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Tuesday, April 4, 2023

ADABI SANGAM ------------ TOPIC NO ------------ पवन , हवा , WIND, वायु -----------27-06-2020


                        हवा के साथ साथ 

                              

 गीत तो कितने ही लिख डालो , हवा को जाने बगैर हम कहीं भी खो जाते है 
हवा के साथ साथ , घटा के संग संग , ओ साथी चल , मुझे भी लेके साथ चल 
हवा में उड़ता जाए , मेरा लाल दुपट्टा मलमल का , हो जी हो जी। 
सावन का महीना पवन करे सोर ,

पवन धीरे धीरे बहे तो समीर कहलाये 
थोड़ा तेज चलने लगे तो हवा हमारे बालों को लहराने लगती है 
पत्तों को सहलाने लगती है 
थोड़ा और गति बढे तो आंधी बन जाती है , धुल मिटटी के गुबार , पेड़ो से पत्तों को छुड़ा देना , इंसान को कहीं छुपना पड़ता है। 

आंधी को तूफ़ान बनाने में कुदरत की पूरी ताकत इसके पीछे लग जाती है। 

हमारे शास्त्रों में भगवान् को बड़ी ही खूबसूरती से  परिभाषित किया है कि भगवान् कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो ऊपर अकाश में रहती हो और जो हमें किसी भी प्रकार से नियंत्रित करती हो , अगर कोई शक्तियां हैं तो वह उन ग्रहो में है जो हमारी पृथिवी की तरह ही ब्रह्माण्ड में स्थापित है और उनकी उर्जित किरणों और विकिरण से उत्पन शक्ति हमारी पृथ्वी को भी प्रभावित करती है और चुंबकीय सौरमंडल में सब ग्रह एक दुसरे से एक उचित दूरी बनाये हुए है और सालों साल से ऐसे ही नियम से चले जा रहे है , यही वोह शक्ति है जो हमारी समझ के परे हो जाती है यहाँ हमारा विज्ञानं भी ज्यादा कुछ नहीं बता पाता।

इन ग्रहो पे न तो जीवन है न ही कोई ऑक्सीजन , जीवन अभी तक नहीं मिला, लेकिन जिसे हम भगवान् कहते है वोह तो वहां भी है , वहां भूमि है , कहीं कहीं जल भी किसी न किसी गैस के रूप में विध्यमान है, न खत्म होने वाला एक विशाल ब्रह्माण्ड रुपी आकाश ।  हवा का प्रचंड रूप एक तूफ़ान के रूप में देखने को वहां भी मिलता है।

हवा कहाँ से आती है क्या है कैसे चलती है , क्यों चलती है?और हमें दिखाई क्यों नहीं देती ?

यहीं पर जिकर आया की कोई शक्ति तो है जो दिखाई नहीं देती है , उसे शास्त्रों में नाम दिया की यह शक्ति एक नहीं बल्कि शक्तियों का समिश्रित समूह है जिसे जब मिला कर देखा जाये तो " भगवान् का रूप सामने आ गया "अब देखिए भगवान् शब्द कैसे बना।


BH -- भूमि
A ---आकाश
G--- आपस में बाँधने वाली शक्ति "गुरुत्व"गुरुत्वाकर्षण
V---वायु
A ----अग्नि
N -- नीर

अब इसी भगवान् ने अपनी प्रिंट फोटो कॉपी इंसान के रूप में बना कर धरती पे उतारी , इंसान में भी यही मुख्य पांच तत्व ही है जो की भगवान् में है।

हनुमान को हम अंजनी -पवन पुत्र क्यों कहते हैं ? क्योंकि पवन और अंजनी के समागम से उत्पन हुए हनुमान की गति हवा से भी तेज़ थी , वोह इतना तेज़ उड़ सकते थे की जैसे हवा ही उन्हें हर जगह लेकर जाती थी। इसलिए इनको  भगवान् का दर्जा हासिल है और घर घर में इन्हें पूजा जाता है। 

इंसान का शरीर भूमि से पैदा हुई खुराक से बना है , पानी ही इसका शरीर और खून है जो की शरीर का 98 % तक है , हवा यानी की इंसान की सांस इंसान के हृदय का इंजन है और हवा में मौजूद ऑक्सीजन इंसान के शरीर की ऊर्जा। पेड़ पौधे भी हवा से नाइट्रोज़न और कार्बन डाइऑक्साइड लेकर सूर्य की ईंधन में अपना भोजन बनाते है और इंसान को जिन्दा रखने के लिए अर्पण कर देते है

अब इसमें भगवान् शब्द के एक अंश का नाम हवा ही तो है "हवा " पवन , wind , वायु किसी ने इसे आज तक देखा तो नहीं पर महसूस जरूर किया है , इसी हवा रुपी इंजन में हमारी सांस की ऑक्सीजन समाहित है , हवा के जरूरी तत्वों में ऑक्सीजन , नाइट्रोज़न , कार्बन डाइऑक्साइड , और बाकी की प्रकृति से उतपन हुई गैस भी हवा के भीतर समाहित हैं।

जब गर्मी लगने लगती है तो ध्यान जाता है की हवा बंद है ,पसीना नहीं सूख रहा तो पंखा चला कर हवा के झोंके पैदा किये जाते है ताकि हमारे शरीर का बाहर निकला हुआ गर्म पसीना हवा के साथ भाप बन के उड़ जाए और हमे ठंडक देने लगे।

हवा गर्म लगने लगे तो ऐरकण्डीशन या कूलर में से इसे गुजार कर ठंडा करके अपने कमरे में आने देते है पर दिखाई यह तब भी नहीं देती सिर्फ अपने होने का अहसास ही देती है , ईश्वर भी कहाँ दिखाई देता है जो उसका ही एक अंश जो हवा है ,हमें दिखाई देगी ?

जब यही पवन , सूर्य देव की चिलचिलाती गर्मी में तप कर , हलकी हो कर आसमान की तरफ उठने लगती है तो ,समुन्दर से पानी भी चुरा लेती है ,ताकि इतनी भी हलकी न हो जाए की धरती पे लौट ही न पाय। और भाप बन कर काले काले बादलों के रूप में दिखाई देने लगती है , भाप के बदरा घिर आते है , सूर्य को पूरा ढक लेते है लोग झूमने लगते है गर्मी से निजात पाकर।

पवन का वायु चक्र अभी थमा नहीं है , यह उन्ही बादलो को अपने कंधे पे सवार कर चल पड़ती है अगले पड़ाव पर , जो है बर्फीले पहाड़ , ठन्डे पर्बतों से टकरा कर यह पवन अब पुरबा बन के वापिस लौटती है मैदानों की तरफ अपनी अगली मंजिल की और ,तो इसमें समुन्द्रों से चुराई हुई पानी की भाप और भाप पहाड़ो की बर्फ से ली हुई गजब की ठंडक होती है, इस लिए भाप अब  पानी की बूंदों का सागर बन चुकी होती है जो खुद को संभल नहीं पाती और मैदानों पर टूट कर बरस पड़ती है। यह सब हवा की देख रेख में चलता रहता है , हवाएं कभी तेज कभी माध्यम पानी को पूरी धरती पर लेजाकर बिखेरती रहती है।  

कुदरत के नियमानुसार हर साल धरती की धुलाई सफाई का जिम्मा हवा के पास ही तो है , हवा में प्रदूषण बढ़ जाए तो सांस लेना दूभर हो जाता है , पानी से भरे बादल बरस के तेज गति की हवा के सहारे , सारे भूमण्डल को झाड़ पोंछ के साफ़ कर देती है ताकि कुदरत का मेहमान " इंसान और जीव जंतु आराम से रह सके "  जी हाँ हम सब यहाँ मेहमान ही तो हैं जब तक कुदरत चाहेगी हमे दाना पानी और हवा  मिलेगा तभी तक जीवन चलेगा। 

