Tuesday, August 4, 2020

मेरे कुछ अनकहे अनसुने और अधजले संस्मरण ------August 4.2020

मेरे कुछ अनकहे अनसुने और अधजले संस्मरण 

1
 कभी साथ बैठो.
तो कहूँ कि दर्द क्या है...
अब यूँ दूर से फ़ोन पे पूछोगे.
तो ख़ैरियत ही कहेंगे...

2.मेरा दुःख तो किसी ने बांटा नहीं ,
 तनहा ही रहा , सिसकता हुआ 
पर सुख जैसे ही मेरा आया ,
न जाने कांच सा  कितनों को चुभ गया..!

3. 
आईना आज फिरसे , झूट बोल गया 
दिल में दर्द था और चेहरा,
हंसता हुआ दिखा  गया...

  4.
 वक्त, ऐतबार और इज्जत,
  ऐसे परिंदे हैं..उनकी रफ़्तार भी  ,
   जो एक बार उड़ जायें
    तो वापस कभी नहीं आते...

5.
 दुनिया तो एक ही है,
 फिर भी सबकी अलग है...
 आप मेरी दुनिया में आएं। 
तभी तो फर्क जान पाओगे 

6.
 दरख्तों से रिश्तों का,
 हुनर सीख लो मेरे दोस्त..
 जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,
 तो टहनियाँ भी सूख जाती
   हैं

7.
 कुछ रिश्ते हैं,
...इसलिये तो चुप हैं । 
कुछ चुप हैं,
...इसलिये तो रिश्ते हैं ।।



लड़ झगड़ कर  ही सही ,
तुझसे उलझते रहना भी तो ,
तबादले ख्यालात है ?
तुम चाहो तो इश्क समझ लो?
लड़ झगड़ ....कर ही सही...!!

मोहब्बत और मौत की,
खुदगर्जी तो देखिए..
एक को दिल चाहिए,
और दूसरे को धड़कन...

9.
 जब जब तुम्हारा हौसला,
सातवें आसमान पे जायेगा.. 
होशियार रहना। .... 
 तब तब कोई, तुम्हारा अपना ही 
खींच कर वापिस जमीन पे लाएगा ..

10.
 हज़ार जवाबों से,
अच्छी है ख़ामोशी साहेब..
ना जाने कितने सवालों की, 
आबरू तो रखती है...


11


.         पैर की  मोच 
                और 
           छोटी   सोच, 
             हमें   आगे 
         बढ़ने   नहीं   देती । 


😔😔😔😔😔😔😔😔


          टूटी   कलम 
                  और 
         औरो   से   जलन ,
         खुद   का   भाग्य 
         लिखने   नहीं   देती । 


😔😔😔😔😔😔😔😔

           काम   का   आलस 
                   और 
           पैसो   का   लालच ,
                हमें   महान 
           बनने   नहीं   देता । 

😔😔😔😔😔😔😔😔


👌दुनिया   में   सब   चीज 
            मिल जाती   है,......
      केवल अपनी   गलती 
            नहीं   मिलती..

😔😔😔😔😔😔😔😔


" जितनी   भीड़,
     बढ़ रही
       ज़माने   में........।
         लोग   उतनें   ही ,
           अकेले   होते
             जा   रहे   हैं......।।।

😔😔😔😔😔😔😔😔


इस दुनिया   के
   लोग भी   कितने
      अजीब   है   ना ;

          सारे   खिलौने
             छोड़   कर
                जज़बातों   से
                   खेलते   हैं........

😔😔😔😔😔😔😔😔

किनारे   पर तैरने   वाली
   लाश को   देखकर
      ये   समझ आया........
         बोझ शरीर का  नही
            साँसों   का   था......

😔😔😔😔😔😔
    
 "सफर का मजा लेना हो तो ,
साथ में सामान कम रखिए
और
जिंदगी का मजा लेना हैं तो ,
दिल में अरमान कम रखिए !!

👌👌👌👌👌😇😇

तज़ुर्बा है मेरा.... मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,

संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!

