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Monday, February 14, 2011

HINDI JOKES ,7th February ,2011

अध्यापक :- सोनू , कल तुम स्कूल क्यों नहीं आये थे ?
                     जी सर "मैं गिर गया था ,और बड़ी जोर से लग गई थी "
                    अरे! बड़ा दुःख हुआ ,कहाँ गिरे ,कैसे गिरे और कहाँ लगी ?
             सोनू :-सर मैं जैसे ही कल क्रिकेट खेल कर घर लोटा , बिस्तरे पर धडाम से गिर पड़ा था और बडे जोरों से नींद लग गई ,जो आज खुली है ! इस लिए स्कूल छूठ गया ,सर ?पर अभी भी बडे जोर से लगी हुई है . 





मंजिल न सही , चिराग भी नहीं ? पर थोडा होसला तो दे !
तिनके का ही सही ,मगर मेरीजान  तूं थोडा सहारा तो दे  !

मैने यह कब कहा कि सब कुछ मेरे लिए हो ,या मेरे हक में हो?
यह तेरी ख़ामोशी ज्यादती है मुझपे,कैसा भी हो ,फैसला तो दे.

मंदिर ,मस्जिदों में जा जा कर ,खाता रहा मैं फरेब मगर ?
हे मेरे खुदा! कहाँ पे है तू ? मुझे जरा अपना पता तो ...दे 

माना के मेरे नसीब पर है.... , है बेशक तेरा ही  इख्तयार  ?
पर मेरे नसीब में क्या बदा है ? मेहर कर इतना तो बता दे ! 


 

 एक प्रेमिका ने जले पर नमक छिडकने के लिए अपनी शादी का कार्ड अपने एक्स बॉय फ्रेंड को भी भेज दिया ?
प्रेमी जल भुन कर कोयला होगया , और अपना धुएं का गुब्बार कुछ यूँ निकाला.
" मुझे तुम्हारी बर्बादी का निमंत्रण मिला , अब कुछ कहने को बचा ही क्या है ? भगवान करे तुम्हारी जिंदगी में ऐसी खुशिया बार बार आयें " और नित नए कार्ड छपते रहें " 



 

प्रेमिका : तुम सच सच बताओ , तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ? 
प्रेमी ने भी फ़िल्मी अंदाज में कहना शुरू किया "मैं अपनी हर सांस के आने जाने में तुम्हारी ही चाहत लिए रहता हूँ " मेरे हर सांस में तुम ही तुम समाई हो ? 
 प्रेमिका जो  पहले ही अपने प्रेमी कि बोर करने कि आदत से परेशान होकर उस से जान छुड़ाना चाहती थी . बोली " अगर तुम्हारी सांसे सिर्फ मेरे लिए ही चल रहीं हैं तो ? मेहरबानी कर के इनेह लेना बंद ही करदो ! बड़ा उपकार होगा मुझ पर ! 




एक दोस्त दुसरे दोस्त से : यार एक बात बता "हमे बीवी कैसी चुननी चाहए "
दूसरा दोस्त : भाई मैं तो चाहता हूँ मेरी दुल्हन चाँद जैसी होनी चाहए , जो सिर्फ रात को दिखे  और  दिन होते ही गायब हो जाये ? हैं ! क्या मतलब ? चल छोड़ तेरी समझ में नहीं आएगी









Thursday, February 10, 2011

INNER VOICES & FEELINGS ( HINDI)Feb,10th ,2011

एक  एन .आर .आई .फॅमिली के बच्चे ने अपने पिता से अपने देश भारत के बारे में उत्सुकता दिखाई और पूछा :कैसा है हमारा भारत देश ? कैसे हैं वहां का जीवन ? और कैसे हैं वहां के लोग ?
पिता ने बड़े ही बोझिल मन से कुछ यूँ बताया :-

वहां के बेपंनाह अंधेरों को , सुबह कैसे कहूँ ?
घोटाल्लों में दबी जनता को ,सुखी कैसे कहूँ !
मैंने यह कटु नज़ारे बड़ी नजदीकी से देखे हैं ,
झुटला कर सब कुछ ,खुद को अँधा कैसे कहूँ,
यहाँ कि सियासती जबान भी है बड़ी झूटी ?
कानून ,न्याय ,निर्वाचन ,प्रजा तंत्र,और नेता      
अब तो सब  ,एक भोंडा मजाक सा लगता है
यह देश पावन भी है ,देखने के काबिल भी 
वहां जाकर वापिस , बस जाने को कैसे कहूँ ?
घोटालों भ्रष्टाचारों से पूरा तंत्र उधड़ रहा है 
वहां जाकर सकून मिलेगा भी, मैं कैसे  कहूँ ?
मेरा भारत पहले ऐसा नहीं था ?कौन मानेगा ?
 किस किस से कहूँ  , किस मुहं से कहूँ ??????

Wednesday, February 9, 2011

INNER VOICES FOR ALL(ENGLISH)

I don't want to start a debate for which I am not an authority? but my dear friends if just we focus on the facts which our science has proved " that Earth is a very old phenomenon , millions of years have passed since it came in to existence?"

All sorts of living beings have been living & dying since then?  if man is allowed to eat animals , then why do we stop animals eating humans? after all we are also some one's food in that respect? we stop them because we are intelligent and hold gun to kill them for pleasure and food? is it ethical for human beings ?

 when we use the word "extinction" my point was in favor of vegetarianism not giving any biological reasons for extinction ? It is always a universal phenomenon "who so ever is born is destined to die or extinction through any natural or supernatural process which also finished the whole specie of Dyna sore in one of the worst Tsunami few thousand years back ?

Food shortage is always a man made crisis no need to go into debate over this ? so much barren lands and uncultivated lands are left unused because of vested interests to keep  prices soaring all the times , like Petrol, this is all man made manipulation, Not Natural ?