"तुम ग़लत या हम ग़लत,
तुम सही या हम सही........,
इस बात का राज न जाने कब खुले !
छोड़ो इन बातों में अब क्या रखा है ?
गर मिले फुर्सत कभी ,तो सोचेंगे यही की ,.
ये ज़ालिम ज़माने कि साजिश ही रही
असल में थे तुम भी सही, और हम भी सही.?
असल में थे तुम भी सही, और हम भी सही.?
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