👌👌👌👌😇😇

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,

यहाँ से जिन्दा बचकर तो कोई जायेगा नहीं !

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....

जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते ही रह गए...

👌👌👌👌👌👌👌

पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है;
             
लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता......

👌👌👌👌👌👌👌👌

कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....

पर रोटी की साईज़ लगभग  सब घर में एक जैसी ही होती है। 


  :👌 शानदार बात👌


इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,

और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले...
                    
‬👌👌👌👌👌😇😇

कर्मो' से ही पहेचान होती है इंसानो की...

महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में !!..


मुझे नही पता कि मैं एक बेहतरीन ग्रुप मेंबर हूँ या नही...
लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि
मैं जिस ग्रुप में हूँ उसके सारे मेंबर...

बहुत बेहतरीन हैं......🌹🌹👏


 😘: "इच्छायें-मनुष्य"
            को जीने नहीं देती
                     और
            "मनुष्य-इच्छाओं"
          को मरने नहीं देता.....✍🏻

 😘: पत्नी: "अगर आप लॉटरी से 1 करोड़ जीत गए लेकिन मुझे 1 करोड़ की फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया, तो आप क्या करेंगे?"

पति: "अच्छा सवाल है, लेकिन मुझे शक है कि एक ही दिन में मेरी दो बार लॉटरी  कैसे लग सकती है ".....😃😂

😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄😄
एक आदमी अस्पताल में
आखिरी सांसें गिन रहा था।

एक नर्स
और उसके परिवार वाले
उसके बिस्तर के पास
खड़े थे।

आदमी अपने बड़े बेटे से बोला:
-बेटा, तू मेरे
मिलेनियम सिटी वाले
15 बंगले ले ले।

बेटी से बोला:
-बेटी,
तू सोनीपत सेक्टर 14 के
बंगले ले ले।

छोटे बेटे से बोला:
-तू सबसे छोटा है
और मुझे सबसे ज्यादा
प्यारा भी है,
इसलिए
तुझे मैं
ग्रीन पार्क की
20 दुकानें देता हूं।

आखिर में आदमी
अपनी पत्नी से बोला:
-मेरे बाद
तुम्हें पैसों के लिए
किसी का मुंह न ताकना पड़े,

इसलिए
डीएलएफ वाले
12 फ्लैट
 तुम अपने पास रख लो।

पास में खड़ी नर्स
यह सब सुनकर
आदमी की पत्नी से बोली:
-आप बहुत भाग्यशाली हैं कि 
आपको
इतने अमीर पति मिले,

जो इतनी सारी जायदाद देकर जा रहे हैं।
.
.
.
आदमी की पत्नी:
-कौन अमीर..??
कैसी जायदाद..???
अरे, ये पेपर वाला हैं...

हम सबको
सुबह-सुबह
पेपर ङालने की जिम्मेदारियां
बांट रहे हैं!!!


नर्स  आज तक कोमा मे है


Rajinder Nagpal 😘: 

चूहा अगर पत्थर का हो तो
             सब उसे पूजते हैं

      मगर जिन्दा हो तो मारे बिना
              चैन नहीं लेते हैं

         साँप अगर पत्थर का हो
            तो सब उसे पूजते हैं

       मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त
                   मार देते हैं

       माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो
               तो सब पूजते हैं

       मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं
                    समझते"

       बस यही समझ नहीं आता के
       ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों

                       और

        पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों

          जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को
           कंधा देना पुण्य समझते हैं​

       काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान
       को सहारा देंना पुण्य  समझने
        लगे तो ज़िन्दगी आसान हो
                    जायेगी​

        एक बार जरूर सोचिए


अगर शहद जैसा मीठा परिणाम चाहिए तो

मधुमक्खियों की तरह एक रहना जरूरी है 


चाहे वो दोस्ती हो परिवार हो या अपना मुल्क़ हो।


😘: आज सुबह सुबह थोड़ा सा आध्यात्मिक हो गया और आंखें बंद करके सोचने लगा: 😊

कौन हूँ मैं?
कहाँ से आया हूँ?
क्यों आया हूँ?

