Sunday, March 31, 2019

ADABI SANGAM MEET----KHIDKI ----खिड़की----WINDOW TO THE WORLD ----MARCH 30TH ,2020- AT CONNECTICUT ," (KHIDKI) " 34


"khidki "बात बन जाती है "कोशिश तो करो "






"khidki "बात बन जाती है "कोशिश तो करो "

खिड़की खुली हो या हो बंद दीदार उनका होता है ,
कैसे कहूं--------- मैं यारो , यह प्यार कैसे होता है ?

मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है
अफ़सोस मगर, वो हम से, कुछ उखड़ा उखड़ा, रहता है , 

यही गीत हम अपनी जवानी के दिनों में सुना करते थे क्योंकि खिड़की ही एक जरिया थी जान पहचान बनाने का रोमांस आगे बढ़ाने का। खिड़की से प्रेम पत्र कंकर में लपेट कर फेंके जाते थे 

यूँ तो हर घर मकान और दूकान में खिड़की होती हैं जिनका इस्तेमाल और स्वरुप वक्त बे वक्त जरूरत अनुसार बदलता रहता है , लेकिन शायरों की माने तो खिड़की का दीदार ही असली रोमांस  का आगाज होता है।कब किसकी खिड़की में नज़र पड  गई और नजरें चार हो गई और हमेशा के लिए वह खिड़की आपका ससुराल बन गई 


खिड़की का रोमांस से बड़ा गहरा नाता रहा है ,, हर शायर और गीत कार ने खिड़की की महिमा समझ कर बहुत गीत लिखें हैं , क्योंकि सड़को गलिओं में आज कल माशूक माशूकाएं नहीं टकराती ,इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट की दुनिया में  न ही किताबों का लेन देन होता है , लोग पैदल ही नहीं चलते तो टकराएंगे किस से ?

मोटर कारों की खिड़कियाँ हैं जिस पे अक्सर काली फिल्म लगी होती है उसमें भी लोग तांक झाँक में लगे रहते है लेकिन इन खिड़कियों का लैला मजनुओं को कोई फायदा नहीं होता पिटाई होने का चांस  काफी होता  हैं। हमारे जीवन में खिड़की का महत्व हम सभी जानते हैं , जिस मकान में खिड़की न हो उसमे कोई रहना नहीं चाहता , बंद कमरा बिना खिड़की के तो जेल समान ही होगा न कोई दिखेगा न ताज़ी हवा का झोंका न कोई सूरज की किरण।  जिंदगी का एक पहलू ऐसा भी है जो सिर्फ खिड़की से ही नजर आता है। वो है चढ़ता/ ढलता  सूरज और चमकते चाँद सितारे।

जब मकान छोटे हुआ करते थे तो खिड़की भी एक झरोखे समान होती थी , आज जब बड़े बड़े विलाज बनाये जा रहे है तो खिड़की का साइज भी बाहर के नज़ारों का एहसास बखूबी दिलाता है। हमें याद है हमारे बच्चे , जवान और उम्रदार बुजुर्ग अक्सर घर की  खिड़की जो सड़क पर चलते लोगों को देख पाएं  के पास बैठ कर अपना एकाकी पन दूर किया करते थे , अगर सफर में जाना हो , हवाई जहाज , रेलगाड़ी , बस या कार ,तो हम सभी को खिड़की के पास बैठना ही पसंद है। क्यूंकि खिड़की से ही हमें लगता है हम अकेले नहीं है और हम दुनिया को देख पा रहे है और दुनिया हमें ?


