Sunday, March 1, 2020

ख़ूबसूरती ऐसी भी नहीं हो ,जो किसी को समझ भी न आये , August 4, 2020



ख़ूबसूरती भी क्या नेमत है उस खुदा की , 
जिसे मिले वह भी परेशान जिसे न मिले वह भी ?




यूं अपने गम की हर  जगह नुमाइश ना कर , 

अपने नसीब कीभी रोज आजमाइश न कर 
जो तेरा है तेरे पास खुद चल के आएगा , 
हर रोज उसे पाने की खवाइश भी न कर ,
देखता जा , तकदीर खुद ही बदल जाएगी 
अपने आप इक दिन , 
मुस्कराना सीख ले वजह की तलाश ना कर 

जलने और जलाने का ....
बस इतना सा फलसफा है!!!!!!

         🌹  “साहिब”  🌹

फिक्र में होते है तो,खुद जलते हैं......

बेफ़िक्र होते हैं तो दुनिया जलती है!

ADABI SANGAM [ 483 ]... MANJIL..... मंज़िल ......destination ...., मुकाम .....,गंतव्य ......, लक्ष्य /...........................................................[ FEBRUARY, 29, 2020 ]

 ADABI SANGAM / TOPIC.NO 483 मंज़िल  
MANZIL,DESTINATION, मुकाम ,गंतव्य लक्ष्य     
February 29th 2020 


          
कौन किस रस्ते चला , कहाँ जा के पहुंचा , कैसे पहुंचा ?
वही हासिल हुई मंजिलें ,हर शख्स की पहचान होती है ,
नाम सिर्फ उस शख्स का होता है , मंजिले तो गुमनाम होती है
जिंदगी के हर सफर में मैंने मंजिल का होना लाजिम देखा है
वरना वह जिंदगी का सफर नहीं ,आवारागर्दी है

घर का पता बताया तो , लोगों ने पुछा कौन सी मंजिल ?
रास्ता पुछा लोगों से तो बोले जाना कहाँ है भाई ?
सब सवालों का सबब था , मंजिल कहाँ हैं तुम्हारी ?

पिताजी भी अक्सर डांटा करते थे ,
जिंदगी में कुछ करोगे भी या ऐसे ही आवारा गर्दी करते गुजरोगे ,
मंजिल पाने के लिए मेहनत करो। खूब सोचा के यह मंजिल आखिर है क्या ? और कहाँ मिलेगी ? खूब ढूंढा अपनी मंजिल को
आज मंजिल पर पहुँच कर मंजिल का मतलब मालूम हुआ
जिंदगी का हर वोह मकसद जो पूरा होगया
उसी को ही दुनिया मंजिल कहती है।

हर मकसद एक मुकाम है , उस रास्ते का ,
जिसपे हम चल रहे थे
वरना कोई फर्क न था हम में और उन आवारा बादलों में ,
जिसमे भाप की गर्मी तो थी ,पर बूंद बनने की ठंडक न थी

अब किसको दोष दे , जब हम बचपन में क्रिकेट खेला करते तो बड़ी तबियत से माँ बाप की डाँट पड़ा करती थी की , यही सब कुछ करोगे तो जिंदगी में क्या करोगे , आज हम टीवी पर उन लोगों को खेलते हुए सारा दिन बैठे रहते हैं जिन्होंने अपने माँ बाप की न मान कर भी खेलने कूदने में ही इतना नाम और धन कमा लिया।

आज बड़ी विडंबना है की प्रतिष्टा ,धन दौलत , आज पढ़ने लिखने वालों से ज्यादा उन काम पढ़े लिखे स्पोर्ट स्टार्स और फिल्म एक्टर्स के पास पहुँच गई है , गोया उनकी मंजिल आज सबकी पसंद बन गई है।

इससे साफ़ मालूम पड़ता है की मंजिल आज के वक्त आपके लिए कोई और तय नहीं कर सकता , आपको खुद ही खोज करनी है और उस रास्ते पे चलना है ,

लोगों ने समझाया प्यार की भी एक मंजिल होती है ,
जिसका अंजाम कभी शादी और कभी बर्बादी होती है
किसी की मंजिल तो फक्त एक मेहबूबा थी ,
मिल जाती तो घर आबाद ,वरना देवदास बन गए

मेरा अपना अहसास यह है की , मंजिल और कुछ नहीं बस हमारे भीतर छुपा हमारा जनून है जो हमे वह सब करने के लिए प्रेरित करता है जो हमे दिल से पसंद है

