"LIFE BEGINS HERE AGAIN "मित्रता
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती की याद से शुरू होती है..…
मेरी हर सुबह.!!
फिर ये कैसे कह दूँ..कि मेरा दिन खराब है.
मुद्दतें गुज़र गईं, हिसाब नहीं किया ;दोस्तों से
ना जाने अब किसके कितने रह गए हैं हम.
एक सच्चे दोस्त की फितरत का नाम है , दोस्ती ,
और दोस्त एक ऐसा चोर है
जो आँखों से आंसू चुरा ले
चेहरे की परेशानी चुरा ले,
दिल की मायूसी , जिंदगी के रज्जो गम ,
और
बस चले तो आपके हाथों की लकीरों से मौत चुरा ले।
पर अफ़सोस ,अरसा हुआ ऐसे दोस्तों से वास्ता पड़े हुए ,
मिल जाते तो क्या उन्हें आपसे न मिलवाते ?
जब वकील की तरह सोचता हूँ, दोस्तो पर मुकदमा क्यों न कर दूं,
कम से कम इसी बहाने हर तारिख पर मुलाकातें तो होंगी ।
भीड़ बहुत थी जहाँ में कदम कदम पे ,
निगाहें भी निगहबान थी कुछ ढूंढ़ती सी ,
धक्का मुक्की में गिरते गिरते जो सम्भले
जिसकी बाहों में , वही तो मेरा दोस्त था।
आज फिर अदबी दोस्तों की महफ़िल है
दिए भी जलेंगे इस सर्द तूफ़ान में ,
महफिले भी सजेंगी किसी पैगाम में ,
बड़ी मस्त और रंगीन होगी यह शाम ,
नया साल जो आने को है ?
दोस्तों को मेरे ,जरा सरूर में आने तो दो
बेजुबान दिल कैसे कहेगा किस से कहेगा ?
है तो सही जुबान आपके पास ,
दोस्त और दोस्ती का क्या सबब ?
इसको कुछ बतलाने तो दो
यूँ सबसे नजरें चुरा कर अपनी धुन में चलते रहना ?
क्या मुनासिब है इतनी भीड़ में भी अकेले रहना
दिल से दिल की झंकार कुछ कहे ,
दोस्ती में ख़ामोशी का क्या काम
कुछ हम कहें कुछ तुम कहो ,
यह सिलसिला कुछ दूर तक चलने तो दो
संग रहते यूँ ही, मुश्किल वक्त निकल जायेगा,
तन्हाईआं भी आएँगी तुम्हारी जिंदगी में ,
बुरे वक्त का इतना खौफ न कर ?
एक सच्चे दोस्त की दोस्ती ,
एक रिश्ता है रिश्तों से भी बढ़ कर
ऐसा न मुराद वक्त जिंदगी में आने तो दो
कौन किसके बारे में सोचेगा कौन याद आयेगा,
जी लो इस पल को जब तक हम सब दोस्त साथ हैं
यारों, कल क्या पता वक़्त कहाँ ले के जाये।
छोड़ भी दो वक्त के आने जाने का इंतज़ार।
अब इस इंतज़ार को ,
इसी पल में ,सिमट जाने तो दो
सलाह है हमारी ,दिल खोल सबसे मिला कीजिये ,
जिस से मिलो , तो कुछ तमीज दिखाया कीजिये ,
न मालूम जिंदगी के किस मोड़ पर , इसी भीड़ में
इन्हीं में तुम्हें एक प्यारा सा जिगरी दोस्त मिल जाये,
तुम्हारी तमीज देख कर
इस कोशिश को निर्बाध , लगातार , चलने तो दो
यूँ दोस्त तो हमारे लाखों हैं इस जहाँ में,, फेस बुक हो या हो ट्विटर ,
मिलने जुलने वाले कितने भी हो , पर दोस्ती हर एक से नहीं होती ,
दोस्ती तो एक अहसास एक कसक सी दिल में हरदम चुभती है
दोस्ती होने की वजह कोई खास नहीं, यह तो दुश्मनी में होती है
सिर्फ दिल मिलना चाहिए
दिल दोस्तों से मिले या दुश्मनो से। .
