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Thursday, March 4, 2010

जाने भी दो यारों

हर रात के बाद नए दिन की सहरआयेगी दिन नहीं बदलेगा पर तारीख बदल जायेगी मेरी शराफत को ग़ुरबत का अभी नाम न दो , वक़्त बदलेगा तो तेरी रायभी बदल जायेगी

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