मंजिल इंसान के हौसले आजमाती है ,
आँखों के सपनो को हकीकत से मिलवाती है ,
किसी भी हाल में हिम्मत न हारना ,
ठोकर पे ठोकर के बाद भी चलना सिखाती है

आज इंसान के पास वक्त कम है ,
मंजिलें अनेक चुन ली हैं उसने ,
इन्हे पाने को थोड़ा और तेज चलना होगा ,
रास्ता न मिलने पर ,नया रास्ता बनाना होगा ,

साधन और सुविधाओं में तलीन मत हो जाना ,
मोह माया का जाल बिछा है पग पग पे ,
मंजिल को गर पाना है तो
इनमे खोकर कहीं फंस न जाना
वक्त की हैं अनमोल घड़िआं , युहीं न गँवा देना ,
मंजिल पाने की अंधी रेस में ,
थोड़ा विवेक इस्तेमाल जरूर कर लेना
न जाने किस मोड़ पर घडी की धड़कन रुक जाए ,
मंजिल पाने से पहले तुम्हारी सांस ही न रुक जाए ,,

निगाह टिकाएं रखना , पर साँसों को थामे रहना
वक्त है कम, दूर है मंजिल ,मनोसिस्ठी बनाये रखना ,
ऐसा न हो की आप मंजिल की तलाश करते रहे ,
और मंजिल आपके पास ही मौजूद हो।
कश्ती भी हमारी डूब जाती है अक्सर साहिल के आस पास ,

जबसे कुछ लोग हुए है बेपरवाह हमसे ,
सूनापन भी छा गया है दिल के आस पास /
मंजिलें ऐसे थोड़े ही मिल जाती हैं ,दुनिया में।
अपनों को दोस्तों को खुद से दूर करना पड़ता है ,
पर ऐसी मंजिल किस काम की जहाँ आप तनहा हो
कुछ खास दोस्त भी तो होने चाहिए आस पास

उड़ते परिंदों को मंजिल मिलेगी यकीनन ,
यह फैले हुए उनके पर उनका हौसला ब्यान करते है ,
ख़ामोशी में लोग जो अक्सर रहते हैं ,
जमाने में उनके करतब बोला करते हैं ,
लहरों की ख़ामोशी सबने देखी होगी
हमने उनकी मंजिल को सुनामी बनते देखा है

जिंदगी में मंजिल पाने के गरज़ से बिक मत जाना
बिकने को आगये तो घट जाती है कीमत अक्सर ,
इरादा ऊँचा रखो तो , कीमत भी ऊँची लगती है ,

संघर्ष में आदमी अकेला होता है ,
मंजिल पे उसे भीड़ घेर लेती है ,
कोई साथ दे न दे , तु बस चलना सीख ले
हर आग से हो जा वाकिफ ,तू जलना सीख ले
कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंजिल की तरफ ,
हर मुश्किल का सामना गर तू करना सीख ले

मत सोच की तेरा सपना पूरा कैसे होगा , 
बस इतना ही सोच पूरा क्यों नहीं होगा ?
मंजिल पाने को तो भूल ही जा
अगर तेरा हौसला अधूरा होगा

जमीर जिन्दा रख , अपना कबीर जिन्दा रख
सुल्तान भी बन जाए तो दिल का फ़क़ीर जिन्दा रख
हौसले के तरकश में , कोशिश का हर वो तीर जिन्दा रख
हार जा चाहे जिंदगी में सब कुछ अपनी मंजिल के लिए
मगर हर बार फिर से जीतने की उम्मीद जिन्दा रख

सामने हो मंजिल तो रास्ता न मोड़ना
जो भी मन में हो वो सपने न तोडना
कदम कदम पे मुश्किलें बढ़ जाती है ,
जब मंजिल आ जाती हैं नजदीक

सितारों की आस में कभी जमीन न छोड़ना
जीतने का असली मजा ही तब आता है ,
जब सभी आपकी हार का इंतज़ार कर रहे हों ,
पर मंजिलों की कोई सीमा नहीं होती ,
एक पा लोगे तो दूसरी सामने होगी
अभी तो असली मंजिल पाना बाकी है ,
वहां पहुँच तुम्हें खुद को साबित करना होगा
तुम्हारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है

नजर लक्ष्य पर थी , गिरे और सम्भलते रहे
हवाओं का पूरा जोर था , चिराग फिर भी जलते रहे
कह दो मुश्किलों से थोड़ी और कठिन हों जाएँ
कह दो उन चुनौतिओं से भी थोड़ी और मुश्किल हो जाएँ
नापना चाहते हो अगर हमारे हौसलों को ,
कह दो आसमान से भी थोड़ा और ऊपर उठ जाए।

