Tuesday, January 4, 2022

--" कुछ भूली बिसरि यादें ही "अक्सर हमारी कहानियां होती है " --- ADABI SAANGAM ------507----JANUARY , Ist 2022------STORY NARRATION BY R.K .NAGPAL -----

 कुछ भूली बिसरि यादें ही "अक्सर हमारी कहानियां होती है 

क्या खोया क्या पाया है हमने अब तक के अपने जीवन के सफर में ?
कुछ भूली बिसरि यादें जो कभी कभी  ताजा हो जाती है,  है एक कहानी बन कर  , लोग कहते है  भारत देश बदल रहा है ,वहां भी वह सब कुछ है जो कभी सिर्फ अमेरिका यूरोप में हुआ करता था , मतलब हर ऐशों आराम का सामान , धन दौलत बड़े बड़े मकान मोटर गाड़ियां और खाने पीने को सब कुछ '

पर  हमारे संस्कारो का क्या ? वह भी तो अब पहले से नहीं रहे वह भी  तो बदल गए हैं ?




लोग आजकल रूखे हो गए है , मिलते नहीं बात भी नहीं करते , हर चीज़ पे अपना अधिपत्य चाहते हैं , जहाँ उनका अपना स्वार्थ होता है वहां उनके लिए सब गौण होजाते हैं " लोग आज ख़ुशी से ज्यादा खुरसी का  शोक रखते है यानी के चौधराहट का । 

आज की दुनिया में  जिन्हें वाकई बात करना आता है ---जो कुछ करने की हैसियत में होते हैं -- वो लोग ही अक्सर -------खामोश रहते हैं ,

 कैसे समझाऊँ इस बदलती दुनिया के हर वक्त बदल रहे अंदाज़ को अपनी इतनी  छोटी सी कहानी में , ?

इज़्ज़त कमाने की बात करते हो ?
आज नफ़रत कमाना भी,
इस दुनिया में आसान नहीं है साहब.....
लोगो की आँखों में खटकने के लिए भी, बहुत कुछ करना पड़ता है , अपने अंदर खूबिया पैदा करनी पड़ती है , वरना तो लोग आपकी तरफ देखते भी नहीं 


लोग आज भी कहते है , पहले भी कहा करते थे , किस्से अपने अपने वक्त के , 
जो हर जुबान को छु गए , हर दिल में बस गए वह अमर कहावते बन गई ,
 जिन्हे सुन कर पढ़ कर दुनिया ने अपनी नई राह बनाई ,वह आपबीती सच्ची कहानियां बन गई। 

मुझ से बड़े और सीनियर महापुरुष हैं जो इस महफ़िल में आज भी मौजूद हैं , 
सेठी साहब , गुलाटी साहब ,सुषमा जी , सुभाष अरोरा जी , प्रवेश जी, अशोक जी  व् और भी होंगे जिन्होंने वह जमाना देखा होगा ,वह मुझ से बहुत ज्यादा जानते  होंगे के जिंदगी का सफर तब कितना सकूं भरा था बनिस्पत आज के , 

उनके पास भी किस्से हैं कुछ नए कुछ पुराने , हमारे पास भी यादें हैं कुछ नई कुछ पुरानी भी 
हमारे पास तो  किस्से है कुछ हमारे बड़ो के बताये हुए और कुछ हैं देश विभाजन १९४७ के बाद के ,हमारे खुद के कमाए हुए 


जब दादा के सिरहाने खड़े होकर पैसे मांगते थे तो एक टक्का या सुराख वाला धेला या उससे भी छोटा कोई सिक्का दादा जी हाथ में थमा देते थे और हम ख़ुशी ख़ुशी उससे अपनी सारी जरूरते पूरी कर लेते थे ,

जब देसी घी का भाव साढे चार रुपए का एक सेर  था और दूध का भाव तीन चार आने प्रति सेर  के आस पास तो हम उस छेद वाले पैसे की कीमत का अंदाज आज की तुलना में करे तो हम बहुत अमीर हुआ करते थे। 

दूध दही की नदियाँ बहने का, सोने की चिड़िया भारत का  मतलब सब तरफ खुशहाली तभी तो देश पे उन लुटेरों के आक्रमण हुए जिन्हे भारत की दौलत राज पाट लूट कर अपना वर्चस्व जमाना था। 

वक्त गुजर गया पीढ़ियां दर पीढिआँ गुजरती गई और हम गरीब देश बन कर रह गए , जिसमे न खाने को कुछ बचा न वह खुशहाली , आपने दींन  ईमान संस्कारों की बलि देकर , अपने आप को बस बचाने में लगे रहे। नकली शौरत के पीछे भाग भाग कर असली जिंदगी बहुत पीछे छोड़ आये , वह प्यार की जिंदगी एक दूजे के सत्कार की जिंदगी। न मालुम कहाँ खो गई है ?

इस अँधा धुंद दौड़ ने हमें दिया क्या ? सोचो कभी बैठ कर 

जब मेरी जिंदगी में टेलेविसिन ने कदम रखा , मेरी किताबें मुझ से छूट गई , मेरा साइकिल पर बैठ लाइब्रेरी जाना बंद हो गया , मेरे दरवाजे पर कार आ खड़ी हुई तो मैं चलना घूमना भी भूल गया , फिर मेरे हाथ में मोबाइल थमा दिया किसी ने मेरा पत्राचार , चिट्ठी लिखने का सबब ख़त्म हो गया , 

घर में रखे कंप्यूटर ने तो मुझ से मेरी कलम ही छीन ली और मेरा दिमागी शबदकोष और शब्दों की स्पेल्लिंग्स ही भूल गया , जबसे घर में ऐरकण्डीशन लगवाया , पेड़ो की ठंडी छावं का आनंद भूल गया , रोटी रोजी के लिए अपना गावं और देश छोड़ा बड़े शहर में रहने लगे ,तो अपनी धरती की मिटटी की सोंधी सोंधी खुशबू भूल गया , 

पैसा बैंकों में रख कर क्रेडिट कार्ड मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया और मैं पैसे की अहमियत ही भूल गया , जबसे बाथरूम्स में perfumes का इस्तेमाल शुरू हुआ , हम पार्क में खिले फूलों की खुशबू भूल गए , जब से हर गली नुक्कड़ पर फ़ास्ट फ़ूड की दुकाने खुली हम अपना सात्विक खाना पकाना ही भूल गए , अपनी माँ के हाथों से पक्की मक्की की रोटी और सरसों के साग का स्वाद ही भूल गए। 

