Wednesday, August 26, 2020

ADAB SANGAM TOPIC --BARSAT ----- बारिश ---RAINS---- वर्षा -- मींह -- बरसात के पल -August 2020


"LIFE BEGINS HERE AGAIN 




बरसात या बारिश का हर जिंदगी पे ,
होता अलग अलग असर है ,
 मौत का फरमान है किसी का ,
किसी के जीवन की गुजर बसर है  

 शायर बरसात को  रोमांटिक बताता है -
 गीतकार बरसात पे गीत लिख देता है  ,
हम से  मिले तुम , तुम से मिले हम..  , बरसात में , 


किसान झूम झूम के गाता है बरसात मे
रब्बा रबा मींह बरसा साढे  कोठी दाने पा 
प्रेमी अपनी मेहबूबा मिलन की रात को याद करता है 
वाह ! क्या बरसात की रात थी वोह,

 जिंदगी भर नहीं भूलेगी वोह बरसात की रात 
, कीचड़ से सनी  सड़कों में मुलाकात की रात , 
कभी ना जुदा होने की कसमों की सौगात। 

प्यार की तपिश में बह जाने की बरसात की  रात ,
जेहन में उठते तुफानो को समझने की वोह रात 

गर बादलों से सजे आसमां को, 
था ग़ुरूर  सबसे ऊंचे होने का  ,

पूरी कायनात ,उसकी बूंदो की गुलाम,
 सब मेरी बूंदों  लिए ही तो तरसते है ?

बिन मेरे कैसे चलेगा इनका कोई भी काम 
इसी में ही तो निहित है,इन सबका मुक़ाम 


ऐसा था तो बारिश को मगर, ‘ज़मीं’ ही रास क्यों  आयी ?
सिर्फ इंसान ही क्यों कुछ तो चाहत रही होगी 

इस बरसात की बुंदों कि भी….. 
वरना कोन गिरता है जमीन पर ,
आसमान तक पहुँच जाने के बाद…?…


वक्त के साथ बरसात के मायने जरूर बदल गए है ,
किसे इलज़ाम  दे , फितरतन इंसान भी तो बदल गए है 

जो बरसात बचपन में हमें हर  सुकून  देती थी ,
आज वही बरसात की रात हमें अपने टूटे हुए

रिश्ते के दर्दों का , एहसास दिलाती सी लगती है !!
बरसात से रिश्ता आज भी उतना ही गहरा है,
हम जीने वालों का। 

तन मन को शांत करता आखिर ठंडा पानी ही तो है ,
 रिश्तों ने जख्मों पे गिराया जो ,वह  नमक तो नहीं ?

आँखों के सामने वह मंजर भी आज जीवित हो उठा  है 
जब उसने कुछ लिख ,फिर मछोड़ कागज के टुकड़े को,
 मेरी गाडी पे फेंका था , जिसमे यह पैगाम  लिखा था 

मेरे अजनबी दोस्त ,तुम्हे पहली बार उस बरसात में अपनी गाडी़ को ठीक करते देखा था,,
मैं सामने वाली बालकनी की टपरी से तुम्हे घंटो निहारती रही थी…तुम्हारी कश्मकश को 

मगर तुम  मशगूल थे शायद, ठीक करने में अपनी गाडी़
मेरी और …एक बार भी नजर, उठी नहीं तुम्हारी। .....
किस हक़ से देती आवाज तुम्हे ?कैसे शुरू होती हमारी बात ? 
  देख पाते तुम मुझे अगर ,दिख जाती मेरी  
आँखों में तैरती ,
उफनती ,लहराती झमाझम  प्यार की वह बरसात,
 

आज भी ढूंढ़ती रहती है ,आँखें मेरी कुछ मायूसी ,
और कुछ उमीदों से भरी ,हर उस बरसात की रात में,
 
शायद फिर कभी आपकी गाडी बरसात में बिगड़ जाए, 
जो बात अधूरी थी वो  शायद ,आज दीदारे यार हो जाय , 

कितने ही दिल जोड़े थे इस बरसात ने  ,मैंने सुना है मगर 
उन हसीं खवाबों का क्या, जो टूट गए इसी  बरसात में  ? 