मंजिल कैद नहीं है इन हाथ की लकीरों में ,
गौर से देखो
लकीरें खुद तलाश में है अपनी मंजिल की
तकदीरों के खेल में,युहीं नहीं मिट जाता कोई ,
इन हाथ की लकीरों के मिट जाने से ,
किसी की तदबीरे मंजिल नहीं रूकती ,
तकदीर तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते
सब यही तो कह रहे है
मंजिल मिले या न मिले , नए दोस्त और नए तजुर्बे तो मिलेंगे
यह भी तो सच्चाई है जिस जिस पर दुनिया हंसी है
उसी ने तो इस दुनिया में एक नई दास्ताँ रची है

रातें तो वहीँ होती है पर ख्वाब बदल जाते हैं ,
मंजिले भी वहीँ रहती है , कारवाँ बदल जाते है ,
जज्बा जिन्दा रहना चाहिए , खुद को बदलने का ,
किस्मत बदले न बदले , वक्त के आगाज जरूर बदल जाते

सीढ़ियां मुबारक हो उनेह जिन्हे सिर्फ छत तक जाना है
मेरी मंजिल तो आसमान है , वहां का रास्ता मुझे बनाना है
दुनिया तो युहीं बदनाम करती है हर उस इन्सान को ,
जिसे अपनी मंजिल की तलाश रहती है
गम न कर जिंदगी इतनी छोटी भी नहीं की

तेरा सफर मंजिल से पहले ही रुक जाए
हौसला कम न करना तूफानों में घिर जाने पर
मंजिले मिले न मिले यह तो मुकदर की बात है ,
कुछ लोग अक्सर यह भी कहते रहते है
पर हम कोशिश भी न करें ? यह तो गलत बात है

अपने गमो को भुला कर तो देखो /
बिन बात थोड़ा मुस्करा कर भी तो देखो ,
रोने से मंजिले नज़दीक नहीं हो जाती
तुम थोड़ा उमीदों के पास जाकर तो देखो

और अंत में :-
अपने मकसद में नाकाम होने पर ,
या किसी प्रिय के बिछुड़ जाने से ,
जब आपका ह्रदय मायूसी से बुझने लगे !
और आपके कदम पीछे को हटने लगें ?

तो एक पल को रुक कर इतना जरुर सोच लेना , " की आप अब तक और इतने लम्बे समय तक ,उस पर इतनी मजबूती से कैसे चले जा रहे थे ? आप अपनी नैसर्गिक शक्ति को पहचानिये

तो शायद आपको अपने जीवन की मंजिल भी मिलजाए !


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Friday, January 24, 2020

ADABI SANGAM -....... [ 482 ]......... हुस्न.... ROOP_BEAUTY-....-KHUBSURTI- ......HUSN ..............................................................[JANUARY 25,-2020....]


"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
25 TH JANUARY 2020 Saturday 
482ND ADABI SANGAM AT ROYAL PALACE RESTAURANT AT 77 KNOLLWOOD ROAD WHITE PLAINS NEW YORK AT 6 PM BY ASHOK & ROOPA JI, TOPIC IS:-




HUSN, KHOOBSURTI:--

ऑफिस से लौटते वक्त ,पति गाना गाते हुए घर में प्रवेश करते हैं
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ , कुछ कहते हुए भी डरता हूँ। ........ कहीं भूल से तु न समझ बैठे की। .. ....... 

पत्नी टोकते हुए क्यों जी अब तारीफ करने में भी डरे जा रहे हो ? ,अगर  हम हैं ही इस काबिल तो खुल के तारीफ तो करो

अरे कुछ नहीं यह तो बस एक गीत के बोल है यूँ ही गुनगुना रहे थे , इसका तुमसे कोई वास्ता नहीं है ,

पत्नी तो क्या मतलब ? हम सूंदर नहीं लगते आपको ? शादी से पहले तो मेरी खूबसूरती पे ही फ़िदा हुए थे न ? अब इसका मुझ से कोई तालुक ही नहीं ? तो किसी और की तारीफ़ कर रहे थे ? कोई और है तुम्हारी जिंदगी में अब ?
अच्छा आपको अब झिझक आती है तो मैं आपसे एक बात पूछती हूँ उसका जवाब बताओ :-




अब पति रात के खाने की इंतज़ार में है और खाना कहीं दिखाई नहीं दे रहा , शायद हुस्न नाराज़ हो गया हैं हमारी बेरुखी पे ?
अब उसे मनाने के लिए मैंने उसे एक किस्सा सुनाया की वह तो मज़ाक था , आप तो मन से बहुत खूबसूरत हैं , पत्नी ने कहा अच्छा केवल मन से ? पहले तो चौदहवीं का चाँद न जाने क्या क्या कहा करते थे ?
चलो किस्सा सुनाओ क्या कह रहे थे , मैं कह रहा था की ,हुस्न चेहरे का हो या मन की खूबसूरती का होता तो हर इंसान के पास है , किसी के पास कम और किसी के पास ज्यादा .


