Thursday, March 22, 2012

EK SACCH YEH BHI?, ................................................ माँ तो माँ होती है

माँ तो माँ होती है 

मृत्यु शैया पर लेटी हुई , 

गंभीर बीमारी से पीड़ित एक 'माँ', 

चिंतित है, 

इस बात से नहीं, 'कि'
इलाज़ कैसे होगा?
'बल्कि'
इस बाते से,
'कि'
मेरे बाद,
मेरे बच्चो का क्या होगा.. !?



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बहुत फर्क होता है "माँ "और "बेटी" के व्यवहार में , एक में परपक्व प्यार और त्याग की भावना   होती  है बल्कि अपने बच्चों पे सब कुछ निछावर करने के भाव होते है , और 



बच्चे में एक लाड प्यार की भाषा होती है जो माँ की छत्र छाया में खुश रहता है। 

एक सौदागर राजा के महल में दो गायों को लेकर आया - दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थीं।
सौदागर ने राजा से कहा "महाराज - ये गायें माँ -बेटी हैं परन्तु मुझे यह नहीं पता कि माँ कौन है व बेटी कौन - क्योंकि दोनों में खास अंतर नहीं है।
मैंने अनेक जगह पर लोगों से यह पूछा किंतु कोई भी इन दोनों में माँ - बेटी की पहचान नहीं कर पाया - बाद में मुझे किसी ने यह कहा कि आपका बुजुर्ग मंत्री बेहद कुशाग्रबुद्धि का है और यहाँ पर मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा इसलिए मैं यहाँ पर
चला आया - कृपया मेरी समस्या का समाधान किया जाए।"
यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की ओर देखने लगे - मंत्री अपने स्थान से उठकर गायों की तरफ गया। उसने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किंतु
वह भी नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी ... ?
अब मंत्री बड़ी दुविधा में फंस गया, उसने सौदागर से एक दिन की मोहलत मांगी।
घर आने पर वह बेहद परेशान रहा - उसकी पत्नी इस बात को समझ गई।
उसने जब मंत्री से परेशानी का कारण पूछा तो उसने सौदागर की बात बता दी।
यह सुनकर पत्नी मुस्कराते हुए बोली 'अरे ! बस इतनी सी बात है - यह तो मैं भी बता सकती हूँ ।' अगले दिन मंत्री अपनी पत्नी को वहाँ ले गया जहाँ गायें बंधी थीं।
मंत्री की पत्नी ने दोनों गायों के आगे अच्छा भोजन रखा - कुछ ही देर बाद उसने माँ व बेटी में अंतर बता दिया - लोग चकित रह गए।
मंत्री की पत्नी बोली "पहली गाय जल्दी -
जल्दी खाने के बाद दूसरी गाय के भोजन में मुंह मारने
लगी और दूसरी वाली ने पहली वाली के लिए
अपना भोजन छोड़ दिया, ऐसा केवल एक मां ही कर
सकती है - यानि दूसरी वाली माँ है।
माँ ही बच्चे कैे लिए भूखी रह सकती है -
 माँ में ही त्याग, करुणा,वात्सल्य, ममत्व के गुण विद्यमान
होते है!!!!!



चाहता तो हूँ की ये दुनिया बदल दूँ
पर  ज़िन्दगी  जीने के  जुगाड़
 में ,
 फुर्सत ही  कहाँ  मिलती है दोस्तों !
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महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरा कभी हो न हो सका !
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
अब पता चला की , कीमत तो चेहरों की होती है
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
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पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता ,

और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता
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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते
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पहले मैं बहुत होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था

आज मैं समझदार हूँ, शायद
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ
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बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर. पालथी मार  के .
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है
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मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से इठलाना  और अपनी मौज में रहना
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मोदी सरकार के तेजी से काम करने की प्रेरणा लेते हुए , एक फैक्ट्री मालिक सुबह सुबह वक़्त से पहले फैक्ट्री पहुँच गया , उसे देख सारे काम गर हैरान हो गए और जल्दी से जल्दी काम पर लग गए , एक वर्कर अभी भी इधर उधर देखे जा रहा था और अपने काम पर नहीं लगा , फैक्ट्री मालिक उस वर्कर के पास आये और पुछा तुम्हारी कितनी सैलरी है ? वर्कर घबराते हुए ,५००० सर ?

फैक्ट्री मालिक ने अपना पर्स निकाला और उसे 15000 /- देते हुए बोला , मैं इस फैक्ट्री में काम करने के पैसे देता हूँ ऐसे आवारागर्दी करने के नहीं , यह है तुम्हारे तीन महीने के नोटिस पैय , यह पकड़ो और यहाँ से दफा हो जाओ , दुबारा इस फैक्ट्री में नज़र मत आना। ……

उस लड़के ने पैसे पकडे और चुप चाप वहां से निकल गया

*

*
इतनी देर में वर्कर्स काम पर लग गए थे , मालिक ने उनसे पुछा , यह कौन से विभाग में काम करता था ? वर्कर्स ने जवाब दिया यह यहाँ काम नहीं करता सर , यह तो पिज़्ज़ा डिलीवर करने आया था।

मालिक सकपका गया और सोचने लगा , साला 15000 /- ले गया , बोला तक नहीं की वह यहाँ काम नहीं करता था ?

इस घटना से एक बात सामने आई की किसी भी परिस्थिति में अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करते हुए सोच कर काम करना चाहये न की आवेश में , वरना ऐसे ही नुक्सान करते रहोगे ?


In a factory: A man standing on the floor and looking aimlessly......
CEO of that factory came and asked his salary...
The man replied "5000 sirs"
CEO took out his wallet and gave 15000 and told him...
"I pay people here to work and not to waste time, This is your 3 months salary.
Now get out of here. Never come back"
That guy left.............
.
.
Then the CEO asked workers "Who was that guy?"


Workers replied "Pizza delivery Boy Sir".

Moral: Don't overreact in every situation _😐_


संता : कुत्ते की पूँछ पाइप में डाल रहा था ,

बनता : "ओये , कुत्ते की दम जितनी देर मर्जी पाइप में डाल के रख लें ! इसने कभी सीधी 


नहीं होना "

संता : "ओये मुझे सब पत्ता है , बेवक़ूफ़ मैं तो पाइप बेंड कर रहा हूँ