अभी तक इसी इंतज़ार में हूँ , सोच में  रहती  हूँ 
कभी बेपनाह बरसी , कभी गुम सुम सी है ……
इस बारिश की फितरत भी कुछ-कुछ तुम सी है |

ऐसा रिश्‍ता भी क्या?, जो बारिश की तरह बरसकर खत्‍म हो जाए?
 रिश्‍ता हवा सा चाहिए ,जो खामोश भले हो ,मगर हो बसा हर सांस में 

❤हर बार यही दुआएं मांगती हूँ 
ए बारिश ज़रा थम थम के बरस,
 मेरा यार आ जाए तो जम के बरस लेना 

पहले इतना ना बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरसना की  , वो जा न सके 
 वापिसी के रास्तों पे समुन्द्र सी बन जाना ,
जिसके पार, बड़े से बड़ा तैराक भी, जा न सके 

बरसात से भरे बादलों  ने एक जोरदार गर्जना की ,
पूरा आसमान जगमगा उठा , आवाज आई 
बारिशों से दोस्ती ,इतनी अच्छी भी  नहीं ,
कच्चा तेरा मकान है ,और  खतराये तुम्हारी  जान है 


 ऐसी शायरी  तब सूझती है जब हमारे पेट में रोटी और तन पे कपडा और सर पर छत सलामत हो ? यह सब हमे देने वाला कौन है अब जरा उसकी भी सुनते है ? 

एक बेचारा इंसान टकटकी लगाए ,
बैठा है टिकाकर निगाहें,आकाशकी और ' इंतज़ार है उसे बरसात का
बादल आये तो जरूर पर , बिन बरसे ही मुहं फेर चल दिए कहीं और

वह इंसान चीख उठा , रोता रहा बादलों की बेवफाई पर , बारिश की रुस्वाई पर ,
कैसे अदा होंगे कर्ज उसके , जो बीज उसने बोये थे , वह भी तो उधारी पर थे।
यह मजलूम इंसान एक किसान है , कभी बाढ़ कभी सूखा , बस यही उसका अंजाम है

बेटी की शादी भी तो करनी है , इसी फसल के भरोसे ? बड़बड़ा रहा था मन ही मन में 
बारिश की बूंदों को हुआ घमंड.है .
 बादल भी अब बदल गए है , गरीबों के गावं और खेतो को छोड़, 
अमीरों के शहर में ही रुक गए है 
यहाँ हमारे खेत  बरसात को तरसे …है …और यह शहरों में झमाझम बरसे है 

.!एक आवारा सा बादल , बिछड़ गया था अपने कारवां से
सुन किसान की पुकार रुक गया ठिठक कर , मजबूर था ,
इतना पानी न था उसके पास जो बुझा सके उसकी धरती की प्यास ,

वह ठहरा रहा कुछ पल , पीछे से आते बादलों के इंतज़ार में ,
सबने मिलकर इतनी गर्जना की , किसान की नींद खुली , 
छत से पानी जो टपका उसकी गाल पे। झूम उठा किसान ,
बेफिक्र हो अपने मकान की टपकती छावं से , नाचने लगा  

हो गई झमा झम बारिश. हमारे गांव और शहर मे एक साथ 
अब रोती हुई आँखो केआँसू भी ,
जा मिले बरसात के सैलाब में  

बारिश समझनी है तो किसानों के चेहरे पर पड़ी पेशानी ,
और उसके  बहते आसुओं की शायरी की नज्मो को  पढो..
वरना शायर ने तो फक्त  इसे इश्क के दायरे में ही बांध रखा है

कैसे  जान पे बन आई थी उस बेचारे किसान की। 
बादल भी किसान को खुश देख आगे बढ़ चले ,
किसान की जिंदगी बारिश के फंदे में झूलती रहती है ,
उसकी जिंदगी और मौत के बीच यही बरसात ही तो है ?