वैसे हुस्न एक पर्शियन शब्द है जो की सिर्फ औरतों के लिए इस्तेमाल होता है , उस जमाने में ईरान इराक के लोग अपनी बेटिओं को ज्यादा तर हुस्न के नाम से बुलाते थे ऐसा इस मजहब के जानकारों नै बताया है ।  तो यह हुस्नी मुबारक नामके जो मुस्लिम लीडर थे उनका नाम ? हुस्न से क्यों ?
क्योंकि वह अपनी बहन के बाद पैदा हुए थे यानी की वह उस हुस्न लड़की के मुबारक कदम के बाद पैदा हुए थे इस लिए उनका नाम हुस्नी मुबारक रखा गया। 

आज कल हम हुस्न के नाम को  हम अब अपने सुविधानुसार कहीं भी इस्तेमाल कर लेते है , ऐसा ही एक शख्स ने अपने बिज़नेस को बढ़ाने में कैसे किया सुनो :-

*एक फोटोग्राफ़र ने दुकान के बाहर बोर्ड लगा रखा था।*
आप मालिकाये हुस्न हो सिर्फ आप का बाथरूम में टंगा शीशा ही जानता है या हमारी दूकान का कैमरा , आप अपने हुस्न को अपनी यादों में जिन्दा रखना चाहे तो हम से फोटो खिचवाएं फौरन, वरना हुस्न का क्या आज है कल नहीं ,कभी भी ढल जाएगा।और हाथ मलते रह जाइयेगा 

- आप जैसे हैं, वैसा ही दिखना चाहते है तो वही फोटो खिंचवाएँ।सिर्फ **20 रु. में
*30 रु.में - आप जैसा सोचते हैं, वैसा फोटो खिंचवाएँ।*
*आप अपने हुस्न में चार चाँद लगा सकते हैं सिर्फ 50 रु. में - आप जैसा लोगों को दिखाना चाहें, वैसा फोटो खिंचवाएँ।*

*बाद में उस फोटोग्राफर ने अपनी एक किताब के संस्मरण में लिखा,*

*मैंने जीवनभर अनगिनित फोटो खींचे, लेकिन किसी ने भी 20 रु.वाला फोटो नहीं खिंचवाया, सभी ने 50 रु. वाले ही खिंचवाए....*

*बस आप यूँ समझ लीजिए कुछ ऐसी ही हक़ीक़त है- ज़िंदगी की...* खूबसूरती सबको चाहिए किसी भी ऊँची कीमत पर , अपनी असलियत छिपा के भी नकली खूबसूरत दिखना चाहते है , अंदुरुनी रूहानी खूबसूरती कोई भी नहीं पाना चाहता। न की जैसा वह है वैसा दिखना भी नहीं चाहता , यह बात आज कल औरतों और मर्दों पे यकसां लागू होती है जा कर किसी भी ब्यूटी सलून में देख लो भीड़ लगी है सबको अपने हुस्न को चमकाने की।

*हम हमेशा दिखावे के लिए ही तो जीते रहे है, हमने कभी अपनी वो 20 रुपये में खींची जाने वाली  जिंदगी और ख़ूबसूरती की असल तस्वीर आज तक जी ही नही!!!*

ये दुनिया भी कितनी निराली है! मेकअप से चेहरे के हुस्न की असलियत तो छुपा लेती है , पर क्या अपने मन के हुस्न को वह कभी पहचान भी पाती है  ?


