"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
[सोचो कितना बवाल होता ]?...
[सोचो कितना बवाल होता ]?...
बैठे ठाले सोचने लगे -- अब सोचने की कोई सीमा तो थी नहीं तो कुछ ज्यादा ही सोच गए
अगर समुन्दर सारे शराब होते
और होता पी कर बहकने वालों का हजूम ,
घर का पता ही वह भूल जाते तो ?
अपने घर की बजाय पड़ोसन की बेल्ल बजा देते तो ?
सोचो कितना बवाल होता
हकीकत गर सारे ख्वाब होते , और
न ही ख्वाबों की कोई इन्तहा।
ख़्वाबों की बद नियत अगर खुल जाती ?
तो सोचो कितना बवाल होता '
किसी के दिल में क्या छुपा है ,
बस खुदा ही जनता है या वोह खुद।
दिल अगर बेनकाब हो जाते ---------?
तो सोचो कितना बवाल होता
यह तो थी खामोशी हमारी फितरत में ,
तभी तो बरसों निभ गई लोगों से
अगर मुहं में हमारे जुबान होती तो ?,
सोचो कितना बवाल होता।
हम तो अच्छे थे ही हमेशा से ,
पर दुनिया की नजर में सदा बुरे ही रहे ,
कहीं हम सच में खराब होते तो ? ........
सोचो कितना बवाल होता
खूब पढाई -लिखाई कर हम काबिल इंसान तो बन गए ,
पर लोगो की नजरों में हमेशा मुर्ख ही रहे
कहीं हम सच में मुर्ख होते तो ?
सोचो कितना बवाल होता
हमने खरीदे अपनी जिंदगी में ,आठ मकान ,
तीन फार्महाउस , और एक दर्जन गाड़ियां ,
पत्नी ने ताना दिया यह सब कुछ तो आज
हर ऐरे गैरे गरीब के पास होते है ,
कहीं हम सच में गरीब होते तो ?
सोचो कितना बवाल होता
😘: लोग डूबते हैं तो समुंदर को दोष देते हैं,
मंजिल ना मिले तो किस्मत को दोष देते हैं,
खुद तो सम्भल कर चलते नहीं,
जब लगती है ठोकर तब पत्थर को दोष देते हैं ।
जमाना क्या कहेगा ये मत सोचो...
क्योंकि ज़माना बहुत अजीब हैं,
नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं
और कामयाब लोगो से जलता हैं!
अगर लोग सिर्फ़ समझाने से समझते तो
बांसुरी बजाने वाला कभी महाभारत नहीं होने देता !
और राम का कभी रावण से युद्ध ही न होता और
अयोध्या मंदिर का झगड़ा इतना लम्बा न चलता