एक दौर हमने वह भी देखा है जब अक्सर खिड़कियों पे नजर गड़ाए जवान लड़के गली मोहल्लों से गुजरते थे और आस लगाए रहते थे की शायद कोई चाँद सा मुखड़ा खिड़की से नजर आ जाए ,चाहे उनका साइकिल ऊपर देख के चलने की वजह से खड्डे में गिर जाएँ, या सामने से आती किसी गाडी से टकरा कर , टांग वांग टूट जाए , लेकि बड़ा ही रोमांच रहता था ताड़ने में , कभी खिड़कियों के पर्दो की ओट से किसी लड़की ने गर किसी जवान लड़के से आँख चार हो गई तो उस साइकिल स्कूटर सवार का बॅलन्स बिगड़ते ही गिर जाना और फिर खिड़की से खनखनाती हंसी की आवाज मानो गिरने का मजा ही दुगना कर देती थी , लगता था कोई हसीना हमें भी देख रही थी ,पूरी कायनात जैसे ठहर जाती थी उस आवाज का दीदार पाने के लिए ,


रोमांच के साथ खतरे भी बहुत थे जनाब  इस खिड़की दर्शन में , कभी कभी कोई कूड़े का पैकेट भी हमारे सर पे आ गिरता था और कभी गन्दा पानी , होली में भी बहुत कुछ हम पे गिरता था खिड़की की ओट से। और कितने ही जवान पिटे, हाथ पाऊँ तुड़वाये इन  खिड़कियों से तांक  झाँक करने की कोशिश में ,लेकिन कितने ही प्रेमी इन खिड़कियों से रस्सी से या साडिओं को बाँध रस्सा बना घर से भागभी  गए , अब इन खिड़कियों को और भी मजबूत बनाया जाने लगा , घर में जवान लड़की का होना ही काफी था खिड़की की उपयोगिता को दर किनार करने के लिए , ताकि न कोई मजनू खिड़की से फांद कर अपनी लैला को भगा सके न कोई चोर अंदर आ सके ,


वक्त के साथ साथ खिड़की अपनी उपयोगिता भी खोने लगी ,परिवार सिकुड़ते गए खिड़कियाँ भी कम खुलने लगी , कितने ही मजनू मायूस हो गए जब खिड़की से चाँद से चेहरे  गायब ही हो गए , लकड़ी के पल्लों की बजाये खिड़की में न खुलने वाले साउंड प्रूफ शीशे लगने लगे , उनपर भी ऐसे सिल्वर कोटिंग की अंदर का कुछ दिखाई भी न दे। लोग दलील देतें रहे भाई अब वो नज़ारे भी कहाँ जो खिड़की पे बैठा जाए , वो ताज़ी हवा भी अब तो नहीं आती इस धुंए और प्रदूषण में , तो एयर कंडीशन  लगे और खिड़की का इस्तेमाल भी ख़त्म सा  हो गया  , खिड़कियों का काम सीसीसी टीवी ने ले लिया अब हर कमरे में बाहर की हलचल भी इन्ही कैमरों से गुजर कर अपने टीवी पर दिखने लगी , असली दुनिया से हम कटने  लगे। 

गलत फ़हमियों का आलम तो देखो प्रदुषण की वजह से सुप्रीम कोर्ट नै पटाखों पर रोक लगा दी , वो पूछ रही है तो क्या मैं अब घर से बाहर भी नहीं निकल पाऊँगी , इस पर कोर्ट ने सफाई दी रोक पटाको पर है फुलझाडिओं पे नहीं 


