Sunday, December 23, 2018

ADABI-SANGAM ............................. TOPIC "दुविधा " IS"..... DILEMMA " ............................................................................[.DECEMBER ,29, 2018 ].....................45



ADABI-SANGAM  TOPIC 

"दुविधा " IS" DILEMMA " 
DATED 29-12-2018 

MEET AT 51 BELLWOOD DRIVE ON 29TH DECEMBER 2018


दिल कि धड़कन भी कुछ कहती है ,सुनने ही नहीं देता कोई
अपनी मर्यादा में जीना चाहता हूँ ,पर जीने नहीं देता कोई .
दिल मेरा लाख कहना चाहे , पर कहने ही नहीं देता कोई ?

दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम , यह कहावत सुनते सुनते हम बड़े हुए हैं , इसका मतलब अभी भी शायद कुछ लोग नहीं बता पाएंगे। इसका सीधा साधा मतलब है जब हमारा मन किसी भी बात का निर्णय न कर पाए और शशोपंज में पड़ा रहे तो न ही आप जिंदगी में सकून यानी की भगवान् को भी नहीं पा सकते न ही धन दौलत। जिंदगी में कुछ भी करने से पहले दुविधाओं से बहार आना पड़ता है और जिंदगी के निर्णय सप्ष्टता से लेने पड़ते हैं।

whatever came across my life, there were options and options to choose from, it was my race against time to make more money and life of comforts means suvidha for everything, but her twin sister Duvidha too accompanies her everywhere. we are never bothered by suvidhayen in our life but Duvidhayen is speed breakers of our otherwise smooth sailing life.

और आज मेरी जिंदगी में मेरे द्वारा कमाई हुई सुविधाओं से कहीं ज्यादा दुविधाओं का अम्बार लगा है। क्या लिखते रहते हो सारा दिन " रसोई से पत्नी की आवाज आती है। ऑफिस से कब आये पता ही नहीं चलता सुबह आपको ग्रॉसरी लिस्ट दी थी , लाये हो की नहीं ?

रखा तो है रसोई में ' " क्या बात कर रहे हो ? आज तो तुम सीधे अपने रूम में चले गए मुझे तो अपनी शक्ल ही नहीं दिखाई ऑफिस से लौटने के बाद , क्या तुम्हारे रूम में तो नहीं ले गए ? इतना भी पागल नहीं हुआ हूँ समझे की ग्रॉसरी अपने रूम में ही ला कर रख दूंगा '


रुको मैं स्कूटर में चेक करता हूँ ,अरे यहाँ भी नहीं हैं , गुप्ता स्टोर वाले को फ़ोन मिला कर पूछते हैं , " गुप्ता जी मैंने जो आप से आज कुछ समान लिया था वो वहीँ तो नहीं रह गया ? कौन सा समान शर्मा जी आज ? आप तो पिछले हफ्ते ही आये थे उसके बाद तो आप आये ही नहीं हमारी दुकान पर ,शर्मा जी सन्न हो कर कुर्सी पर धम्म से बैठ गए , यह क्या हो गया है मुझे कैसी गफलत हुए जा रही है ? पत्नी जी कमरे में आती है और पूछती है किस से बात कर रहे थे ? कोई दोस्त था क्या , नहीं गुप्ता स्टोर फ़ोन मिलाया था , शायद मुझ से ही कोई भूल हुई मैं उनकी दुकान पर तो जा भी नहीं सका था ,


अच्छा छोड़ो परेशान मत होओ कल ले आना अब खाना तैयार है आओ खा लो। मैंने उठकर अपने लिए एक ड्रिंक बनाया और खाने के साथ ले कर उठ गया , बड़ी नींद आ रही थी पत्नी से विदा ले कर सोने को अपने रूम में आ गया , बड़ी जल्दी ही नींद के आगोश में चला गया ,

नींद में भी ख्याल आ रहे हैं " कल बेटी को इंग्लिश स्कूल में एडमिशन करवाना है , मेरा इंटरव्यू भी होगा , पैसा भी बहुत लगेगा , हमारा घर भी स्कूल की शर्तो के अनुसार पांच किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए वरना स्कूल बस नहीं मिलेगी। अब यह भी कोई बात हुई , हमारे समय में यह शर्ते होती तो हम तो पढ़ ही न पाते , सुना है हमारे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री तो पैदल नदी पार करके ५ किलोमीटर तक दूर स्कूल में जाते थे।

तब न तो ऐसे स्कूल थे न ही ऐसी शर्ते। क्या खूब तर्रकी है भाई यह भी।
ऐसे लगा हमारी जमीन हिल रही थी , किसी ने हमें झकजोर दिया ,आँख खुली पत्नी जी हाथ में चाय लिए खड़ी थी , फीकी है " चीनी तो आप कल भूल गए थे लाना " पता नहीं नींद में क्या क्या बड़बड़ा रहे थे ऑफिस जल्दी जाना है फाइल मिनिस्ट्री में पहुचानी है ,