तभी किचन से आवाज़ आई-
“एक नम्बर के आलसी हो तुम, 
पता नहीं कौन सी दुनिया से मेरा वक्त खराब करने यहाँ आये हो, 
उठो और नहाने जाओ."

मेरे तीनों प्रश्नों का बिन मांगे उत्तर मिलने से मुझे संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो गई.
😩🤗
 एक-एक भिंडी को प्यार से धोते पोंछते हुये काट रहे थे। अचानक एक भिंडी के ऊपरी हिस्से में छेद दिख गया, सोचा भिंडी खराब हो गई, फेंक दे.... लेकिन नहीं, ऊपर से थोड़ा काटा, कटे हुये हिस्से को फेंक दिया। फिर ध्यान से बची भिंडी को देखा, शायद कुछ और हिस्सा खराब था, थोड़ा और काटा और फेंक दिया ।                           फिर तसल्ली की, बाक़ी भिंडी ठीक है कि नहीं...  तसल्ली होने पर काट के सब्ज़ी बनाने के लिये रखी भिंडी में मिला दिया।

वाह क्या बात है...! पच्चीस पैसे की भिंडी को भी हम कितने ख्याल से, ध्यान से सुधारते हैं । प्यार से काटते हैं, जितना हिस्सा सड़ा है उतना ही काट के अलग करते हैं, बाक़ी अच्छे हिस्से को स्वीकार कर लेते हैं।

ये क़ाबिले तारीफ है...लेकिन अफसोस ! इंसानों के लिये कठोर हो जाते हैं, एक ग़लती दिखी नहीं कि उसके पूरे व्यक्तित्व को काट के फेंक देते हैं । उसके बरसों के अच्छे कार्यों को दरकिनार कर देते हैं। महज अपने ईगो को संतुष्ट करने के लिए उससे हर नाता तोड़ देते हैं।

क्या आदमी की कीमत पच्चीस पैसे की एक भिंडी से भी कम हो गई है...? 



दलीप कुमार और विनम्रता
===============
दलीप कुमार  कहते हैं ... "अपने करियर के चरम पर, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था। मेरे बगल वाली सीट पे एक साधारण से सज्जन व्यक्ति बैठे थे, जिसने एक साधारण शर्ट और पैंट पहन रखी थी। वह मध्यम वर्ग का लग रहा था, और बेहद शिक्षित दिख रहा था।

अन्य यात्री मुझे पहचान रहे थे कि मैं कौन हूँ, लेकिन यह सज्जन मेरी उपस्थिति के प्रति अनजान लग रहे थे ... वह अपना पेपर पढ़ रहे थे, खिड़की से बाहर देख रहे थे, और जब चाय परोसी गई, तो उन्होंने इसे चुपचाप पी लिया ।

उसके साथ बातचीत करने की कोशिश में मैं उन्हें देख मुस्कुराया। वह आदमी मेरी ओर देख विनम्रता से मुस्कुराया और 'हैलो' कहा।

हमारी बातचीत शुरू हुई और मैंने सिनेमा और फिल्मों के विषय को उठाया और पूछा, 'क्या आप फिल्में देखते हैं?'

आदमी ने जवाब दिया, 'ओह, बहुत कम। मैंने कई साल पहले एक फिल्म देखा था। '

मैंने उल्लेख किया कि मैंने फिल्म उद्योग में काम किया है।

आदमी ने जवाब दिया .. "ओह, यह अच्छा है। आप क्या करते हैं?"

