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Sunday, September 26, 2021

27th MARCH 2021-----------Adabi Sangam ----AVSM ----- TOPIC _____BEING LATE--- देर ---

देर 




जब इंसान ने घडी बनाई ,वक्त का हिसाब रखना सीखा तो समझ में आया कहीं जा कर की , घडी की रफ्तार से पिछड़ना और  देर से पहुंचने का क्या मतलब होता है? वरना इंसान का इतिहास है वक्त के साथ कभी चल ही नहीं पाया ,कौन सा ऐसा काम है जो हमने देर से न किया हो ? हम हमेशा वक्त को मात देने में लगे रहते है। 

डॉक्टर ने भी बताया जब तुम पैदा हुए थे न तुम्हारी माँ ने बहुत तकलीफ झेली थी कदर किया करो उसकी , पूरे 25 दिन देर से पैदा हुए थे , कितना कष्ट दिया था तुमने माँ को ,तुम्हे ceasarian करके निकाला गया था , अब तो सुधर जाओ। डॉ साहब पर इसमें मुझे क्या पता मैंने थोड़ा ही कोई देरी की , मैं तो सिर्फ अपने कामों का जिम्मेवार हूँ , मैं किसी को तंग  करने में , बिलकुल ही देर नहीं करता , माँ खाना बना के बैठी रहती है और मैं खुद ही देर कर देता हूँ घर आने में ?

 पैदा होते ही लगा हूँ उन्हें अहसास दिलाने में ,के मेरे होते देर तो होगी , पर अंधेर नहीं होने दूंगा ।अब तो मेरे भी तीन बच्चे है उन्हें भी देखना होता है , हर रोज काम पर ही देर हो जाती है। इसी कारण उनका ध्यान रखने में भी देरी हो जाती है , डॉक्टर गुस्से में आ गए , बोले तुम समझना ही नहीं चाहते बहानो की जिंदगी में जी रहे हो देरी का ढोंग करके। 

डॉक्टर ने मेरे को  न्यूरोलॉजिस्ट को रेफ़र करते हुए कहा- “बाबा एक बार दिमाग़ वाले डॉक्टर को दिखा लो....शायद कोई रस्ता निकले 

मैं उठते  हुए बोला- 🙄 दिमाग वाले डॉक्टर ? '‘हमें तो लगा था कि आपके पास भी थोड़ा बहुत तो होगा ही।"🤔😏


पता नहीं मेरी कोई क्यों नहीं सुनना चाहता ? मेरी जिंदगी भी तो चिंता ग्रस्त है , मेरी हर घडी देरी से ही क्यों चलती है 
जब मैं जवान  था मुझे चिंता थी मेरे चेहरे पे बाल कब आएंगे   , जब बाल आये तो  फिर  निकल आये उन् पिम्पल्स की चिंता  ,
फिर चिंता हुई मेरी दाढ़ी मूछ देर से आने की , देर से शेव करूँ तो मजनू लगता हूँ 
अब जिंदगी को इतनी देर तक झेलने के बाद चिंता है मुझे चेहरे पर उभर रहे  wrinkles की 

देर एक ऐसा तकिया कलाम है जो घडी की सुईओं से कदम नहीं मिला पाता ,हम आज हर बात में जोड़ देते है और सारा दोष देर पर डाल देते है 
मैंने कहा पत्नी से चलो जल्दी तैयार हो जाओ आज पिक्चर देखने चलते है और खाना भी वहीँ खा लेंगे , अचानक प्रोग्राम बना तो कपडे इस्त्री करना थोड़ा मेक अप शेप अप अब इसमें थोड़ा टाइम तो लगेगा न ? पत्नी ने भी कड़क जवाब दिया 

 औरतों का एक सलीका होता है , मर्दो की तरह थोड़ा ही फौरन  जूते पहने और बोले चलो  चलते है, लगे ताने मारने : अब यह क्या बात हुई इतनी देर कर दी तुमने तैयार होने में , मुझे देखो मैं तो दो मिनट में ही तैयार हो गया हूँ , पत्नी ने भी छपाक से जवाब दे दिया , maagi noodles और शाही पनीर में यही तो फर्क है , हमे खुद से न मिलाओ। हम भीतर ही भीतर कुलबुलाते हुए खुद से ही बतिआयाने लगे। 

जब जीने की चाह करो तो ,तो दुश्मन हज़ार हो जाते हैं 
अब मरने का शौक़ है,तो क़ातिल ही नही मिलता, 

पत्नी हमे यूँ बड़बड़ाते हुए सुन के बोली क्या बेमतलब बोले जा रहे हो , भाई मैं तुम्हे नहीं उस तेज चलती घडी को कोस रहा हूँ जो हमे देर होती हुई दिखा रही है आधी पिक्चर तो वैसे ही निकल चुकी होगी । लेकिन गनीमत रही पत्नी जी आधे घंटे में तैयार हो गई और रास्ते का ट्रैफिक देर से पहुंचने की वजह से लगभग ४५ मिनट देर से हाल में पहुंचे लोग हमे घूर घूर के देखने लगे इतनी देर से ही आना होता है तो क्यों आते हो दूसरों का भी मजा खराब करने  ,, 
देर और  डर हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखते है 
देर से उठते थे , स्कूल जाने के लिए हमेशा लेट तो पिताजी की डाँट का डर फ्री में मिला करता था ,
कभी बस निकल जाती कभी साइकिल पंक्चर हो जाता  तो भी लेट , स्कूल में सजा मिलती , हाथों पे डंडे पड़ते सो अलग ,इस न्न मुराद देरी की वजह से 

सुबह ऑफिस में लेट पहुंचे तो बॉस का गुस्सा झेलो , शाम को घर लौटने में देर हुई तो बीवी का फूला मुहं देखो कभी कभी दोस्तों से मिलकर लौटते हुए और लेट हुए तो खाना भी नहीं नसीब होगा , दोस्तों के साथ महफ़िल जमी तो जम ही गई , अब इसमें आप मेरा दोष तो बताइए मैं तो देर करता नहीं देर हो जाती है , क्या दोस्तों को जिनके साथ मेरी शाम गुजरती है उन्हें नाराज कर दूँ ?और जोरू का गुलाम का तगमा पा लू


मेरे एक जानकार जनाब भी यही  फ़र्मा रहे थे , " सारी उम्र डरते ही रहे ....कभी शादी में देरी से , कभी पढ़ाई पूरी होने की देरी में , फिर देर से मिली नौकरी में , कभी माँ बाप से , फिर teachers से , फिर boss से , फिर मौत के ख़ौफ़ से  और अब  आखिरी पड़ाव पे ख़ुदा से .... "

मैंने पूछ ही लिया , एक चीज़ तो आपने याद ही  नहीं किया जनाब  " आपने बीवी का ज़िक्र नहीं किया "

वो बोले , " ओह वो तो ,डर के मारे नहीं किया "

निंदा हमेशा उसी की होती है जो जिन्दा है , देर से ही सही  मरने के बाद तो दुश्मन भी तारीफ़ करते है 

मेरे दोस्तों की भी बड़ी अजीब दुनिया है पढ़े लिखे तो हैं पर समझना नही चाहते , कहते है ऐसा देर नामका कोई सब्जेक्ट ही नही था कॉलेज में , के कहीं लेट पहुंचे तो क्या नुक्सान होगा ? इस लिए interpretation ऑफ statues तो पढ़ लिया पर interpreting intelligenc  नहीं पढ़ पाए तभी तो  ?