अब इस खिड़की का साइज घटते घटते इतना छोटा हो गया है की हम इसे अपनी जेब में लेकर चलते हैं , ६ इंच की स्मार्ट फ़ोन की स्क्रीन हमें दुनिया की हर वो चीज़ दिखाती है जो हम देखना चाहते हैं , अब इस चलती फिरती मोबाइल खिड़की से प्रेमी आपस में खूब विडिओ में बातें करते है कोई देख भी नहीं सकता, किसी का डर भी नहीं। अब आप इसी मोबाइल खिड़की से जिस घर में भी आपकी पहुँच हो आप उसे दुनिया के किसी भी कोने से देख सकते है। अब जब खिड़किया ही न रही तो वो किस्से भी न रहे। अब कोई खिड़की से आपको आवाज नहीं लगाता वो सरप्राइज दोस्तों का खिड़की पे आकर आपका नाम लेना अब ख़त्म हो गया है अब तो सिर्फ मोबाइल ही आपकी पहचान है। वो असली दुनिया अब यंत्रों में गुम सी हो गई है असली नकली की पहचान वो प्यार के पल खिड़कियों से आज़ाद हो कर मोबाइल में कैद हो गए है। जिनमे हम आज कल अपनी नजरें गड़ाए अपनी पुरानी खोई हुई दुनिया ढूँढ़ते रहते है, लेकिन कुछ नहीं मिलता जनाब आँखें थक जाती है डॉक्टर कहते हैं इन मोबाइल चमक दार स्क्रीन से दूर रहो यह न केवल आँखों के लिए बल्कि सेहत के लिए भी घातक है , अब आप ही बताईये जनाब हमारा सब कुछ तो छीन लिया इस टेक्नोलॉजी ने हमारा पूरा जीवन ही बदल कर रख दिया और अब कहते हैं यह सब आप के लिए नुक्सान दायक हैं ,

हमारी जिंदगी की सभी खिड़कियों को बंद करके अब अकेला छोड़ दिया है और पूछते हैं सेहत कैसी है , ब्लड प्रेशर की दवाई खाई के नहीं , हार्ट बीट भी कुछ ठीक नहीं आपका टेस्ट होगा ,

अब तो हर बात को अपने मन की खिड़की से ही देखना समझना पड़ता है , जिंदगी में जिसकी दिलों दिमाग की खिड़की खुली हो वही कामयाब हो सकता है 

मेरी दुश्मन है यह मेरी उलझन है यह , 
बड़ा तड़पाती है , दिल को तरसाती है 
यह खिड़की --- खिड़की  खिड़की यह खिड़की जो बंद रहती है ,
 मेरी दुश्मन है यह , मेरी उलझन है यह


१ चाणक्य ने कहा है जहाँ आपकी इज़्ज़त न हो वहां कभी मत जाओ : संता जी बोले लौ हुन बंदा अपने घर वि न जावे ?

2 . एक हरयाणवी भाई ने अपने दोस्त ते बूझ्या , रमलू यार बियाह  पे जाणा से बताइयो कुन सा कोट पहर के जाऊँ एके सारे मन्ने ऐ देखे , 
अरे भाई कमलू मेरे ख्याल में तूँ पेटी कोट पहर की चाल्या जा , पक्की बात से सारे तन्ने ऐ देखेंगे 

3 पति : अर्ज करून सु  हूँ ध्यान ते सुनिओ 
    जग घूमिया थारे जीसा न कोई , जग घूमिया थारी जैसा न कोई ,
  
   बेफिजूल बातें न करो घर की सफाई में हाथ बंटाओ वरना दिमाग  घूमियो तो  म्हारो  जैसो न कोई



एक बात चाणक्य ने चंदरगुप्त मौर्या को बचपन में ही अच्छी तरह समझा दी थी की वक्त कैसा भी हो एक बात हमेशा याद रखना , दुनिया से कुछ मिले न मिले दो चीज़े हक़ से मांग लेनी चाहिए , एक समोसे के साथ एक्स्ट्रा  चटनी और दूसरा गोलगप्पे के बाद जी भर के पानी वो भी मीठी चटनी के साथ।  आत्मा तृप्त होगी तभी तो दुनिया को जीत  पाओगे ?




Saturday, February 23, 2019

ADABI SANGAM ....[shiddat ]....... - शिद्द्त।.... . intensity .......तेहै दिल। ... wholeheartedly .....सच्ची लगन ......Final part 2 35-B....................(FEBRUARY ,23 ,-2019) .......


