Tuesday, December 3, 2019

ENVIRONMENTAL PROTECTION AND RELEVANCE OF RECYCLING INTERVIW OF A HARYANVI IN USA


"LIFE BEGINS HERE AGAIN 


"

म्हारे हरयाणा का एक छोरा बीएससी एनवायर्नमेंटल एंड रीसाइक्लिंग पास करके नौकरी खातिर एक अमरीकन कंपनी में इंटरव्यू ताहिं  पेश होया। अमेरिकी गैल एक ट्रांसलेटर भी बिठा राखिया था ,उसने बूझिया बता भाई तोँ वातावरण की हिफाज़त करने के बारे में के जाणे से , 

छोरा बोलिया यो के इंटरव्यू होया ?, आप सवाल ते बूझो , मैं जवाब दियूँगा। 
(अच्छी बात से घणा ही कन्फिडेन्स ले रिया से अपनी डिग्री ते ? ट्रांसलेटर  बड़बड़ाया )

अच्छा तू न्यू  बता तन्ने यो के पहर राखिया से?  यो पजामा से इसने आप देसी पैंट भी  कह सको सो, बड़ी कम्फर्टेबल है जी यो, क्रीज़ वरीज़ का कोई चकर न से न ही कोई बेल्ट वेल्ट, बस इसने नाड़े से बाँध ले सैं  जी और दिन रात पहने रहवाँ से, यो जमा ही एनवायर्नमेंटल फ्रेंडली पैंट है जी, पाणी बिजली साबुन सब की बचत भी होवे सै, 

American heard and understood his viewpoint about controlling environmental degradation through desi pant called pyjama .throgh translator

 very good now let me ask you how long you can use it means, to preserve the natural resources? how you dispose of it off after you have used it fully for some time?



हरयाणवी बोलिया , साहब जी ज्यादा तो कोणी बस एक साल तक पहर लेवें से , इसके बाद मेरी घरआळी इसने काट के इसमें मेरे छोरे के साइज की बना दे से , एक साल वह भी छक के इस्तेमाल करे है , जिब वोह भी बोर हो ले ते मेरी घराली उसमें फिर काट छांट कर के तकिये के कवर बना ले से ,यू कवर भी सर जी एक साल तक खुलमा चालें से जी। जिब वोह भी पाट जा ते फिर मेरी घराली छे महीने तक इससे सारे घर में पौछे लगा लेवे सै जी , अच्छा तो फिर इसके बाद आप इसको फेंक देते होंगे ?



न जी यूँ क्यूँकर फैंक देंगे इतनी काम की चीज़ ने जी , फ़ेंकन का टेम कहाँ ते आव्वे इतनी जल्दी , इसके बाद सर जी छे महीने तक इसने मैं अपने जूतियाँ  पे रगड़ रगड़ के उन्हें चमकौं सु जी , फेर आगले छे महीने मेरा छोटा भाई इस्ते अपनी मोटरसाइकिल चमकावे और साफ़ करूँ सु , जब वो पजामा कती ही पाट लेवे से मेरी घरआली सारी लीडियाँ ने एक जुट पिरो के उसपे सुतली बाँध के उसकी गिंडु बना के अपने बालका ने क्रिकट खेलन ताईं दे दे से , 



मेरा छोटा बेटा क्रिकट का घणा शौकीन है जी वोह युवराज की तरह बड़े बड़े चौके छक्के मार मार के गिंडु ने लीड लीड करदे से जी , ईब इस पाटी हुई खिन्दू ने हम आग सेकण ताहीं सिगरी में गैर दे सा जी , सारी रात जाडे में सिगड़ी सेकन का खूब मजा आवे से जी , तड़के तड़के सिगड़ी ने साम्ब लेते है जी , हमारी पजामा का खिन्दू (बॉल )तक का सफर पूरा राख बन जा से 


, ( you mean the whole recycling journey of your desi pant or pazama what you call it is finally over ? )  

न जी हमारी घराली इतनी न समझ भी न सै जी वोह इस राख ने एक घड़े में डाल के रख लेवे सै और सुबह शाम इस राख से घर के सारे बर्तन मांजे सै जी. और फिर इस गीली माँजन ने इकठी करके वो जो गुलाब का पौधा लाग्या से न जी हमारे आँगन में ,उस गमले में गैर दे से , हमने देखीया से की यो राख घणी कसूत खाद का काम करे से और गुलाब के फूल बहुत बढ़िया लाल लाल हो जा सै। 

इतना सुनते ही उस अँगरेज़ को चक्कर आ गया और कुर्सी समेत नीचे को उल्ट पुलट हो गया, फेर बोल्या,

you poor Indian villagers have so much awareness and have mastered the art of recycling much more precisely than anybody else on this earth, you should have been one of the greatest and richest nations in the world, which you have not achieved so far? why?


सर जी इसके खातिर आपणे इंडिया की पिछले हज़ार साल की हिस्ट्री पढ़नी पड़ेगी , और उस हिस्ट्री ने आगे बढ़ान खातिर सारे पंजाबी ,हरयाणवी , गुजराती आपके मुल्को में घुसे आवें से जी , क्यूंकि हमारे धोरे था वह सब तो मुग़ल और अंग्रेज लेके अपने देशों न ते चमका लिया और हमारे देश को तीसरी दुनिया कह के खाली करके चले आये , ईब तो अमेरिका यूरोप इंग्लैंड जब हमारे ही पैसों से बने है तो यौ हमारे ही तो हुए।  
वह साहिब नौकरी पे रख लिए गए और कुछ ही समय में अच्छे खासे बिज़नेस टाइकून बन गे।