*जिसकी आँखों में नींद है …. उसके पास अच्छा बिस्तर नहीं …जिसके पास मखमली बिस्तर है …….उसकी आँखों में नींद नहीं …*

*जिसके मन में दया है ….उसके पास किसी को देने के लिए धन नहीं* …. *और जिसके पास धन है उसके मन में दया नहीं …*

*जिन्हे कद्र है रिश्तों की … उन से कोई रिश्ता रखना नही चाहता....* *जिनसे रिश्ता रखना चाहते हैं ….उन्हें रिश्तों की कद्र नहीं*

*जिसको भूख है उसके पास खाने के लिए भोजन नहीं….* *और जिसके पास खाने के लिए भोजन है ………उसको भूख नहीं…*

*कोई अपनों के लिए…. रोटी छोड़ देता है…तो कोई रोटी के लिए….. अपनों को…


दिन रात लोग भाग भाग कर इतना पैसा एकत्र कर लेते हैं कि न उनके पास वक्त बचता है न ही शरीर की ख़ूबसूरती , बचता है तो केवल झूठा दिखावा वोही पचास रूपए की फोटो वाला।

फिर वक्त का विधान चलने लगता है , सारी एकत्र की गई दौलत अब अपना नया ठिकाना खुद ही ढूंढ़ने लगती है , डॉक्टर्स को मुहं मांगी दौलत दी जाती है उस खो गई ख़ूबसूरती को वापिस पाने को , तरह तरह के इंजेक्शन , हार्मोन्स खरीदें जाते है सिर्फ उस खो गई ख़ूबसूरती और जवानी के लिए , लेकिन घडी कभी उलटी नहीं चलाई जा सकती , वक्त को वापिस नहीं बुलाया जा सकता ,

कोई तो बाहरी खूबसूरती के लिए अपनी गुणवती पत्नी से भी मुहं फेर लेता है और निकल पड़ता है नए हुस्न की तलाश में , जो शरीर की खूबसूरती पे फ़िदा रहते हैं उन्हें रूहानी खूबसूरती कभी समझ ही नहीं आती।

पत्नी ने पुछा आपकी तबियत तो ठीक है न ? क्या बोले जा रहे हो , तब से ?
आसा राम के आश्रम से हो कर आ रहे हो क्या ? हाँ किसी सन्यासी से मिला था उसी की बातें अभी तक जेहन में गूँज रही है , उन्होंने अपनी एक पुरानी याद भी मुझे सुनाई थी। 


उन्होंने पुछा उस मूर्तिकार से " आप अपने फन से एक पत्थर से इतनी खूबसूरत मूर्ति कैसे तराश लेते हो"


शिल्पकार ने जवाब दिया " मूर्तियां तो पहले से पत्थर में छुपी है , मैं तो सिर्फ फालतू जमा पत्थर छील कर हटा देता हूँ " तब  पथर में छुपा तस्वीर का हुस्न झाँकने लगता है। 
उसकी बात से मुझे अहसास हो गया की हमारी हंसी ख़ुशी एक खूबसूरती एक मूरत की तरह हमारे भीतर ही विधमान है , सिर्फ उसपे जमी चिंताओं की परत को ही तो हटाना है खुशियां खुद ब खुद बाहर आ जाएँगी , असली हुस्न तभी बाहर से चेहरे पर भी महसूस होगा। 

अच्छा अच्छा अब आप भी प्रवचन करने लगे हो ,हुस्न , खूबसूरती , सुंदरता , घर की भी कोई फ़िक्र है की नहीं , है न तभी तो तुमेह यह बातें बता रहा हूँ। कल से ग्रोसरी लाने को कह रहीं हूँ :- किचन की भी एक एक गृहस्थी में उतनी ही जरूरत होती है जितनी औरत के लिए हुस्न की ?और मेरी खूबसूरती की भले ही तारीफ न करो  , पर घर गृहस्थी पर तो पूरा ध्यान दो ,

हम तो आपके हमेशा से कदरदान रहें हैं जी। मैं तो सिर्फ जिंदगी की कुछ कड़वी सच्चाइयों से आपको रूबरू करवा रहा हूँ।

अब मेरे दोस्त की शादी भी तो इस लिए नहीं हो रही थी न की ?,न वह ज्यादा खूबसूरत था न ही अमीर , मैंने समझाया उसे , यार दोनों में एक चीज़ तो होनी चाहिए न , या कोई ऐसी स्किल जो आज कल काफी मांग में हो जिसे देख कोई हुस्न उस पे फ़िदा तो हो सके , उसने मुझे शादी डॉट कॉम पर अपनी प्रोफाइल भी दिखाई जिसे पढ़ कर भी किसी लड़की वाले का जवाब नहीं आया , बेचारा

फिर मैंने उसे बताया ,भाई खाली यह दो ही गुण काफी नहीं होते आज कल की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में जहाँ पति पत्नी दोनों ही वर्किंग हैं कोई किसी की उपयोगिता केवल पैसे और सूरत से नहीं लगाता , ख़ूबसूरती तो बहुआयामी होती है ,यानी की हरफनमौला , सिर्फ उसे मार्किट करने वाले चाहिए ,
अब हमारी पत्नी को भी इसमें इंटरेस्ट आने लगा था पूछने लगी बेचारे की कोई तरकीब लगाईआपने हाँ तब मजाक में मैंने उसकी प्रोफाइल में कुछ बातें और जोड़ दी थी , मसलन