पार्ट _ 2
शिद्द्त। .. intensity ..... तेहै दिल। ... wholeheartedly .....सच्ची लगन





हमारी जिंदगी में हर कदम पर शिद्दत की दरकार होती है बिना इसके कामयाबी मिलना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन होता है , चाहे प्यार मोहब्बत हो , नफरत हो , तालीम हो , किसी बीमार की तीमारदारी करनी हो , अपने रोजगार को बढ़ाना हो , दोस्त यारों , या अपने कामगारों से काम लेना हो,वफ़ा हो बेवफाई हो ,मिलना ,बिछुड़ना ,गिरना सम्भलना बिना शिद्दत के मनमाफिक परिणाम कहाँ मिलता है ?
बड़ी ही शिद्द्त से गुजारे है हमने वह गुजरे हुए लम्हे ,
जब जिंदगी की जद्दोजहद सिर्फ एक बहाना थी कुछ पाने के लिए ,
जैसे कुदरत भी लगी है शिददत से इस कायनात को सजाने में ,
वैसे ही हम भी मौजूद है यहां फक्त अपना किरदार निभाने में।

कुछ यादें है मेरी जब लड़ा था शिद्द्त से इस ज़माने से ,
जबकि वोह अभी आये भी न थे मेरे गरीब खाने में ,
कहने लगे इतनी उतावली में क्यों है फितरत तुम्हारी ,
कुछ काबलियत भी तो बढ़ाओ , फिर आना घर हमारे

शिद्दते मोहब्बत का इज़हार कुछ ऐसा हुआ हमसे ,
दोस्तों ने पुछा आज वैलेंटाइन डे पर किसके साथ बाहर जा रहे हो
हमने भी तपाक से कहा बड़ी उम्मीद के साथ ,
सभी के नाम पर नहीं रूकती धड़कने अब
दिलों के भी कुछ असूल हुआ करते हैं।

रिश्ते यूहीं हवा में थोड़ा ही बनते है मजनू मियाँ ,
तुमेह बरसों लगेंगे अभी हमें अपना बनाने में ,
शिद्दते मोहब्बत का इज़हार भी किसी काम न आया ,
उन्हें समझाने में ,
अब तो ढहने लगा है हमारा ख्वाब भी दौलत कमाने में,
और उनका इंतज़ार करने में

शिददते गम कुछ इस तरह हावी हुआ की हम पीने लगे ,
और यह रिश्ता बखूभी निभाया हम ने उस अहसास के लिए ,
झूट कहते हैं लोग के शराब ग़मों को कम कर देती है
मैंने तो मयखाने में अक्सर लोगों को रोते पाया है,

इतनी शिद्दत से मोहब्बत मयखाने से भी की हमने ,
पीते रहते थे तब तक जब तक बोतल खुद न कहे हमसे
अब तो जा अपने घर ,तुझे देख मैं भी लड़खड़ाने लगी हूँ

क्या सोच रही होगी उनकी ,इसी सोच में हम भी जीने लगे ,
क्यों लोग सिर्फ उज्जालों से लगाव , और अंधेरों से डरते हैं ?
सब को मालुम है सब को पता है रहता नहीं है एक सा मौसम इस खुदाई में ,
उतार चढ़ाव सभी की जिंदगी में आते हैं ,
किसी को कुछ देकर और किसी से लेकर जाते हैं

शिद्दते वफाई कुछ ऐसी गुजरी हम पर भी
किसी ने पुछा कभी इश्क हुआ था ?
हम मुस्करा कर बोले , आज भी है
शिद्दते मोहब्बत तो दोनों में थी।
पर मुझे शादी करनी थी और उसे निक्काह।
आज भी मैं इंतज़ार में हूँ , क्यों की अब तो

मेरी शिद्दत भी --------- जद्दोजहद बन गई है

कुछ नफ़रतें भी बड़ी शिद्दत से निभाई है हमने ,
ठुकराया भी है मैंने बहुतो को --- सिर्फ तेरी खातिर ,
तुझ से फासला भी शायद , उनकी बद्दुआओं का असर हो ?
कुछ तो सिला दे दो हमारी शिद्दते मोहब्बत का ,