 धुलाई किया पानी , बागों और खेतो में पहुँच जाता है ताकि वनस्पति से ऑक्सीजन उतपन होती रहे ,जीवन व्यापन के लिए अन्न पैदा होता रहे , नदियां लबा लब भर के चलती है पृथिवी की प्यास बुझाने के बाद , बचा हुआ जल हमारी साल भर की जमा की गन्दगी को लेकर वापिस समुन्दर को लौट जाता है ,वहां इसी गन्दगी से एक नया जीवन समुन्दर में भी चलता रहता है वहां भी वनस्पति ,जीव , बैक्टीरिया , मछलियां इसी पानी को फिर से शुद्ध कर देती है।  इस पूरी प्रिक्रिया में सूर्य की गर्मी और हवा के दबाव का ही तो मुख्य संगम है।

लेकिन जब इंसान प्रकृति से छेड़ छाड़ करने लगता है तो इसी मंद बहती पवन का दबाव और मिज़ाज़ भी गर्म होने लगता है , इसी दबाव की वजह से मस्त बहती पवन रूद्र रूप धारण कर लेती है और अपनी तेज गति से समुन्दर में तूफ़ान ला देती है , ऊंची उठती लहरें और तूफ़ान कितने ही प्रकृती के दुसरे नुक्सान भी कर देती है , पेड़ उखड जाते है , घरों की छते कागज की तरह उड़ जाती है , इंसान की बिछाई पूरी की पूरी बिसात , बिजली के खम्बे और तारें पलों में छिन भिन हो कर टूट जाते है। लाखों इंसान इन्ही तूफानों की भेंट चढ़ जाते है , प्रकृति इंसान से अपना बदला उसकी जान लेकर ले लेती है और फिर से चलने लगती है अपनी अगली उड़ान पर।  
हमने हकीमों और डाक्टरों को भी अक्सर वायु विकार का नाम लेते सुना है , वात यानी की वायु दोष हमे कितना तकलीफ देती है जैसे की एसिडिटी , शरीर के सूक्ष्म कोशिकाओं में रुकी हुई हवा इंसान को हज़ारों तरह की तकलीफें ,बदहज़मी जोड़ो का दर्द , दिल का दौरा इत्यादि भी देती हैं । इसी वायु का जड़ी बूटी या दवाइओं से इलाज किया जाता है की वात और पित का समीकरण उचित मात्रा में बना रहे। यह हवा जीवन देती भी और लेती भी है।

वात यानी वायु एक संस्कृत शब्द है ,जहाँ जहाँ वात है वहां वहां वातावरण होता है यानी की हवा का निवास। हवा एक उर्दू शब्द है , हिन्दू हवा को पवन कहते है .बिमारी में जब भी हम हॉस्पिटल में भर्ती होते है सबसे पहले हमारी श्वास नाली में हवा मिश्रित ऑक्सीजन डाली जाती है , क्यों की हवा ही तो हमारे शरीर का इंजन है जो हमारे भोजन को पचा कर हमे ऊर्जा प्रदान करता है,

आज अगर कोरोना की बीमारी का प्रकोप फैला हुआ है तो लोगों की मृत्यु उनके फेफड़े जैसे ही वायरल बलगम से संक्रमित हो जाते और हवा के रास्ते बंद होने लगते है तो , फेफड़ों को हवा न मिल पाने यानी की सिर्फ उनकी सांस न ले पाने की वजह से मौत होती है , उन्ही की मदद को वेंटीलेटर और और कृत्रिम ऑक्सीजन हॉस्पिटल में दी जाती है , इसी से अंदाज़ लगता है की इंसान की जिंदगी में हवा की अहमियत क्या है ?

अब थोड़ा हंसी के लहजे में आप को बताऊँ ,हवा के इतने गुण समझने के बाद कुछ लोग खुद ही हवा में रहने लगते है , अपनी अपनी पतंग भी तो बिना हवा के नहीं उडा पाते यही सोच कर हवाई किले बनाते है , हवा बाज़ी करके लोगो को बेवकूफ भी बनाते है , इसका मतलब सीधा सादा यह है के जैसे हवा दिखाई नहीं देती वैसे ही लोग ऐसी ऐसी बातें करके लोगों को बेवकूफ बना देंगे जो वोह होते नहीं वोह दिखाने लगते है , इसे ही हवा बाज़ी कहते है। मेरी आपसे हाथ जोड़ नम्र निवेदन है की पतंगबाज़ी कर लेना , ठंडी ठंडी हवा के झोंको का पूरा पूरा लुत्फ़ ले लेना पर -----------
भूल कर भी 
हवा बाज़ी न करना। क्योंकि जिसकी शुरुआत हवाबाज़ी  से होती है न उसकी हवा भी जल्दी ही निकल जाती है 

अब किस किस याद का किस्सा खोलूं ,
हवाओं ने कैसे मेरा रुख ही  बदल दिया , 
गुजरी फ़िज़ाओं के बारे में सोचूँ , 
या उन खुशबुओं के बारे में सोचूँ ,
जिंदगी में रचे पलों के बारे में सोचूँ ,
अब जीवन किताब ही  बन गई है यादों की ,
अब उन यादों के सहारे उम्र काटूं 
या हवाओं के साथ खुद को बह जाने दूँ ?

किसी शायर ने मौत को क्या खूब नवाज़ा है :
ज़िन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा ,
आज सब मेरी मय्यद को ,घेर कर बैठे जा रहे थे ,
कोई तोहफा न मिला था ताउम्र ,आज तक उनसे ,
और आज फूलों की माला ही माला उनके हाथों में थी,
तरस गया था किसी ने मुझे आज तक एक कपडा भी न दिया,
और आज मेरी अर्थी पे नए नए परिधान ओढ़ाय जा रहें थे ,
ता उम्र दो कदम भी मेरे साथ जो आज तक न चले ,
आज बना के काफिला ,मुझे कंधे पे उठाय चले जा रहें हैं
आज मालूम हुआ की इन्सान की कदर 'मौत 'के बाद ही होती है ?
मैं हैरान हूँ ,मेरी मौत तो मेरी जिंदगी से ज्यादा खूबसूरत निकली ,
कमबख्त 'हम ' तो युही खौफ खाए जा रहे थे ?????





  • SUKH----सुख ---------Adabi sangam -- Meet on --2nd April 2023-----

    सुख ? बनाम दुःख 





    सुख देव और दुःख देव हैं तो जुड़वाँ भाई पर दोनों की फितरत जुदा है और रहते भी अलग अलग है। सिक्के के दो पहलुओं की तरह एक ही सिक्के पर होते हुए भी अपनी अलग अलग पहचान रखते है। लोग सिक्के को हवा में उछाल कर अपना भाग्य आजमाया करते है। सुख दुःख भी कुछ ऐसी ही परिस्थति से पैदा होते है जिनका सीधा तालुक हमारे कर्मो का फल होते है ,


    हम जैसा करते है, जैसा सोचते हैं वैसा ही सुख या दुःख हमारे जीवन में पैदा हो जाता है , चाहे वह आपकी अपनी वजह से हो या ,आपके इर्दगिर्द के माहौल से या हो आपकी औलाद से , आपकी प्रसिद्धि ,धन वैभव भी कभी कभी सुख देते देते दुःख में बदल जाती है ,
    क्यों ऐसे होता है ?आइये थोड़ा विश्लेषण करते है।


    एक बुजुर्ग किसान अपनी खाट पे बैठे हुक्के का मजा ले रहे थे , मैंने पुछा ताऊ कैसी चल रही है जिंदगी सुख से हो न ? भाई तन्ने याद सै मेरे दो बेटे सुखी राम और दुखी राम थे ? मैंने बड़े बेटे का नाम सुखी राम राखिआ था क्योंकि उसके पैदा होते ही घर में खुशीआं बिखर गई थी।


    हमारा पहला बेटा जो होएया था। कीमे दो साल में दूसरा भी पैदा होएया उसने तेरी ताई को घणी तकलीफ देइ , ऑपरेशन करके उसे पैदा करिया डॉक्टरों ने , उसके ढाल चाल देखते होये हमने उसका नाम दुखी राम ही राख दिया।


    दोनों पढ़ने लगे , सुखी पढ़ने में तेज निकला और उसकी नौकरी शहर में लग गई वहां उसने शहरी लड़की से शादी कर ली। वह अपनी बीवी के साथ शहर में ही रहने लगा , अब उसका ध्यान गांव से हट गया न वह हमें फ़ोन करता न कोई हाल चाल पूछता। तेरी ताई ने एक बार उसका नंबर मिलाया तो कहने लगा बहुत बिजी चल रहा हूँ कल फ़ोन करूँगा। वह कल कभी नहीं आया। तो भाई अब नू बता नाम सुखी राम और क्या सुख दिया उसने हमें ?