मैंने जवाब दिया, 'मैं एक अभिनेता हूं'

आदमी ने सिर हिलाया, 'ओह, यह अद्भुत है!' तो यह बात हैं ...
जब हम उतरे, तो मैंने हाथ मिलाते हुए कहा, "आपके साथ यात्रा करना अच्छा था। वैसे, मेरा नाम दलीप कुमार है !"
उस आदमी ने हाथ मिलाते हुए मुस्कुराया, "थैंक्यू ... आपसे मिलकर अच्छा लगा..मैं जे आर डी टाटा (टाटा का चेयरमैन) हूं!"
मैंने उस दिन सीखा कि आप चाहे कितने भी बड़े हो।हमेशा आप से कोई *बड़ा* होता है।
*नम्र बनो, इसमें कुछ भी खर्च 

"नाराज़गी" भी एक खूबसूरत रिश्ता है।

जिससे होती है,

वह व्यक्ति दिल और दिमाग, दोनों में रहता है।

कितना सटीक है यह विश्लेषण 
दुनिया में सबसे बड़ा धन बुद्धि  धन होता है यानी की विजडम 
सबसे बड़ा हथियार संयम है जिसके पास यह पेशेंस है उसे कोई हरा नहीं सकता 
सबसे बड़ी हमारी सुरक्षा है हमारा विश्वास , कुछ भी कर गुजरने का 
ऊपर बताई विशेषताओं को पाने का एक मात्र रास्ता है खूब खुश रहना और हँसते हंसाते रहना 

The District Magistrate was giving a lecture on the benefit of vasectomy in a village.
After finishing he asked: "Do you have any questions. Without any hesitation, you can ask me".
A villager stood up and asked: "Have you got your vasectomy done?"
DM: "No, I have not got it done".
villager: "Has the Commissioner got it done?.
DM: "As far as I know, he has not got it done".
Villager: "Has the secretary to the minister has got it done?"
DM: "I get your point. Look we are educated people and can do family planning ourselves without undergoing Vasectomy procedure."
Villager: "F u... ..ckers, Then educate us. Why are you after our pricks?"

This is ribs cracking🤣🤣🤣🤣

A woman and a man were involved in a car accident.

It was a  bad one, caused by the woman's reckless driving.

Both of their cars were badly damaged but amazingly neither of them was hurt.

After they crawled out of ... cars, the woman says;

“So, you're a man. That's interesting. I'm a woman.

Wow, just look at our cars! There's nothing left, but fortunately, we are unhurt.

This must be a sign from God that we should meet and be friends and live together in peace for the rest of our days."

The man replied," I agree with you completely. This must be a sign from God!

The woman continued, "And look at this, here's another miracle.

My car is completely damaged, but this bottle of wine didn't break.

Surely God wants us to drink this wine and celebrate our good fortune." 

Then she handed the bottle over to the man.
The man nodded his head in agreement, opens it, drinks half the bottle and then handed it back to the woman.

The woman takes the bottle, immediately puts the cap back on, and handed it back to the man.

The man asks, "Aren't you having any?"

She replies, "Nah. I think I'll just wait for the police to come and collect their evidence."
(drunk driver's offence)

Adam ate the apple again!
😜😜😜😜😜😜😜

Men will NEVER learn!

Women will Never change!!!

😀😀😀😀😀😀😀😀😀

Don't laugh alone. Kindly put a smile on someone else's face.

कल मेरा एक जिगरी यार मुझ से नाराज़ हो गया..... बेतहाशा नाराज़।।।😡😡😡

गलती मेरी ही थी ..... वजह भी बड़ी वाजिब थी। 😬😬 

बात ये हुई कि उनकी पत्नी यानी हमारी प्रिय भाभी जी दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। एक कोई  अस्थि (हड्डी) टूट गयी थी। 

एक प्रसिद्ध अस्थिरोग विशेषज्ञ से संपर्क व परामर्श हुआ।

आपरेशन होगा ये तय हो गया। 
दोस्त टेंशन में था ।

मैंने पूछा खर्चा तो काफ़ी हो जाएगा ना ? 

हां... दोस्त ने सर हिलाया।।

मैंने फिर पूछा : लाखों में ?

दोस्त ने फिर हाँ कहा.....।

बस यहीं मैं गड़बड़ कर बैठा ..... जब मज़ाक में ..... दोस्त का टेंशन दूर कर के उसे हंसाने के लिए मुंह से निकल गया कि ...... इतने में तो दूसरी आ जाती यार ।।

मेरा दोस्त भड़क गया ।

यार का गुस्सा होना तो बनता ही है....ऐसे टेंशन वाले माहौल में..... 