"उसके घर देर है अंधेर नहीं"

 देर आयत दरुस्त आयत"

"न से देर भली "

यानी की बाकी मतलब तो अपने सर के ऊपर से निकल गया सिर्फ याद रहा तो "देर"
देर  से आना ,न आने से अधिक  ठीक होता है , उसके घर अँधेरा है तो पहुंचने में देर तो होगी  इसी मतलब पे डटे हुए हैं 

    देर जितनी भी हो जाए जिंदगी के किसी भी पड़ाव पे आपको एक बात तो समझ आ ही जायेगी ,कि     ये दुनियाँ ठीक वैसी नहीं है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं।यह अपनी मस्ती में चलती है आपके लेट होने न होने से इसकी सेहत पे कोई असर नहीं पड़ता , यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में  गुलाब। किसी को दो रातों के बीच एक दिन नजर आता है तो किसी को दो सुनहरे दिनों के बीच एक काली रात। किसी को भगवान में पत्थर नजर आता है और किसी को पत्थर में भगवान।

          किसी को साधु में भिखारी नजर आता है और किसी को भिखारी में भी भी साधु। किसी को मित्र में भी शत्रु नजर आता है और किसी को शत्रु में भी मित्र। किसी को अपने भी पराये नजर आते हैं तो किसी को पराये भी अपने।

         किसी को कमल में कीचड़ नजर आता है तो किसी को कीचड़ में कमल। अगर आप चाहते हैं कि हर वस्तु आपके पसन्द की हो तो इसके लिए आपको अपनी दृष्टि पे चढ़ा चश्मा बदलनी पड़ेगी ,क्योंकि प्रकृति के दृश्यों को चाहकर भी नहीं बदला जा सकता। वक्त तो अपनी गति से चलेगा देर तो सिर्फ आपको होगी 

!!!...मनचाहा बोलने के लिए..अनचाहा सुनने की ताकत होनी चाहिए...!!!

बाबा नागपाल जिसकी दुनिया तो क्या उसके मित्र ही नही सुनते 😖😖😖😖😖

जिंदगी तो लेट लतीफी में गुजार ली हमने पर ऐ मौत तू भी कितनी कठोर निकली , कितनी देर करदी आने में , कितना याद करता था तुझे मैं अपनी मुसीबतों में 
मैं अकेला था परेशान था तब तो सुध न ली तूने मेरी , आज आये है देख तेरे साथ सब आँखों में आंसू लिए 
मेरा साथ देने मेरे जनाजे में , अब तुझे अपनी देरी की पड़ी है , कुछ पल दोस्तों से मिलकर गुफ्तुगू तो कर लेनी देती पर  तू तो मुझे भगाये लिए जा रही है ? लेकिन जल्दी ही अपनी गलती खुद ही समझ आ गई। 

हैं तो सब मेरे सगे सम्बन्धी और दोस्त ही,  आये हैं कुछ दूर से और कुछ देर से  ,
न  मिलते, न कोई तोहफा देते थे कभी,आज फूल ही फूल दिए जा रहे हैं , लेकिन देर वाली फितरत इन्हे अब भी रास नहीं आ रही , कह रहे है जल्दी से काम निबटाओ , मृत शरीर का दाह  संस्कार करो , हमारे भी कई काम बाकी है ,हमे भी देरी हो रही है , जाते जाते एक बार फिर दिल तोड़ दिया कमीनो ने, मेरी मौत का भी अफ़सोस सलीके से न किया एक देर की आड़ में 

बड़ी दूर निकल आये थे तरस  कर किसी एक हाथ के लिए , 
आज मगर देर से ही सही ,पर कंधे पे कन्धा दिए जा रहे थे , चाहे दिखावे के लिए ही सही। 

जब हम बुलाते अक्सर कहा करते  थे बहुत दूर रहते है , रोज रोज दो कदम मिलकर चलना  मुमकिन न होगा 
देर हो जाती है घर लौटने में, बहुत कुछ देखना होता है  , लेकिन आज उन्हें मालुम है हम देख नहीं पाएंगे 
,बात भी नहीं कर पाएंगे ,फिर भी देखो बिन कहे ,बिना किसी बहाने के ,आज काफिला बन बेमन से ही सही पर साथ तो चले जा रहे है। 

 देर से ही सही ,पता तो चला ,जीने में कोई साथ नहीं देता , ऐसा  जीना भी कोई जीना था 
, आज मरने में सब का साथ मिला , फिर भी चलो हमारे लिए एक जश्न से कमतर तो नहीं 

देर तो मुझ से तब भी हुई थी जब सिर्फ 15 मिनट पहले ही मेरी फ्लाइट मिस हो गई और मेरी जिंदगी सलामत रही , बाद में उस फ्लाइट का क्रैश हो गया था और सब खत्म हो गया था। 

देर तो जवानी में तब हुई जब मैं उसका हाथ थामने का इंतज़ार करता रहा ,
देर आज बुढ़ापे में  फिर हो रही है ,इसी इंतज़ार में ,
कोई मेरा हाथ थाम मुझे सड़क पार करवा दे , 
मुझे इस भीड़ भाड़ से बचा कर सुरक्षित घर पहुंचा दे। 

When YOUNG, 
I wanted my parents to leave me alone*
When I AM OLD
I am worried to be left alone*

When I was YOUNG, 
I HATED being ADVISED.
When OLD, 
there is NO ONE around to TALK or ADVISE.

When YOUNG,
 I ADMIRED BEAUTIFUL THINGS.
When I am OLD, 
I see BEAUTY in THINGS around ME.

When I was YOUNG, 
I felt I was ETERNAL.
When I am OLD, 
I know SOON it will be MY TURN.

When I was YOUNG, 
I CELEBRATED the MOMENTS.
When I am OLD, 
I am CHERISHING MY MEMORIES.

When I was YOUNG, 
I found it DIFFICULT to WAKE UP.
When OLD, 
I find it DIFFICULT to SLEEP.

When I was YOUNG, 
I WANTED to be a HEARTTHROB.
When OLD,
 I am WORRIED when will MY HEART STOP.

At EXTREME STAGES of OUR LIFE, 
WE WORRY but WE DON'T REALIZE,
LIFE NEEDS to BE EXPERIENCED.

It DOESN'T MATTER whether YOUNG or OLD. LIFE needs to be LIVED and LIVED WITH LOVE & LOVED ONES. You are surely one of these. 







ADABI SANGAM --MEET # -500 -2nd PART -- musical compering in place of Rajni ji -29Th-MAY-2021

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "




मेरे अदबी संगम के मित्रो को एक बार फिर आपके दोस्त एंड होस्ट राजिंदर नागपाल की तरफ से भी  तह दिल से स्वागतम ,इस संगीत की महफ़िल में , जहाँ थोड़ी गीतों की और जोक्स की मस्ती होगी , आज हमारे अदबी संगम की महफ़िल का #500 वां समागम है .