    दुखी राम तो वैसे ही निकम्मा था बात बात पे लड़ता था और हमारी जमीन की खेती उसी के हवाले थी उसका काम काज सिर्फ खेती करना ही था और वह भी गावं में अपनी बीवी साथ अलग मकान लेकर रहने लगा। उसका मिलना भी बहुत कम था हमसे कभी कभार उसकी बेटी मिलने आ जाती थी और तेरी ताई से खूब बातें किया करती थी, पर अब वह भी पढ़ने शहर चली गई है और हमारे पास अब कोई नहीं आता जाता , सिर्फ एक बोरी गेहूं और चावल और शकर हर साल हमें भेज देता है क्योंकि पंचायत का फैसला है।


    अब तुम ही बताओ दो दो बेटों का हमें क्या संतान सुख मिला ? कितनी मन्नतों से उनको भगवान् से माँगा था , मैंने बचपन में जो सुख पाए वह मुझे अभी तक याद है


    *बचपन के सुख * मित्रों संग खेलते घूमते सुख यात्रा *
    *माँ बाप के सनिग्ध से पाया हुआ सुख *
    *पत्नी सुख *पुत्र सुख *
    बेटी सुख यानी के सब संतान के सुख ,*
    *इन्द्रिये सुख * नौकर चाकर के सुख
    * तन के सुख , बड़ी गाडी बड़ी कोठी के सुख *
    *तरह तरह के स्वादिष्ट खानो का सुख *

    यह सब एक छलावा है ,अस्थाई आभास है हमेशा सुख देने वाले नहीं


    पास सब कुछ होता है फिर भी आप सुखी नहीं हैं तो उस सुख की बुनियाद ही शायद खोकली थी जो सिर्फ ऊपरी चमक थी। यही सोच कर अब हम चुप रहने लगे थे। इसी दौरान तेरी ताई को दिल का दौरा पड़ा और वह चल बसी , सुखी राम ने सिर्फ थोड़ा पैसा भेज दिया और कहने लगा आ नहीं पाउँगा छुट्टी नहीं ले सकता नौकरी चली जायेगी। अरे तेरे को माँ के जाने का तनिक भी सोक नहीं ? नौकरी की चिंता है ? और उसने फ़ोन काट दिया।


    मुझे सदमा लगा मुझे भी दिल का दौरा पड़ गया अब आडोसी पडोसी मुझे शहर के बड़े हस्पताल में ले गए और बोले प्राइवेट हस्पताल है बहुत ज्यादा पैसा लगेगा। पर तेरी जान बच जायेगी। यह मकान गिरवी रख दिया है और पैसा लेकर हस्पताल में जमा करवा दिया। ईश्वर की कृपा से दिल का ऑपरेशन ठीक ठाक हो गया , अब इंतज़ार में थे के छुट्टी कब मिलेगी


    पैसे की बड़ी दिक्कत थी, दुखी राम से तो कोई उम्मीद थी ही नहीं सो ,उसे हमने कोई फ़ोन नहीं किया , लेकिन जैसे ही ताई के मरने की खबर उसे किसी गांव वाले से मिली और मेरे भी हस्पताल में भर्ती की खबर सुनी वह भागा भागा हस्पताल पहुँच गया मेरे गले लग के खूब रोया , माँ को याद करके उसका रोना बंद ही नहीं हो रहा था।


    मैं दुखी राम के ऐसे व्यवहार से हैरान था , जो इंसान खुद हमें पूरी जिंदगी रुलाता रह आज खुद क्यों रो रहा है ? हमारी समझ से बाहर था क्या उसका मन पलट गया था ?


    सुबह हस्पताल से डिस्चार्ज होना था सो फाइनल बिल बन कर मेरे पास आ गया और उन्होंने कहा जल्दी से यह पैसा जमा करवा दो नहीं तो डिस्चार्ज नहीं हो पाओगे। बिल देख मेरे पाऊँ के नीचे से जमीन निकल गई पूरे बारह लाख का बिल था एडवांस जो जमा किया था काट के। अरे भाई हमने हमारी पूरी जिंदगी में इतनी रकम नहीं देखि थी कहाँ से लाऊंगा यह बिल भरने के लिए ?


    दुखी राम वहीँ खड़ा था उस ने वह बिल लेकर बोला , ठीक है जी,मैं बाहर डॉक्टर से बात करके आता हूँ ,लेकिन वह भी पूरी रात वापिस नहीं आया. अब मुझे पूरा डर लग रहा था के अब यह बिल कैसे भरू और सुबह छुट्टी कैसे लू. मेरा और तो कोई है भी नहीं और कोई जमा पूँजी भी नहीं मेरे पास ,इसी उधेड़ बुन में मुझे नींद आ गई और सुबह सिस्टर ने उठाया बाबा तैयार हो जाओ आज आपको वापिस घर जाना है।


    घर ? लेकिन वह बिल ? वह पेमेंट हो गया है। किसने दिया ? यह सब हमें नहीं मालूम लेकिन आप जल्दी से तैयार हो जाओ और बिस्तर खाली करो , दूसरा पेशेंट आने वाला है। नर्स ने जल्दी जल्दी मुझे व्हील चेयर पे बिठाया और लिफ्ट से नीचे लॉबी में लेकर आ गई वहां मेरा बेटा दुखी राम और हमारे गांव का मुखिया साथ में वहां का MP भी खड़े थे।


    सबने मुझे प्रणाम किया मेरा हाल चाल पुछा , मैं अपने बेटे दुखी के आलावा किसी को नहीं जानता था , सब ने मुझे बड़ी इज़्ज़त से गाडी में बिठाया और एक आलिशान कोठी के सामने आकर उनकी गाडी रुकी।


    दुखी तूँ मेरे को कहाँ ले आया है मेरा घर तो गांव में है , बापू वह घर भी आपका ही है और यह भी। इतनी देर में MP साहब बोले आपका बेटा हमारे साथ बिज़नेस करता है मेरी बेटी से इसकी शादी भी हुई है ,यह हमारा दामाद है और आप हमारे समधी ,दुखी राम ने अपनी मेहनत से मेरे काम काज को बहुत बढ़ा दिया है और आज यह यहाँ का पार्षद भी है , यह सुन और सोच कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई , मेरा निक्कमा बेटा "दुखी राम " इतना बड़ा आदमी बन चूका था , जिसकी मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी ,वही दुखी आज मुझे सुख देने चला आया ?


    बापू अब आप आज से यहीं रहोगे अचानक एक सूंदर सी स्त्री ने कमरे में आते हुए बोला , यही मेरे दुखी राम की पत्नी थी , मुझे कुछ कागज़ देते हुए बोली लीजिये बापू जी आपके मकान की रजिस्ट्री हमने छुड़ा दी है आप जो चाहें इससे करे , हमारे पास ईश्वर का दिया सब कुछ है हमें इसमें कुछ भी नहीं चाहिए , मैं फटी आँखों से कभी रजिस्ट्री देखता कभी उस बहु को जो बहुत पढ़ी लिखी सुघड़ लड़की लग रही थी और यह मेरे गंवार दुखी राम की पत्नी ?


