देर
जब इंसान ने घडी बनाई ,वक्त का हिसाब रखना सीखा तो समझ में आया कहीं जा कर की , घडी की रफ्तार से पिछड़ना और देर से पहुंचने का क्या मतलब होता है? वरना इंसान का इतिहास है वक्त के साथ कभी चल ही नहीं पाया ,कौन सा ऐसा काम है जो हमने देर से न किया हो ? हम हमेशा वक्त को मात देने में लगे रहते है।
डॉक्टर ने भी बताया जब तुम पैदा हुए थे न तुम्हारी माँ ने बहुत तकलीफ झेली थी कदर किया करो उसकी , पूरे 25 दिन देर से पैदा हुए थे , कितना कष्ट दिया था तुमने माँ को ,तुम्हे ceasarian करके निकाला गया था , अब तो सुधर जाओ। डॉ साहब पर इसमें मुझे क्या पता मैंने थोड़ा ही कोई देरी की , मैं तो सिर्फ अपने कामों का जिम्मेवार हूँ , मैं किसी को तंग करने में , बिलकुल ही देर नहीं करता , माँ खाना बना के बैठी रहती है और मैं खुद ही देर कर देता हूँ घर आने में ?
पैदा होते ही लगा हूँ उन्हें अहसास दिलाने में ,के मेरे होते देर तो होगी , पर अंधेर नहीं होने दूंगा ।अब तो मेरे भी तीन बच्चे है उन्हें भी देखना होता है , हर रोज काम पर ही देर हो जाती है। इसी कारण उनका ध्यान रखने में भी देरी हो जाती है , डॉक्टर गुस्से में आ गए , बोले तुम समझना ही नहीं चाहते बहानो की जिंदगी में जी रहे हो देरी का ढोंग करके।
डॉक्टर ने मेरे को न्यूरोलॉजिस्ट को रेफ़र करते हुए कहा- “बाबा एक बार दिमाग़ वाले डॉक्टर को दिखा लो....शायद कोई रस्ता निकले
मैं उठते हुए बोला- 🙄 दिमाग वाले डॉक्टर ? '‘हमें तो लगा था कि आपके पास भी थोड़ा बहुत तो होगा ही।"🤔😏
पता नहीं मेरी कोई क्यों नहीं सुनना चाहता ? मेरी जिंदगी भी तो चिंता ग्रस्त है , मेरी हर घडी देरी से ही क्यों चलती है
जब मैं जवान था मुझे चिंता थी मेरे चेहरे पे बाल कब आएंगे , जब बाल आये तो फिर निकल आये उन् पिम्पल्स की चिंता ,
फिर चिंता हुई मेरी दाढ़ी मूछ देर से आने की , देर से शेव करूँ तो मजनू लगता हूँ
अब जिंदगी को इतनी देर तक झेलने के बाद चिंता है मुझे चेहरे पर उभर रहे wrinkles की
देर एक ऐसा तकिया कलाम है जो घडी की सुईओं से कदम नहीं मिला पाता ,हम आज हर बात में जोड़ देते है और सारा दोष देर पर डाल देते है
मैंने कहा पत्नी से चलो जल्दी तैयार हो जाओ आज पिक्चर देखने चलते है और खाना भी वहीँ खा लेंगे , अचानक प्रोग्राम बना तो कपडे इस्त्री करना थोड़ा मेक अप शेप अप अब इसमें थोड़ा टाइम तो लगेगा न ? पत्नी ने भी कड़क जवाब दिया
औरतों का एक सलीका होता है , मर्दो की तरह थोड़ा ही फौरन जूते पहने और बोले चलो चलते है, लगे ताने मारने : अब यह क्या बात हुई इतनी देर कर दी तुमने तैयार होने में , मुझे देखो मैं तो दो मिनट में ही तैयार हो गया हूँ , पत्नी ने भी छपाक से जवाब दे दिया , maagi noodles और शाही पनीर में यही तो फर्क है , हमे खुद से न मिलाओ। हम भीतर ही भीतर कुलबुलाते हुए खुद से ही बतिआयाने लगे।
जब जीने की चाह करो तो ,तो दुश्मन हज़ार हो जाते हैं
अब मरने का शौक़ है,तो क़ातिल ही नही मिलता,
पत्नी हमे यूँ बड़बड़ाते हुए सुन के बोली क्या बेमतलब बोले जा रहे हो , भाई मैं तुम्हे नहीं उस तेज चलती घडी को कोस रहा हूँ जो हमे देर होती हुई दिखा रही है आधी पिक्चर तो वैसे ही निकल चुकी होगी । लेकिन गनीमत रही पत्नी जी आधे घंटे में तैयार हो गई और रास्ते का ट्रैफिक देर से पहुंचने की वजह से लगभग ४५ मिनट देर से हाल में पहुंचे लोग हमे घूर घूर के देखने लगे इतनी देर से ही आना होता है तो क्यों आते हो दूसरों का भी मजा खराब करने ,,