लेकिन दिल से अभी उतना ही जवान है जितना कभी पांचवे एपिसोड में हुआ होगा , जिसके सबसे बड़े सूत्रधार और फाउंडर  डॉक्टर सेठी परिवार आज भी उतनी ही शिद्दत से अपने इस संगम को बड़े जोश खरोश  से चला रहे है  , इनके सहयोगी प्रवेश जी ,अशोक जी ,रजनी जी  , रानी जी , सुषमा जी भी तो इसकी सफल यात्रा की  गवाही जरूर देंगी। हम और हमसबसे भी पहले जुड़े सदस्यों सहित सब के सहयोग और समभगिता से ही आज तक का सफर और शुभ  दिन देखने को मिल रहा है. तो चलिए आज का गीतों का जश्न शुरू करते है , 

कभी देर की सोने में तो कभी  उठने में                 
कभी दर्द उठा सीने में तो कभी घुटने में 
कैसे खोलें अब लब ,अपने उनके ख़िलाफ़ 
क्या क्या सितम न हुए हमारे ना झुकने में

गुजर जाते हैं ----- खूबसूरत लम्हें ---
युहीं मुसाफिरों की तरह 

यादें वहीँ खड़ी रह जाती है --- रुके रास्तों की तरह 
एक उम्र के बाद --उस उम्र की बातें --उम्र भर याद आती है 

पर वोह "उम्र "जो गुजर गई  फिर "उम्र भर " नहीं आती ------ आती हैं तो सिर्फ यादें ---और बहुत सी  यादें 


पति : अरे पडोसन की डेथ कैसे हुई ?कोरोना से ?

पत्नि : अरे नहीं , दाल के भाव बहुत बढने से

पति: ओए पागल हो गई हो...
          क्या ऐसे कैसे ही सकता है?🤔
 
पत्नि: मैने अपनी अंखोंसे उसका डेथ सर्टिफिकेट देखा,
          उसपे लिखा था
Death due to High Pulse Rate.
                      दाल के रेट बढने से....

ओये भली लोके यह नाड़ी की बात हो रही है न की दाल की , 

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मज़ाक की भी हद होती है
😊😂😊

पीतल के चम्मच को  कितना भी घिसो, 
वह सोने की नही  बन सकता...

यह वाक्य 

कोई सिरफिरा
ब्यूटी पार्लर के बोर्ड के नीचे लिख आया..

कालोनी की सारी भाभियां मुह फुलाऐ बैठी है...



निगेटिव रिपोर्ट का कमाल‐---------------------------------------------
10 दिन की जद्दोजहद के बाद एक आदमी अपनी कोरोना
नेगटिव की रिपोर्ट हाथ में लेकर अस्पताल के रिसेप्शन पर खड़ा था।
आसपास कुछ लोग तालियां बजा रहे  थे, उसका अभिनंदन कर रहे थे।  🤷🏼‍♂️ 
जंग जो जीत कर आया था वो।
लेकिन उस शख्स के चेहरे पर बेचैनी की गहरी छाया थी।
गाड़ी से घर के रास्ते भर उसे याद ,😌 आता रहा "आइसोलेशन" नामक खतरनाक और असहनीय दौर का वो मंजर।

न्यूनतम सुविधाओं वाला छोटा सा कमरा, अपर्याप्त उजाला, मनोरंजन 
के किसी साधन की अनुपलब्धता, कोई बात नही करता था और न ही कोई नजदीक आता था। खाना भी बस प्लेट में भरकर सरका दिया जाता था।

कैसे गुजारे उसने  वे 10 दिन, वही जानता था।😓
घर पहुचते ही स्वागत में खड़े उत्साही पत्नी  और बच्चों को छोड़ कर वह शख्स सीधे घर के एक उपेक्षित कोने के कमरे में गया, जहाँ माँ पिछले पाँच वर्षों से पड़ी थी ।
  माँ के पावों में गिरकर वह खूब रोया और उन्हें लेकर बाहर आया।

पिता की मृत्यु के बाद पिछले 5 वर्षों से एकांतवास  (आइसोलेशन )
भोग रही माँ से कहा कि माँ आज से आप हम सब एक साथ एक जगह पर ही रहेंगे। 
माँ को भी बड़ा आश्चर्य लगा कि आख़िर बेटे ने उसकी पत्नी के सामने ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर ली ? 
  इतना बड़ा हृदय परिवर्तन एकाएक कैसे हो गया ?  बेटे ने फिर अपने एकांतवास की सारी परिस्थितियाँ माँ को बताई और बोला अब मुझे अहसास हुआ कि एकांतवास कितना दुखदायी होता है ? 

बेटे की नेगटिव रिपोर्ट उसकी जिंदगी की पॉजिटिव रिपोर्ट बन गयी ।
इसी का नाम है- जिंदगी
      जियो और जीने दो


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आपको एक इंग्लैंड का किस्सा सुनाता हूँ , प्राइम  मिनिस्टर विंस्टन चर्चिल ने खुद अपनी किताब में लिखा है , एक बार इंटरव्यू के लिए  बीबीसी ऑफिस जाने के लिए टैक्सी ली और वहां  पहुँच कर टैक्सी वाले से 40 मिनट वेट करने  को कहा की वापिस भी जाना है , टैक्सी वाले ने तुरंत मना कर दिया की उसे घर जाना है और winston churchil की  स्पीच सुननी है , चर्चिल यह सुन बड़े खुश हुए की देखो जनता में वह कितने पॉपुलर हैं हर नागरिक मुझे सुनना चाहता है , चर्चिल ने बिना अपना परिचय दिए टैक्सी वाले को 20 पाउंड्स दिए जो की उन दिनों अच्छी खासी रकम मानी जाती थी , टैक्सी वाला एक पौंड की जगह इतना बीस गुना पैसा देख खुश होते हुआ बोलै जनाब , आप जब भी वापिस जाना चाहे मैं इंतज़ार करूँगा , भाड़ में जाए चर्चिल और उसकी स्पीच। चर्चिल ने किताब में लिखा है के मैं इतना हैरान हूँ पैसे की वजह से लोग देश के खिलाफ,  भी बोलने लगते है , प्रधानमंत्री को गाली दे सकते है , पैसे के लिए अपना जमीर ,वोट , इज़्ज़त ,परिवारों में फुट , दोस्तों में झगड़ा ,लोग पैसे के लिए जान भी ले लेते हैं , पैसे की इतनी गुलामी देश और दुनिया के लिए एक दिन बहुत बड़ा खतरा साबित होगी , और यह आज सच होता दिख भी रहा है , अमेरिका और इंडिया के हालत से अपना मतलब निकाल लीजै 


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हरयाणा में कोरोना lockdown के दिनों में एक शराब पीकर घुमने वाले व्यक्ति को पुलिस पकड़कर ले गई..

400, 500 लोगों की भीड़ भी उसके पीछे - पीछे थाने चली गई..
इतनी भीड़ देखकर पुलिस घबरा गई उन्होंने  उसको कोई बड़ा सरकारी मंत्री समझ , उसे  तुरन्त छोड़ दिया और माफ़ी भी माँग ली गलती के लिए..

उसने बाहर निकलकर इतनी भीड़ देखि तो सबको सहयोग करने के लिये धन्यवाद दिया..

भीड़ बोली.. भाड़ में गया तेरा धन्यवाद.. तूँ तो हमने यो   बता कि यो  मिल कड़े रही है 🍾🥃..?