    बापू जी मैंने डॉक्टरी की पढाई की है और उसी हॉस्पिटल में ही काम करती हूँ जहाँ आप एडमिट थे। आप ही के गांव की हूँ और आपके बेटे की स्कूल मेट भी। पिताजी और मैंने दुखी राम को भी यहीं शिक्षा दिलवाई है और वह भी आज एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग का ग्रेजुएट है, हमारे गांव के बहुत बड़े बड़े खेतो पे इन्ही की खेती होती है , यह गांव में अपनी मेहनत और दयालुता के लिए जाने जाते है।


    यह सब क्या बोले जा रही हो तुम दुखी राम के बारे में ? और मुझे कुछ पता ही नहीं ?किसी ने मुझे आज तक बताया क्यों नहीं। मेरी आँखों से आंसू बहने लगे आज अगर इसकी माँ जिन्दा होती तो कितनी खुश होती देख के तेरा दुःख कैसे सुख में बदल गया है और शायद वह इतनी जल्दी हमसे जुदा भी न होती




    अब तू बता बेटा सुखी कौन और दुखी कौन ? सुखी कब लिबास बदल ले और दुखी आपको इतने सुख देने लगे , जिस घर में सुख खुशाली होती है न ,उसी के घर की चौखट पर दुःख बैठा इसी इंतज़ार में होता है के आपसे कोई चूक गलती हो, कोई आपका कर्म उल्टा हो , और उसे घर के अंदर आने का मौका मिले। सुख दुःख सब हमारे आस पास ही है किसे हम पनाह देते है अपने घर में यह हम पर ही निर्भर होता है।


    आपके भीतर का संतोष , एकाग्रता , अच्छा चाल चलन , सवास्थ्य खान पान , बीमारी रहित जीवन इतियादी , जो आपको हर हाल में प्रसन्न रखता है चाहे आपके पास धन हो या नो हो। इस सुख का वास्तव में धन से कोई नाता नहीं है बल्कि धन की अधिकता दुःख का कारण जरूर बन जाता है। यही है वह आत्मिक सुख जिसे खोजते खोजते हम दुखों को गले लगा लेते है।
    अश्कों की बारिश नही करते,जो लोग
    क्या उनके दिलोँ में दर्द नही होते ?।
    मुस्कान है होठों पर, हर दम जिनके
    ।उनकी जिंदगी में क्या गम नहीं होते ?


    होते हैं जनाब कुछ दिखा देते है कुछ फींकी हंसी में छुपा लेते हैं

    सुख हो या दुख में---------
    निभाना हो तो फूलों से सीखो,
    बारात हो या जनाज़ा...
    हर वक्त खिले खिले से रहते है !!


    जब बाग़ से लाये गए तब भी खिलखिला रहे थे ,
    इस्तेमाल हुए अब पाऊँ से मसले जा रहे है फिर भी ,

    बिना गिला किये ------
    सुगंध फैलाये जा रहे है


    लता मंगेशकर जी के आखिरी शब्द मुझे याद आ गए के ,सुख दुःख भी सिर्फ कुछ शब्द है ,जैसे बाकी और शब्द ,सब मिथ्या हैं जिंदगी के लिए कामचलाऊ साधन है।



    इस दुनिया में मौत से बढ़कर कुछ भी सच नहीं है। और दुनिया के दुखों से मुक्ति का एक मात्र सुख भी मौत है ,


    दुनिया की सबसे महंगी ब्रांडेड कार मेरे गैराज में खड़ी है। लेकिन मुझे व्हील चेयर पर बिठा दिया गया।


    मेरे पास इस दुनिया में हर तरह के डिजाइन और रंग के , महंगे कपड़े, महंगे जूते, महंगे सामान है लेकिन मैं उस छोटे गाउन में हूं जो अस्पताल ने मुझे दिया था !


    मेरे बैंक खाते में बहुत पैसा है लेकिन अब यह मेरे लिए किसी काम का नहीं है यह अब सब इन्ही लोगों का है जो मेरी तीमारदारी में लगे है और जो मोटे मोटे टेस्ट और बिल बनाने में लगे है।


    मेरा घर मेरे लिए महल जैसा है लेकिन मैं अस्पताल में एक छोटे से बिस्तर पर लेटी हूं। मैं दुनिया के पांच सितारा होटलों में घूमती रही। लेकिन अब मुझे अस्पताल में एक प्रयोगशाला से दूसरी प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है!


    एक समय था, जब हर दिन 7 हेयर स्टाइलिस्ट मेरे आगे पीछे दौड़ते और बालों की सफाई करते थे। लेकिन आज मेरे सिर पर बाल ही नहीं हैं।


    मैं दुनिया भर के विभिन्न फाइव स्टार होटलों में खाना खाती थी। पर आज तो खाने के नाम पे सेलाइन ग्लूकोस ,दिन में दो गोली और रात को एक बूंद नमक ही मेरा आहार है।


    मैं विभिन्न विमानों पर दुनिया भर में यात्रा कर रही थी। लेकिन आज दो लोग अस्पताल के बरामदे में जाने में मेरी मदद कर रहे हैं।


    आज किसी भी सुख सुविधा ने मेरी मदद नहीं की। मुझे तकलीफ से आराम नहीं। लेकिन कुछ अपनों के चेहरे, उनकी दुआएं, मुझे जिंदा रखे हुए हैं। यह जीवन है।यही केवल मेरे जीवन की "सुखी गलियां" थी जो शने शन्ने मुझ से दूर होती जा रही है


    आपके पास कितनी भी दौलत क्यों न हो, आप अंतिम समय खाली हाथ ही निकलेंगे। दयालु बनो, उनकी मदद करो जो कर सकते हो। पैसे और पावर वाले लोगों को अहमियत देने से बचें।वह आपको शौहरत दिला सकते है सुख और सकूं नहीं


    अपने लोगों से प्यार करो,भले वो आपके लिए भला बुरा कहते/ करते हों। पर आप उनकी सराहना करो कि वे आपके लिए क्या हैं, किसी को दुख मत दो, अच्छे बनो, अच्छा करो क्योंकि वही उनका मन पलट पायेगा और यही करम आपके साथ जाएगा जो सच्चा सुख दिलाएगा


    अंत में यह कह के विराम देना चाहूंगा के

    सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

    ऊपर वाला पासा फेंके, नीचे चलते दांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।

    भले भी दिन आते जगत में, बुरे भी दिन आते
    कड़वे मीठे फल करम के यहां सभी पाते।

    कभी सीधे कभी उल्टे पड़ते अजब समय के पांव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव


    क्या खुशियां क्या गम, यह सब मिलते बारी-बारी
    मालिक की मर्जी पे चलती यह दुनिया सारी।

    ध्यान से खेना जग नदिया में बंदे अपनी नाव
    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव

    सुख दुःख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वह गांव


    कभी धूप कभी छांव, कभी धूप तो कभी छांव।


    जीवन में सुख-दुःख तो आते रहते हैं। यह जीवन का ही हिस्सा हैं। परन्तु इस संसार में कई ऐसे लोग हैं जो हर परिस्थिति में कोई न कोई अच्छी बात ढूंढ लेते हैं और सुखी रहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अच्छी चीजों में भी नकारात्मक चीजें देख लेते हैं और दुखी होकर उन्हीं का रोना रोने लगते हैं। लेकिन ये सुख दुख क्या है ? आइये जानते हैं इस कहानी के जरिये :-

    सुख दुख क्या है
    एक बार किसी देश की सीमा पर दुश्मनों ने हमला कर दिया। देश की रक्षा हित कुछ सैनिकों को सीमा पर भेजा गया। सारा दिन युद्ध होता रहा। शाम होते-होते सैनिकों की एक टुकड़ी बाकी सेना से बिछड़ गयी। वापस अपने सैनिकों को ढूंढते-ढूंढते रात हो गयी। थक जाने के कारण सभी सैनिक वहां एक नदी के किनारे पहाड़ की चट्टान पर आराम करने के लिए रुक गए।