लड़का परफेक्ट कुक है , कपडे धो कर प्रेस भी बहुत अच्छी कर लेता है , घर की सफाई की तो पूछो ही मत सारा दिन घर चमकता हुआ रखता है , चेहरा खूबसूरत न भी है लेकिन इसके इतने गुण ग्रहस्ती को बहुत खूबसूरत बना देंगे
इसके साथ ही उसके कपड़े धोने, बर्तन मांजने की तस्वीरें भी
Shadi.com पर डाली थी ! बात आई गई हो गई थी।

इतने समय के बाद आज उससे भी मुलाकात हो गई अचानक , आज वोह बहुत खुश दिख रहा था और मेरा बहुत धन्यवाद भी कर रहा था , की मेरी दी हुई राह से कैसे , एक से बढ़ के एक इतने रिश्ते आये की चुनना मुश्किल हो गया था।


सूरत न भी हो तो सीरत तो बहुत काम आती है न आज कल की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में ?जबकि मुझे अपने द्वारा किया हुआ मज़ाक याद भी न था ,जबरदस्ती अपने घर ले गया अपनी पत्नी से मिलवाने , मेरे दिल में कोतुहल भी था की देखे उसकी हुस्नपरी की ख्वाइश पूरी हुई की नहीं ?

उसकी पत्नी वाकई हुस्न परी थी। पर खूबसूरती में वह तुम से बहुत कम , न उसका बनाया खाना न ही बातों में दम , तन और मन की खूबसूरती का संगम जैसा तुम में है वैसा उसमे कहाँ ? असली हुस्न परी तो तुम हो।
पत्नी बोली क्या अंट शंट बोले जा रहे हो ? क्या मैंने तुमसे शादी यह सब देख के की थी ? कौन सा काम करते हो घर में ? कौन सा किचन का काम कर सकते हो ? कमाई तुम्हारी मुझ से भी कम है , पढाई और स्किल भी मेरी तुमसे कहीं ज्यादा है , फिर भी मैंने तुमसे शादी क्यों की ? बताओ ? अब मैं निरुत्तर हो गया वाकई यह तो सच्चाई थी।
😂👌😂
अब मेरी पत्नी की बोलने की बारी थी , वह बोलने लगी बड़ी गजब की खूबसूरत रचना हूं, मै तेरी भगवान,जिसे हर पल सिर्फ और सिर्फ मर्द एक हुस्न की ख्वाईएश पूरी करने के लिए करता है , उसे तेरी इस रचना में  हुस्न के साथ साथ बहुत कुछ चाहिए , जबकि मर्द कैसा भी हो ख़ूबसूरती को किसी भी कीमत पे पा लेना चाहता है अपने धनबल से ?

मेरी खूबसूरती और हुस्न ने मुझे माँ बाप की चहेती से ज्यादा पराया धन बना दिया ,किस काम की मेरी खूबसूरती ? बेटी बनके भी पराई थी , आज बहू बनके भी पराई हूं......
🙏🙂🙃😊🙃🙂🙏

बढ़ती हुई समझदारी ,जीवन को
मौन की तरफ ले जाती है.!खुदा ने हुस्न को चुप रहने और सलीके में रहने की कला भी दी ,इसलिए ज्यादा समझदारी भी नहीं आनी चाहिए वरना हुस्न में भी लोग दाग तलाशने लगते हैं , सब को मालूम है ग्रेह्स्थी तो हुस्न के भोलेपन से चलती है , चेहरे के हुस्न से नहीं। थोड़ी सी अपनी राय राखी नहीं की मुहं फट का तगमा मिल जाता है ,पत्नी ने मुहं फुला के मुझे डांट दिया , मैं चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा , वह बोली
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक सच्ची घटना छपी,थी की एक अनीता पटेल नाम की लड़की ने मुंबई के एक बड़े ही प्रितिष्ठत हॉस्पिटल पर एक बहुत बड़ा हर्जाने का दावा ठोक दिया " की जब से मेरे पति की इस हॉस्पिटल में सर्जरी हुई है उसने मुझ में इंटरेस्ट लेना ही बंद कर दिया है "