😆😆😜😜😜😜🤪🤪

























NOBLE LAUREAT ------ BRAZILIAN POETESS----MARTHA MERIDOSE -----THIS IS HER VERY MEANINGFUL POEM

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
NOBEL PRIZE 
*नोबेल पुरस्कार विजेता ब्राजीली कवियत्री  मार्था मेरिडोस की

इसी कविता के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ
 ....
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन, 

तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

जब फसल सूख कर जल के बिन 
तिनका -तिनका बन गिर जाये,

फिर होने वाली वर्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

सम्बन्ध कोई भी हों लेकिन 
यदि दुःख में साथ न दें अपना, 

फिर सुख में उन सम्बन्धों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

छोटी-छोटी खुशियों के क्षण 
निकले जाते हैं रोज़ जहां, 

फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का
रह जाता कोई अर्थ नहीं ।।

मन कटुवाणी से आहत हो 
भीतर तक छलनी हो जाये, 

फिर बाद कहे प्रिय वचनों का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।

सुख-साधन चाहे जितने हों
पर काया रोगों का घर हो, 

फिर उन अगनित सुविधाओं का 
रह जाता कोई अर्थ नहीं।। ...!!

How I came to Teaching ? IALI KIDS FORUM ----BY SHVETA NAGPAL

"LIFE BEGINS HERE AGAIN " IALI KIDS FORUM 

How I came to Teaching?----BY SHVETA NAGPAL 
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As I have been part of this kids forum for quite some time now and my IT background and job profile is already known to my friends here in this forum. 

Teaching kids did not come to me suddenly, During my school and college days, I always wanted to generate my own pocket expenses, to become independent in my life, During My vacations or spare times I used to get flyers printed and distributed through newspapers, 

For that, I had to get up early morning at 4 o'clock to deliver flyers to newspaper vendors  I started getting students who wanted my tuition and me getting my pocket money. The Kids used to come to my house where I taught them in my own ambience and convenience.

 This boosted my Knowledge about the subjects as well as my morale. Even after completing My master in computers applications (MCA) where I topped  My university, which offered me a lecturership at the same campus, but I tried My hands with  Multinational IT companies like Wipro, IBM and came to the USA. 

Despite my over occupation with my job demands, I still nurse my passion of imparting and passing my knowledge to the kids to carve out their careers in life. Students have also gained tremendously through my practical approach while teaching them. This gives me immense satisfaction and monetary rewards too. This is how I am always comfortable in being an educator.











ADABI SANGAM ----- AS MEETING -- 504 - SEPTEMBER 25Th -2021------ TOPIC --- UMEED- उम्मीद - EXPECTATIONS-

"LIFE BEGINS HERE AGAIN " उम्मीद - आस 


Logistics: AS meeting 504 Hostess: Rita Kohli Ji
Venue: Santoor, 257-05 Union Turnpike, Glen Oak, NY 11004
Date & Time: September 25 at 5:30 PM
Topic: UMMEED
Part 1: Dr Mahtab Ji
Part 2: Rita Ji
Story: Jessi Ji

ना पूछना ,कैसे गुज़रता है एक
पल भी अपने अदबी मित्रों के बिना

कभी देखने की हसरत में
कभी मिलने की ख़ुशी में!!

कैसे एक महीना यूँ गुजर जाता है ,
एक नई मिठास लिए , पुनर्मिलन की आस में ,

आज का दिन भी कुछ ऐसा ही अवसर है ,
पर उतना खुश ग्वार नहीं,
एक अदबी मित्र लूम्बा जी ने ,हमसे अचानक जो मुहं फेर लिया ,
नासाज जरूर थी उनकी तबियत पर इतनी भी नहीं के।
अच्चानक हमें यूँ तनहा कर जाते ........

कई मौके आये पहले भी पर ,
दिल ने एक उम्मीद बरकरार रखी थी ,

जब भी वोह बीमार पड़ते थे , नियति से लड़ कर फिर खड़े हो जाते थे
ऐ दोस्तों कही पढ़ लिया था
कि सच्ची दुआएं और सच्ची
मोहब्बत हमेशा लौटकर आती है !!

पर हमेशा को रूठ जाएंगे वो हमसे इस तरह ?
ऐसी बिलकुल हमें , उम्मीद न थी

इसी उम्मीद पे हम ,रोज़ चिराग़ जलाये जाते थे
शायद इक बार फिर इसी महफ़िल में उनका दीदार हो
यक़ीं भले ही कुछ कमजोर था ,पर दिल में उम्मीद तो काफ़ी थी !

ज़िंदगी तो धोके पे धोका !!दे दिया करती है अक्सर ,
जनाब ऐसा हमने बहुतो से सुना था
पर मौत यूँ चुपचाप चली आएगी ,
इसकी बिलकुल उम्मीद न थी

ऐसी ऐसी दुखद घटनाएं , मुझे भी झकजोर रही हैं
इस नश्वर जिस्म का ,आखिरी मेहमान बना बैठा हूँ
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ
वो कहाँ है कब आ जाए लिवाने ,
ये बदलती फ़िज़ाओं को बेशक मालूम है मगर
एक बस में हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ !!

यूँ तो हर शाम उमीदों में
गुज़र जाती थी , अब तो वोह जो टूटी , मेरी उम्मीद आखिरी थी
कुछ यादें उनकी , फिर से जेहन में उतर आई मेरे ,
जो इस शाम पे फिर से रोना आया !!

यही है ज़िंदगी का सफर मेरे दोस्तों ,कुछ ख़्वाब अधूरे
आँखों से झांकती हसरतें , मिलान और जुदाई
इन्हीं रास्तों से सारा जग गुजर रहा है
तुम भी ,बहल सको इनसे तो ,चलते चलो !!
लेके अपनी अपनी उमीदों के सहारे

लेकिन एक मशवरा यह भी है ,ज़्यादा उम्मीद मत लगा लेना खुद से
तूँ सिर्फ एक इंसान ही तो है
थोड़ा फासला भी तो रख
अधूरी ख्वाइशों और उमीदों में !!

हर शख्स यहाँ उलझनों और कश्मकश में ,
एक उम्मीद की ढाल लिए बैठा हैं
ए जिंदगी तेरी हर बेढंगी चाल के लिए ,
उम्मीदों से लबरेज हर तरफ, एक उमीदवार बैठा है

जरा ध्यान देकर सोचा तो पता लगा
इस दुनिया में आधे दुखः
गलत लोगों से ,उम्मीद रखने से होते है
और बाकी के आधे सच्चे लोगों
को नउम्मीद करने से होते है !!

ज़िन्दगी तो वही है जो हमने आज जी ली
कल के लिए तो सिर्फ उम्मीद ही बाकी है

मैंने परेशां होकर जब जिन्दगी से पूछा
सबको इतना दर्द क्यों देती हो,
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया
मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हूँ
पर एक की उम्मीद दुसरे की उम्मीद से जब टकराती है !!
तो जरूर नाउम्मीदी पैदा होती है , वही है दर्द आप सबका

लेकिन तेरे जहान में ऐसा भी नहीं
कि लोगों को दर्द के सिवा , प्यार न मिला हो
पर दर्द तब हुआ ,जब,जहाँ उम्मीद थी इसकी
वहाँ नहीं मिला,

चमत्कार तो तब हुआ  , जब मैंने अपनों से उम्मीद हटा ली
तकलीफें मेरी , खुद ब खुद कम हो गई

प्यार तो जी भर कर करो ,बस उम्मीद
किसी से मत रखना ,क्योंकि तकलीफ
मोहब्बत नहीं उम्मीदें देती है !!