बची खुची हमारी हसरते इतनी बढ़ गई के बस जीवन की भागमभाग में कहीं रुकना ही भूल गए , अंत में नासूर की तरह मेरी जिंदगी में चुभ गया (व्हाट्सअप )  जिसने मुझे कुछ ज्ञान तो दिया पर मेरा सारा सकून छीन लिया , मेरा बात चीत का लहजा ही बदल गया , 

अदब मिट गया दायरा भी सिमट गया , मिलना जुलना भी अब तो एक कुम्भ का मेला सा हो गया , लेकिन हर शख्स यहाँ व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर बन के रह गया , इतना ज्ञान कहाँ छुपा था जो अच्चानक इन कुछ वर्षों में सामने आने लगा।  

कुछ सूचनायें गलत कुछ सही पर दुकान सबकी चलने लगी , यह कोई पहला नुकसान नहीं था जो हमें अपनी जिंदगी से मोबाइल की स्क्रीन तक समेट  गया , 
इससे से पहले भी बहुत नुक्सान हो चूका है हमारा ?  किस्से हैं किस्स्सों का क्या मानो तो हकीकत न मानो तो कहानी है 


#हमारा #भी #एक #जमाना #था....
😊😘😜😊😍😍
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था इसलिए साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी,
स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा कोई किडनेपिंग होगी ,ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे.....उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था

🤪 पास / फेल बस यही हमको मालूम था... 
% से हमारा कभी संबंध ही नहीं था.

😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको निखद #ढपोर #शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम पढाई में होशियार हो जाते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...

☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. 

😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर गत्ते की जिल्द चढ़ाते थे और फिर खाकी पेपर के कवर, यह काम ...एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था...

🤗  साल खत्म होने के बाद अपनी किताबें बेचना और बदले में अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी भी प्रकार की कोई शर्म नहीं आती थी. पुराने विद्यार्थिओं के लिखे नोट्स या किताबों में अंडर लाइन किये हुए वाक्य हमारी पढाई में बिना टूशन बहुत सहायता  किया करते थे 

🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई का बोझ है..ऐसा कभी  लगा ही नहीं.😞 कई बार तो लोग जब उनसे पूछते थे तो उन्हें हमारी क्लास और अंको का कोई ज्ञान ही नहीं होता था , सब अपनी अपनी जिंदगी में मस्ती से चले जाते थे , 
एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी.... हम ना जाने कितना घूमे होंगे .....

🥸😎  स्कूल में मास्टर जी या मैडम जी के हाथ से अपने हाथ पे बेंत की मार खाना, मुर्गा बनना ,पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाना हमारी तबियत दरुस्त रखता था, ऐसा  वक्त था  हमारा #ईगो रईसी कभी आड़े नहीं आता था....
 सही बोलें तो #ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था ...🧐😝 

घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनिक जीवन की एक सामान्य कसरती प्रक्रिया थी. तभी तो हम आज भी उतने ही चुस्त हैं 

मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे. मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर उसने हाथ धो लिए अपनी भंडास निकाल कर 😀😀  ......

😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है .

😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने भी दी नहीं.....इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार एक हाथ बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल खा लिया तो बहुत होता था......गर्मियों में सड़क पर खड़े ठेले से गन्ने का रस पीकर , बँटे वाली सोडा वाटर ,उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.

छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..

दिवाली में पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा.



01. हमारा नुकसान उस समय से शुरू हुआ था जब , लोगो की नियत काम करने की बजाये कामगारों पर राज करने की बनी ,लोगों को पैसा दो नशा दो और जो भी करवा लो , खुद बैठ के मौज करो। 

हरित क्रांति के नाम पर देश में #रासायनिक खेती की शुरूआत हुई , फसले बम्पर होने लगी , भूख तो मिटी पर लालच इस कदर बढ़ गया के इसमें राजनीती और कुर्सी दिखने लगी , लोगों को बांटो लड़ाओ उन्ही के पैसों से देश को बर्बाद करो फिर कुर्सी पाकर फिर उन्हीं लोगो को मदद देने का वायदा फिर उन्ही के टैक्स के पैसों को दबाओ , कुछ उसमे से इन्ही गरीब लोगों में बाँट दो फिर दुबारा कुर्सी हथिआ लो बस यही तो है आज की सच्ची कहानी 

जब ऐसी ऐसी खेती की जाने लगी जिसमे पानी बहुत चाहिए तो पानी बहुत गहराई से निकाला जाने लगा और फिर धीरे धीरे मीठा  पानी ख़त्म और जमीन बंजर होने लगी और  हमारा पौष्टिक वर्धक शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया गया  !अब सर पर खतरा है सूखे का और बर्बादी का , लेकिन नशा कुर्सी का हो या पावर का , या हो ड्रग्स का ? किसके पास है वक्त और सकून जो बैठ के पल दो पल अपने परिवार देश के बारे में सोच सके ?




😁  हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको #आई #लव #यू कहना ही नहीं आता था... 😌

 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला भी के नहीं.. ?क्या पता.. 

स्कूल के भीतर  डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम ,और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की  दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....वह दोस्त कहां खो गए ?वह बेर वाली माई कहां खो गई....वह चूरन बेचने वाली अम्मा कहां खो गई..?.पता ही नहीं.. चला 

😇  हम दुनिया में आज कहीं भी रहें , पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में पले ,बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है ....हम आज जहाँ हैं ,अपनी मेहनत, लगन, ईमानदारी ,और अपने बुजर्गों के आशीर्वाद से पहुंचे हैं ....