अब तो तुम ही आगे बढ़ कर थाम लो न मुझेसबने छोड़ जो दिया है मुझे ----तेरा समझ कर


डॉ मनमोहन सिंह हमारे पूर्व प्रधान मंन्त्री ने एक बार पार्लियामेंट में बोलते हुए कहा था
शिद्दते जिंदगी में सबसे मुश्किल था अपनों में अपनों को ढूंढ़ना ,
लोग कहते हैं दूरियां हमेशा --किलोमीटर्स में नापी जाती हैं
हमें तो खुद से मिले भी अरसा गुजर गया है ,

शिद्दते तन्हाई में लम्हों ने गुनाह किये ,
और सजा उम्रों ने पाई है।
बीते हुए लम्हों सा हूँ मैं भी , याद तो सबको हूँ मैं
पर जिक्र कोई नहीं करता ,

सो जा ऐ दिल के अब धुंध , बहुत हो गई है तेरे शहर में ,
अपने दीखते नहीं और जो दीखते हैं वो अपने नहीं
यूँ पलके झुका देने से नींद कहाँ आती है ग़ालिब ,

सोते अक्सर वह है जो मेहनत कश हैं
या जिनकी यादें उनसे रूठ चुकी हैं।

बड़ी शिद्दत से कोशिश करते है कोई रूठे न हमसे ,फिर भी
नजर अंदाज़ करने वाले से नजरें हम भी नहीं मिलाते जनाब
मेरे दोस्तों ने कहा यार हमारी बीवी कभी गलती मानती नहीं

नतीज़न , शिद्दते तकरार बहुत रहता है , तुम्हारे यहाँ कैसा है ?

हमने मुस्कराते हुए बड़े फक्र से कहा ,
भाई हमारी तो कई बार कबूल भी कर चुकी है
मुझ से शादी करना ही उसकी जिंदगी की
सबसे बड़ी गलती थी। यह अपने मुहं से कहती हैं

एक शिद्दत से हमने नजरें ,अपने सलूक पर भी रखी
कभी उसका दिल रखा , कभी इसका दिल रखा ,
इसी कश्मकश में ही भूल गए ,
खुद का दिल कहाँ रखा

किसी ज्ञानी ने महिलाओं को ज्ञान दिया ,
जितने भी अपने राज होते हैं , वो सिर्फ अपने पति के अलावा किसी को न बताएं " क्योंकि जो तुम्हारी बात ही ध्यान से नहीं सुनता वो फैलाएगा क्या ?

शिकवे तो सभी को होंगे अपनी जिंदगी से साहब ,
पर जो अपनी मौज़ में रहते हैं वह शिकायत नहीं करते
भरपूर शिद्दत हमने अपनी नींद में भी देखी ,
हमारी अंतरात्मा की आवाज , हमें छोड़ सबको सुनाई देती,
लोगों ने इसे खरांटो का नाम दे दिया

मैं सरकारी अस्पताल में अपने टेस्ट करवाने गया-
फुरसत मिलने पर उधर मौजूद कैंन्टीन से बर्गर और जूस खरीदा और मज़े से वहीं खड़े खड़े खाना पीना शुरू कर दिया-

ऐन उसी वक़्त मेरी नज़र कुर्सी पर बैठे एक छोटे बच्चे पर पड़ी जो बड़ी हसरत से देख रहा था- मैंने इंसानी हमदर्दी में जल्दी से उस बच्चे के लिए भी बर्गर और जूस खरीदे जो बच्चे ने बिला तकल्लुफ ले लिए और जल्दी जल्दी खाने लगा- बेचारा पता नहीं कब से भूखा होगा- ये सोचकर मैंने खुदा का शुक्र अदा किया जिसने मुझे एक भूखे को खाना खिलाने की तौफीक़ बख्शी-इतनी देर में बच्चे की मां,जो उसकी पर्ची बनवाने के लिए खिड़की पर खड़ी थी ,वापस आई और बच्चे को बर्गर का आखिरी टुकड़ा खाते देखा-

फिर अचानक पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो दोनों हाथ उठा कर,बा क़ायदा क़िब्ला रुख होकर,उस शख्स को बद्दुआएं देने लगी जिसने उसके बच्चे को ये चीज़ें लेकर दी थीं- कह तो वो बहुत कुछ रही थी,मगर मैंने वहां से फरार होते हुए जो चंद बातें सुनीं वो ये थीं:

