Monday, November 21, 2011

दिल की गहराई से" FROM THE DEPTH OF MY HEART"






इस  दो  पल  की  ज़िन्दगी  में  तन्हाई  क्यूँ  हो जाती  है !

लोगों  को  हम  से हर दम ,  रुसवाई ही क्यों हो जाती है ?

लाख चाहो दुनिया  में  साथ  देने  वाले तो मिलते  नहीं !

क्या सोच कर  हमारे  साथ , हमारी  परछाई ही जुडी रहती है ? 

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पूरी  बोतल  न  सही , एक  जाम इस शाम के नाम  तो  हो  जाये ,

मिलना जरूरी  न  सही ,सिर्फ इक   दुआ  सलाम  तो  हो  जाये . ?

जिनकी कमबख्त ,  यादों  में  हम हर बार  बीमार  पड़ जाते  हैं ,

कम  से  कम  उन्हें मेरे असीम गम का गुमान तो हो जाये ........




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शीशा नाज़ुक था, जरा सी चोट लगते ही , टूट गया
 
ऐसे हादसे होते ही रहते हैं, गिला भी  क्या करते...?

अपनी किश्ती को भी, मिल जाता किनारा लेकिन
,
समुंदर भी जोश में था , मुखालिफ थी आबो  हवा , .

तूफानों के संग बह न जाते तो फिर क्या करते?????

 ...
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कितनी सचाई है इन शब्दों में ?
 यह दिल भी कितना उपजाऊ होता है न ?
क्यूंकि  यहाँ  जो  कुछ  भी  बोया  जाये 

उगता और  बढ़ता भी  ज़रूर  है .

फिर चाहे बीज प्यार का हो या नफरत का ? 

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‎"मैं पूरे  दिन का थका हुआ, तू तमाम शब् का जगा हुआ 

ज़रा ठहर जा इसी पड़ाव  पर, तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ "







किसी   के  इंतज़ार  में, सारा  वक़्त  गुज़ार  दिया  हमने ...

और  यह  वक़्त  गुज़र  गया, मेरा  इंतज़ार  किये  बगैर ..


मैं  बद 'दुआ  तो  दे  रहा  हूँ  उसे तहे दिल से  .
.
कि जिंदगी में  ''अब उसे मुझ  सा  कोई  न  मिले "


When AND is possible in life, why do we keep choosing OR?


Of course we can have spiritual abundance AND material abundance. Of course
 you can be a great mom AND a superb professional
 Of course you can be a value based person AND successful. Just think about it.
.. Would God create this AND that if only ONE was possible?'...!
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बिछड़  गए  तो  मिलने  की  आस भी  क्या  रखना ?

हवा  के  झोंकों का हिसाब  भी कोई  क्या  रखना ?

बस  इस  ख्याल  से  मुस्कुरा  दिया था  हम  ने .


कि अपनी  उदासी  से  किसी  को  उदास  क्या  करना ..

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तेरी जुस्तजू में ....!
मेरी जिंदगी इक मुसलसल सफ़र है
....और मंजिल है तू .........!
जो मंजिल तक पहुचूँ तो मंजिल ही चल दे ....."
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तुमेह किसने  कहा था ?
भरी दोपहरी में, सूरज की तरफ एकटक देखो,
और बिना  नज़र हटाय इतनी  देर  तक  देख
कि  बिनाई गर्मी से  पिघल ही  जाये ! 
तुम्हे  किस  ने  कहा  था ?
आसमान  की गिरती बिजलियों से यारी करने को ?
के अपना आशिअना ही जल कर राख़ हो  जाये ! 
तुम्हे  किस  ने  कहा  था ?...................
की एक  अनजाने  सफ़र  में............
एक अजनबी के  हमसफ़र बन जाओ?
और  इतनी  दूर निकल  जाओ कि
के  वो  रास्ता  बदल  दे????????


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सोच कर रखना हमारी सल्तनत मैं क़दम ,
कि पाँव तुम्हारे संभल ही न पायें ..................
..जितनी थे प्यार में अंधे सब जा गिरे हैं गर्क में
हमारी मोहब्बत कि क़ैद में ज़मानत ही नहीं होती .


हाथ  की लकीरें भी बदल जाती है , कड़ी मेहनत करने के बाद 
  1. और  सितारे  भी  चमकते  हैं  अँधेरा  हो  जाने  के  बाद ...
  2. ख्वाब  भी  हकीकत  बनते  हैं  रात  भर  जागने  के  बाद . .. 
  3. और  मंजिल  तक  पहुँचते  हैं , वो दुर्गम  रास्ते  तय करने के बाद       
  4. हाथ  की  लकीरें  बदलती  हैं  सिर्फ  मेहनत करने  के  बाद ... 

  5. Just do it!!!
  • Haath ki lakeerein badalti hain sirf mehnat karne ke baad... 
  • Aur sitaare bhi chamakte hain andhera ho jaane ke baad...
  • Khwaab bhi haqeekat bante hain raat bhar jaagne ke baad... 
  • Aur manzil tak pahunchte hain wo rasta tay karne ke baad... 
  • Just do it!!! there is no short cut to hard work 







  1. हाथ  की लकीरें भी बदल जाती है , कड़ी मेहनत करने के बाद 
  2. और  सितारे  भी  चमकते  हैं  अँधेरा  हो  जाने  के  बाद ...
  3. ख्वाब  भी  हकीकत  बनते  हैं  रात  भर  जागने  के  बाद . .. 
  4. और  मंजिल  तक  पहुँचते  हैं , वो दुर्गम  रास्ते  तय करने के बाद       
  5. हाथ  की  लकीरें  बदलती  हैं  सिर्फ  मेहनत करने  के  बाद ... 

  6. Just do it!!!



  • Haath ki lakeerein badalti hain sirf mehnat karne ke baad... 
  • Aur sitaare bhi chamakte hain andhera ho jaane ke baad...
  • Khwaab bhi haqeekat bante hain raat bhar jaagne ke baad... 
  • Aur manzil tak pahunchte hain wo rasta tay karne ke baad... 
  • Just do it!!! there is no short cut to hard work 








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