🙃  कपड़ों में सलवटे ना पड़ने देना ,लेकिन और रिश्तो में सिर्फ औपचारिकता का ही  पालन करते रहना , हमें जमा ही नहीं......सुबह का खाना और रात का खाना इसके बीच में माँ के हाथ की बनाई एक प्रोंठी एक रुमाल में बंधी के सिवा, टिफिन क्या था हमें मालूम ही नहीं...हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं ,और यही सोचते है....और यही सोच हमें जीने में मदत कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,


😌  हम अच्छे थे या बुरे थे....नहीं मालूम...पर #हमारा #भी #एक #जमाना #था ..... 🤩🙋🏻‍♂️साहब 



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02. हमारा नुकसान उस दिन भी शुरू हुआ था जिस दिन श्वेत क्रांति के नाम पर देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध छोड़कर, उसे काट कर खाना या उसके मॉस को विदेशों में भेज कर दौलत कमाना , शुरू किया और  जर्सी गाय का विषैला दूध जो की स्टेरॉयड इंजेक्शन  युक्त है  पीना शुरु किया था... !अब हर इंसान कई तरह की aquired immunodeficiency से ग्रसित नजर आता। 
हर सब्जी , मांस दालों में ऐसे ऐसे fertilizers हैं जो अंत में हमारे शरीर को , दिल , गुर्दे , लिवर को ही खा जाते है , लेकिन बात कोई नहीं कर सकता क्योंकि आज हर बुराई के पीछे एक बड़ी लॉबी है जो बहुत पैसा खर्च करके सबकी जिंदगी को नारकीय बना चुकी है 


03. हमारा नुकसान उस दिन भी  शुरू हुआ था जिस दिन भारतीयों ने दूध, दही, मक्खन, घी आदि छोड़कर शराब, अफीम जैसी नशीली वस्तुओं का उत्पादन और अत्यधिक सेवन शुरू किया  . !

04. हमारा नुकसान उस दिन भी शुरू हुआ जिस दिन हमने मिट्टी के बर्तनों को छोड़कर घरों में एलुमिनियम के बर्तन, प्रेशर कुकर व घर में फ्रिज आया... !और हम तरह तरह की बीमारियों से मरने लगे , किसी ने अपने फायदे के लिए यह चीजे बना कर पूरी इंसानियत को तबाही की कहानी लिख डाली 

05. हमारा नुकसान उस दिन भी  शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने गन्ने का रस या नींबु पानी छोड़कर पेप्सी, कोका कोला पीना शुरु किया था जिसमें 12 तरह के कैमिकल होते हैं और जो कैंसर, टीबी, हृदय घात का कारण बनते हैं ..!

06. हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ जिस दिन देश वासियों ने घानी का शुद्ध देशी तेल खाना छोड़ दिया और रिफाइंड आयल खाना शुरू किया, रिफाइंड ऑयल हृदय घात , पार्किंसंस , alzhymer आदि  का कारण बन रहा है.. !लेकिन कौन उठाइएगा इस ताकतवर लॉबी के विरुद्ध >? आवाज उठाने वाले को ही दुनिया से उठा दिया जाएगा। 

07. हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ था जिस दिन देश वासियों ने अपने स्वदेशी भोजन 56 तरह के पकवान छोड़कर पीजा, बर्गर, जंक फूड खाना शुरू किया था जो अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है.. ! 

08. हमारा नुकसान उस दिन शुरू हुआ जिस दिन लोगों ने स्वस्थ दिनचर्या छोड़कर मनमानी दिनचर्या शुरू की ...!न सोने का वक्त न उठने का न खाने का , शरीर को प्रकृति से दूर जिम में जाकर छोड़ दिया 

09.हमारा नुकसान तब शुरू हुवा, जब ना हमने अपनी संस्कृति को जाना और ना ही अपने बच्चों को उसका ज्ञान दिया, हमारे आदर्श हमारे संत व महापुरुष नही बल्कि  संस्कारहीन फ़िल्म अभिनेता हो गए !हम कहाँ थे और कहाँ पहुँच गए ? चलो पहले हम गुलाम अगर थे तो अपनी गलती ,गफलत , या स्वार्थ से ही न ?

आइए हम अपने पूर्वजों की तरह अनुशासित और संयमित जीवन जी कर पूर्ण आनंद लेने की कभी क्यों अभी से ही  क्यों न शुरुआत करें...वरना दफन हो जाएंगे उसी उपजाऊ मिटटी में जिसकी फसलों से हम गुलजार हुए थे , भांति भांति की अवधारणाएं हमने अपनी बना ली हैं और लोगों के बहकावे से अपनी जड़ो से टूट कर चले जा रहे उस चमक दमक के पीछे जो हमसे ही छीनी गई है और हमें अन्धकार में धकेलते हुए वह हमपे राज करते रहे 

एक जापानी डॉक्टर को कुछ सवालों के जवाब देते टेलेविजन पर सुना 
डॉक्टर हमने सुना है भागने दौड़ने रहने से जिंदगी लम्बी हो जाती है ?

अपनी कार को कितना भगाते हो रोज ? क्या कार को ज्यादा चलाने भगाने  से वह नई और ताकतवर बनी  रहती है क्या ? कछुओं को भागते कभी देखा है ? उसकी जिंदगी मालूम है कितनी लम्बी है ? गति मंजिल पर जल्दी पहुंचा सकती है पर उसकी कीमत जिंदगी को अपने कुछ वर्ष कम करके चुकानी पड़ती है , इसलिए थोड़ा आराम करो अपने जीवन को लम्बा करना है तो  

कुछ डॉक्टर और मेरे दोस्त भी मुझे  शराब पीने से मना करते है बोलते हैं जल्दी मर जाओगे , डॉक्टर हंस पड़ा बोला  , वाइन बनती है फलों से अंगूर से , फल स्वास्थ्य के लिए सब डॉक्टर बोलते हैं बड़े अच्छे होते है ?
 
ब्रांडी भी डिस्टिल्ड वाइन होती है जिसका मतलब फ्रूट से पानी निकाल लिया और फ्रूट केगुण ही अब इसमें बचे है पानी नहीं , बियर शराब  भी अनाज से बनती है , और अनाज आप रोज सुबह शाम खाते हो वह तो कोई मना  नहीं करता तुम्हे ? जब अनाज अच्छा है तो उससे बनी वस्तुएं गलत कैसे ? चियर्स बॉटम अप 

तो डॉक्टर मैं कौन से जिम में रोज जाऊँ और क्या एक्सरसाइज करूँ ताकि फिट बना रहूं ?
ऐसा कोई जिम नहीं है न ही कोई एक्सरसाइज है , पहलवान भी मरते है और जिम चलाने वाले भी , मेरी मानो सिर्फ सामान्य सैर करो , जिस एक्सरसाइज से शरीर को कष्ट हो वह शरीर को तंदरुस्त कैसे रखेगा ?