बहुत काम बाकी था उनके पास ,
बहुत बोझ भी तो  था बादलों में पानी का , 
उसे भी तो मंजिल तक पहुँचाना था 
 धरती , नदियों , पेड़ों  की धुलाई सफाई करना भी ,
प्रकृति ने उन्हें ही तो सौंपा था.

!अब बादलों का कारवां टहलते टहलते जा पहुंचा चमचमाते शहरों में ,
धुलाई शुरू हुई सड़को पे सैलाब आ गया।

इंसानो की बेशकीमती गाड़ियाँ , छोड़ के अपने मालिकों का साथ
चल पड़ी लहरों की मौजों के साथ , जैसे कह रही थी , ऊब गई हैं
इस शहर की आबो हवा से , नहीं करनी हमे अमीरों की नौकरी ,
अब तो जहाँ लहर वहीँ हमारा पीहर। 
जो कभी एक किसान की जिंदगी में बारिश का महत्व नहीं समझता था 
अब यह शहरी इंसान भी अपना जानो माल का नुकसान देख रोने लगा।

इन्शुरन्स वाले भी दिवालिए होकर अपने वादों से मुकरने लगे
क्या विधान है विधि का एक इंसान , रोता बारिश बिन , दूजा कोसे बारिश को

एक दूसरा सीन मेरे बचपन की बरसात का :मेरे मन में कौंधा --

बच्चों को कभी देखा था बरसात में खूब उछल कूद करते
बेफिक्री से इस बरसात का लुत्फ़ उठाते थे ,
 लेकिन अब वह बात नहीं होती 

बरसात का मौसम और बारिश कि बूंद, एक मौका होता था घर में रहने का 
पकोड़े और मालपुए , और गरमा गर्म चाय ,पूरा परिवार एक साथ , 
बड़ा सुखद संयोग हुआ करता था , आज यह खाओ वो न खाओ की नसीहत ,
 बरसात के लुत्फ़ को ही फीका किये जाते है 
,

चांद को मामा और तारों को अपने बिछड़े दोस्त बताए अब वो रात ही नहीं होती ,
पेड़ों पे लगे सावन के झूलों से खिलखिलाती सखियों कि बात नहीं होती ,
छत पे रात को बारिश सोते को  जगाया करती थी , अब छत पे वोह खाट नहीं होती 
शहर शहर गाँव गांव बहुत तलाशा बचपन को, कैसे मिलता इतने वक्त के बाद ?
आईने में देखा तो यकीन आया , यह तो  कब का बुढ़ापे में उत्तर आया था , 

याद आने लगी हमें वह अमीरी जब हमारे पास वक्त की दौलत खूब  हुआ करती थी 
जितनी भी खर्च करो ख़त्म ही नहीं होती थी , हर काम हर बात के लिए वक्त ही वक्त था 
बरसात ही हमारा एकमात्र मस्ती का जश्न होता था , 

अचानक कहाँ खो गई हमारी वह अमीरी ?, 
 

हर बारिश के तूफान  में हमारे कागज के जहाज चला करते थे
उन सुखद पलों की फक्त यादें ही बची है अब तो 
बाकी सब कुछ तो कभी का गृहस्थी के सैलाब में बह गया  
वक्त की कमी ने हमे गरीब बना दिया ,और तब से 

हमने  वैसी बरसात नहीं देखीं!
वैसे तो आजकल मेरे शहर में भी बरसात बहुत हो रही हैं, लोग बड़े खुश है
पर इन्ही बूंदो के शोर में मेरा रोना किसी को सुनाई नहीं पड़ता!तूफानी बारिश नै कितने ही घरों की छतें उड़ा दी , गरीब की झोपडी की तो औकात ही क्या थी ?