दोस्ती के नाम पे . मिलने तो दो
दोस्ती वो नहीं जो जान देती है,
दोस्ती वो भी नहीं जो जान लेती है,
दोस्तों, सच्ची दोस्ती तो वो है,
जो पानी में गिरा हुआ दोस्त का
आंसू भी पहचान लेती ही ।
दोस्तों के बिना भी ज़िन्दगी कटती नहीं,
दोस्ती तो एक झोंका है एक सर्द हवा का,
दोस्ती तो एक नाम है वफा का,
जिसके पास हैं दोस्त उसे किस बात की फ़िक्र
इन फ़िक्रों को बांटने का जश्न है दोस्ती
इस जश्न को हमेशा चलने तो दो। ........
रिश्तो का जोड़ तोड़ अगर मानो शादी है तो
लड़के लड़की का सहमत होना भी दोस्ती है
घर की चार दीवारी के बाहर गर कोई चाहने लगे
वही भी तो दोस्ती है ,
दोस्ती जब रिश्तों में बदल जाए , ( प्रेमी प्रेमिका - पति पत्नी गर हो जाएँ तो )
वही से शुरू है आपकी कश्मकश और इस दोस्ती को बचाने की लड़ाई।
पत्नी से दोस्ती तो निभा भी लोगे आप ,
गर गलती से उसकी सहेली से दोस्ती की तो ?
सोचो कितना बवाल होगा ?
इस लिए ऐसी दोस्ती से दूर ही रहिये
*अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे*
प्रॉमिस न करो अगर तुम पूरा कर न सको,
चाहो न उसको जिसे तुम पा ना सको,
दोस्त तो दुनिया में बहुत होते हैं,
पर एक खास रखो जिसके बिना तुम मुस्कुरा ना सको।
बिगड़ी हुई ज़िन्दगी की बस इतनी सी कहानी है,
की कुछ तो मैं पहले से ही था कमीना,
और कुछ मेरे दोस्तो की मेहरबानी है।
गुनगुनाना तो तकदीर में लिख कर लाये थे,
मगर खिलखिलाना दोस्तो ने तोहफे में दे दिया।
दोस्त बस एक बनाना,
जो तुम्हारे अल्फाज़ो से ज़्यादा,
तुम्हारी खामोशी समझे।
बुल्ले शाह जी ने फ़रमाया सी
उन्हां दे नाल यारी कदी न रखियो ,
जिस नूं अपने ते गरूर होवे
माँ बाप नू कदी बुरा न आखियो ,
चाहे लख उन्हां दा कसूर होवे।
राह चलदे नू दिल कदी ना दइओ ,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे ,
ओ बुल्लिआ
दोस्ती सिर्फ उत्थे कारिओ ,
जित्थे दोस्ती निभाउँन दा दस्तूर होवे
एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से पूछा,
की दोस्ती का क्या मतलब है,
तो दूसरे दोस्त ने मुस्कुरा कर कहा,
अरे यार, एक दोस्ती ही तो है
जिसमें कोई मतलब नही होता,
और जहां मतलब होता है वहाँ दोस्ती नही होती।
जिंदगी भी क्या अज़ीब मोड़ लेती है,
एक वक्त ऐसा था जब हम कहते थे,
चलो मिल कर कुछ प्लान बनाते हैं,
और अब कहते हैं, चलो
कुछ मिलने का प्लान बनाते हैं।
पैरों में हवाई चप्पल कंधे पर दोस्त का हाथ,
जेबो में सिर्फ चिल्लर और मुँह पर लाखों की बात,
उन दिनों सिर्फ दौलत का मतलब था,
सिर्फ दोस्त का साथ,
अब थोड़े बड़े क्या हुए
बदल गए हैं हालात, की अब तो दोस्त हैं
सब Online
ऑफ़ लाइन मिलपाना तो जैसे है बड़ी दूर की बात.