डॉक्टर मुझे दिल के डॉक्टर ने बोला  है वेजिटेबल  आयल में तली चीज़े नुकसान देती है ? 
ज्यादा सब्जी ज्यादा अनाज नुकसान देता है ? नहीं न ? 
तो फिर उनसे निकला तेल माने ज्यादा सब्जी ,तो तेल  नुक्सान कैसे देगा ?

चॉकलेट तो नुक्सान देता है न ? 
डॉक्टर ने लगभग चिल्लाते हुए कहा " पगला गए हो क्या " 
कोकोआ बीन्स भी एक सब्जी है , उसमे मिलाई चीनी भी , फिर नुकसान क्यों होता है ? नुक्सान उसके बनाने और उसमे केमिकल्स  मिलाने का है , वरना चॉकलेट तो व्हिस्की से भी ज्यादा मूड लिफ्टर है  

डॉक्टर मैं तैराकी सीख रहा हूँ सुना है शरीर की फिगर ठीक बनी रहती है ? 
अगर स्विमिंग से फिगर बनती है तो मुझे वेहहेल मछली के बारे में अपने विचार बताओ ?

तो फिर लोग क्यों कहते है शरीर को शेप में रखो ? यस शेप में रखो पर कौन सी शेप ? 
गोल मटोल होना भी एक शेप है। 

डॉक्टर ने आगे बताया " मुझे उम्मीद है जो जो भी गलत धारणाएं आप लोगो ने खाने और पीने के बारे में फैला रखी है मेरी बाते सुन कर वह दूर हुई होंगी ?

अंत में डॉक्टर ने जिंदगी  का निचोड़ बताते हुए कहा " देखो दोस्त जिंदगी का सफर मौत तक , 
जिंदगी या शरीर को इस तरह डरा डरा के नहीं पूरा किया जा सकता , शरीर को इस्तेमाल कीजिये , ख़ूबसूरती कोई मायने नहीं रखती , एक हाथ में बियर का मग और दुसरे में चॉकलेट ,

 थका डालो इस शरीर को चिल्लाओ ,गाओ , हंसो और जब बिस्तर पर पड़ोगे तो याद आएंगे यही हँसते हुए पल , जो दिल करे खाओ क्योंकि मरना तो सबको है जितना मर्जी कोई परहेज कर ले : और सबसे बड़ी नसीहत मेरी गाँठ बाँध लो " यह motivational health speakers आपको सिर्फ बेवकूफ बनाते है आप से पैसा कमाने के लिए , वरना मरते तो यह भी है कभी कभी वक्त से पहले भी 

ट्रेड मिल के अविष्कारक की मौत सिर्फ 54 साल की उम्र में हो गई 
और जिसने jymnastic बॉडी एक्सरसाइज की खोज  की उसकी मौत केवल 57 साल की उम्र में 

वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियन की मौत सिर्फ 41 वर्ष की आयु में हो गई 
दुनिया का सबसे उम्दा और तेज फुटबॉलर माराडोना की मौत 60 वर्ष की आयु में हो गई 

BUT लेकिन:---

KFC वाला फ्राइड चिकन खाते खिलाते 94 साल की उम्र तक जिन्दा रहा 

NUTELLA brand के अविष्कारक की मौत 88 वर्ष की उम्र में हुई 

जरा सोचो सबसे पुराना सिगरेट बनाने और पीने वाला 102 साल तक जीवित रहा 

हफीम/ opium का अविष्कारक 116  साल तक जीवित था जो सिर्फ earthquake में बिल्डिंग में दब कर मरा , अफीम से नहीं 

9. Hennessey inventor की मौत  98. वर्ष की आयु में हुई 

अब मुझे कोई बताये यह सब ज्ञानी डॉक्टर इस नतीजे पे कैसे पहुंचे के एक्सरसाइज करने से उम्र लम्बी होती है ? उम्र लम्बी नहीं होती बल्कि उम्र चुस्त होते हुए भी तेजी से गुजरती है। 

एक खरगोश हमेशा भागता दौड़ता रहता है लेकिन उसकी उम्र सिर्फ 2 साल तक ही है , जबकि उसी के साथ रेस लगा कर बच्चों को कहानियां सुनाते सुनाते हम यह भूल गए के कछुवा 400 साल तक जीता है बिना किसी एक्सरसाइज के ?

गाँधी के तीनो बन्दर डिजिटल युग में एक हो गए है , इंसान जब मोबाइल लेकर बैठता है तो न यह इधर उधर देखता है , न किसी की सुनता है , और न ही कुछ बोलता है 

 वक़्त का काम तो गुज़रना है..!
एक वह दौर था ,एक यह भी दौर है 
बुरा हो तो बेसब्री से सब्र करो..!!
अच्छा हो तो शुक्र का भी शुक्राना करो...!!!
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कितना भी अच्छा बोलू मैं , लोग ध्यान से सुनते नहीं ,
कहते हैं नया क्या है ? सब कुछ तो है किताबों में  पड़ा हुआ है ,

पड़ा तो है पर पढ़ा नहीं जा सका , वक्त ही कहाँ मिलता है सबको ?
दुःख जरूर होता था कभी , अपने अहंकार में  जब कोई बोलता था 

 रब के सज़दे और इबादत ने अब ऐसा बना दिया है मुझे..
ना अब किसी के ल़फ्ज चुभते है और ना किसी की खामोशी ..

थोड़ा रुकिए , सोचिये , शांत रहिये , अंधी रेस में मत जुड़िये , जहाँ आनंद ,प्यार ,इज़्ज़त न मिले वहां मत बैठिये , खाना पीना मस्ती ही आपका जीवन है मौज करिये अपने घर में भी कर सकते है , मरना तो अंत में आपको भी है। अमरत्व की तलाश में क्यों खामखाह वक्त से पहले मरे जा रहे हो ?