    तभी उनमे से एक नकारात्मक सोच रखने वाला सैनिक बोला,

    “क्या जिंदगी है हमारी, भूख से मरे जा रहे है और जमीन पर सोना पड़ रहा है।“

    इतना सुनते ही उसके एक साथी ने जवाब दिया,

    “जब हम छावनी में रहते हैं तो वहां की सुख-सुविधाओं का भोग हम ही करते थे। सुख-दुःख तो जीवन के दो पहलू हैं। जो आते-जाते रहते हैं।”

    उस सैनिक की बात का समर्थन करते हुए एक और सैनिक बोला,


    “जब हम युद्ध जीत कर अपने देश वापस जाएँगे तो राजा सहित मंत्री, सेनापति और देश के सभी लोग हमारी प्रशंसा करते हुए नहीं थकेंगे।”

    लेकिन जिसकी सोच ही नकारात्मक हो भला वह कैसे कोई अच्छी बात कर सकता है। वह सैनिक फिर से बोला,

    “वापस तो तब जाएँगे जब हम जिन्दा बचेंगे। अभी तो हमें यह भी नहीं पता कि हम अपने साथियों को ढूंढ भी पाएँगे या नहीं।“

    सभी सैनिक इसी तरह सुख और दुःख की बातें कर रहे थे तभी अचानक वहां एक बौना साधु आया और उसने कहा,

    “भाइयों, तुम सब यहाँ से मुट्ठी भर छोटे पत्थर लेकर जेब में डाल लेना और जाते समय जब सूर्य शिखर पर होगा तब इन पत्थरों को निकाल कर देखना। तुम्हें सुख और दुःख के दर्शन होंगे।”

    इतना कहते ही वह साधु वहां से चला गया। अब सब सैनिकों की बात का विषय वह साधु बन गया था। बातें करते-करते सभी सैनिक सो गए।

    सुबह सूर्योदय से पहले ही सब सैनिक उठ गए और साधु के कहे अनुसार सबने एक मुट्ठी भर पत्थर अपनी जेब में डाल लिए। चलते-चलते दोपहर होने लगी।जब सूरज शिखर पर आया तो सबने जेब से पत्थर निकाले तब सब के सब हैरान रह गए।

    वो कोई साधारण पत्थर नहीं बल्कि बहुमूल्य रत्न थे। सभी सैनिक ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे कि अचानक नकारात्मक मनोवृत्ति वाले दुखी सैनिक ने उन्हें देख कर कहा,

    “तुम लोग खुश हो रहे हो? तुम्हें तो रोना चाहिए।“

    “क्यों? हमें क्यों रोना चाहिए।ये तो ख़ुशी की बात है की हम सबको ये बहुमूल्य रत्न प्राप्त हुए हैं।”

    उसके एक साथी ने उसी रोकते हुए कहा।

    लेकिन वो नकारत्मक और दुखी इन्सान फिर बोलने लगा,

    “अगर हम एक मुट्ठी की जगह एक थैला भर का पत्थर लाते तो मालामाल हो जाते।”

    “लेकिन क्या तुम उस साधु की बात पर विश्वास करते?”

    इतना सुनते ही सभी सैनिक खिलखिला कर हंसने लगे।

    सबको साधु की कही बात समझ आ गयी थी कि दुःख और सुख कुछ और नहीं बल्कि हमारे मन के भाव भर हैं बस। एक ही परिस्थिति में कोई सुख ढूंढ लेता है तो कोई दुःख।

    सुख दुख कहानी आपको कैसी लगी ?























    Thursday, March 16, 2023

    ADABI SANGAM ------ TOPIC ------- ASVM--- NO 14-----मेहबूब ,------ मेहबूबा -------, LOVER ,--------- प्रेमी ,------- आशिक़ -JOKES

    "LIFE BEGINS HERE AGAIN "
    AVSM - NUMBER .- 14 
    मेहबूब , मेहबूबा, LOVER, प्रेमी, आशिक़ , माशूक ,माशूका 







    इल्मो अदब के सारे खज़ाने गुज़र गए,
    मेहबूबा रिझाने के वह सारे पैमाने बदल गए 

    क्या खूब थे वो लोग पुराने जो  गुज़र गए
    कहते कहते के -----------
    गुजरना ही है तो दिल के अंदर से गुजरो ,
    मोहब्बत के शहर में बाई पास क्यों ढूंढते हो ?। 

    बाकी है जमीं पे फ़कत आदमी की भीड़,
    इन्सांन  को मरे हुए तो ज़माने गुज़र गए

    खुली आँखों से अक्सर हमने देखे है कायनात के नजारे ,
    मेहबूब से मिलते ही न जाने , आँखें  बंद क्यों हो जाती हैं 

    दिलों के शहर उजाड़ और  वीरान हो चुके है ,,
    , लोग मगर फिर भी इसमें बसे चले जा रहे हैं

    उम्र समझाती है , के जिंदगी की शाम हो गई , 
    थोड़ा रुको ,अब तो जिंदगी का गियर बदल लो 
    दिल मुस्कराता है , शरारत में . मानता ही नहीं , 
    कहता है असली महफ़िल तो शाम से ही शुरू होती है 

    था एक वक्त जब दोस्त सुनाया करते थे 
    अपनी नाकाम मोहब्बत के भी किस्से ,
    बैठ के इन मयकदों की धुंदली छाया  में ,

    आज फिर आ जमे मजलिस में जुगनू सारे , 
    मायूस जो थे अपनी मद्धिम  होती चमक से 
    ऐलान यह हुआ इक जाम लेने के बाद , 
    क्यों न हुस्न पे पड़ती रौशनी ही गुल कर दी जाए

    चराग बुझा भी दे तो 
     नशा मयकदों में अब है कँहा यारों..
    अब न मोहब्बत के किस्से  बचे , न सुनने वाले 
     दोस्त भी अब तो ,मय का नहीं "मैं" का नशा करने लगे  हैं..   

    यार शादी होने वाली है मेहबूबा से  , 
    पेट कम  करने का कोई उपाय तो बताओ ?
    बड़े मायूसी में उसने दोस्त से पुछा 

    दोस्त बोला , भाई यह तो कुदरत का करिश्मा है ,
     ख़ुशी से फूल जाता है , शादी से पहले आशिक का
     फूलता है मेहबूबा का ,शादी के  बाद  
    अम्मा कभी सीरियस भी हो जाया करो ,
     ओह सॉरी तो बताओ 

    मतलब पहले का सिंगल पसली ,भाभी जान पहचानती थी  ?
    फिर क्या हुआ ?पेट ही तो बढ़ा है , 
    चेहरे से तो अभी भी मजनू ही लगते हो ,
    मेरी मानो तो मसला ही खत्म। 
    आज से फोटो छाती तक ही खिचवाया कर?