देर और डर हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते है
देर से उठते थे , स्कूल जाने के लिए हमेशा लेट तो पिताजी की डाँट का डर फ्री में मिला करता था ,
कभी बस निकल जाती कभी साइकिल पंक्चर हो जाता तो भी लेट , स्कूल में सजा मिलती , हाथों पे डंडे पड़ते सो अलग ,इस न्न मुराद देरी की वजह से
सुबह ऑफिस में लेट पहुंचे तो बॉस का गुस्सा झेलो , शाम को घर लौटने में देर हुई तो बीवी का फूला मुहं देखो कभी कभी दोस्तों से मिलकर लौटते हुए और लेट हुए तो खाना भी नहीं नसीब होगा , दोस्तों के साथ महफ़िल जमी तो जम ही गई , अब इसमें आप मेरा दोष तो बताइए मैं तो देर करता नहीं देर हो जाती है , क्या दोस्तों को जिनके साथ मेरी शाम गुजरती है उन्हें नाराज कर दूँ ?और जोरू का गुलाम का तगमा पा लू
मेरे एक जानकार जनाब भी यही फ़र्मा रहे थे , " सारी उम्र डरते ही रहे ....कभी शादी में देरी से , कभी पढ़ाई पूरी होने की देरी में , फिर देर से मिली नौकरी में , कभी माँ बाप से , फिर teachers से , फिर boss से , फिर मौत के ख़ौफ़ से और अब आखिरी पड़ाव पे ख़ुदा से .... "
मैंने पूछ ही लिया , एक चीज़ तो आपने याद ही नहीं किया जनाब " आपने बीवी का ज़िक्र नहीं किया "
वो बोले , " ओह वो तो ,डर के मारे नहीं किया "
निंदा हमेशा उसी की होती है जो जिन्दा है , देर से ही सही मरने के बाद तो दुश्मन भी तारीफ़ करते है
मेरे दोस्तों की भी बड़ी अजीब दुनिया है पढ़े लिखे तो हैं पर समझना नही चाहते , कहते है ऐसा देर नामका कोई सब्जेक्ट ही नही था कॉलेज में , के कहीं लेट पहुंचे तो क्या नुक्सान होगा ? इस लिए interpretation ऑफ statues तो पढ़ लिया पर interpreting intelligenc नहीं पढ़ पाए तभी तो ?
"उसके घर देर है अंधेर नहीं"
देर आयत दरुस्त आयत",
"न से देर भली "
यानी की बाकी मतलब तो अपने सर के ऊपर से निकल गया सिर्फ याद रहा तो "देर"
देर से आना ,न आने से अधिक ठीक होता है , उसके घर अँधेरा है तो पहुंचने में देर तो होगी इसी मतलब पे डटे हुए हैं
देर जितनी भी हो जाए जिंदगी के किसी भी पड़ाव पे आपको एक बात तो समझ आ ही जायेगी ,कि ये दुनियाँ ठीक वैसी नहीं है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं।यह अपनी मस्ती में चलती है आपके लेट होने न होने से इसकी सेहत पे कोई असर नहीं पड़ता , यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में गुलाब। किसी को दो रातों के बीच एक दिन नजर आता है तो किसी को दो सुनहरे दिनों के बीच एक काली रात। किसी को भगवान में पत्थर नजर आता है और किसी को पत्थर में भगवान।
किसी को साधु में भिखारी नजर आता है और किसी को भिखारी में भी भी साधु। किसी को मित्र में भी शत्रु नजर आता है और किसी को शत्रु में भी मित्र। किसी को अपने भी पराये नजर आते हैं तो किसी को पराये भी अपने।
किसी को कमल में कीचड़ नजर आता है तो किसी को कीचड़ में कमल। अगर आप चाहते हैं कि हर वस्तु आपके पसन्द की हो तो इसके लिए आपको अपनी दृष्टि पे चढ़ा चश्मा बदलनी पड़ेगी ,क्योंकि प्रकृति के दृश्यों को चाहकर भी नहीं बदला जा सकता। वक्त तो अपनी गति से चलेगा देर तो सिर्फ आपको होगी
!!!...मनचाहा बोलने के लिए..अनचाहा सुनने की ताकत होनी चाहिए...!!!