"इंतिहाई बेग़ैरत और खबीस था वो शख्स जिसने मेरे बच्चे को बर्गर लेकर दिया-
मैं 25 किलोमीटर दूर से किराया लगा कर उसके खाली पेट टेस्ट करवाने लाई थी-"
*************************************************सेठ

सेठानी में बहस हो गई.. कि उनके 1 मात्र लड़के के लिये गाँव की बहू लाऐं या शहर की..??!!
सेठानी कहती कि गाँव की लाऐंगे.. क्योंकि वह घर का काम संभाल लेगी.. !
सेठजी कहते कि वे गँवार होती हैं.. उन्हे शहर के तौर-तरीके नही आते हैं.. !


आखिर सेठानी कि जिद पर 1 गाँव पहुंचे.. सेठजी ने कहा :-- *" बेटी जरा मैंगो शेक ले आओ.. ! "*
लड़की हाँ में सिर हिलाकर .. रसोईघर मे आ गई..
4 आम लिये.. तवे पर सेका.. मसाला डाला और प्लेट मे मैंगो सेक कर ले आई.. !
सेठ सेठानी इस मैंगो शेक को देखते ही रह गए.. ! 🤔🙄
अब सेठजी के कहने पर शहर मे लड़की देखने गये.. !
सेठानी ने नई बहू की परीक्षा लेने के लिए बोला :--
*" बेटी जरा पापड़ सेक लाओ.. ! "*
लड़की किचन मे गई.. 4 पापड़ लिए.. मिक्सर मे डाले.. पानी मिलाया और गिलास मे भर कर ले आई.. और बोली :--

*" लीजिये पापड़ शेक.. ! "*
छोरा अभी भी कुंवारा ही है.. !!!
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बोर्ड परीक्षा में ही मिलता है भारत का छिपा हुआ टैलेंट.
रानी लक्ष्मी बाईं के बारे मे चार लाइन लिखो
आज के स्टूडेंट का जवाब
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..जब कन्या अपने, पिता के घर होती है,"रानी" बन के रहती है.
पहली बार ससुराल जाती है,"लक्ष्मी",बनकर जाती है.
और ससुराल में काम कऱते-करते "बाई" बन जाती है,
इस तरह लडकियां "रानी-लक्ष्मी-बाई" बन जाती है...!!!
और फिर वो पति को अंग्रेज समझ कर बिना तलवार के ही इतना परेशान कर देती है कि
बेचारा वो पति, अंग्रेज न हो कर भी "अंग्रेजी" 🥃🥃 लेना शुरू कर देता है

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Friday, January 25, 2019

ADABI SANGAM - 26.01.2019 AT AMIT PLACE ' MUSIC PART MODERATION "

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "



जिंदगी के रथ में लगाम बहुत है ,                                   

इस हँसी गीतों की  महफ़िल की शुरुआत
हर इंसान के मन में दबे पैगाम बहुत हैं                        
आपसी गुफ्तुगू भी अब तो इतनी होती नहीं ,                     
ख़ामोशी के परदे जो पड़े हैं  हर उस जुबान पर
शायद बेफिक्र बेपरवाह हैं वोह  चुपी के अंजाम से


     आज प्रवेश चोपड़ा जी के गीत से होगी

एक चर्च के सामने एक बार और रेस्टोरेंट खुला , चर्च को बहुत इतराज था इससे , अब वोह चर्च में रोज प्रेयर करने लगे की " GOD FAVOUR US AND HELP US CLOSING THIS BAR , THEY SHOULD ALWAYS FACE HURDLES AND HUGE LOSSES SO THAT THEY CLOSE AND RUN AWAY FROM THIS VICINITY ,