हॉस्पिटल अड्मिनिस्ट्रशन ने परेशान हो कर कोर्ट को जवाब दिया , योर हॉनर ,पटेल सिर्फ कैटरेक्ट सर्जरी के लिए एडमिट हुए थे , हम ने तो सिर्फ उसकी नज़र दरुस्त की है ,
beauty lies in the beholders eyes , अब बताओ लड़की की सूरत पे आकर ही टिकी न उसकी जिंदगी ?
अक्सर गृह क्लेश क्यों होता है ? सूरत या सीरत की कमी से या धन की कमी से ? बड़ी बड़ी साधुओं के परवचनो की बातें कर रहे थे न अब मेरे दिलो दिमाग के हुस्न को भी सुनो और समझो।

संत कबीर रोज सत्संग किया करते थे । दूर-दूर से लोग उनकी बात सुनने आते थे । एक दिन सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी बैठा ही रहा । कबीर ने इसका कारण पूछा तो वह बोला, ‘मुझे आपसे कुछ पूछना है ।


मैं जानना चाहता हूं कि " मेरी पत्नी बहुत खूबसूरत और लाखों में एक है , धन दौलत तो खूब है पर गृह क्लेश फिर भी क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है ?

कबीर थोड़ी देर चुप रहे, फिर बोले चेहरे की बात कर रहे हो ,आपकी अंदरूनी ख़ूबसूरती भी है के नहीं , अंदरूनी ख़ूबसूरती ? बाबा जी वह कोई कैसे जान सकता है ? अच्छा देखो तुम्हें दिखाते हैं सच्ची खूबसूरती क्या होती है।

फिर कबीर ने अपनी पत्नी से कहा, ‘लालटेन जलाकर लाओ’ । कबीर की पत्नी लालटेन जलाकर ले आई । वह आदमी हैरान हो कर देखता रहा । सोचने लगा कि इतनी दोपहर में कबीर ने जलती लालटेन क्यों मंगाई।


थोड़ी देर बाद कबीर बोले, ‘कुछ मीठा दे जाना'। इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन देकर चली गई । उस आदमी ने सोचा कि यह तो शायद पागलों का घर है । मीठा के बदले नमकीन, दिन में लालटेन। मुझे क्या समझायेंगे  ,वह बोला, अच्छा ‘कबीर जी, मैं चलता हूं ।’

कबीर ने पूछा, क्या आपको अपनी समस्या का समाधान मिला या अभी भी कुछ शक बाकी है ? वह व्यक्ति बोला, कौन सा समाधान ?आपने और आपकी पत्नी ने जो भी किया मेरी समझ में तो कुछ आया नहीं ।


कबीर ने कहा, जैसे मैंनें लालटेन मंगवाई तो मेरी घरवाली कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो । इतनी दोपहर में लालटेन की क्या जरूरत आन पड़ी । लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए लालटेन मंगवाई होगी ।


मीठा मंगवाया तो नमकीन देकर चली गई । मैंनें भी सोचा कि हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो । यही सोचकर मैं भी चुप रहा । इसमें तकरार क्या ? आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से मुश्किल हालात अपने आप दूर हो गए। उस आदमी को हैरानी हुई, वह समझ गया कि कबीर ने यह सब उसे बताने के लिए ही किया था ।

कबीर ने फिर कहा, गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है । आदमी से गलती हो तो औरत संभाल ले और औरत से कोई त्रुटि हो जाए तो पति उसे नजर अंदाज कर दे, यही गृहस्थी का मूलमंत्र है ।


यही असली ख़ूबसूरती है यही भीतर का हुस्न है जो किसी किसी के पास होता है इसलिए पति पत्नी की खूबसूरत होने के बावजूद कुछ वक्त के बाद झगडे शुरू हो जाते है।
एक और प्रवचन ख़ूबसूरती के सन्दर्भ में सुनने का सौभाग्य मिला

सभा में गुरु जी ने प्रवचन के दौरान
एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि
- आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है तो आप क्या करोगे ?

युवक ने कहा - उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।
गुरु जी ने पूछा - वह लडकी आगे बढ गयी तो क्या पीछे मुडकर भी देखोगे ?
लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा मे सभी हंस पड़े शायद सब की दिल की बात थी वह।

गुरु जी ने फिर पूछा - जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ?
युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।
गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा सोचिए,

आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना। आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए।
उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं।

घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया।


आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा - किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - भैया, आप आराम से घर पहुँच गए हो या नहीं ?
अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?