बात चली किसान की तो , सड़क किनारे बने गरीबों के झोपड़ों का बह जाना 
बरसात में कई तरह के मछर मखीओं का बेइंतेहाः बढ़ जाना 
घर में बिमारियों का बढ़ जाना ,यह भी तो बरसात की ही देंन होती है, 
ख़ुशी के साथ साथ  बरसात मुसीबत भी तो लाती है   


बारिश और तूफ़ान’में एक पंछी का रुद्रण भी सुनाई देता है
वो परिंदा हिज्र में रात भर उसी टूटी टहनी पर बैठकर रोया,
जिस टहनी पर उस शाम तक उसका घर हुआ करता था, 
आज वोह वृक्ष बेदाम सा जमीन पे पड़ा है , 
बारिश ने उसे इतना पानी पिला पिला कर पानी के नशे मे सराबोर हुई 
उसकी जड़ो को जमीन से ही जुदा कर दिया था , 


जब  बरसात के साथ हवा का तूफान भी चलता है ,
तब कहाँ उसपे किसी का जोर चलता है 
उखड़ गए पेड़ भी आकर  उसकी चपेट में ,
बुढ़ापे की देहलीज़ परथे , गिरे जो सहारे की तलाश में  ,
किसी मकान या दुकान या सड़क पर खड़ी  कार पे।  
आप रोये अपने नुकसान पे , और पेड़ चले शमशान को। 


आँधियों ने एक झटके में उनका  वज़ूद ही मिटा दिया,
 लेकिन गिरते गिरते, कई मकान और कीमती गाड़ियों को भी जन्नत रसीद  करा दी ,
 लोगो को चेता दिया की हम तो मरेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे ,तुमने प्रकृति से जो खिलवाड़ किया है , मेरी जड़ो को भी जो अपने मतलब के लिए कंक्रीट के फुटपाथों में दबा कर  मुझे जीते जी ही दफना दिया था , 

मैं वहां १०० साल से खुली साँसे लेता था इंसान को भी सांस देता था ,मैं आंधी तुफानो के वेग को कम कर तुम्हारी जान माल की हिफाज़त करता था  
मुझे इसी  बारिशकी सौगात ने जमींदोज़ करके मुझे मोक्ष दिला कर 
तुम्हारी कैद से आज़ाद कर  दिया है 
लेकिन हे स्वार्थी  इंसान अब आप किसका सहारा ढूंढोगे ? यह बरसात तुम्हे भी नहीं  छोड़ेगी , चुन चुन कर तुम्हारा भी हिसाब करेगी। यह एक गिरते हुए पेड़ का अभिशाप पूरी दुनिया में बरसात का तांडव मचाये हुए है। सब कुछ बहे जा रहा है इसके प्रकोप से। 


ये बारिश का पानी आशिकों को अच्छा लगता होगा
हमें तो जुकाम हो जाता है.. भीग जाने पर 
बारीश जरुरी हैं खेतो में ये सोच कर सहम जाता हूँ ,
वरना टपकती छत में नींद 
किसान  को भी कहाँ आती? जनाब ?

































Tuesday, August 25, 2020

जिंदगी सिर्फ विचारों की भटकन के सिवा कुछ भी नहीं AUGUST,20th ,2020


जिंदगी विचारों की भटकन के सिवा कुछ भी नहीं 






आपस में एक जुट रहें,
ताकत है- तो इसी में है

देखो न ऐब उनके ,
मुहब्बत है --तो इसी में है ,

सेहत भी हो ,
रोटी कपडा और मकान भी हो ?
और हमारे दिल को भी हो तस्कीन मुक्कमल ।

दुनिया में  जीने को  नेमतें हैं-
तो बस इसी में हैं


शिकायत कौन करे ? कैसे करे ? किस से करें ?

जो दर्द मिला है अपनों से , गैरों से शिकायत कौन करे,

ऐ दिल बता किस मुहँ से कहें , क्योंकर क्या हम पे यह गुजरी है ,
 अब चुपी ही एक रास्ता है , रुसवाई और जगहंसाई से बचने का 

कुछ अपनों का नाम भी जो शामिल है इन दर्द ख़ारों में
जो जख्म दिया फूलों ने , अब काँटों से शिकायत कौन करे ?

इन आँखों ने जो देखा है , पग पग पर दुनिया का मंजर !
चाहत में जिसकी डूबे थे , घुपा है पीठ में उन्ही का खंजर
,
बेहतर है खामोश रहें यह जुबान ,
जब कर न सके अपनों से गिला..........


