मेरे अदबी संगम के मित्रो को एक बार फिर आपके दोस्त एंड होस्ट राजिंदर नागपाल की तरफ से भी तह दिल से स्वागतम ,इस संगीत की महफ़िल में , जहाँ थोड़ी गीतों की और जोक्स की मस्ती होगी , आज हमारे अदबी संगम की महफ़िल का #500 वां समागम है .
लेकिन दिल से अभी उतना ही जवान है जितना कभी पांचवे एपिसोड में हुआ होगा , जिसके सबसे बड़े सूत्रधार और फाउंडर डॉक्टर सेठी परिवार आज भी उतनी ही शिद्दत से अपने इस संगम को बड़े जोश खरोश से चला रहे है , इनके सहयोगी प्रवेश जी ,अशोक जी ,रजनी जी , रानी जी , सुषमा जी भी तो इसकी सफल यात्रा की गवाही जरूर देंगी। हम और हमसबसे भी पहले जुड़े सदस्यों सहित सब के सहयोग और समभगिता से ही आज तक का सफर और शुभ दिन देखने को मिल रहा है. तो चलिए आज का गीतों का जश्न शुरू करते है ,
कभी देर की सोने में तो कभी उठने में
कभी दर्द उठा सीने में तो कभी घुटने में
कैसे खोलें अब लब ,अपने उनके ख़िलाफ़
क्या क्या सितम न हुए हमारे ना झुकने में
गुजर जाते हैं ----- खूबसूरत लम्हें ---
युहीं मुसाफिरों की तरह
यादें वहीँ खड़ी रह जाती है --- रुके रास्तों की तरह
एक उम्र के बाद --उस उम्र की बातें --उम्र भर याद आती है
पर वोह "उम्र "जो गुजर गई फिर "उम्र भर " नहीं आती ------ आती हैं तो सिर्फ यादें ---और बहुत सी यादें
पति : अरे पडोसन की डेथ कैसे हुई ?कोरोना से ?
पत्नि : अरे नहीं , दाल के भाव बहुत बढने से
पति: ओए पागल हो गई हो...
क्या ऐसे कैसे ही सकता है?🤔
पत्नि: मैने अपनी अंखोंसे उसका डेथ सर्टिफिकेट देखा,
उसपे लिखा था
Death due to High Pulse Rate.
दाल के रेट बढने से....
ओये भली लोके यह नाड़ी की बात हो रही है न की दाल की ,
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मज़ाक की भी हद होती है
😊😂😊
पीतल के चम्मच को कितना भी घिसो,
वह सोने की नही बन सकता...
यह वाक्य
कोई सिरफिरा
ब्यूटी पार्लर के बोर्ड के नीचे लिख आया..
कालोनी की सारी भाभियां मुह फुलाऐ बैठी है...
निगेटिव रिपोर्ट का कमाल‐---------------------------------------------
10 दिन की जद्दोजहद के बाद एक आदमी अपनी कोरोना
नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।
आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे। 🤷🏼♂️
जंग जो जीत कर आया था वो।
लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।
गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद ,😌 आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।
न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन
के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था।
कैसे गुजारे उसने वे 10 दिन, वही जानता था।😓
घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी ।
माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।
पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास (आइसोलेशन )
भोग रही माँ से कहा कि माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे।
माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ?
इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ? बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ?
बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी ।
इसी का नाम है- जिंदगी
जियो और जीने दो
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आपको एक इंग्लैंड का किस्सा सुनाता हूँ , प्राइम मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल ने खुद अपनी किताब में लिखा है , एक बार इंटरव्यू के लिए बीबीसी ऑफिस जाने के लिए टैक्सी ली और वहां पहुँच कर टैक्सी वाले से 40 मिनट वेट करने को कहा की वापिस भी जाना है , टैक्सी वाले ने तुरंत मना कर दिया की उसे घर जाना है और winston churchil की स्पीच सुननी है , चर्चिल यह सुन बड़े खुश हुए की देखो जनता में वह कितने पॉपुलर हैं हर नागरिक मुझे सुनना चाहता है , चर्चिल ने बिना अपना परिचय दिए टैक्सी वाले को 20 पाउंड्स दिए जो की उन दिनों अच्छी खासी रकम मानी जाती थी , टैक्सी वाला एक पौंड की जगह इतना बीस गुना पैसा देख खुश होते हुआ बोलै जनाब , आप जब भी वापिस जाना चाहे मैं इंतज़ार करूँगा , भाड़ में जाए चर्चिल और उसकी स्पीच। चर्चिल ने किताब में लिखा है के मैं इतना हैरान हूँ पैसे की वजह से लोग देश के खिलाफ, भी बोलने लगते है , प्रधानमंत्री को गाली दे सकते है , पैसे के लिए अपना जमीर ,वोट , इज़्ज़त ,परिवारों में फुट , दोस्तों में झगड़ा ,लोग पैसे के लिए जान भी ले लेते हैं , पैसे की इतनी गुलामी देश और दुनिया के लिए एक दिन बहुत बड़ा खतरा साबित होगी , और यह आज सच होता दिख भी रहा है , अमेरिका और इंडिया के हालत से अपना मतलब निकाल लीजै
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हरयाणा में कोरोना lockdown के दिनों में एक शराब पीकर घुमने वाले व्यक्ति को पुलिस पकड़कर ले गई..
400, 500 लोगों की भीड़ भी उसके पीछे - पीछे थाने चली गई..
इतनी भीड़ देखकर पुलिस घबरा गई उन्होंने उसको कोई बड़ा सरकारी मंत्री समझ , उसे तुरन्त छोड़ दिया और माफ़ी भी माँग ली गलती के लिए..
उसने बाहर निकलकर इतनी भीड़ देखि तो सबको सहयोग करने के लिये धन्यवाद दिया..
भीड़ बोली.. भाड़ में गया तेरा धन्यवाद.. तूँ तो हमने यो बता कि यो मिल कड़े रही है 🍾🥃..?
😆😆😜😜😜😜🤪🤪