अध्यापक :- सोनू , कल तुम स्कूल क्यों नहीं आये थे ?
जी सर "मैं गिर गया था ,और बड़ी जोर से लग गई थी "
अरे! बड़ा दुःख हुआ ,कहाँ गिरे ,कैसे गिरे और कहाँ लगी ?
सोनू :-सर मैं जैसे ही कल क्रिकेट खेल कर घर लोटा , बिस्तरे पर धडाम से गिर पड़ा था और बडे जोरों से नींद लग गई ,जो आज खुली है ! इस लिए स्कूल छूठ गया ,सर ?पर अभी भी बडे जोर से लगी हुई है .
मंजिल न सही , चिराग भी नहीं ? पर थोडा होसला तो दे !
तिनके का ही सही ,मगर मेरीजान तूं थोडा सहारा तो दे !
मैने यह कब कहा कि सब कुछ मेरे लिए हो ,या मेरे हक में हो?
यह तेरी ख़ामोशी ज्यादती है मुझपे,कैसा भी हो ,फैसला तो दे.
मंदिर ,मस्जिदों में जा जा कर ,खाता रहा मैं फरेब मगर ?
हे मेरे खुदा! कहाँ पे है तू ? मुझे जरा अपना पता तो ...दे
माना के मेरे नसीब पर है.... , है बेशक तेरा ही इख्तयार ?
पर मेरे नसीब में क्या बदा है ? मेहर कर इतना तो बता दे !
एक प्रेमिका ने जले पर नमक छिडकने के लिए अपनी शादी का कार्ड अपने एक्स बॉय फ्रेंड को भी भेज दिया ?
प्रेमी जल भुन कर कोयला होगया , और अपना धुएं का गुब्बार कुछ यूँ निकाला.
" मुझे तुम्हारी बर्बादी का निमंत्रण मिला , अब कुछ कहने को बचा ही क्या है ? भगवान करे तुम्हारी जिंदगी में ऐसी खुशिया बार बार आयें " और नित नए कार्ड छपते रहें "
प्रेमिका : तुम सच सच बताओ , तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ?
प्रेमी ने भी फ़िल्मी अंदाज में कहना शुरू किया "मैं अपनी हर सांस के आने जाने में तुम्हारी ही चाहत लिए रहता हूँ " मेरे हर सांस में तुम ही तुम समाई हो ?
प्रेमिका जो पहले ही अपने प्रेमी कि बोर करने कि आदत से परेशान होकर उस से जान छुड़ाना चाहती थी . बोली " अगर तुम्हारी सांसे सिर्फ मेरे लिए ही चल रहीं हैं तो ? मेहरबानी कर के इनेह लेना बंद ही करदो ! बड़ा उपकार होगा मुझ पर !
एक दोस्त दुसरे दोस्त से : यार एक बात बता "हमे बीवी कैसी चुननी चाहए "
दूसरा दोस्त : भाई मैं तो चाहता हूँ मेरी दुल्हन चाँद जैसी होनी चाहए , जो सिर्फ रात को दिखे और दिन होते ही गायब हो जाये ? हैं ! क्या मतलब ? चल छोड़ तेरी समझ में नहीं आएगी
जी सर "मैं गिर गया था ,और बड़ी जोर से लग गई थी "
अरे! बड़ा दुःख हुआ ,कहाँ गिरे ,कैसे गिरे और कहाँ लगी ?
सोनू :-सर मैं जैसे ही कल क्रिकेट खेल कर घर लोटा , बिस्तरे पर धडाम से गिर पड़ा था और बडे जोरों से नींद लग गई ,जो आज खुली है ! इस लिए स्कूल छूठ गया ,सर ?पर अभी भी बडे जोर से लगी हुई है .
मंजिल न सही , चिराग भी नहीं ? पर थोडा होसला तो दे !
तिनके का ही सही ,मगर मेरीजान तूं थोडा सहारा तो दे !
मैने यह कब कहा कि सब कुछ मेरे लिए हो ,या मेरे हक में हो?
यह तेरी ख़ामोशी ज्यादती है मुझपे,कैसा भी हो ,फैसला तो दे.
मंदिर ,मस्जिदों में जा जा कर ,खाता रहा मैं फरेब मगर ?
हे मेरे खुदा! कहाँ पे है तू ? मुझे जरा अपना पता तो ...दे
माना के मेरे नसीब पर है.... , है बेशक तेरा ही इख्तयार ?
पर मेरे नसीब में क्या बदा है ? मेहर कर इतना तो बता दे !
एक प्रेमिका ने जले पर नमक छिडकने के लिए अपनी शादी का कार्ड अपने एक्स बॉय फ्रेंड को भी भेज दिया ?
प्रेमी जल भुन कर कोयला होगया , और अपना धुएं का गुब्बार कुछ यूँ निकाला.
" मुझे तुम्हारी बर्बादी का निमंत्रण मिला , अब कुछ कहने को बचा ही क्या है ? भगवान करे तुम्हारी जिंदगी में ऐसी खुशिया बार बार आयें " और नित नए कार्ड छपते रहें "
प्रेमिका : तुम सच सच बताओ , तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ?
प्रेमी ने भी फ़िल्मी अंदाज में कहना शुरू किया "मैं अपनी हर सांस के आने जाने में तुम्हारी ही चाहत लिए रहता हूँ " मेरे हर सांस में तुम ही तुम समाई हो ?
प्रेमिका जो पहले ही अपने प्रेमी कि बोर करने कि आदत से परेशान होकर उस से जान छुड़ाना चाहती थी . बोली " अगर तुम्हारी सांसे सिर्फ मेरे लिए ही चल रहीं हैं तो ? मेहरबानी कर के इनेह लेना बंद ही करदो ! बड़ा उपकार होगा मुझ पर !
एक दोस्त दुसरे दोस्त से : यार एक बात बता "हमे बीवी कैसी चुननी चाहए "
दूसरा दोस्त : भाई मैं तो चाहता हूँ मेरी दुल्हन चाँद जैसी होनी चाहए , जो सिर्फ रात को दिखे और दिन होते ही गायब हो जाये ? हैं ! क्या मतलब ? चल छोड़ तेरी समझ में नहीं आएगी
No comments:
Post a Comment