग हम ही करते थे। सुख-दुःख तो जीवन के दो पहलू हैं। जो आते-जाते रहते हैं।”

    उस सैनिक की बात का समर्थन करते हुए एक और सैनिक बोला,


    “जब हम युद्ध जीत कर अपने देश वापस जाएँगे तो राजा सहित मंत्री, सेनापति और देश के सभी लोग हमारी प्रशंसा करते हुए नहीं थकेंगे।”

    लेकिन जिसकी सोच ही नकारात्मक हो भला वह कैसे कोई अच्छी बात कर सकता है। वह सैनिक फिर से बोला,

    “वापस तो तब जाएँगे जब हम जिन्दा बचेंगे। अभी तो हमें यह भी नहीं पता कि हम अपने साथियों को ढूंढ भी पाएँगे या नहीं।“

    सभी सैनिक इसी तरह सुख और दुःख की बातें कर रहे थे तभी अचानक वहां एक बौना साधु आया और उसने कहा,

    “भाइयों, तुम सब यहाँ से मुट्ठी भर छोटे पत्थर लेकर जेब में डाल लेना और जाते समय जब सूर्य शिखर पर होगा तब इन पत्थरों को निकाल कर देखना। तुम्हें सुख और दुःख के दर्शन होंगे।”

    इतना कहते ही वह साधु वहां से चला गया। अब सब सैनिकों की बात का विषय वह साधु बन गया था। बातें करते-करते सभी सैनिक सो गए।

    सुबह सूर्योदय से पहले ही सब सैनिक उठ गए और साधु के कहे अनुसार सबने एक मुट्ठी भर पत्थर अपनी जेब में डाल लिए। चलते-चलते दोपहर होने लगी।जब सूरज शिखर पर आया तो सबने जेब से पत्थर निकाले तब सब के सब हैरान रह गए।

    वो कोई साधारण पत्थर नहीं बल्कि बहुमूल्य रत्न थे। सभी सैनिक ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे कि अचानक नकारात्मक मनोवृत्ति वाले दुखी सैनिक ने उन्हें देख कर कहा,

    “तुम लोग खुश हो रहे हो? तुम्हें तो रोना चाहिए।“

    “क्यों? हमें क्यों रोना चाहिए।ये तो ख़ुशी की बात है की हम सबको ये बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए हैं।”

    उसके एक साथी ने उसी रोकते हुए कहा।

    लेकिन वो नकारत्मक और दुखी इन्सान फिर बोलने लगा,

    “अगर हम एक मुट्ठी की जगह एक थैला भर का पत्थर लाते तो मालामाल हो जाते।”

    “लेकिन क्या तुम उस साधु की बात पर विश्वास करते?”

    इतना सुनते ही सभी सैनिक खिलखिला कर हंसने लगे।

    सबको साधु की कही बात समझ आ गयी थी कि दुःख और सुख कुछ और नहीं बल्कि हमारे मन के भाव भर हैं बस। एक ही परिस्थिति में कोई सुख ढूंढ लेता है तो कोई दुःख।

    सुख दुख कहानी आपको कैसी लगी ?