एक एन .आर .आई .फॅमिली के बच्चे ने अपने पिता से अपने देश भारत के बारे में उत्सुकता दिखाई और पूछा :कैसा है हमारा भारत देश ? कैसे हैं वहां का जीवन ? और कैसे हैं वहां के लोग ?
पिता ने बड़े ही बोझिल मन से कुछ यूँ बताया :-
वहां के बेपंनाह अंधेरों को , सुबह कैसे कहूँ ?
घोटाल्लों में दबी जनता को ,सुखी कैसे कहूँ !
मैंने यह कटु नज़ारे बड़ी नजदीकी से देखे हैं ,
झुटला कर सब कुछ ,खुद को अँधा कैसे कहूँ,
यहाँ कि सियासती जबान भी है बड़ी झूटी ?
कानून ,न्याय ,निर्वाचन ,प्रजा तंत्र,और नेता
अब तो सब ,एक भोंडा मजाक सा लगता है
यह देश पावन भी है ,देखने के काबिल भी
वहां जाकर वापिस , बस जाने को कैसे कहूँ ?
घोटालों भ्रष्टाचारों से पूरा तंत्र उधड़ रहा है
वहां जाकर सकून मिलेगा भी, मैं कैसे कहूँ ?
मेरा भारत पहले ऐसा नहीं था ?कौन मानेगा ?
किस किस से कहूँ , किस मुहं से कहूँ ??????
पिता ने बड़े ही बोझिल मन से कुछ यूँ बताया :-
वहां के बेपंनाह अंधेरों को , सुबह कैसे कहूँ ?
घोटाल्लों में दबी जनता को ,सुखी कैसे कहूँ !
मैंने यह कटु नज़ारे बड़ी नजदीकी से देखे हैं ,
झुटला कर सब कुछ ,खुद को अँधा कैसे कहूँ,
यहाँ कि सियासती जबान भी है बड़ी झूटी ?
कानून ,न्याय ,निर्वाचन ,प्रजा तंत्र,और नेता
अब तो सब ,एक भोंडा मजाक सा लगता है
यह देश पावन भी है ,देखने के काबिल भी
वहां जाकर वापिस , बस जाने को कैसे कहूँ ?
घोटालों भ्रष्टाचारों से पूरा तंत्र उधड़ रहा है
वहां जाकर सकून मिलेगा भी, मैं कैसे कहूँ ?
मेरा भारत पहले ऐसा नहीं था ?कौन मानेगा ?
किस किस से कहूँ , किस मुहं से कहूँ ??????
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