अब गॉड ने सुन ली और एक रात झमाझम बारिश पड़ने लगी और कड़कती हुई बिजली सीधी उस बार होटल की बिल्डिंग पे आ गिरी और उसमे आग लग गई और वोह होटल तबाह हो गया ,
अब बार मालिक ने चर्च के खिलाफ केस दायर कर दिया और कोर्ट से उसे मुवाजा देने को कहा , क्योंकि चर्च में हर रोज मेरे बार होटल की बर्बादी के लिए प्रेयर की जाती थी सो मेरी बर्बादी की वजह इनकी प्रेयर्स हैं इस लिए नुक्सान की भरपाई चर्च को करनी चाहिए ,

अब चर्च वाले जिरह कर रहे हैं ऐसा कहाँ होता है की प्रेयर से नुकसान हो जाए , जज बड़े असंजस में पड़  कर सोचने लगे ,
कितनी अजीब बात है की एक बार होटल चर्च में की गई प्रेयर की ताकत को मान  रहा है और उस चर्च ें जहाँ लोग आते ही इस लिए हैं की हमारी प्रेयर मंजूर होती है , अब चर्च इस बात से ही मुकर रहा है की चर्च में की गई प्रेयर से कुछ होता ही नहीं , केस चल रहा है देखते हैं क्या होता है।

पता नहीं क्यों , जीना मजबूरी सा हो गया है , 
खुश दिखना , खुश रहने से ज्यादा जरूरी हो गया है
अनीता जी अपने मधुर स्वरों से इस पर कुछ रौशनी डालेंगी

जिंदगी एक अभिलाषा है , बड़ी गजब इस्सकी परिभाषा है 
 अशोक आवल जी को सुने बहुत समां बीत चूका

असल में जिंदगी है क्या , मत पूछो यारो आज उनसे कुछ सुनने का बहुत मन कर रहा है
जिस्सकी संवर गई उसकी तक़दीर , बिखर गई तो तमाशा है
हमे ताकत की जरूरत तभी पड़ती है जब किसी का नुक्सान करना  होता है ,
वरना तो प्यार की भाषा ही काफी होती है किसी के दिल  को जीतने के लिए

सुना है लोग भगवान् को प्रेयर इसी लिए करते है की भगवान् का मन उनकी तरफ बदल जाये ,
लेकिन वास्तव में होता इसका उल्ट है , प्रेयर करते करते हमारा खुद का मन ही बदल जाता है

समझ में नहीं आता किस पर भरोसा करें  और किस पे नहीं , यहाँ तो लोग नफरत  भी करते है मोहब्बत की तरह 

मिर्जा ग़ालिब कहा करते थे , फक्त बाल रंगने से क्या हासिल ग़ालिब , कुछ नादानियाँ , कुछ मस्खरियाँ भी तो कर  किया करो जवान दिखने के लिए।

हमने उनसे कहा , आँखें पढ़ो और जानो हमारी रज्जा क्या है ,
मायूस हो के वो बोली , मोतिया बिन्द ने इस काबिल ही  कहाँ छोड़ा है हमें

फितरत किसी की न आजमाया कर ऐ जिंदगी।  हर शख्स अपनी हद में बेहद लाजवाब होता है

तंग बिलकुल नहीं करते हैं हम , उन्हे आजकल ,
अब यह बात भी उन्हे बहुत  तंग करती है


वकील :- माय लार्ड कानून की किताब IPC के पेज नंबर १५ के मुताबिक मेरे मुवक्किल को गुनाह से बा इज़्ज़त बरी क्या जाए
जज :- किताब पेश की जाए , किताब पेश की गई , पेज नंबर 15 खोला गया तो उसमे 1000 /- के पांच नोट थे
जज मुस्कराते हुए :- बहुत खूब इस तरह के दो सबूत और पेश किये जाएँ तो रिहाई पक्की है। 


शाम खामोश है , पेड़ो पे उजाला भी कम है , लौट आये हैं सभी पर एक परिंदा कम है

यही वह परिंदा है जिसे दारु की बोतल लेने भेजा था , उसके बिना शाम भी ग़मगीन है