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पड़ोसन :-  फोन बहुत अच्छा है तुम्हारा ।
श्रीमती :-  भाई ने ले कर दिया , चालीस हजार का पड़ा ।

पड़ोसन:-  नेकलेस भी बहुत अच्छा है तुम्हारा ।
श्रीमती :-  इन्होंने ले कर दिया , डेढ़ लाख का पढ़ा ।

पड़ोसन :-  पति भी  बहुत अच्छे है तुम्हारे ।
श्रीमती:-  पिताजी ने लेकर दीये , चालीस लाख में पड़े 

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"जीवन चक्र क्या है" ❓
आदमी कचौरी समोसे खा कर बीमार हो जाता है, फिर वो अस्पताल में बेड पर लेट के रिश्तेदारों द्वारा लाये संतरे, मौसम्बी खाता है।
उसके रिश्तेदार अस्पताल के बाहर खड़े हो कर समोसे कचौरी खाते हैं।

यही जीवन चक्र है।

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कोई आप सेपूछे कौन हूँ मैं,आप  कह देना कोई ख़ास नहीं;

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा,
एक झूठ हैं आधा सच्चा सा,
जज़्बात को ढँके एक पर्दा सा ,
एक बहाना है बस अच्छा सा;

जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर ही है बस पास नहीं,
कोईआपसे पूंछे कौन हूँ मैं,
आप कह देना कोई ख़ास नहीं;

हवा का सुहाना झोंका है,
कभी नाजुक ,कभी तूफानों सा;
देख कर जो नजरें झुका ले
कभी अपना तो कभी बेगानो सा

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र,
जो समुन्दर है पर दिल को प्यास नहीं;
कोई आपसे पूछे कौन हूँ मैं,
आप  कह देना कोई ख़ास नहीं!!😊😊


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भारतीय शादी में खाने की वैरायटी देखकर बेहोश हुआ विदेशी नागरिक
 
सोमवार की रात एक भारतीय शादी में भोजन की वैरायटी और उसे खाने वालों को देखकर एक विदेशी नागरिक बेहोश हो गया...

इस विदेशी नागरिक ने बाद में पुलिस को बताया कि शादी में 125 तरह की डिशेज देखकर वह डिप्रेशन में आ गया और सुधबुध खो बैठा...

मैक्सिम गोर्की नामक यह विदेशी अपने एक भारतीय मित्र के बेटे के मैरिज रिसेप्शन में भाग लेने खास तौर पर जर्मनी से भारत आया था. एक निजी अस्पताल में सदमे से उबर रहे मैक्सिम ने बताया वहां हर जगह बस खाना ही खाना था...

मैं एक स्टॉल पर गया तो वहां भारतीय शैली में चाइनीज खाना पराेसा जा रहा था. मंचुरियन, नूडल्स, स्प्रिंगरोल और न जाने क्या क्या. मैंने खाना शुरू ही किया था कि मेजबान ने टोक दिया और कहा मैक्सिम थोड़ा ही खाना ये स्टार्टर है. वहां 20 तरह के स्टार्टर थे मेरा दिल बैठ गया...

फिर मेरे मेजबान मुझे मेन कोर्स पर ले गए. वहां दस तरह के सलाद, ढेरों प्रकार के अचार, पापड़, रायते, दर्जनों तरह की सब्जियां और कई तरह की दालें थीं. अनेकों प्रकार के चावल और पुलाव भी थे. साथ ही बहुत कुछ ऐसा था जिसे मैं पहचान नहीं पाया...

फिर मैंने देखा कि एक जगह ढाबा लिखा हुआ था वहां भी कई तरह की रोटियां, सब्जियां और तंदूरी डिशेज थीं. फिर स्वीट्स और डेसर्ट्स के स्टाल थे मैं गिन नहीं पाया पर कम से कम दो दर्जन तो थे ही. कई तरह की आइसक्रीम और कुल्फियां भी थीं...

मैक्सिम ने बताया यह सब देखकर मेरा दिल घबराने लगा लेकिन मैं किसी तरह खुद को संभाले रहा. मैंने ऐसे कई लोगों को देखा जिन्हाेंने अपनी प्लेटों में बुरी तरह खाना ठूंसा हुआ था. वे दबा के खा रहे थे और उन्हें खाते देख मेरा जी बैठने लगा. तब मैंने सोचा थोड़ा पानी पी लेता हूं तबियत हल्की हो जायेगी...

पानी पीने गया तो वहां दो लोगों की बातचीत सुनकर मेरे होश उड़ गए. इसके बाद मैंने खुद को इस अस्पताल में पाया...

तो आपने क्या सुना था ?
जवाब में मैक्सिम ने बताया खाना खाने के बाद जब दो लोग पानी पीने आए तो आपस में बात कर रहे थे... " अरे यार खाने में मजा नहीं आया इससे अच्छा खाना तो कल गोयल के यहां था 50 तरह के तो मीठे थे ".....

" ये तो खाने में कंजूसी कर गए वैरायटी देखो कितनी कम है "....😱😱😱

बस मैंने यही आखिरी शब्द सुने और मैं बेहोश हो गया...😁😁






भूली बिसरि यादें










Sunday, September 26, 2021

27th MARCH 2021-----------Adabi Sangam ----AVSM ----- TOPIC _____BEING LATE--- देर ---

देर 




जब इंसान ने घडी बनाई ,वक्त का हिसाब रखना सीखा तो समझ में आया कहीं जा कर की , घडी की रफ्तार से पिछड़ना और  देर से पहुंचने का क्या मतलब होता है? वरना इंसान का इतिहास है वक्त के साथ कभी चल ही नहीं पाया ,कौन सा ऐसा काम है जो हमने देर से न किया हो ? हम हमेशा वक्त को मात देने में लगे रहते है। 

डॉक्टर ने भी बताया जब तुम पैदा हुए थे न तुम्हारी माँ ने बहुत तकलीफ झेली थी कदर किया करो उसकी , पूरे 25 दिन देर से पैदा हुए थे , कितना कष्ट दिया था तुमने माँ को ,तुम्हे ceasarian करके निकाला गया था , अब तो सुधर जाओ। डॉ साहब पर इसमें मुझे क्या पता मैंने थोड़ा ही कोई देरी की , मैं तो सिर्फ अपने कामों का जिम्मेवार हूँ , मैं किसी को तंग  करने में , बिलकुल ही देर नहीं करता , माँ खाना बना के बैठी रहती है और मैं खुद ही देर कर देता हूँ घर आने में ?