बाबा नागपाल जिसकी दुनिया तो क्या उसके मित्र ही नही सुनते 😖😖😖😖😖
जिंदगी तो लेट लतीफी में गुजार ली हमने पर ऐ मौत तू भी कितनी कठोर निकली , कितनी देर करदी आने में , कितना याद करता था तुझे मैं अपनी मुसीबतों में
मैं अकेला था परेशान था तब तो सुध न ली तूने मेरी , आज आये है देख तेरे साथ सब आँखों में आंसू लिए
मेरा साथ देने मेरे जनाजे में , अब तुझे अपनी देरी की पड़ी है , कुछ पल दोस्तों से मिलकर गुफ्तुगू तो कर लेनी देती पर तू तो मुझे भगाये लिए जा रही है ? लेकिन जल्दी ही अपनी गलती खुद ही समझ आ गई।
हैं तो सब मेरे सगे सम्बन्धी और दोस्त ही, आये हैं कुछ दूर से और कुछ देर से ,
न मिलते, न कोई तोहफा देते थे कभी,आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं , लेकिन देर वाली फितरत इन्हे अब भी रास नहीं आ रही , कह रहे है जल्दी से काम निबटाओ , मृत शरीर का दाह संस्कार करो , हमारे भी कई काम बाकी है ,हमे भी देरी हो रही है , जाते जाते एक बार फिर दिल तोड़ दिया कमीनो ने, मेरी मौत का भी अफ़सोस सलीके से न किया एक देर की आड़ में
बड़ी दूर निकल आये थे तरस कर किसी एक हाथ के लिए ,
आज मगर देर से ही सही ,पर कंधे पे कन्धा दिए जा रहे थे , चाहे दिखावे के लिए ही सही।
जब हम बुलाते अक्सर कहा करते थे बहुत दूर रहते है , रोज रोज दो कदम मिलकर चलना मुमकिन न होगा
देर हो जाती है घर लौटने में, बहुत कुछ देखना होता है , लेकिन आज उन्हें मालुम है हम देख नहीं पाएंगे
,बात भी नहीं कर पाएंगे ,फिर भी देखो बिन कहे ,बिना किसी बहाने के ,आज काफिला बन बेमन से ही सही पर साथ तो चले जा रहे है।
देर से ही सही ,पता तो चला ,जीने में कोई साथ नहीं देता , ऐसा जीना भी कोई जीना था
, आज मरने में सब का साथ मिला , फिर भी चलो हमारे लिए एक जश्न से कमतर तो नहीं
देर तो मुझ से तब भी हुई थी जब सिर्फ 15 मिनट पहले ही मेरी फ्लाइट मिस हो गई और मेरी जिंदगी सलामत रही , बाद में उस फ्लाइट का क्रैश हो गया था और सब खत्म हो गया था।
देर तो जवानी में तब हुई जब मैं उसका हाथ थामने का इंतज़ार करता रहा ,
देर आज बुढ़ापे में फिर हो रही है ,इसी इंतज़ार में ,
कोई मेरा हाथ थाम मुझे सड़क पार करवा दे ,
मुझे इस भीड़ भाड़ से बचा कर सुरक्षित घर पहुंचा दे।
When YOUNG,
I wanted my parents to leave me alone*
When I AM OLD
I am worried to be left alone*
When I was YOUNG,
I HATED being ADVISED.
When OLD,
there is NO ONE around to TALK or ADVISE.
When YOUNG,
I ADMIRED BEAUTIFUL THINGS.
When I am OLD,
I see BEAUTY in THINGS around ME.
When I was YOUNG,
I felt I was ETERNAL.
When I am OLD,
I know SOON it will be MY TURN.
When I was YOUNG,
I CELEBRATED the MOMENTS.
When I am OLD,
I am CHERISHING MY MEMORIES.
When I was YOUNG,
I found it DIFFICULT to WAKE UP.
When OLD,
I find it DIFFICULT to SLEEP.
When I was YOUNG,
I WANTED to be a HEARTTHROB.
When OLD,
I am WORRIED when will MY HEART STOP.
At EXTREME STAGES of OUR LIFE,
WE WORRY but WE DON'T REALIZE,
LIFE NEEDS to BE EXPERIENCED.
It DOESN'T MATTER whether YOUNG or OLD. LIFE needs to be LIVED and LIVED WITH LOVE & LOVED ONES. You are surely one of these.