उसने एक थप्पड़ मारा और दांत भींच के बोला " .. कमीने..कुत्ते....
.
.
.
अब बता रहा है जब जमा करवा दिये हैं 😛😝😜


चाँद की चमक  बस एक रात तक है,
सूरज की गर्मी भी सिर्फ   दिन तक है,
पर दोस्ती में दिन रात एक जैसे होते हैं
क्यूंकि दोस्ती की हद, तो 
आखिरी सांस तक होती है

**
जिंदगी और घर में अपनों का होना बहुत जरूरी है,
वर्ना कितना भी एशियन पेन्ट करवा लो,
दीवारें कभी नहीं बोलतीं.


वो चाहते हैं जी भर के प्यार करना..
हम सोचते हैं वो प्यार ही क्या जिससे जी भर जाए..


**
पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ़ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया।
मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहीन समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता।

लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही।
मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया।


पति-पत्नी के हाथ में तलाक के काग़ज़ों की प्रति थी।
दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार।
मुकदमा दो साल तक चला था।
अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................


यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे , कोल्ड ड्रिंक्स लिया।
यह भी महज़ इत्तेफाक ही था कि तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे।
लकड़ी की बेंच और वो दोनों .......

''कांग्रेच्यूलेशन .... आप जो चाहते थे वही हुआ ....'' स्त्री ने कहा।
''तुम्हें भी बधाई ..... तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल की ....'' पुरुष बोला।
''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है????'' स्त्री ने पूछा।
''तुम बताओ?''
पुरुष के पूछने पर स्त्री ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था....      
अच्छा हुआ.... अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा।''

''वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था'' पुरुष बोला। ''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेली है'', स्त्री की आवाज़ सपाट थी न दुःख, न गुस्सा।
''जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' पुरुष ने कहा।

स्त्री चुप रही, उसने एक बार पुरुष को देखा।
कुछ पल चुप रहने के बाद पुरुष ने गहरी साँस ली और कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।''

''गलत कहा था''.... पुरुष की ओऱ देखती हुई स्त्री बोली।
कुछ देर चुप रही फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप लगाती लेकिन मैं नहीं...''
प्लास्टिक के कप में चाय आ गई।
स्त्री ने चाय उठाई, चाय ज़रा-सी छलकी। गर्म चाय स्त्री के हाथ पर गिरी।
स्सी... की आवाज़ निकली।
पुरुष के गले में उसी क्षण 'ओह' की आवाज़ निकली। स्त्री ने पुरुष को देखा। पुरुष स्त्री को देखे जा रहा था।

''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?''
''ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम,'' स्त्री ने बात खत्म करनी चाही।
''तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती।'' पुरुष ने कहा तो स्त्री फीकी हँसी हँस दी।

''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े????'' स्त्री ने पूछा।
''अस्थमा।डॉक्टर सूरी ने स्ट्रेन... मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' पुरुष ने जानकारी दी।

स्त्री ने पुरुष को देखा, देखती रही एकटक। जैसे पुरुष के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो।
''इनहेलर तो लेते रहते हो न?'' स्त्री ने पुरुष के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा।

''हाँ, लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, '' पुरुष ने कहा।
''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है, '' स्त्री ने हमदर्द लहजे में कहा।

''हाँ, कुछ इस वजह से और कुछ...'' पुरुष कहते-कहते रुक गया।
''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' स्त्री ने बात पूरी की।

पुरुष कुछ सोचता रहा, फिर बोला, ''तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी।''
''हाँ... फिर?'' स्त्री ने पूछा।

''वसुंधरा में फ्लैट है... तुम्हें तो पता है। मैं उसे तुम्हारे नाम कर देता हूँ। चार लाख रुपए फिलहाल मेरे पास नहीं है।'' पुरुष ने अपने मन की बात कही।
''वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए होगी??? मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए....'' स्त्री ने स्पष्ट किया।

''बिटिया बड़ी होगी... सौ खर्च होते हैं....'' पुरुष ने कहा।
''वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे,'' स्त्री बोली।
''हाँ, ज़रूर दूँगा।''

''चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना,'' स्त्री ने कहा।
उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।

पुरुष उसका चेहरा देखता रहा....
कितनी सह्रदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।
स्त्री पुरुष को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे...

एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह वह बचाने चला आया था उसे। खुद तैरना नहीं आता था लाट साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करता रहा था... कितना अच्छा है... मैं ही खोट निकालती रही...''

पुरुष एकटक स्त्री को देख रहा था और सोच रहा था, ''कितना ध्यान रखती थी, स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था। हर महीने कंजूसी करती, पैसे बचाती, और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी। कितनी संवेदना थी इसमें। मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा। काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।''

दोनों चुप थे, बेहद चुप।
दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश।
दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे....
''मुझे एक बात कहनी है, '' उसकी आवाज़ में झिझक थी।
''कहो, '' स्त्री ने सजल आँखों से उसे देखा।
''डरता हूँ,'' पुरुष ने कहा।
''डरो मत। हो सकता है तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो,'' स्त्री ने कहा।
''तुम बहुत याद आती रही,'' पुरुष बोला।
''तुम भी,'' स्त्री ने कहा।
''मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ।''
''मैं भी.'' स्त्री ने कहा।
दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं।
दोनों की आवाज़ जज़्बाती और चेहरे मासूम।
''क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते?'' पुरुष ने पूछा।
''कौन-सा मोड़?''
''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति-पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।''
''ये पेपर?'' स्त्री ने पूछा।

''फाड़ देते हैं।'' पुरुष ने कहा औऱ अपने हाथ से तलाक के काग़ज़ात फाड़ दिए। फिर स्त्री ने भी वही किया। दोनों उठ खड़े हुए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे। दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति-पत्नी का था ।।
पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो ।


**

माँ की वो रसोई
मेरी माँ की वो रसोई
जिसको हम किचन नहीं
चौका कहते थे
माँ बनाती थी खाना
और हम उसके आस पास रहते थे ..

माँ ने
उस 4x4 के कोने को
बड़े सलिखे से सजाया था
कुछ पत्थर और कुछ तख्ते जुगाड़ कर
एक मॉडुलर किचेन बनाया था ..

माँ की उस रसोई में
खाने के साथ प्यार भी पकता था
कोई नहीं जाता था दर से खाली
वो चूल्हा सबका पेट भरता था ..

माँ कभी भी बिन नहाये
रसोई में ना जाती थी
कितनी भी सर्दी हो गहरी
माँ सबसे पहले उठ जाती थी
जो भी पकता था रसोई में
माँ भगवान् का भोग लगाती थी
फिर कही जाकर
हमारी बारी आती थी ..

उस सादे खाने में
प्रसाद सा स्वाद होता था
पकता था जो भी
बहुत ज्यादा, उसमें प्यार होता था ..
पहली रोटी गाय की
दूसरी कुत्ते के नाम की बनती थी
कंही कोई औचक आ गया द्वारे
ये सोच
कुछ रोटियाँ बेनाम भी पकतीं थीं ..
रसोई के उन चद डिब्बोँ और थैलों में
ना जाने कितनी जगह होती थी
भरे रहते थे सारे डिब्बे
चाहे कोई भी मंदी होती थी ..
कुछ डिब्बे चौके के
महमानों के आने पर ही खुलते थे
और हम सारे के सारे
रोज उन डिब्बों के इर्द गिर्द ही मिलते थे ..
हर त्यौहार करता था इन्तेजार
हर बात कुछ ख़ास होती थी
कभी मठ्ठी कभी गुंजिया
कभी घेबर की मिठास होती थी ..
माँ सबको गर्म गर्म खिलाकर
खुद सारा काम कर
आखिर में अक्सर खाती थी
सबको परोसती थी ताज़ा खाना वो
उसके हिस्से अक्सर बासी रोटी ही आती थी ..
बहुत कुछ बदला माँ के उस चौके में
चूल्हा स्टोव और फिर गैस आ गयी
ढिबरी लालटेन हट गयीं सारी
और फिर रोशन करने वाली टूब लाइट आ गयी ..
नहीं बदला तो माँ के हाथों का वो अनमोल स्वाद
जो अब भी उतना ही बेहिसाब होता है
कोई नहीं दूर तक मुकाबले में उस स्वाद के
वो संसार में सबसे अनोखा और लाजवाब होता है ..
अब भी अक्सर
माँ का वो पुराना चौका
बहुत याद आता है
अजीब सा सुकूं भरा एहसास होता है
मुँह और आँख दोनों में पानी आ जाता है ..
मेरी माँ की वो रसोई ..