 पैदा होते ही लगा हूँ उन्हें अहसास दिलाने में ,के मेरे होते देर तो होगी , पर अंधेर नहीं होने दूंगा ।अब तो मेरे भी तीन बच्चे है उन्हें भी देखना होता है , हर रोज काम पर ही देर हो जाती है। इसी कारण उनका ध्यान रखने में भी देरी हो जाती है , डॉक्टर गुस्से में आ गए , बोले तुम समझना ही नहीं चाहते बहानो की जिंदगी में जी रहे हो देरी का ढोंग करके। 

डॉक्टर ने मेरे को  न्यूरोलॉजिस्ट को रेफ़र करते हुए कहा- “बाबा एक बार दिमाग़ वाले डॉक्टर को दिखा लो....शायद कोई रस्ता निकले 

मैं उठते  हुए बोला- 🙄 दिमाग वाले डॉक्टर ? '‘हमें तो लगा था कि आपके पास भी थोड़ा बहुत तो होगा ही।"🤔😏


पता नहीं मेरी कोई क्यों नहीं सुनना चाहता ? मेरी जिंदगी भी तो चिंता ग्रस्त है , मेरी हर घडी देरी से ही क्यों चलती है 
जब मैं जवान  था मुझे चिंता थी मेरे चेहरे पे बाल कब आएंगे   , जब बाल आये तो  फिर  निकल आये उन् पिम्पल्स की चिंता  ,
फिर चिंता हुई मेरी दाढ़ी मूछ देर से आने की , देर से शेव करूँ तो मजनू लगता हूँ 
अब जिंदगी को इतनी देर तक झेलने के बाद चिंता है मुझे चेहरे पर उभर रहे  wrinkles की 

देर एक ऐसा तकिया कलाम है जो घडी की सुईओं से कदम नहीं मिला पाता ,हम आज हर बात में जोड़ देते है और सारा दोष देर पर डाल देते है 
मैंने कहा पत्नी से चलो जल्दी तैयार हो जाओ आज पिक्चर देखने चलते है और खाना भी वहीँ खा लेंगे , अचानक प्रोग्राम बना तो कपडे इस्त्री करना थोड़ा मेक अप शेप अप अब इसमें थोड़ा टाइम तो लगेगा न ? पत्नी ने भी कड़क जवाब दिया 

 औरतों का एक सलीका होता है , मर्दो की तरह थोड़ा ही फौरन  जूते पहने और बोले चलो  चलते है, लगे ताने मारने : अब यह क्या बात हुई इतनी देर कर दी तुमने तैयार होने में , मुझे देखो मैं तो दो मिनट में ही तैयार हो गया हूँ , पत्नी ने भी छपाक से जवाब दे दिया , maagi noodles और शाही पनीर में यही तो फर्क है , हमे खुद से न मिलाओ। हम भीतर ही भीतर कुलबुलाते हुए खुद से ही बतिआयाने लगे। 

जब जीने की चाह करो तो ,तो दुश्मन हज़ार हो जाते हैं 
अब मरने का शौक़ है,तो क़ातिल ही नही मिलता, 

पत्नी हमे यूँ बड़बड़ाते हुए सुन के बोली क्या बेमतलब बोले जा रहे हो , भाई मैं तुम्हे नहीं उस तेज चलती घडी को कोस रहा हूँ जो हमे देर होती हुई दिखा रही है आधी पिक्चर तो वैसे ही निकल चुकी होगी । लेकिन गनीमत रही पत्नी जी आधे घंटे में तैयार हो गई और रास्ते का ट्रैफिक देर से पहुंचने की वजह से लगभग ४५ मिनट देर से हाल में पहुंचे लोग हमे घूर घूर के देखने लगे इतनी देर से ही आना होता है तो क्यों आते हो दूसरों का भी मजा खराब करने  ,, 
देर और  डर हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते है 
देर से उठते थे , स्कूल जाने के लिए हमेशा लेट तो पिताजी की डाँट का डर फ्री में मिला करता था ,
कभी बस निकल जाती कभी साइकिल पंक्चर हो जाता  तो भी लेट , स्कूल में सजा मिलती , हाथों पे डंडे पड़ते सो अलग ,इस न्न मुराद देरी की वजह से 

सुबह ऑफिस में लेट पहुंचे तो बॉस का गुस्सा झेलो , शाम को घर लौटने में देर हुई तो बीवी का फूला मुहं देखो कभी कभी दोस्तों से मिलकर लौटते हुए और लेट हुए तो खाना भी नहीं नसीब होगा , दोस्तों के साथ महफ़िल जमी तो जम ही गई , अब इसमें आप मेरा दोष तो बताइए मैं तो देर करता नहीं देर हो जाती है , क्या दोस्तों को जिनके साथ मेरी शाम गुजरती है उन्हें नाराज कर दूँ ?और जोरू का गुलाम का तगमा पा लू


मेरे एक जानकार जनाब भी यही  फ़र्मा रहे थे , " सारी उम्र डरते ही रहे ....कभी शादी में देरी से , कभी पढ़ाई पूरी होने की देरी में , फिर देर से मिली नौकरी में , कभी माँ बाप से , फिर teachers से , फिर boss से , फिर मौत के ख़ौफ़ से  और अब  आखिरी पड़ाव पे ख़ुदा से .... "

मैंने पूछ ही लिया , एक चीज़ तो आपने याद ही  नहीं किया जनाब  " आपने बीवी का ज़िक्र नहीं किया "

वो बोले , " ओह वो तो ,डर के मारे नहीं किया "

निंदा हमेशा उसी की होती है जो जिन्दा है , देर से ही सही  मरने के बाद तो दुश्मन भी तारीफ़ करते है 

मेरे दोस्तों की भी बड़ी अजीब दुनिया है पढ़े लिखे तो हैं पर समझना नही चाहते , कहते है ऐसा देर नामका कोई सब्जेक्ट ही नही था कॉलेज में , के कहीं लेट पहुंचे तो क्या नुक्सान होगा ? इस लिए interpretation ऑफ statues तो पढ़ लिया पर interpreting intelligenc  नहीं पढ़ पाए तभी तो  ?