करते नहीं वफ़ा आज कल लोग
सिर्फ आस रखते है इश्क़ में भी साहिब
तो भला उम्मीद अपने पन की रखना
गैरों से ? यह कहाँ की समझदारी है !!

कहने को लफ्ज दो हैं
उम्मीद और हसरत
लेकिन निहाँ इसी में
दुनिया की दास्ताँ है !!

उम्मीद वक्त का सबसे बड़ा सहारा है
अगर हौसला है तो हर मौज में किनारा है !!

बीते ज़ख्मो को यूँ , बार बार ताज़ा किया न करो,
पुरानी यादें ,पुराने किस्से,दुश्मन हैं नई उम्मीद के

हर नई उम्मीद में से भी एक ,नई उम्मीद खोज कर ,
खुद को खुदी में तलाश कर ,मस्त ज़िन्दगी जिया करो !!

हर आने वाले पल का इंतज़ार बहुत पसंद है मुझे
क्योंकि यही वक़्त तो उम्मीद से भरा होता है !!

आज भी इस उम्मीद से
सिगरेट पीते हैं लोग ,यारों
के कभी तो जलेगी सीने में रखी
कड़वी यादें उन की !!

मैं जिंदगी के उन लम्हों को परोसता हूँ , जो मेरे साथ घटे
अच्छे लगे तो अपना लेना , वरना
मुझसे झूठ की कोई उम्मीद ना करना ,
मैं खुद का अक्स , खुद में ढून्ढ लेता हूँ
मैं आइना हूं, सुबह का अख़बार नहीं !!

हम भी किसी शख्स से तब तक लड़ते हैं
जब तक उससे प्यार की उम्मीद होती है
जिस दिन वो उम्मीद ख़तम हो जाती है
उस दिन लड़ना भी खत्म हो जाता है !!

एक झख्म जो आज हम सब के दिलो को मिला है , कुछ वक्त लगेगा भरने में , जिस हिम्मत से सुषमा जी ने यह लड़ाई लड़ी है वह काबिले तारीफ मिसाल है ,आखिरी सांस तक साथ निभाने की
फिर भी दिल ना-उमीद नहीं ,नाकाम ही तो है " सुषमा लूम्बा जी की इस भावना से हम खूब परिचित है, जिन्हे उन्होंने आखिर वक्त तक आराधना की तरह निभाया है " हमारी तरफ से उस जाने वाले फरिश्ते को हमारी हार्दिक श्रदाँजलि , के साथ ही सुषमा जी के लिए दो शब्द कह कर , मैं अपनी कलम को यहीं विराम देता हूँ

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है !!फिर एक नया दिन ,नई जिंदगी ,नई उम्मीद फिर से जिंदगी को अपने ढर्रे पर ले जायेगी , और हम सभी चलते ही रहेंगे अपनी अपनी डगर पर ,एक नई उम्मीद का दामन थाम के ?

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पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ
क्योंकि मैं खुद के सिवा किसी से
कोई उम्मीद नहीं रखता !!

खुश रहने का एक सीधा मंत्र यह है
की उम्मीद अपने आप से रखो
किसी और से नहीं !!

अगर जिंदगी में सफल
होना चाहते हो तो दूसरो से
ज्यादा खुद से उम्मीद लगाया करो !!


Sunday, August 29, 2021

AUGUST 28th , 6.30 PM "ADABI SANGAM MEET -AS=MEETING # 502" ------KHOJ --- तलाश - DR SETHI'S RESIDENCE CONNECTICUT

AUGUST 28 th , 6.30 PM 
"ADABI  SANGAM MEET -AS=MEETING # 502"   ------"KHOJ"  -----------------  
 DR SETHI'S RESIDENCE CONNECTICUT 





बड़े सवाल हैं जिंदगी में जिनके माकूल उत्तर की है तलाश हमे 
जिंदगी का दूसरा नाम ही खोज है , हमारी जरूरत ही हमारी खोज की बुनियाद है 
necessity is the mother of inventions 
रात दिन की हमारी भागदौड़ कुछ न कुछ खोजने में ही तो बीत रही है , किसी ने जमीन से पुराणी सभ्यताएं  पाताल से खोज निकाली , दबे गढ़े शहर और महल खोज निकाले , किसी ने तेल की खोज में समुन्दर के गर्भ को खोद डाला , यहाँ भी जी नहीं भरा तो चल पड़े ब्रह्माण्ड में दुसरे ग्रहों की खोज में के शायद जो वह  पृथिवी लोक में नहीं पा सके आकाश लोक में मिल जाए, कुछ पा लेते हैं और कुछ गवा देते है लेकिन खोज फिर भी जारी रहती है। पृथिवी के ख़ज़ाने लूट कर इंसान अब चला है  आसमान लूटने सिर्फ "खोज के" नाम पर , लेकिन इंसान ने अपनी खुशियां खो कर यह सब पाया है , अब हमें उस खोई ख़ुशी की तलाश भी है। 

 जिंदगी सोज जरूर बने पर साज न होने पाए , ( PASSION )
 दिल तो टूटे मगर आवाज न होने पाए  ( लोगों को पता न चले )
खाज कितनी भी उठे सीने में , खोज फिर भी रुकने न पाए 

                                                 क्योंकि सचाई ही यही है " जिन खोज्या  तीन पाया "


तू कितना भी खुशकिस्मत हो , कितना भी  हो दौलतमंद, 
 यह तेरी मेहनत , हिम्मत, लगन  है या  है तू अकल्मन्द 
तो मालुम होगा तुझे यह भी के , बिना खोज के 
बिना किसी मार्ग दर्शक गुरु की प्रेरणा के 
अपने साथ GPS लगा कर हम हर मंजिल तो खोज लेते हैं । 
परन्तु खुद को अपने अंतर्मन से आज तक नहीं खोज पाए 

खुद की  खुद के भीतर खोज करना है तो कुदरत के नियम भी समझ लो ,  यहाँ कोई इंसानी GPS काम नहीं आता 

1 . दिमाग को हमेशा सद विचारों से सींचो , वरना खाली पड़ी जमीन पे बीज न डाले जाएँ तो घास फूस ही अपने आप उग जाता है यानी खुद की खोज के लिए अच्छे विचारो से दिमाग को भरो वरना खोज को खाज बनने में वक्त नहीं लगता। 

2  प्रकृति का दूसरा नियम है " किसी भी तरह की खोज के लिए ज्ञान का होना , जिसके पास जो होता है गलत या सही वही उसका ज्ञान होता  है , वही दूसरों को भी बांटता रहता है , डरा हुआ इंसान डर बांटता है , सुखी इंसान सुख और दुखी इंसान दुःख , ज्ञानी इंसान अपना ज्ञान , और confused इंसान अपना confusion बांटता  फिरता है , हमे अपने मतलब का मार्ग इसी में से खोजना होता है। 

3 . तीसरा प्रकृति का नियम भी बहुत महत्वपूर्ण है जरा आज के सन्दर्भ में विचार करें 
आपने जीवन में जो भी खोजा या पाया उसे संभालना और पचाना सीखो क्योंकि " भोजन न पचने पर रोगी हो जाओगे , 
कमाई हुई दौलत न पच्ची तो दिखावे में जाया होगी , 
किसी की बात न पचने पर चुगलखोरी की आदत बन जाती है , 
प्रशंसा या तारीफ़ अगर सर चढ़ जाए तो अहंकार बढ़ता है , 
निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है ,
किसी के राज को न पचा पाए तो खतरे , 
दुःख न पचने पर निराशा बढ़ती है , सुख न पचने पर पाप बढ़ने लगता है 