हमेशा की तरह देहरादून की यह एक सर्द सुबह थी... सुबह के करीब 8:15 बजे थे... मैं पूरी तरह गरम कपड़ो से pack अपनी bullet से ऑफिस जा रहा था.... तभी रास्ते मे एक बूढ़े आदमी पे मेरी नज़र पड़ी... इस सर्दी मे भी कपड़ो के नाम पे उसके शरीर पे सिर्फ एक मामूली शर्ट और पाजामा था .. उसकी उम्र करीब 62 साल रही होगी.. शरीर बहुत दुबला पतला और कमज़ोर था.. जैसे हड्डियों का कोई ढांचा हो.. 


मुझे उसे देखकर आश्चर्य भी हुआ और हम दर्दी भी... मैंने उसके पास जाकर अपनी bike रोक कर पूछा, अरे..! क्या आप को सर्दी नहीं लगती .. आपने तो कुछ पहना ही नहीं है.. उस आदमी मेरी तरफ देखा और जैसे बहाना बनाकर कहा कि उसे ठंड नहीं लगती... तभी मुझे याद आया जब मेरी माँ बचपन मे मुझे गरम कपड़े पहनने के लिये कहती थी तो मै माँ से कहता था कि मुझे ठंड नहीं लगती और तब माँ मुझे ज़बरदस्ती गरम कपड़े पहनाते हुवे कहती थी, "बेटा ठंड तो लोहे को भी लगती है" ....उस समय तो नहीं लेकिन उम्र के साथ यह बात मुझे समझ में आने लगी थी.

.. खैर मैंने उस बूढ़े शक्स से कहा, मै आप के लिये कुछ गरम कपड़े लाकर दूँगा आप अपना फ़ोन नंबर दीजिए... उस बूढ़े ने झूठी मुस्कुराहट को अपने चेहरे पे फैलाते हुऐ जवाब दिया , साहब मैं मोबाइल फोन नहीं रखता ... मैंने कहा कैसी बात कर रहे हो आज कल तो मोबाइल बहुत ज़रूरी हो गया है और सस्ता भी है ... उसने फिर उसी झूठी मुस्कुराहट को संभालते हुऐ कहा,साहब मेरे पास मोबाइल खरीदने के पैसे नहीं है. मै एक पल को खामोश हो गया और फिर मैंने पूछा अच्छा आप क्या काम करते हो ...? साहब मै मज़दूरी कर के अपने परिवार को चलाता हूँ...

उस समय उसकी डूबती .. कमज़ोर आंखो मे मैंने ढेर सारे दुख... दर्द... और मेहरूमी को साफ साफ पढ़ा..और कुछ देर के लिये एक अजीब सी खामोशी ने मुझे अपनी मैंने ज़द मे ले लिया.. मैंने उसके रहने का पता पूछा और उसे यक़ीन दिलाया कि मै जल्दी ही उनसे मिलने आऊंगा... और मै bike start कर के ऑफिस के लिए चल दिया.. 