"उसके घर देर है अंधेर नहीं"

 देर आयत दरुस्त आयत"

"न से देर भली "

यानी की बाकी मतलब तो अपने सर के ऊपर से निकल गया सिर्फ याद रहा तो "देर"
देर  से आना ,न आने से अधिक  ठीक होता है , उसके घर अँधेरा है तो पहुंचने में देर तो होगी  इसी मतलब पे डटे हुए हैं 

    देर जितनी भी हो जाए जिंदगी के किसी भी पड़ाव पे आपको एक बात तो समझ आ ही जायेगी ,कि     ये दुनियाँ ठीक वैसी नहीं है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं।यह अपनी मस्ती में चलती है आपके लेट होने न होने से इसकी सेहत पे कोई असर नहीं पड़ता , यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में  गुलाब। किसी को दो रातों के बीच एक दिन नजर आता है तो किसी को दो सुनहरे दिनों के बीच एक काली रात। किसी को भगवान में पत्थर नजर आता है और किसी को पत्थर में भगवान।

          किसी को साधु में भिखारी नजर आता है और किसी को भिखारी में भी भी साधु। किसी को मित्र में भी शत्रु नजर आता है और किसी को शत्रु में भी मित्र। किसी को अपने भी पराये नजर आते हैं तो किसी को पराये भी अपने।

         किसी को कमल में कीचड़ नजर आता है तो किसी को कीचड़ में कमल। अगर आप चाहते हैं कि हर वस्तु आपके पसन्द की हो तो इसके लिए आपको अपनी दृष्टि पे चढ़ा चश्मा बदलनी पड़ेगी ,क्योंकि प्रकृति के दृश्यों को चाहकर भी नहीं बदला जा सकता। वक्त तो अपनी गति से चलेगा देर तो सिर्फ आपको होगी 

!!!...मनचाहा बोलने के लिए..अनचाहा सुनने की ताकत होनी चाहिए...!!!

बाबा नागपाल जिसकी दुनिया तो क्या उसके मित्र ही नही सुनते 😖😖😖😖😖

जिंदगी तो लेट लतीफी में गुजार ली हमने पर ऐ मौत तू भी कितनी कठोर निकली , कितनी देर करदी आने में , कितना याद करता था तुझे मैं अपनी मुसीबतों में 
मैं अकेला था परेशान था तब तो सुध न ली तूने मेरी , आज आये है देख तेरे साथ सब आँखों में आंसू लिए 
मेरा साथ देने मेरे जनाजे में , अब तुझे अपनी देरी की पड़ी है , कुछ पल दोस्तों से मिलकर गुफ्तुगू तो कर लेनी देती पर  तू तो मुझे भगाये लिए जा रही है ? लेकिन जल्दी ही अपनी गलती खुद ही समझ आ गई। 

हैं तो सब मेरे सगे सम्बन्धी और दोस्त ही,  आये हैं कुछ दूर से और कुछ देर से  ,
न  मिलते, न कोई तोहफा देते थे कभी,आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं , लेकिन देर वाली फितरत इन्हे अब भी रास नहीं आ रही , कह रहे है जल्दी से काम निबटाओ , मृत शरीर का दाह  संस्कार करो , हमारे भी कई काम बाकी है ,हमे भी देरी हो रही है , जाते जाते एक बार फिर दिल तोड़ दिया कमीनो ने, मेरी मौत का भी अफ़सोस सलीके से न किया एक देर की आड़ में 

बड़ी दूर निकल आये थे तरस  कर किसी एक हाथ के लिए , 
आज मगर देर से ही सही ,पर कंधे पे कन्धा दिए जा रहे थे , चाहे दिखावे के लिए ही सही। 

जब हम बुलाते अक्सर कहा करते  थे बहुत दूर रहते है , रोज रोज दो कदम मिलकर चलना  मुमकिन न होगा 
देर हो जाती है घर लौटने में, बहुत कुछ देखना होता है  , लेकिन आज उन्हें मालुम है हम देख नहीं पाएंगे 
,बात भी नहीं कर पाएंगे ,फिर भी देखो बिन कहे ,बिना किसी बहाने के ,आज काफिला बन बेमन से ही सही पर साथ तो चले जा रहे है। 

 देर से ही सही ,पता तो चला ,जीने में कोई साथ नहीं देता , ऐसा  जीना भी कोई जीना था 
, आज मरने में सब का साथ मिला , फिर भी चलो हमारे लिए एक जश्न से कमतर तो नहीं 

देर तो मुझ से तब भी हुई थी जब सिर्फ 15 मिनट पहले ही मेरी फ्लाइट मिस हो गई और मेरी जिंदगी सलामत रही , बाद में उस फ्लाइट का क्रैश हो गया था और सब खत्म हो गया था। 

देर तो जवानी में तब हुई जब मैं उसका हाथ थामने का इंतज़ार करता रहा ,
देर आज बुढ़ापे में  फिर हो रही है ,इसी इंतज़ार में ,
कोई मेरा हाथ थाम मुझे सड़क पार करवा दे , 
मुझे इस भीड़ भाड़ से बचा कर सुरक्षित घर पहुंचा दे। 

When YOUNG, 
I wanted my parents to leave me alone*
When I AM OLD
I am worried to be left alone*

When I was YOUNG, 
I HATED being ADVISED.
When OLD, 
there is NO ONE around to TALK or ADVISE.

When YOUNG,
 I ADMIRED BEAUTIFUL THINGS.
When I am OLD, 
I see BEAUTY in THINGS around ME.

When I was YOUNG, 
I felt I was ETERNAL.
When I am OLD, 
I know SOON it will be MY TURN.

When I was YOUNG, 
I CELEBRATED the MOMENTS.
When I am OLD, 
I am CHERISHING MY MEMORIES.

When I was YOUNG, 
I found it DIFFICULT to WAKE UP.
When OLD, 
I find it DIFFICULT to SLEEP.

When I was YOUNG, 
I WANTED to be a HEARTTHROB.
When OLD,
 I am WORRIED when will MY HEART STOP.

At EXTREME STAGES of OUR LIFE, 
WE WORRY but WE DON'T REALIZE,
LIFE NEEDS to BE EXPERIENCED.

It DOESN'T MATTER whether YOUNG or OLD. LIFE needs to be LIVED and LIVED WITH LOVE & LOVED ONES. You are surely one of these. 