यही तीन नियम हमने जीवन में खोज लिए है जो बिलकुल सच हैं  जिसे आज हम अपने अदबी संगम में आप से बाँट रहे है 


खुद की खोज में निकल, हिम्मत कर ,है किस लिए तू  हताश ,? 
तू बढ़ा चल तेरे वजूद की, खुद वक्त को भी है तलाश ,


एक  छोटी  सी  बात  .... हम सब जानते है 

 हर उस खोज में हर कोई  पूरी पूरी रात जगा है 

कोलंबस खोजने चला था इंडिया को पहुंच गया अमेरिका 

लेकिन वास्कोडिगामा चला खोजने अमेरिका को पहुँच गया भारत के गोवा में ? खोज तो लिया खतरों से खेल कर भी इन दोनों खोजिओ ने अपनी जान की बाजी लगा कर ,क्योंकि उन्हें तलाश थी भारत की  धनदौलत की , सभ्यता की , नाना प्रकार के मसालों और औषधिओं की , वह खुद तो नहीं रहे पर उनकी वह खोज आज भी हमारे साथ है 

एक दरिद्र------ पेट की आग बुझाने के लिए धन  खोजता है ,

 और भरपेट खाने वाला अमीर , हाजमे की गोली 

एक थका हारा इंसान नींद में सकूँन  खोजता है ,

एक अमीर  पैसे खर्च करके  नींद  की गोली    (खोजता है )

एक डाकू दुसरे के धन को  लूटने के बहाने खोजता है

और एक साध इंसान अपने धन को गरीबो को लुटाने के तरीके खोजता है 

सरकारें जनता पर टैक्स लगाने के बहाने तलाशते है और 

टैक्स देने वाला सरकार  को चकमा देने के तरीके , 

सभी तो लगे हैं खोज में 

परिंदों की खोज जा रुकी कुछ तिनको पर , जिससे खूबसूरत आशियाँ उनका बन गया ,

मगर इंसान ने बनाए अपने लिए तीन आलिशान मकान , रहता वह सिर्फ एक में ही है

 फिर भी। हसरतें जिन्दा हैं तलाश अभी बाकी है ,

चौथे की खोज जारी है  

कहते  हैं ...न की 

अगर  कहीं ,  हमारा  होना   या   ना होना 

एक  बराबर  हो , तो  ना होना  --बहुत  अच्छा  होता  है 


वो अल्फ़ाज़ ही तो होते है 

जो दिल मे उतर जाते है.. साहिब...!

रुतबो का क्या शोहरत मिली और बदल गए...!! 


हमारे एक मित्र को भी थी तलाश ,
एक अदद दूल्हे की ताकि ,अपनी बेटी का घर बसा सके 
तलाश जितनी पुरजोर थी 
पड़ताल उससे भी जबरदस्त 
लड़के की तलाश है या  X -ray रिपोर्ट 

खुद का मकान है कि नही?
अगर है तो फर्नीचर कैसा है?
घर में कमरे कितने हैं?

गाडी है की नही?
है तो कौनसी है?
लड़का करता  क्या है , क्या उम्र है कितना पढ़ा है 
जहाँ रहता है वह मकान कितना बड़ा है ? 
अपनी औकात से बढ़कर की गई तलाश को हमेशा 
अंत में कुंडली हताश करती है 
गोया रिश्ता होने से पहले ही बिखर गया 
लेकिन  तलाश फिर भी जारी है 

कितनी भीड़ रहती है उसके घर में रिश्तेदारों की 
एक बड़ी फ़ौज भी हो नौकर ,चौकीदार सेवादारों की 
गोया दूल्हा नहीं कोई प्रिंस चार्ल्स चाहिए ?
कहाँ होती है पूरी मुरादे यूँ सोचने से ?
लेकिन तलाश फिर भी जारी है 

बड़ी अजीब से त्रास से ,प्यासी है आज की पीढ़ी 
सीधी दौलत की लिफ्ट हो , नहीं चाहेए सीढ़ी 
इसी रस्साकशी में उम्र गुजरी जाती है ,
थोड़ा इंकार थोड़ा इंतज़ार, 
रिश्ते जुड़ नहीं पाते मन सवभाव संस्कार मिल नहीं पाते ,

 लेकिन तलाश फिर भी जारी है 

अब इस वहम  का इलाज भी  तो खोजना चाहिये हमें के नहीं ?
आप सोचिए जिनके साथ कुंडली मिलती है 
लेकिन वहां घर और लड़का अच्छा नहीं 
और जहाँ लड़के में सभी गुण हैं
 वहां कुण्डली नहीं मिलती 
और हम सब कुछ अच्छा होने के बावजूद भी कुण्डली की वजह से रिश्ता छोड़ देते हैं,

आप सोच के देखें 
जिन लोगो के 36 में से 20 या फिर 36 /36 गुण भी मिल गए फिर भी उनके जीवन मे क्या तकलीफें नहीं आती ? बहुत आती है जनाब , फिर भी इस वैज्ञानिक युग के लोग इस रूढ़ि वादी परम्परा का इलाज नहीं खोज पा  रहे 


ऐसी ही हमने भी बड़ी खोज की थी अपने व्यपार को बढ़ाने  की
दूकान तो चल निकली पर शरीर रुक गया ,लेकिन हमने 
भी कुछ डॉक्टर खोज निकाले जो हमें फिरसे चलता फिरता करदे 
 

बीमार पड़ोगे तो दवाइयां ढूंढ़ने में भी काफी कष्ट है जनाब , 
कोई भी दवाई आज तक बनी नहीं जो तुम्हे हमेशा जिन्दा रख सके , 
दवा अगर जहर भी है तो पी ले ख़ुशी ख़ुशी 
यही  तो एक करार है बीमार और तीमारदार का, 
खोजते रहिये जिंदगी ,
जब तक मौत खुद ही आप को न खोज ले 😐😕😟

**************

पेशेंट : "डॉक्टर साहब, 

इस प्रिस्कीप्शन में आपने जो दवाइयाँ लिखी हैं, उनमे से सबसे ऊपर की नही मिल रही हैं.   

डॉक्टर: " वो दवाई नही है, मैं तो पेन चलाकर देख रहा था,चल रहा है कि नहीं ...!!!

पेशेंट: अबे कमीने...

मैं सारे शहर के 70 मेडिकल स्टोर्स  घूम के आया हूँ तेरी हैंडराइटिंग और पेन को टेस्टिंग के चक्कर में।   😡साला एक मेडिकल वाले ने तो ये भी कहा! कल मंगा दूँगा....🙏

दूसरा कह रहा था....ये कंपनी बंद हो गयी....दूसरी कंपनी की दे दूँ क्या?? 🥺

तीसरा कह रहा था....इसकी बहूत डिमाण्ड चल रही है.....ये तो ब्लेक में ही मिल पायेगी!  😫

साला चौथा तो बहूत ही एडवांस था..