मैंने महसूस किया कि जैसे उस के सारे दुख दर्द आकर मेरी bike की पिछली सीट पर मुझ से चिपक कर बैठ गये हो.... मै office पहुंचा As usual office के ढेर सारे कामो के बीच दिन पंख लगा कर उड़ गया और आसमान के उस पार अपने घोसले मे जाकर छिप गया... शहर की आपाधापी के रसतो से गुज़रता हुआ, सर्दी की सहमी ठिठुरती शाम के बीच मै अपने घर मे घुसा... लेकिन सर्दी शायद पहले से ही खुली खिड़कियों से मेरे फ्लैट मे पहुंच गई थी... मैंने खिड़की दरवाज़ों के पर्दे खींचे ताकि सर्दी का थोड़ा असर कम हो ... और कपड़े बदलने के बाद Green tea बनायी और tea का mug लेकर TV ON किया ... 

TV पे मैंने अपना पसंदीदा कॉमेडी सीरियल" भाभी जी घर पे है" tune किया... और blanket मे घुस गया.. रात बढ़ने के साथ साथ सर्दी मे इज़ाफा हो रहा था... Serial देखते हुए मुझे विभूति नारायण, तिवारी, टील्लू, मलखान, ह्‍पपू सिंह जैसे मज़े के किरदारों मे भी बार बार वही सुबह वाले हड्डियों के ढांचे वाले कमज़ोर बूढ़े की मायूस और दर्द से भरी आंखे दिखायी दे रही थी... यह हादसा मेरे साथ पहली दफा नहीं हुआ था जब किसी अजनबी या ज़रूरत मंद का दुख मेरे घर मे मेर साथ आ गया था ...

 मेरे साथ अक्सर यह होता रहता है... मैंने किताबो मे पढ़ा है... लोगो से सुना है कि अगर आप किसी के दुख को समझते है... उसे महसूस कर पाते है ...तो यह यही अहसास हमे बाकी लोगो से अलग बनाता है और हमारे इंसान होने की गवाही देता है और यही छोटा सा अहसास शायद एक जानवर और हमारे दरमियान बड़ा फासला तय करता है...! खैर उस अजनबी के दुख से छुटकारा पाने का मेरे पास एक ही इलाज़ है कि जल्दी ही मै उसे कुछ गरम कपड़े देने जाऊंगा...तभी शायद दर्द से भरी वह आँखे मेरा पीछा छोड़ पाएंगी.... 



"किस्मत" करवाती हैं*
*"कठपुतली" का खेल जनाब..!*
*वरना....*
*"जिंदगी" के रंगमंच पर कोई भी *
*कलाकार "कमज़ोर" नहीं होता.!!

पति: इस महिने का खर्च ज्यादा है,
पत्नी : आप देखलो में ने सब हिसाब लिखा है,,.
3000: दुध
900: भ. ज. क. ख.
4500: सब्जी
1100: भ. ज. क. ख.
1800: धोबी
500:: भ. ज. क. ख.
3500: कामवाली,,
800:: भ. ज. क. ख.
6000: किराना
1500:: भ. ज. क. ख.
..
..
..
पति: यह ... " : भ. ज. क. ख. क्या है ?
..
..
..
😬😬😬😁😁😁😁पत्नी : भगवान जाने कहा खर्च हुए? ?




मैंने पुछा उस मूर्तिकार से " आप पत्थर से इतनी खूबसूरत मूर्ति कैसे तराश लेते हो"

शिल्पकार ने जवाब दिया " मूर्तियां तो पहले से पत्थर में छुपी है , मैं तो सिर्फ फालतू जमा पत्थर छील कर हटा देता हूँ "
उसकी बात से मुझे अहसास हो गया की हमारी हंसी ख़ुशी एक मूरत की तरह हमारे भीतर ही विधमान है , सिर्फ उसपे जमी चिंताओं की परत को ही तो हटाना है खुशियां खुद बी खुद बाहर  आ जाएँगी  

न जाने उस के दिल मैं कितनी महफिलें आबाद हों ? जो अकेला बैठा हो उसे तन्हा नहीं कहते 



न जाने उस के दिल में कितनी महफिलें आबाद थी , तनहा होने से पहले ?













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