     इस दुनिया में ,बहुत ही  खास होते हैं वोह दोस्त कमीने , 
    जो वक्त आने पर , हमे और हमारी मोहब्बत के लिए 
    अपना वक्त और मुफीद  मशवरा मुफ्त दिया करते है 
                                           
    आज हौसला जुटा कर अपने ही दिल से पूछ बैठा ,
    कहाँ है मेरी वह मेहबूबा जिसे मैंने तुझे सौंपा था ,
    मेरी एकलौती आखिरी मोहब्बत थी वो ,
    कितनी शिद्दत से मनाया था उसे , तूने उसे ऐसे ही भुला दिया 

    दिल गुस्से में फड़फडाया ,धड़कन बढ़ाते हुए बोला ,
    अपनी मोहब्बत के झूठे किस्सों में मुझे न घसीट न शुकरे इंसान 
    एक इंच भी जमीन खाली नहीं जहां कोई सुई भी टिक  पाए.  
    मैं मनसरूफ़ हूँ ,हर गजल में , यूँ बदनाम , मुझे  किया  करो ,

    बे सिर पैर की तुकबंदी में हर बार मुझे घसीट लेते हो , 
    इस भरी पूरी दुनिया में तुम्हारा कोई मेहबूब नहीं है क्या ,
    जो हर बार मुझे ही कोसने लगते हो ,  जरा ध्यान से सुन 
    मेरा काम है शरीर को खून सप्लाई करना ,
    अपनी शायरी अपने पास ही रख  
    अगर मैं हड़ताल पे चला गया ,तो तूं और तेरी शायरी  
      यकीन कर लो दोनों ,सीधे  चार कन्धों पे ही जाओगे  
     
    मोहब्बत में अक्सर लोग , बहक जाते है , जैसे तुम 
    बेतुके बेमतलब कसीदे पढ़े चले जाते है ,....... 
    मैं तेरा  दिल हूँ इसकी हर धड़कन में मेरा जवाब है 
     निकला हर लब्ज जुबान से तेरी एक खुराके दावत है , 
    अलग अलग जिसका स्वाद है ,और एक मिज़ाज़ भी , 

    बोलने से पहले खुद चख लीजै , जनाब ,
    मत करवा बैठना अपनी मिटटी खराब, 
    मैं तो तेरा दिल था एक पत्थर के माफिक जो सेह गया  
    अच्छा न लगे तो दूसरों को मत परोसिये , 
    वरना मेहबूबा के रुसवा होने में देर न लगेगी 

    जिंदगी के सफर में बस इतना नही समझ  पाए हम  ,
    वह लैला मजनू और शीरी फरहाद की मोहब्बतें ,
    किताबी किस्से थे या कोई हकीकत ?, अगर हकीकत थी ?
    तो फिर आज कोई वैसी किताबे मोहब्बत क्यों नहीं छपती 

    मोहब्बते पहले भी नाकाम रहती थी , तब वजह थी कोई और 
    आज भी परवान नहीं चढ़ती है तो वजह है कोई और , 
    क्योंकि मोहब्बत का दिल्लों  पे नहीं रहा आज कोई जोर ,
    दिन रात की है हलचल वहां ,दौलत ही के किस्से है   ,
    वह तो आज भी है वीरान ,जहाँ कभी मेहबूब होता था ,

    कभी इश्क तो कभी नफरत वो हमसे करते रहे ,
     तजुर्बा तो था नहीं , हर नादानी हम एक पे एक  करते रहे ,

    ग़मे मोहब्बत में कभी ,घबरा के पी गए ,
    शादी बिहाह में किसी की नाचते नाचते पी गए ,
    यूँ तो पीने की कभी आदत न थी अपनी ,
    बोतल को यूँ तनहा पड़े देखा तो ,
    तरस खा के ,साथ देने को पी गए , 

    लोगो ने पुछा  जब उम्र थी , जवानी थी 
    तब तो , नजरें मिला न पाए , अपने मेहबूब से 
    अब तो बाल भी नहीं बचे चाँद पे तुम्हारे ,
    एक सेंडल भी पड़ा तो ,नजर आएंगे तारे 

    लेकिन दोस्त हमने  तो सुना था ,
    मोहब्बत हम उम्र से हो यह जरूरी नहीं ,
    कितने ही बेमेल रिश्तों को जवान होते देखा है 
    इश्क खुद हर उम्र को हम उम्र बना लेता है 

    यूँ तो मोहब्बत में  ,
    किसी का, मेहबूबा बन जाने  का
     कोई पैमाना नहीं ,

    फिर भी दिमाग नहीं ,दिल से ही समझना 
    जो तुमको अपने दुःख दर्द खुल के बता दे 
    तुम्हारे भले के लिए वो तुम पर हक जता दे ,

    और कहे सब बुरी आदते छोड़ने को , 
    तुम्हारी फ़िक्र में खुद ही दुबली भी  होने लगे 
    तो समझ लेना वही तुम्हारी मेहबूबा है। 

    मोहब्बत और  व्यपार वही करे जिसमें  ,
    नुक्सान सहने की ताकत हो ,
    बिना नुक्सान उठाये मुनाफा नहीं होता ,
    चाहे हो व्यपार या हो मोहब्बत 

    अब तो घर बस गया है तुम्हारा ,
    कदर किया करो ,पसंदे मेहबूबा की ,
    जो अपने एक मैचिंग सूट के दुप्पट्टे के लिए ,
    पूरी दुकान उलट पुलट कर डालती थी ,
    और आपको बिना , न नुकर  ही अपना लिया 


    ज्यादा मीन मेख ना निकाल अब 
    उसके हाथों से बनी रोटी का ,
    मत भूल वोह तेरी बीवी बनने से पहले 
    तेरे दिलकी मालकिन ,तेरी  मेहबूबा थी 

    उम्र के उस पड़ाव पर आ गए हैं कि 
    रोज डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे, वैलेंटाइन डे 
    किसी डे से कोई फर्क नहीं पड़ता
    अगर फर्क पड़ता है तो सिर्फ 
    ड्राई डे से...

    अल्फाज तो जमाने के लिए हैं ,
    तुम तो मेरे अपने हो मेरे मेहबूब , चले आना कभी भी दिल मे
    तुम्हे खुद से मिलवाएंगे , इसकी  धड़कनो का संगीत सुनाएंगे 

    मेहबूब की मोहब्बत  ने चिता की आग से पुछा ,हम दोनों में बड़ा कौन बता तो ? तू इंसान को मरने पर एक ही बार जला पाती है और मैं तो जीते जी इंसान को पल पल जलाती हूँ, तू तो एक ही बार मे खत्म कर देती है ,मेरी जकड़ में आने के बाद तो बड़े बड़े छटपटाते ही रहते है निकल नहीं पाते।तेरा नाता तो मृत्यु से है मेरा नाता हर उस इंसान से है जो जिंदा है ।तूँ अंतिम सत्य और जिंदगी का मैं प्रथम सत्य ।



    ******************************************



    मेरे दोस्तों की भी बड़ी अजीब दुनिया है पढ़े लिखे तो हैं पर समझना नही चाहते , कहते है ऐसा कोई सब्जेक्ट ही नही था कॉलेज में ,इस लिए interpretation ऑफ statues तो पढ़ लिया पर interpreting intelligenc /friends नहीं पढ़ पाए क्यों कि ?

            ये दुनियाँ ठीक वैसी है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं। यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में जीवी गुलाब। किसी को दो रातों के बीच एक दिन नजर आता है तो किसी को दो सुनहरे दिनों के बीच एक काली रात। किसी को भगवान में पत्थर नजर आता है और किसी को पत्थर में भगवान।

              किसी को साधु में भिखारी नजर आता है और किसी को भिखारी में भी भी साधु। किसी को मित्र में भी शत्रु नजर आता है और किसी को शत्रु में भी मित्र। किसी को अपने भी पराये नजर आते हैं तो किसी को पराये भी अपने।

             किसी को कमल में कीचड़ नजर आता है तो किसी को कीचड़ में कमल। अगर आप चाहते हैं कि हर वस्तु आपके पसन्द की हो तो इसके लिए आपको अपनी दृष्टि बदलनी पड़ेगी क्योंकि प्रकृति के दृश्यों को चाहकर भी नहीं बदला जा सकता।

    !!!...मनचाहा बोलने के लिए..अनचाहा सुनने की ताकत होनी चाहिए...!!!

    बाबा नागपाल जिसकी दुनिया तो क्या उसके मित्र ही नही सुनते


    बेचारा रिटायर्ड पति😂 😂😂😂क्या करे ?आँखें भी दिखाए तो किसे? न वोह दफ्तर रहा न वोह अधिकारी वो तो इज़्ज़त थी सरकारी अब न कुर्सी न वोह अदब से बोलने वाले , रिटायर क्या हुए जैसे गाड़ी के टायर ही नहीं रहे रॉब चले भी तो किसपे ,न घर के रहे न घाट के🤪

    👉रिटायर पति अगर देर तक सोया रहे तो....