ADABI SANGAM --MEET # -500 -2nd PART -- musical compering in place of Rajni ji -29Th-MAY-2021

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "




मेरे अदबी संगम के मित्रो को एक बार फिर आपके दोस्त एंड होस्ट राजिंदर नागपाल की तरफ से भी  तह दिल से स्वागतम ,इस संगीत की महफ़िल में , जहाँ थोड़ी गीतों की और जोक्स की मस्ती होगी , आज हमारे अदबी संगम की महफ़िल का #500 वां समागम है .

लेकिन दिल से अभी उतना ही जवान है जितना कभी पांचवे एपिसोड में हुआ होगा , जिसके सबसे बड़े सूत्रधार और फाउंडर  डॉक्टर सेठी परिवार आज भी उतनी ही शिद्दत से अपने इस संगम को बड़े जोश खरोश  से चला रहे है  , इनके सहयोगी प्रवेश जी ,अशोक जी ,रजनी जी  , रानी जी , सुषमा जी भी तो इसकी सफल यात्रा की  गवाही जरूर देंगी। हम और हमसबसे भी पहले जुड़े सदस्यों सहित सब के सहयोग और समभगिता से ही आज तक का सफर और शुभ  दिन देखने को मिल रहा है. तो चलिए आज का गीतों का जश्न शुरू करते है , 

कभी देर की सोने में तो कभी  उठने में                 
कभी दर्द उठा सीने में तो कभी घुटने में 
कैसे खोलें अब लब ,अपने उनके ख़िलाफ़ 
क्या क्या सितम न हुए हमारे ना झुकने में

गुजर जाते हैं ----- खूबसूरत लम्हें ---
युहीं मुसाफिरों की तरह 

यादें वहीँ खड़ी रह जाती है --- रुके रास्तों की तरह 
एक उम्र के बाद --उस उम्र की बातें --उम्र भर याद आती है 

पर वोह "उम्र "जो गुजर गई  फिर "उम्र भर " नहीं आती ------ आती हैं तो सिर्फ यादें ---और बहुत सी  यादें 


पति : अरे पडोसन की डेथ कैसे हुई ?कोरोना से ?

पत्नि : अरे नहीं , दाल के भाव बहुत बढने से

पति: ओए पागल हो गई हो...
          क्या ऐसे कैसे ही सकता है?🤔
 
पत्नि: मैने अपनी अंखोंसे उसका डेथ सर्टिफिकेट देखा,
          उसपे लिखा था
Death due to High Pulse Rate.
                      दाल के रेट बढने से....

ओये भली लोके यह नाड़ी की बात हो रही है न की दाल की , 

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मज़ाक की भी हद होती है
😊😂😊

पीतल के चम्मच को  कितना भी घिसो, 
वह सोने की नही  बन सकता...

यह वाक्य 

कोई सिरफिरा
ब्यूटी पार्लर के बोर्ड के नीचे लिख आया..

कालोनी की सारी भाभियां मुह फुलाऐ बैठी है...



निगेटिव रिपोर्ट का कमाल‐---------------------------------------------
10 दिन की जद्दोजहद के बाद एक आदमी अपनी कोरोना
नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।
आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे।  🤷🏼‍♂️ 
जंग जो जीत कर आया था वो।
लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।
गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद ,😌 आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।

न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन 
के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था।

कैसे गुजारे उसने  वे 10 दिन, वही जानता था।😓
घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी  और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी ।
  माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।

पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास  (आइसोलेशन )
भोग रही माँ से कहा कि माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे। 
माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ? 
  इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ?  बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ? 

बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी ।
इसी का नाम है- जिंदगी
      जियो और जीने दो


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आपको एक इंग्लैंड का किस्सा सुनाता हूँ , प्राइम  मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल ने खुद अपनी किताब में लिखा है , एक बार इंटरव्यू के लिए  बीबीसी ऑफिस जाने के लिए टैक्सी ली और वहां  पहुँच कर टैक्सी वाले से 40 मिनट वेट करने  को कहा की वापिस भी जाना है , टैक्सी वाले ने तुरंत मना कर दिया की उसे घर जाना है और winston churchil की  स्पीच सुननी है , चर्चिल यह सुन बड़े खुश हुए की देखो जनता में वह कितने पॉपुलर हैं हर नागरिक मुझे सुनना चाहता है , चर्चिल ने बिना अपना परिचय दिए टैक्सी वाले को 20 पाउंड्स दिए जो की उन दिनों अच्छी खासी रकम मानी जाती थी , टैक्सी वाला एक पौंड की जगह इतना बीस गुना पैसा देख खुश होते हुआ बोलै जनाब , आप जब भी वापिस जाना चाहे मैं इंतज़ार करूँगा , भाड़ में जाए चर्चिल और उसकी स्पीच। चर्चिल ने किताब में लिखा है के मैं इतना हैरान हूँ पैसे की वजह से लोग देश के खिलाफ,  भी बोलने लगते है , प्रधानमंत्री को गाली दे सकते है , पैसे के लिए अपना जमीर ,वोट , इज़्ज़त ,परिवारों में फुट , दोस्तों में झगड़ा ,लोग पैसे के लिए जान भी ले लेते हैं , पैसे की इतनी गुलामी देश और दुनिया के लिए एक दिन बहुत बड़ा खतरा साबित होगी , और यह आज सच होता दिख भी रहा है , अमेरिका और इंडिया के हालत से अपना मतलब निकाल लीजै 


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हरयाणा में कोरोना lockdown के दिनों में एक शराब पीकर घुमने वाले व्यक्ति को पुलिस पकड़कर ले गई..

400, 500 लोगों की भीड़ भी उसके पीछे - पीछे थाने चली गई..
इतनी भीड़ देखकर पुलिस घबरा गई उन्होंने  उसको कोई बड़ा सरकारी मंत्री समझ , उसे  तुरन्त छोड़ दिया और माफ़ी भी माँग ली गलती के लिए..

उसने बाहर निकलकर इतनी भीड़ देखि तो सबको सहयोग करने के लिये धन्यवाद दिया..

भीड़ बोली.. भाड़ में गया तेरा धन्यवाद.. तूँ तो हमने यो   बता कि यो  मिल कड़े रही है 🍾🥃..?

😆😆😜😜😜😜🤪🤪