.बोला ये तो Corona third wave DELTA VARIENT  की  एडवांस दवाई है... किसको हो गया है तुम्हारे घर में ?जो अभी से ही जमा करने में लगे हो ???,

इतनी खोज दवाई की कर ली मैंने 

काश इसका आधा वक्त भी 

अपनी सेहत और खानपान पे ध्यान देता तो जीवन की तलाश आसान हो जाती 

जिंदगी में हमारी खोज कितनी ऊंचाई तक पहुंचेगी यह हमारी अंदर छुपी आत्म शक्ति पर निर्भर है , जैसे एक गुब्बारा जब आकाश को छूने लगता है वह अपनी वजह से नहीं बल्कि उसके भीतर भरी हुई गैस जो उसे ऊंचाई दिलाती है 



हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें..साहिब..!
किसी ने हमें खोज निकाला और तलाशते रहे किसी को  हम उम्र भर ,
एक खुशफहमी पाले  रहे हमेशा के ,लोग हमें पसंद करते हैं...!!

बस हमें ही नहीँ रहा अब शौक ऐ मोहब्बत की तलाश का 
वर्ना साहिब...! गुजरते हैं जब भी उन गलिओं से 
उसके  शहर की खिड़कियां तो ,इशारा आज भी करती हैं..!!

प्यार तलाश न कर पाए 
बेवजह दीवार पर..  लगा ,इलज़ाम है बटवारे का
 वरना कुछ लोग तो एक कमरे में भी ,अलग अलग रहते हैं..


खुद को खोजना है तो 



 खोज तो हमेशा की तरह आज भी अभी भी जारी है 
नदी से  -  पानी नहीं , रेत खोज रहे हैं हम 
पहाड़ से - औषधि नहीं , पत्थर खोज रहे हैं  हम 
पहाड़ो से सुरक्षा नहीं सुरंगे खोद रहे हैं हम 
पेड़ से  - छाया नहीं , लकड़ी खोज रहे हैं हम 
खेत से - अन्न नहीं , 
जमीन  बेच धन खोज रहे हैं हम 

उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर,
काट लिए पेड़, तोड़ दी मेड़

रेत से पक्की सड़क , 
पत्थर से महल नुमा मकान बनाकर
 लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे सजाकर,
अब भटक रहे हैं.....दर दर !! 
खोज रहे है उस जीवन दाई पानी को 
जिसे हमने अपनी खोजों के नशें में चूर होकर 
पाताल से भी गहरे गर्त में  दफना दिया 

सूखे कुओं में झाँकते, 
वीरान रीती नदियाँ ताकते, 
कुछ झाड़ियां खोजते हैं लू के थपेड़ों में,
बिना छाया के ही हो जाती अब तो सुबह से शाम....!!!
और गली-गली ढूंढ़ रहे हैं हम आक्सीजन के बाम 



जुदाईयां ही जब मुकद्दर हैं,
तो वफ़ा की तलाश क्यों 
 
इश्क तो आखिर इश्क है जनाब , जोड़ियां तो ऊपर बनती है न ?
कम कैसा और ज्यादा कैसा...?
खुद बखुद हो जाता है तो  फिर इसकी तलाश क्यों ?


लेकिन आधुनिक युग के GPS के बिना हमारी पुरानी जिंदगी में रास्तों की खोज कुछ यूँ हुआ करती थी 



 एक बार एक अँग्रेज रोहतक मेँ रास्ता भूल गया। उसने वहाँ पुलिस वालोँ से पूछा

"Will you please guide me the way to the bus stand?"

पुलिस वाला : के कहवै है ?

अँग्रेज ने फिर दूसरे पुलिस वाले से पूछा
"Will you please tell me the way to reach the bus stand?"

पुलिस वाला : के कह रहा है भाई?
"
अँग्रेज वहाँ से चुपचाप चला गया बुदबुदाते हुए you dont know english 
"
पहले पुलिस वाले ने दूसरे को कहा -
 रामबिलास भाई, जिंदगी में कोई किसी ते रास्ता बूझना हो तो आदमी नै अँग्रेजी जरूर आणी चाहिए, किम्मै एमरजैँसी मैँ काम आ जा है
"
दूसरा पुलिस वाला : उस अँग्रेज नै तो अँग्रेजी आवै थी,  उसके काम आयी कै???
***
स्पीड ब्रेकर कितना भी बड़ा हो,

     गति धीमी करने से  झटका   नहीं   लगता ।                 

उसी तरह
    मुसीबत कितनी भी बड़ी हो
          
शांति से विचार करने पर
   जीवन  में  झटके  नही  लगते    


आज भी हम खोज रहे है उन बीते हुए सुनहरी पलों को ऐसे विचारों को सिर्फ गीतों में 

"ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी❤️❤️😍"


न मैं बोलूँ ,न कुछ  लिखूँ ...दोस्तों 
तो ये मत समझना कि भूल गए हैं हम ..
.हम भी खुद को खोजने में ,बरसों से किसी खोज में लगें है








FINAL----- LAC 
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खामोशियों ने भी तो...
कुछ जिम्मेदारी ले रखी है ...
सुखी होने के चक्कर में जो
पूरी जिंदगी दुखी रहता हैं......
"उसी का नाम इंसान है"...!!
इंसान इतना डरपोक है कि 
सपने में भी डर जाता है...! 
और इतना निडर है कि,
जब जागता है तो...
भगवान से भी नहीं डरता...!!
अपना अंदाज कुछ अलग है सोचने का , 
सब को मंजिल की तलाश है और मुझे सही रास्तों की ,
लोगो ने समझाया पैसा संभाल के रखो बुरे वक्त में काम आएगा ,
हमने कहा अच्छे लोगों को साथ रखो , बुरा वक्त ही नहीं आएगा 


चलने की कोशिश तो करो
दिशायें बहुत हैं
रास्तो पे बिखरे काँटों से न डरो,
तुम्हारे साथ दुआएँ बहुत हैँ
ये ज़िन्दगी तमन्नाओं का गुलदस्ता ही तो है
कुछ महकती है, कुछ मुरझाती है
और कुछ चुभ जाती है...
आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते
पर आप अपनी आदतें बदल सकते है 
और निशचित रूप से आपकी आदतें
आपका भविष्य बदल देगी



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दोस्तों की महफ़िल जमी थी , मैंने पुछा दोस्तों आप सब लगभग 70 साल से काफी ऊपर की उम्र के हैं , आपने अपने जीवन में क्या क्या खोजा  था और क्या पाया है और क्या नहीं मिला ?
उसने जवाब दिया , मैंने सबको प्यार दिया है अपनी पत्नी को ,अपने माता पिता को , परिवार को , बच्चों को भाईओं को , अपने दोस्तों को , अब जिंदगी के इस पड़ाव पर मुझ से किसी को कोई उम्मीद नहीं रही इसलिए अब मैं आज़ाद हो गया हूँ और खुद से प्रेम करने लगा हूँ जो मैं आज तक समय नहीं निकाल पाया था। 

आज मुझे समझ में आ गया है के दुनिया मेरी वजह से नहीं , मेरे उस वक्त की वजह से दुनिया मेरी थी जो आज बीत चूका है 

अब मैंने पाया है के लेने से दे देना मुझे सकून देने लगा है , मैं एक गरीब सब्जी वाले , रिक्शे वाले से ,मोची से कोई मोल भाव नहीं करता हो सकता है मेरे पैसों की मुझ से ज्यादा उस के गरीब परिवार को हो उसकी गरीब बेटी बेटे  की पढाई और शादी की हो 