    बीवी : अब उठ भी जाइये ! आपके जैसा भी कोई सोता है क्या ? रिटायर हो गये तो इसका मतलब यह नहीं कि सोते ही रहियेगा....!
    😐😐😐😐😐
    👉रिटायर पति अगर जल्दी उठ जाये तो....

    बीवी: आपको तो बुढापे में नींद पड़ती नहीं, एक दिन भी किसी को चैन से सोने नही देते हो, 5:30 बजे उठ कर बड़ बड़ करने लगते हो। अब तो आफिस भी नहीं जाना है, चुपचाप सो जाइये और सबको सोने दीजिए.....!
    😢😢😢 
    👉रिटायर पति अगर घर पर ही रहे तो....दिल लगाने को उसके पास एक मोबाइल ही तो है जिसमे अपने राज गर्ग की अप्सराएं हमेशा हमारा इंतेज़ार करती है लेकिन पत्नी जी को हमारा मोबाइल पे यू गाना बजाना लडकिया ताड़ना कहाँ गवारा ह्योगा दोस्तो 🤪

    बीवी: सबेरा होते ही मोबाइल लेकर बैठ जाते हो और चाय पर चाय के लिए चिल्लाते रहते हो, कुछ काम अपने से भी कर लिया कीजिए । सब लोगों को कुछ न कुछ काम रहता है, कौन दिनभर पचास बार चाय बना कर देता रहे। यह नहीं होता है कि जल्दी से उठकर नहा धोकर नाश्ता पानी कर लें, अब इनके लिए सब लोग बैठे रहें....!
    😢😢😢
    👉रिटायर पति अगर घर से देर तक बाहर रहे तो....

    बीवी : कहाँ थे आप आज पूरा दिन ? अब नौकरी भी नही है, कभी मुँह से भगवान का नाम भी ले लिया कीजिए...!
    😢😢😢
    👉रिटायर पति अगर पूजा करे तो...

    बीवी : ये घन्टी बजाते रहने से कुछ नहीं होने वाला। अगर ऐसा होता तो इस दुनिया के रईसों में टाटा या बिल गेट्स का नाम नहीं होता, बल्कि किसी पुजारी का नाम होता...!

    😢😢😢
    👉रिटायर पति अगर पत्नी को घुमाने के लिए ले जाए तो...

    बीवी : देखिये, सक्सेना जी अपनी बीबी को हर महीने घुमाने ले जाते हैं और वो भी स्विट्जरलैंड और दार्जिलिंग जैसी जगहों पर, आपकी तरह "हरिद्वार" नहाने नहीं जाते....!
    😢😢😢
    👉रिटायर पति अगर अपनी ऐसी-तैसी करा कर नैनीताल, मसूरी, गोवा, माउन्ट आबू, ऊटी जैसी जगहों पर घुमाने ले भी जाए तो....!

    बीवी : अपना घर ही सबसे अच्छा, बेकार ही पैसे लुटाते फिरते है। इधर उधर बंजारों की तरह घूमते फिरो। क्या रखा है घूमने में ? इतने पैसे से अगर घर पर ही रहते तो पूरे 2 साल के लिए कपड़े खरीद सकते थे...!

    *👉रिटायर्ड पतियो की मनोदशा का संकलन...!!!! 🌹🌹🙏चाहे कोई जज रहा हो या बड़े से बड़ा सुप्रीम कोर्ट का वकील या हो commissoner अंत मे उसकी अपील या  certificate ऑफ appreciation Home ministry ही खारिज़ कर देती है। दोस्तो बुरा मत मान लेना यह किसी पे कटाक्ष नही एक हकीकत है।


    वकील होना भी कहाँ आसान है दोस्तों..?

    ना किसी के ख्वाबो मे मिलेंगे,
    ना किसी के अरमान मे मिलेंगे,
    हम हमेशा ऑफिस या कोर्ट मे मिलेंगे,

    गर्मी, सर्दी, बरसात यूँ ही गुजर जाती है,
    नींद भी पूरी होती नही की रात गुजर जाती है,
    होली, दिवाली, नवरात्री, 31st पर भी हम काम मे मिलेंगे,
    तुम आ जाना दोस्त
    हम हमेशा ऑफिस या कोर्ट मे मिलेंगे,

    जमाने भर की खुशियों से अलग है हम,
    लोगो को लगता है गलत है हम,

    बीमार होकर भी ठीक रहती है तबियत हमारी,
    कोई आजकल पूछता भी नही खैरियत हमारी,

    कभी क्लाइंट को मुश्किलों से छुड़ाने में तो कभी  क्लाइंटसे डिस्कशन में तो कभी कोर्ट के काम बिज़ी मिलेंगे,
    तुम हमेशा आ जाना ऐ दोस्त हम हमेशा ऑफिस या कोर्ट मे मिलेंगे।।।

     *सभी सम्मानित अधिवक्ताओं को समर्पित



    तारीफ़ और ख़ुशामद में एक बड़ा फ़र्क़ है....साहेब 

    तारीफ़ 
    आदमी के "काम"की होती है, और 
    ख़ुशामद 
    "काम" के आदमी की !

    चिन्ता ने चिता से आंखों ही आंखों मुस्कुराते हुए बताया , हम दोनों में बड़ा कौन बता ? तू इंसान को मरने पर एक ही बार जला पाती है और मैं तो जीते जी इंसान को पल पल जलाती हूँ, तू तो एक ही बार मे खत्म कर देती है ,मेरी जकड़ में आने के बाद तो बड़े बड़े छटपटाते ही रहते है निकल नहीं पाते।तेरा नाता तो मृत्यु से है मेरा नाता हर उस इंसान से है जो जिंदा है ।तूँ अंतिम सत्य और जिंदगी का मैं प्रथम सत्य ।



    सुबह का टहलना बहुत मजेदार और सेहत के लिये फायदेमंद है ।

    माॅर्निंग वाक के प्रकार-

    1.डाक्टर के कहने से पहले जो टहलते हैं,उसे माॅर्निंग वाक कहते है ।

    2.डाक्टर के कहने के बाद जो टहलते है,उसे वार्निंग वाक कहते हैं ।

    3.जो अपनी पति,पत्नी के कहने पर टहलने जाते हैं,उसे डार्लिंग वाक कहते हैं ।

    4.जो दुसरों की सेहत से जलन महसूस कर टहलने जाते हैं,उसे बर्निंग वाक कहते हैं ।

    5.जो अपनी पत्नी के साथ टहलने के बावजूद दुसरे महिलाओं को मुड़-मुड़ कर देखते-देखते टहलते हैं,उसे टर्निंग वाक कहते हैं ।

    *टहलने की प्रेरणा चाहे जैसे मिले टहलते रहिये,स्वस्थ रहिये ।


    कुछ लोगो को लगता है की उनकी चालाकियां मुझे समझ नहीं आती,
    मैं बड़ी ख़ामोशी से देखता हूँ उनको अपनी नजरों से गिरते हुए
     बहुत सी गलतियां हुई जिंदगी में,
    लेकिन जो गलतियां लोगों को पहचानने में हुई,
    उसका दुख सबसे ज्यादा है।
     हर इक इंसान हवा में उड़ता फिरता है ..
    फिर ना जाने क्यूं धरती पे इतनी भीड़ है
     थोडी मोहब्बत और  आदर से स्पर्श
    करके तो देखिये..

    इंसान का ह्रदय भी टच
    स्क्रीन से कम नही...

    मायके गई हुई पत्नी ने 
    अपने पति को फोन किया 
    और  कहा कि अब तो मुझे ले जाओ ...और कितना तरसाओगे?

    पति: कुछ दिन और रह लो  !!!! ऐसी भी क्या आफत है मायका ही तो है तुम्हारा कोई ससुराल थोड़ा ही है ?