युवक ने कहा - गुरु जी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते।
गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा
"यह है जीवन की खूबसूरत हकीकत।" जो तन , मन , धन , से अलग एक और ख़ूबसूरती है जिसे व्यवहार कहते है

"सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है,_, धन आता जाता रहता है * जिसका मन सूंदर है वह अति सूंदर है , उससे ऊपर कोई हुस्न नहीं *_हमारा सुन्दर व्यवहार जीवन भर याद रहता है। 🙏🌹


बात उन दिनों की है जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान चित्रकूट में थे। भगवान राम एवं माता सीता कुटिया के बाहर बैठे हुए थे।
लक्ष्मणजी उनके चरणों में बैठे थे। तभी श्रीराम ने कहा कि लक्ष्मण यहां आओ मेरे और सीता के बीच एक विवाद हो गया है। इसलिए तुम न्याय करो।

लक्ष्मण जी मान गए। तब श्रीराम-' मैं कहता हूं कि मेरे चरण सुंदर हैं। सीता कहती हैं उनके चरण सुंदर हैं। तुम दोनों के चरणों की पूजा करते हो। अब तुम ही फैसला करो कि किसके चरण सुंदर हैं।
लक्ष्मणजी बोले आप मुझे इस धर्म संकट में मत डालिए।


तब श्रीराम ने समझाया कि तुम बैरागी हो। निर्भय होकर कहो। किसके चरण सुंदर हैं। राम के चरणों को दिखाते हुए लक्ष्मणजी बोले कि माता, इन चरणों से आपके चरण सुंदर हैं।
इतना कहते हुए लक्ष्मण जी चुप हो गए और माता सीता खुश।


इस पर लक्ष्मण जी बोले माता अधिक खुश मत होना। भगवान राम के चरण हैं, तभी आपके चरणों की कीमत है। इनके चरण न हों तो आपके चरण सुंदर नहीं लग सकते।
अब रामजी खुश हो गए। तब लक्ष्मणजी फिर बोले कि आप दोनों को खुश होने की जरूरत नहीं।

आप दोनों के चरणों के अलावा भी एक चरण हैं जिसके कारण ही आपके चरणों की पूजा होती है वोह न चेहरे का हुस्न है न ही खूबसूरती बल्कि वह है आपका सूंदर आचरण।जिसके आगे सब गौण हैं।  आचरण की ही कीमत होती है महाराज ! आपके चरण सुंदर हैं तो उसका कारण आपका महान आचरण है।हुस्न तो नाशवान है हमारा आचरण हमेशा अमर है

व्यक्ति के आचरण अच्छे हों तो उसका तन और मन दोनों ही सुंदर हो जाते है और वह संसार में अपने नाम की अमिट छाप छोड़ जाता है।
🙏🙏
अब हम मुहं खोले श्रीमती जी की धाराप्रवाह ज्ञान गंगा सुन कर हतप्रभ थे , उनके चेहरे के हुस्न के अलावा भीतर भी एक हुस्न है जो हमें आज तक मालूम ही न था , इस पुरे हुस्न और दिल की खूबसूरती की परिभाषा को हमारा शत शत नमन।





एक बार कचहरी में एक गवाह बहुत लम्बे लम्बे बयान दे रहा था।

सरकारी वकील नाराज हो गया और गवाह से बोला- इतना अधिक बोलने की जरूरत नहीं है। तुमसे जो पूछा जाय उसका जवाब केवल हां या ना में ही दो।
गवाह- हुजूर हर सवाल का जवाब हां या ना में नहीं दिया जा सकता।
वकील- बिलकुल दिया जा सकता है। तुम मुझसे कोई भी सवाल पूछो मैं हां या ना में जवाब देकर दिखाता हूं।
गवाह- ठीक है हुजूर आपकी जिद पर मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं। आप सिर्फ हां या ना में ही जवाब दीजियेगा।
वकील- पूछो।
गवाह- आपकी बीबी ने आपको पीटना छोड़ दिया ? 😳😳😳😳😳😳😳


पति(पत्नि से):- आज़ मैंने *यूट्यूब से* ऑपरेशन करना सिख लिया हैं....
तेरे रिश्तेदारों को *हार्ट, किडनी, फेफड़े* का ऑपरेशन करना हो तौ कहना..
पत्नि:- ये तौ *बेहद ख़तरनाक प्रयोग* हैं...
ऐसे कोई भी *वीडियो देखकर* कुछ नहीं आ जाता...
पति:- तौ फ़िर तु *कुकिंग के वीडियो* देख-देखकर ऐसे *बेहद ख़तरनाक प्रयोग* मुझपे क्युं करती हो ??