.. गैरों से शिकायत कौन करे ???





"FOR MAKING TRUE FRIENDS WE DON'T NEED TO SHARE CUPS OF TEA BUT OUR HONEST VIEWS"




एक बच्चा जन्म लेने जा रहा था। उसने भगवान से पूछा, आप मुझे कल नीचे पृथ्वी पर भेज रहे हैं, मैं इतना छोटा और असहाय हूं, वहां जाकर कैसे रहूंगा?

भगवान बोले, बहुत सारी परियों में से एक परी मैंने तुम्हारे लिए चुनी है। वही तुम्हारी देखभाल करेगी। पर मुझे बताइए, मेरे साथ वहां क्या होगा, मैं वहां क्या क्या करुंगा? यहां स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता, हंसने और गाने के सिवाय, इसी से मुझे खुशी मिलती है।तो फिर पृथिवी पर इससे अलग क्या होने वाला है ?

वहां एक परी तुम्हारे लिए हर दिन गाएगी व मुसकराएगी, तुम्हारी हर खुशी का खयाल रखेगी और धीरे-धीरे तुम्हें नया भी बहुत कुछ सिखाएगी


वहां के लोगों की भाषा व बात मैं कैसे समझूंगा?
वह परी तुम्हें मधुर शब्दों में सब समझाएगी और तुम्हें बोलना भी सिखाएगी। और जब मैं आपसे बात करना चाहूंगा तो क्या करूंगा? वह परी तुम्हें हाथ जोड कर ,मेरी याद में मेरी प्रार्थना करना सिखाएगी, जिससे सीधे न सही, पर भावनात्मक स्तर पर हमारी-तुम्हारी बातचीत होगी जरूर।


मैंने सुना है कि पृथ्वी बुरे आदमियों से भरी पडी है, मेरी रक्षा कौन करेगा?
वह परी अपनी जान पर खेल कर भी तुम्हारी रक्षा करेगी। आपको देख न पाने के कारण, आपके बारे में जान न पाने के कारण मैं उदास हुआ तो..।


वह ही मेरे बारे में तुम्हें सब बताएंगी। सब तरफ से हार जाने पर बच्चा समझ गया कि उसका नीचे जाना तय है। हार कर उसने पूछा कि भगवन, मैं जा रहा हूं, पर जिसके पास जा रहा हूं, आप मुझे उस परी का नाम तो बता दीजिए।


उसका नाम बहुत मायने नहीं रखता, पर तुम उसे मां बुला सकते हो। यह है मां बच्चे के बीच की असली कहानी। यह सच है कि एक बच्चे के नजरिए से देखें तो सदियों पहले का बच्चा हो या आधुनिक बेबी, भारत में जन्म लिया हो या अमेरिका जैसे हाई-फाई शहर में
या पिछडे हुए किसी गांव में , माँ सब की एक ही तरह की होती है

Saturday, August 22, 2020

Personal Address By shveta Nagpal as co-chair of IALI women forum on August 7. 2020


I am shveta Nagpal who has recently been inducted as co-chair of the IALI women Forum, Though I am an IT professional working for New york state department of taxation for the last several years, fortunate enough for having been chosen by IALI to be part of this august forum as well. 

Despite having time constraints as an active professional, still was aspiring to vent my positive energy in some social activities apart from my field of expertise, hence gladly consented to join this forum forthwith.

 I found it extremely purposeful and educative to be associated with social forums like IALI, providing me with opportunities to meet and greet successful personalities of various streams. As I am doing Now.

 IALI to me is a happening platform where one can learn and be richer in experience through interactions with persons of achievements in various streams, 

Today  I feel more privileged and thankful to be with you from Air force, who are our saviours who protect the nation risking their own life, have bravely served India with an undying sense of sacrifice and valour,

 This is once in a lifetime opportunity to hear you narrate and share your experiences with us. I once again welcome you all and thank you for sparing your valuable time for us