होटल रेस्टोरेंट में अब मैं पहले से कहीं ज्यादा टिप देने लगा हूँ मुझे अहसास है उनकी सख्त मेहनत का जिसके लिए उन्होंने यह काम पकड़ा होगा उसका पूरा परिवार पैसों के लिए उसकी तरफ देख रहा होगा 

मैं किसी भी मौके पर  अपने जैसे या अपने से बड़े बुजुर्ग को कहीं भी मिलता हूँ तो उसे वक्त जरूर देता हूँ , लोग मुझे सनकी कहते रहे , पर मैं उनकी आप बीती के किस्से जरूर सुनता हूँ और उन्हें बीच में बिलकुल नहीं टोकता चाहे वह किस्सा मुझे कितनी ही बार पहले भी सुना चुके हो , मेरा विश्वास है इस प्रकार हमारे वह बुजुर्ग अपने गोल्डन पास्ट में से कुछ न कुछ सुनहरे पल खोजते रहते है 

अब लोग कुछ भी कहें चाहे गलत ही क्यों न बोल रहे हो , मैं उन्हें दुरुस्त करते करते कुछ हासिल नहीं करने वाला , मुझे अपने मन की शान्ति के लिए यह रास्ता ठीक लगा 



पहले मैं जब लोगों को एक दुसरे को अभिवादन या  तारीफ करते हुए देखता था तो ऐसा लगता था इस तारीफ मस्का  बाजी में किसी को क्या मिलता होगा  , जो सच है वही कह दो उनके मुहं पे , लेकिन अब मैंने देखा तारीफ के दो बोल इस उम्र में क्या कीमत रखते है ,जीवन का जोश लौट आता है लोगों में अपनी तारीफ सुनकर , उनका शुक्रिया अदा करना भी उसी का हिस्सा है 


अब मैं अपने कपड़ो जूतों के लिए किसी को कुछ नहीं कहता न ही उनसे किसी कमेंट की जरूरत , मेरी कमीज पर गर दाग है या प्रेस नहीं है , जूते पोलिश नहीं है तो जितना खुद करलूं उतना ही ठीक समझता हूँ , इंसान भीतर से महान होना चाहिय अपने पहनावे से नहीं 

मुझे अपनी कमाई हुई उम्र और तजुर्बे की कीमत मालूम है , जो मेरी कीमत को नकारते है मैं उनसे दूर ही रहता हूँ 

अब मुझे किसी से कोई इर्षा या जलन नहीं होती , कोई मुझे नीचा दिखाने के लिए गर कोई दाँव पेंच खेलता भी है तो मैं उस मुकाबले से हट जाता हूँ , मेरे पास जो है वही मेरी पूँजी है मुझे और कुछ नहीं चाहिए , जो मुझे हराने में भी लगे है वह भी तो मेरी ही उम्र के हैं वह अपनी दबी इच्छाएं पूरी कर रहे है और कुछ तो वह भी कुछ नहीं कर सकते 


किसी की दशा पे अगर मेरी आँखें नम हो भी जाएँ तो मुझे कोई ग्लानि या शर्म नहीं आती , आखिर मैं इंसान ही तो  हूँ तो मैं अपने emotions क्यों छुपाऊं यही तो मेरी इंसानियत का सबूत है 


अहंकार ने आज तक किसी का भला नहीं किया , रिश्तों में अहंकार जहर घोल देता है , और इंसान को अकेला कर देता है , मैंने खोज लिया है इस मन्त्र को के अहंकार से ऊपर है रिश्ते जो हमें लम्बे जीवन तक साथ निभाते हैं 


अब इस 75 साल की उम्र में मुझे लगता है के मेरी जिंदगी का हर दिन आखिरी और बेशकीमती है ,यह तो बोनस की जिंदगी है और न मालूम यह सांस कब रुक जाए 


मेरी ख़ुशी मेरी अपनी वजह से ही होगी , और मुझे बिना झिझक वह सब करना है जो मुझे ख़ुशी देता है इसके लिए मैं किसी पर निर्भर नहीं हूँ , अगर यह सब मुझे खुश रख सकता है तो आप सबको भी रखेगा आपकी उम्र चाहे 40 की हो या 80 की जिंदगी की ख़ुशी तो इन्ही में समहित  है 






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एक बात पूछनी थी जरूर बताना प्लीज
 

अगर किसी को पता है, 
गलतियों पर डालने वाला पर्दा और मिटटी  कहाँ मिलती  है..?
और कपडा कितना लगेगा .?? 
🙄🤔

एक बात बताओ,  धोखा खाने के बाद 
पानी पी सकते हैं क्या ? पानी गर्म हो या ठंडा ?
😜🤪

अगर किसी से चिकनी-चुपड़ी  बात करनी हो तो 
कौन सा घी सही रहेगा ? किसी को पता है ? जरूर बताना 
😋😜

पाप को हमेशा घड़े में ही क्यूँ भरते रहते है ?
ठंडा रहता है क्या ?

ये दिल पर रखने वाला पत्थर कहाँ मिलता है ?
और वो कितने किलो का होता है ?
.
किसी के जख्मों पर नमक छिड़कना है।
कौन सा सही रहेगा?
टाटा या पतंजलि ...?

कोई मुझे बताएगा कि
जो लोग कही के नही रहते, आखिर वो रहते कहां हैं ?

सब लोग "इज्जत" की रोटी कमाना चाहते हैं।
लेकिन कोई "इज्जत" की सब्जी क्यों नहीं कमाता..?
😋😜

Just asking..
भाड़ में जाने के लिए
ऑटो ठीक रहेगा या टैक्सी ?
😉😉

Just asking...
एक बात पूछनी थी, 
ये जो इज्ज़त का सवाल होता है.... 
ये  कितने नम्बर का होता है ?
😳🤔

Just asking...
एक बात पूछनी थी... 
यह जो डिनर सेट होता है, उसमे लंच भी कर सकते हैं क्या..? 😜

"जब ये लड़के-लड़कियाँ मन से लव  मैरिज करते है तब ये कुंडली मिलान का क्या होता हैं तब तो कुंडली की कोई बात ही नहीं होती‌"


रहन-सहन, खान-पान कैसा है?
कितने भाई-बहन हैं?
बंटवारे में माँ-बाप किनके गले पड़े हैं?
बहन कितनी हैं,
उनकी शादी हुई है कि नहीं?
माँ-बाप का स्वभाव कैसा है?

घर वाले, नाते-रिश्तेदार आधुनिक ख्याल के हैं कि नही?
बच्चे का कद क्या है?
रंग-रूप कैसा है?
शिक्षा, कमाई, बैंक बैलेंस कितना है?

लड़का-लड़की सोशल मीडिया पर एक्टिव है कि नहीं?
उसके कितने दोस्त हैं?

सब बातों पर खोजी पूछताछ पूरी होने के बाद भी कुछ प्रश्न पूछने में और सोशल मीडिया पर वार्तालाप करने में और समय व्यतीत हो जाता है।और पानी पहुँच जाता है खतरे के निशान से भी ऊपर , रिश्ते नहीं हो पाते क्योंकि हमारी खोज गलत दिशा में जा रही थी लेकिन जैसी भी थी 
खोज फिर भी चालु है 

हालात को क्या कहे माँ -बाप की नींद ही खुलती है 30 की उम्र पर।