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Thursday, February 10, 2011

INNER VOICES & FEELINGS ( HINDI)Feb,10th ,2011

एक  एन .आर .आई .फॅमिली के बच्चे ने अपने पिता से अपने देश भारत के बारे में उत्सुकता दिखाई और पूछा :कैसा है हमारा भारत देश ? कैसे हैं वहां का जीवन ? और कैसे हैं वहां के लोग ?
पिता ने बड़े ही बोझिल मन से कुछ यूँ बताया :-

वहां के बेपंनाह अंधेरों को , सुबह कैसे कहूँ ?
घोटाल्लों में दबी जनता को ,सुखी कैसे कहूँ !
मैंने यह कटु नज़ारे बड़ी नजदीकी से देखे हैं ,
झुटला कर सब कुछ ,खुद को अँधा कैसे कहूँ,
यहाँ कि सियासती जबान भी है बड़ी झूटी ?
कानून ,न्याय ,निर्वाचन ,प्रजा तंत्र,और नेता      
अब तो सब  ,एक भोंडा मजाक सा लगता है
यह देश पावन भी है ,देखने के काबिल भी 
वहां जाकर वापिस , बस जाने को कैसे कहूँ ?
घोटालों भ्रष्टाचारों से पूरा तंत्र उधड़ रहा है 
वहां जाकर सकून मिलेगा भी, मैं कैसे  कहूँ ?
मेरा भारत पहले ऐसा नहीं था ?कौन मानेगा ?
 किस किस से कहूँ  , किस मुहं से कहूँ ??????

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