    पत्नी: नहीं जी।आप सुनो तो 
     भाई, भाभी, बहन, मम्मी, पापा सब से 2-3 बार झगड़ा कर  लिया
     लेकिन तुम्हारे जैसा मज़ा नहीं आता ...।

    देखो,  शादीशुदा व्यक्ति पत्नी से सब्जी की तारीफ़ जैसा कुछ कर रहा है, या अपना ये लोक सुधार रहा है:
    "क्या कमाल की सब्जी बनाई है, लव यू, बस थोड़ा नमक ज्यादा है, 
    मुझे लगता है मार्केट में नमक ही ठीक नहीं आ रहा, इस बार कोई खास मेहमान आए तो यही सब्जी बनाना और थोड़ा जयादा करारी कर देना, 
    और हां इतना लहसुन अदरक मत डालना, 
    मेहमान कौन सा बिल देकर जाएगा। 
    तड़का तो एकदम टॉप है पर लगता है कड़ाही का पेंदा बेकार है इस कारण जलने की स्मैल आ रही है। 

    कल ही नई कड़ाही लाएंगे।
    ये तुमने बहुत बढ़िया किया जो आलू नहीं छीले,मैंने आज ही नेट में पढ़ा है , आलू के सारे गुण छिलके में होते हैं, 

    और हां ऐसा करो ये सब्जी अभी फ्रिज में रख दो परसों खाएंगे जब आलू और तड़का और मिक्स हो जाएंगे तो बहुत स्वाद आयेगा,
    ये सब्जी तुम बनाया ही ना करो, ख्वामखाह किसी की नजर लग जाएगी।
    🧘‍♂️🧘‍♂️


    #अद्भुत_संयोग
    ---------------
    फास्ट फूड रेस्टोरेंट में एक आदमी आया और उसने हरियाली कबाब के साथ चिली सॉस का आर्डर दिया।पास बैठी एक सुंदर महिला ने भी वही ऑर्डर किया और बोली- "कैसा अद्भुत संयोग है!आपके और मेरे खाने की पसंद एक जैसी है।हरियाली कबाब और चिली सॉस।बाई द वे मेरा नाम रत्ना है।आपका ?"

    "रतन।"

    "कैसा अद्भुत संयोग है!हम दोनों के नाम भी एक जैसे हैं।दोनों का अर्थ भी एक ही है।आप क्या यहाँ अक्सर आते हैं?"

    "नहीं।आज मैं सेलिब्रेट करने आया हूँ।"

    "अद्भुत संयोग है। मैं भी सेलिब्रेट करने आई हूँ। जान सकती हूँ,आप क्या सेलिब्रेट कर रहे हैं?"

    "मेरे पोल्ट्री फार्म की मुर्गियाँ करीब 4 साल से अंडे नहीं दे रही थीं।आज सुबह उन्होंने अंडे दिए। तो उसी खुशी को सेलिब्रेट करने आ गया।"

    "कैसा अद्भुत संयोग है!मेरी शादी के 4 वर्ष हो गए। संतान नहीं होती थी।आज ही प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव हुआ।बाई द वे,मुर्गियों ने कैसेअंडे दिए?"

    " मैंने मुर्गा बदल दिया।और आप?"

     महिला मुस्कुराई और धीरे से बोली --"कैसा अद्भुत संयोग   है!"

    पत्नी: "अगर आप लॉटरी से 1 करोड़ जीत गए लेकिन मुझे 1 करोड़ की फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया, तो आप क्या करेंगे?"

    पति: "अच्छा सवाल है, लेकिन मुझे शक है कि एक ही दिन में मेरी दो बार लॉटरी  कैसे लग सकती है "...

    ताऊ ने इकसठ नम्बर पर सट्टा लगाया। नम्बर आ गया। ताऊ करोड़ पति।
    एक पत्रकार इंटर्व्यू लेने आ गया।
    “ताऊ तुमने इकसठ पर ही सट्टा क्यूँ लगाया?”

    ताऊ, ”बात ऐसी है पत्रकार। मैं सुबह उठा। मुझे आसमान में आठ पंछी दिखायी दिए। और तारीख़ थी नौ। बस मैंने आठ निम्मा कर दिया। आठ निम्मा इकसठ। लगा दिया सट्टा।”
    पत्रकार, “पर ताऊ आठ निम्मे तै बहत्तर है।”
    ताऊ, “बस तेरे चक्कर में रहता तै लग ली लॉटरी”
    😂🤣

    लाॅकडाउन के कारण 5 दिन से घर पर बैठा हुं ,

     पत्नी कई बार आते जाते बोल चुकी है 

    "पता नहीं यह  बीमारी कब जाएगी"
    🧐
    समझ नहीं आता कि वह कोरोना को
    बोल रही है या......??



     मैं औऱ मेरी तनहाई,
     अक्सर ये बाते करते है..
    ज्यादा पीऊं या कम,
    व्हिस्की पीऊं या रम।

    या फिर तोबा कर लूं..
    कुछ तो अच्छा कर लूं।
    हर सुबह तोबा हो जाती है,
    शाम होते होते फिर याद आती है।
    क्या रखा है जीने में, असल मजा है पीने में।

    फिर ढक्कन खुल जाता है,
    फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है।
    रात गहराती है,
    मस्ती आती है।
    कुछ पीता हूं,
    कुछ छलकाता हूं।

    कई बार पीते पीते,
    लुढ़क जाता हूं।
    फिर वही सुबह,
    फिर वही सोच।
    क्या रखा है पीने में,
    ये जीना भी है कोई जीने में!
    सुबह कुछ औऱ,
    शाम को कुछ औऱ।

    थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए, 
    थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए,
    यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत... 
    शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।



    . कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी
    कभी रोते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी।
    न पूर्ण विराम सुख में,
            न पूर्ण विराम दुःख में,
    बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी।
    प्यार की डोर सजाये रखो,
        दिल को दिल से मिलाये रखो,
    क्या लेकर जाना है साथ मे इस दुनिया से,
    मीठे बोल और अच्छे व्यवहार से
            रिश्तों को बनाए रखो..........


    एक प्यार ऐसा भी....

    नींद की गोलियों की आदी हो चुकी
    बूढ़ी माँ नींद की गोली के लिए ज़िद कर रही थी।

    बेटे की कुछ समय पहले शादी हुई थी।

    बहु डॉक्टर थी। 
    बहु सास को नींद की
    दवा की लत के नुक्सान के बारे में बताते
    हुए उन्हें गोली नहीं देने पर अड़ी थी।.
    जब बात नहीं बनी तो सास ने गुस्सा
    दिखाकर नींद की गोली पाने का
    प्रयास किया।

    अंत में अपने बेटे को आवाज़ दी।

    बेटे ने आते ही कहा,'माँ मुहं खोलो।

    पत्नी ने मना करने पर भी बेटे ने जेब से

    एक दवा का पत्ता निकाल कर एक छोटी
    पीली गोली माँ के मुहं में डाल दी।
    पानी भी पिला दिया।गोली लेते ही आशीर्वाद देती हुई

    माँ सो गयी।.

    पत्नी ने कहा ,

    ऐसा नहीं करना चाहिए।'

    पति ने दवा का पत्ता अपनी पत्नी को दे दिया।

    विटामिन की गोली का पत्ता देखकर पत्नी के
    चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी।
    धीरे से बोली

    आप माँ के साथ चीटिंग करते हो।

    ''बचपन में माँ ने भी चीटिंग करके
    कई चीजें खिलाई है।
    पहले वो करती थीं,

    अब मैं बदला ले रहा हूँ।
    यह कहते हुए बेटा मुस्कुराने लगा।" - एक प्यार ऐसा भी - जरूर पढ़े 
        ये रचना मेरी नहीं हैं मुझे प्यारी लगी तो आ


    कुछ दोस्त ऐसे है जो घर से बीवी की लात खाकर आते है ।

    और दोस्तो से कहते फिरते है।





    आज तो लेग पीस खाकर आया हूं😡