ये दोस्ती का बन्धन कितना अज़ीब होता है,
मिल जाएं तो बातें लम्बी, और बिछड़ जाएं तो यादे लम्बी।
नब्ज मेरी देख हकीम ने बीमार लिख दिया ,
मर्ज़ मेरा उसने " दोस्तों से न मिल पाना लिख दिया ,
बड़े शुक्रगुजार हैं उस हकीम साहिब के ,हम
जिसने दवा में दोस्तों का साथ लिख दिया
कमजोरियां न ढून्ढ मुझ में तू दोस्त मेरे
एक तू भी तो शामिल हैं उन कमजोरिओं में
दोस्ती तो यकीन पर खड़ी होती है,
पर ये यकीन होता बड़ी मुश्किल से है,
कभी फुर्सत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तों की,
लिखा है दोस्ती कभी बड़ी नहीं होती ,
इसे निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं
दोस्ती खून के रिश्तों से भी बड़ी होती है।
हमनें कहा ऐ बारिश ज़रा थम के बरस।
जब मेरा दोस्त आ जाये तो जम के बरस लेना
पहले ना बरस की वो आ ना सके।
उसके आने के बाद इतना बरस की वो जा ना सके।
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
अहमद फ़राज
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल हर कमी के साथ
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
ज़िंदगी के उदास लम्हों में
बेवफ़ा दोस्त याद आते हैं
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्ती मौसम नहीं जो अपनी मुद्दत पूरी करे और रुखसत हो जाए
दोस्ती वो सावन भी नहीं ,जो टूट कर बरसे और फिर थम जाए ?
दोस्ती आग भी नहीं ,जो सुलगे , भड़के , फिर राख हो जाए ?
दोस्ती आफ़ताब भी नहीं , जो चमके जोर से फिर डूब जाए
दोस्ती वोह फूल भी नहीं जो खिले और मुरझा जाए ?
अरे भाई दोस्ती तो सांस है दोस्तों की
( मैंने सांस बोला है सास नहीं ) सास मायने मदर इन लॉ
दोस्ती तो सांस हैं दोस्तों की ,जब तक चले तो सब कुछ है ,
रुके तो समझो सब खत्म।
जिन्दगी रही तो बार - बार मिलेंगे दोस्त...
कभी इस "बार" में,
तो कभी उस "बार" में...
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती की याद से शुरू होती है..…
मेरी हर सुबह.!!
फिर ये कैसे कह दूँ..कि मेरा दिन खराब है.
मुद्दतें गुज़र गईं, हिसाब नहीं किया ;दोस्तों से
ना जाने अब किसके कितने रह गए हैं हम.
एक सच्चे दोस्त की फितरत का नाम है , दोस्ती ,
और दोस्त एक ऐसा चोर है
जो आँखों से आंसू चुरा ले
चेहरे की परेशानी चुरा ले,
दिल की मायूसी , जिंदगी के रज्जो गम ,
और
बस चले तो आपके हाथों की लकीरों से मौत चुरा ले।
पर अफ़सोस ,अरसा हुआ ऐसे दोस्तों से वास्ता पड़े हुए ,
मिल जाते तो क्या उन्हें आपसे न मिलवाते ?
जब वकील की तरह सोचता हूँ, दोस्तो पर मुकदमा क्यों न कर दूं,
कम से कम इसी बहाने हर तारिख पर मुलाकातें तो होंगी ।
भीड़ बहुत थी जहाँ में कदम कदम पे ,
निगाहें भी निगहबान थी कुछ ढूंढ़ती सी ,
धक्का मुक्की में गिरते गिरते जो सम्भले
जिसकी बाहों में , वही तो मेरा दोस्त था।
आज फिर अदबी दोस्तों की महफ़िल है
दिए भी जलेंगे इस सर्द तूफ़ान में ,
महफिले भी सजेंगी किसी पैगाम में ,
बड़ी मस्त और रंगीन होगी यह शाम ,
नया साल जो आने को है ?
दोस्तों को मेरे ,जरा सरूर में आने तो दो
बेजुबान दिल कैसे कहेगा किस से कहेगा ?
है तो सही जुबान आपके पास ,
दोस्त और दोस्ती का क्या सबब ?
इसको कुछ बतलाने तो दो
यूँ सबसे नजरें चुरा कर अपनी धुन में चलते रहना ?
क्या मुनासिब है इतनी भीड़ में भी अकेले रहना
दिल से दिल की झंकार कुछ कहे ,
दोस्ती में ख़ामोशी का क्या काम
कुछ हम कहें कुछ तुम कहो ,
यह सिलसिला कुछ दूर तक चलने तो दो
संग रहते यूँ ही, मुश्किल वक्त निकल जायेगा,
तन्हाईआं भी आएँगी तुम्हारी जिंदगी में ,
बुरे वक्त का इतना खौफ न कर ?
एक सच्चे दोस्त की दोस्ती ,
एक रिश्ता है रिश्तों से भी बढ़ कर
ऐसा न मुराद वक्त जिंदगी में आने तो दो
कौन किसके बारे में सोचेगा कौन याद आयेगा,
जी लो इस पल को जब तक हम सब दोस्त साथ हैं
यारों, कल क्या पता वक़्त कहाँ ले के जाये।
छोड़ भी दो वक्त के आने जाने का इंतज़ार।
अब इस इंतज़ार को ,
इसी पल में ,सिमट जाने तो दो
सलाह है हमारी ,दिल खोल सबसे मिला कीजिये ,
जिस से मिलो , तो कुछ तमीज दिखाया कीजिये ,
न मालूम जिंदगी के किस मोड़ पर , इसी भीड़ में
इन्हीं में तुम्हें एक प्यारा सा जिगरी दोस्त मिल जाये,
तुम्हारी तमीज देख कर
इस कोशिश को निर्बाध , लगातार , चलने तो दो
यूँ दोस्त तो हमारे लाखों हैं इस जहाँ में,, फेस बुक हो या हो ट्विटर ,
मिलने जुलने वाले कितने भी हो , पर दोस्ती हर एक से नहीं होती ,
दोस्ती तो एक अहसास एक कसक सी दिल में हरदम चुभती है
दोस्ती होने की वजह कोई खास नहीं, यह तो दुश्मनी में होती है
सिर्फ दिल मिलना चाहिए
दिल दोस्तों से मिले या दुश्मनो से। .
दोस्ती के नाम पे . मिलने तो दो
दोस्ती वो नहीं जो जान देती है,
दोस्ती वो भी नहीं जो जान लेती है,
दोस्तों, सच्ची दोस्ती तो वो है,
जो पानी में गिरा हुआ दोस्त का
आंसू भी पहचान लेती ही ।
दोस्तों के बिना भी ज़िन्दगी कटती नहीं,
दोस्ती तो एक झोंका है एक सर्द हवा का,
दोस्ती तो एक नाम है वफा का,
जिसके पास हैं दोस्त उसे किस बात की फ़िक्र
इन फ़िक्रों को बांटने का जश्न है दोस्ती
इस जश्न को हमेशा चलने तो दो। ........
रिश्तो का जोड़ तोड़ अगर मानो शादी है तो
लड़के लड़की का सहमत होना भी दोस्ती है
घर की चार दीवारी के बाहर गर कोई चाहने लगे
वही भी तो दोस्ती है ,
दोस्ती जब रिश्तों में बदल जाए , ( प्रेमी प्रेमिका - पति पत्नी गर हो जाएँ तो )
वही से शुरू है आपकी कश्मकश और इस दोस्ती को बचाने की लड़ाई।
पत्नी से दोस्ती तो निभा भी लोगे आप ,
गर गलती से उसकी सहेली से दोस्ती की तो ?
सोचो कितना बवाल होगा ?
इस लिए ऐसी दोस्ती से दूर ही रहिये
*अगर आप किसी को छोटा देख रहे हो तो आप उसे*
*या तो “दूर” से देख रहे हो*
*या अपने “गुरुर” से देख रहे हैं!!
दोस्ती में नजर दरुस्त रखिये
चश्मे का नंबर भले ही बदलो ,
पर दोस्ती का नजरिया मत बदलो
*या अपने “गुरुर” से देख रहे हैं!!
दोस्ती में नजर दरुस्त रखिये
चश्मे का नंबर भले ही बदलो ,
पर दोस्ती का नजरिया मत बदलो
प्रॉमिस न करो अगर तुम पूरा कर न सको,
चाहो न उसको जिसे तुम पा ना सको,
दोस्त तो दुनिया में बहुत होते हैं,
पर एक खास रखो जिसके बिना तुम मुस्कुरा ना सको।
बिगड़ी हुई ज़िन्दगी की बस इतनी सी कहानी है,
की कुछ तो मैं पहले से ही था कमीना,
और कुछ मेरे दोस्तो की मेहरबानी है।
गुनगुनाना तो तकदीर में लिख कर लाये थे,
मगर खिलखिलाना दोस्तो ने तोहफे में दे दिया।
दोस्त बस एक बनाना,
जो तुम्हारे अल्फाज़ो से ज़्यादा,
तुम्हारी खामोशी समझे।
बुल्ले शाह जी ने फ़रमाया सी
उन्हां दे नाल यारी कदी न रखियो ,
जिस नूं अपने ते गरूर होवे
माँ बाप नू कदी बुरा न आखियो ,
चाहे लख उन्हां दा कसूर होवे।
राह चलदे नू दिल कदी ना दइओ ,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे ,
ओ बुल्लिआ
दोस्ती सिर्फ उत्थे कारिओ ,
जित्थे दोस्ती निभाउँन दा दस्तूर होवे
एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से पूछा,
की दोस्ती का क्या मतलब है,
तो दूसरे दोस्त ने मुस्कुरा कर कहा,
अरे यार, एक दोस्ती ही तो है
जिसमें कोई मतलब नही होता,
और जहां मतलब होता है वहाँ दोस्ती नही होती।
जिंदगी भी क्या अज़ीब मोड़ लेती है,
एक वक्त ऐसा था जब हम कहते थे,
चलो मिल कर कुछ प्लान बनाते हैं,
और अब कहते हैं, चलो
कुछ मिलने का प्लान बनाते हैं।
पैरों में हवाई चप्पल कंधे पर दोस्त का हाथ,
जेबो में सिर्फ चिल्लर और मुँह पर लाखों की बात,
उन दिनों सिर्फ दौलत का मतलब था,
सिर्फ दोस्त का साथ,
अब थोड़े बड़े क्या हुए
बदल गए हैं हालात, की अब तो दोस्त हैं
सब Online
ऑफ़ लाइन मिलपाना तो जैसे है बड़ी दूर की बात.
ये दोस्ती का बन्धन कितना अज़ीब होता है,
मिल जाएं तो बातें लम्बी, और बिछड़ जाएं तो यादे लम्बी।
नब्ज मेरी देख हकीम ने बीमार लिख दिया ,
मर्ज़ मेरा उसने " दोस्तों से न मिल पाना लिख दिया ,
बड़े शुक्रगुजार हैं उस हकीम साहिब के ,हम
जिसने दवा में दोस्तों का साथ लिख दिया
कमजोरियां न ढून्ढ मुझ में तू दोस्त मेरे
एक तू भी तो शामिल हैं उन कमजोरिओं में
दोस्ती तो यकीन पर खड़ी होती है,
पर ये यकीन होता बड़ी मुश्किल से है,
कभी फुर्सत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तों की,
लिखा है दोस्ती कभी बड़ी नहीं होती ,
इसे निभाने वाले हमेशा बड़े होते हैं
दोस्ती खून के रिश्तों से भी बड़ी होती है।
हमनें कहा ऐ बारिश ज़रा थम के बरस।
जब मेरा दोस्त आ जाये तो जम के बरस लेना
पहले ना बरस की वो आ ना सके।
उसके आने के बाद इतना बरस की वो जा ना सके।
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
अहमद फ़राज
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल हर कमी के साथ
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
सुना है खुदा के दरबार से कुछ फरिश्ते फरार हो गए
कुछ तो शायद वापिस चले गए , बाकि हमारे यार हो गए
ज़िंदगी के उदास लम्हों में
बेवफ़ा दोस्त याद आते हैं
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त (नासेह) advisors
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार तो होता
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त हमेशा मान लेते हैं
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त (नासेह) advisors
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार तो होता
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त हमेशा मान लेते हैं
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया
दोस्ती मौसम नहीं जो अपनी मुद्दत पूरी करे और रुखसत हो जाए
दोस्ती वो सावन भी नहीं ,जो टूट कर बरसे और फिर थम जाए ?
दोस्ती आग भी नहीं ,जो सुलगे , भड़के , फिर राख हो जाए ?
दोस्ती आफ़ताब भी नहीं , जो चमके जोर से फिर डूब जाए
दोस्ती वोह फूल भी नहीं जो खिले और मुरझा जाए ?
अरे भाई दोस्ती तो सांस है दोस्तों की
( मैंने सांस बोला है सास नहीं ) सास मायने मदर इन लॉ
दोस्ती तो सांस हैं दोस्तों की ,जब तक चले तो सब कुछ है ,
रुके तो समझो सब खत्म।
जिन्दगी रही तो बार - बार मिलेंगे दोस्त...
कभी इस "बार" में,
तो कभी उस "बार" में...