अरे बाप रे आज फिर लेट हो गया , उठ कर बिना नहाये कपडे बदले और नाश्ता हाथ में लिए लिए ही स्कूटर स्टार्ट किया और भाग चले ऑफिस को।

अरे इतनी तेज बारिश इसे भी आज ही बरसना था , कम्बख्त ने ऊपर से नीचे तक भिगो कर रख दिया , " लेकिन इसे कैसे पता चला हम आज बिना नहाये ऑफिस जा रहे थे जो आके हमे इतनी बुरी तरह नेहला दिया " अब तो ऑफिस में जाकर कपडे भी सुखाने पड़ेंगे , अजीब मुसीबत है ,

ऑफिस में कदम रखते ही साहब पर नजर पड़ी , बड़ी ही अजीब नजरों से हमें और हमारे कपड़ो को देखने लगे। इतने पुराने सीनियर अफसर हो अभी तक गाडी नहीं ले पाए क्या ? खर्चे ही पूरे नहीं होते सर गाडी कहाँ से लेंगे , अच्छा जल्दी से यह फाइल चेक करो और मिनिस्ट्री में पहुंचा दो ,

अभी हम फाइल में सर गड़ाए कुछ देख ही रहे थे की " बड़े साहब नमस्कार , यह फाइल हमारी ही है सब ठीक ठाक है आप सिर्फ सिग्नेचर करे और और बॉस के पास ले जाएँ , बस फिर हम दोनों इसे मिनिस्ट्री में दे आएंगे ,बॉस से सब बात हो गई है , आप इसे आज अपने घर ले जाना हम आपसे वहीँ मिलते हैं , मेरा कोई जवाब सुने बगैर ही वो साहिब निकल लिए।

अब ऐसे कैसे सरकारी फाइल हम अपने घर ले जाएँ , दिल बहुत जोर से धड़कने लगा यह सोच कर की यह साहब हैं कौन जो इतने आत्मविश्वास से आर्डर दे कर चला गया , कहीं हमें किसी साजिश में फंसवाने को जाल तो नहीं बिछाया इन लोगो ने , सारी जिंदगी ईमानदारी की रोटी खाई है यह कही हमारे लिए कलंक न साबित हो जाए। अब बड़े बाबू भी , बॉस भी कहाँ गायब हो गए नहीं तो उनसे ही पूछ लेते की क्या करना है ?.

थोड़ी देर और इन्तिज़ार कर लेते हैं और फाइल को फिर से देखना शुरू किया तो पता लगा की यह कोई डिफेंस का टेंडर है और करोडो का सामान इसमें लिखा हुआ है , हमें तो खाली रेट्स दूसरी पार्टिओं से मिलाने थे और अपनी रिपोर्ट देनी थी की कौन सा टेंडर सस्ता है , बाकी काम ऊपर वाले लोगो का था। अब काफी देर तक बड़े साहब नहीं आये , वाच मैन ने आकर बताया साहब अब कोई नहीं आएगा आप भी जाएँ हमने ऑफिस को लॉक करना है ,बड़े ही असंजस से हमने फाइल को अपने ब्रीफ़केस में रखा और घर को चल पड़े। अभी मुश्किल से फ्रेश हो कर बैठे ही थे की door bell बजी तो देखा वही टेंडर वाले साहब खड़े थे , अंदर आते ही उनोहने अपने बैग से व्हिस्की निकाली और बोले वक़्त कम है वापिस जल्दी जाना है आपके साथ एक दो जाम लेंगे और खाना भी आपके साथ ही खाएंगे ,

खाना खाकर साहब ने फिर ब्रीकसे खोला और उसमे हजार वाले नोट ठस्सा ठस्स भरे हुए थे बैग हमें देते हुए बोले पूरे पचास लाख है इसे रख लीजिये बड़े साहब ने बोला था बाकी बात आप उनसे समझ लीजियेगा।

हमारे माथे के पसीने को देख कर बोले क्यों घबरा गए हो भाई ? हमारे हाथ कांप रहे थे , इतना पैसा जिंदगी में आज तक हमने नहीं देखा और कुछ बता भी नहीं रहे हैं की क्या है यह सिर्फ इतना ही की बड़े साहब को सब पता है उन्हें दे देना ,

हमारी बात चीत सुन हमारी पत्नी भी आ गई और वह भी घबरा कर हमारे फीके पड़े चेहरे को देखने लगी , हमारी पत्नी को देख साहब एक दम बोले भाभी जी खाना बड़ा ही लजीज था अच्छा हुआ आप आई तो हमें भी याद आया कि कहते हुए उनहोंने अपनी जेब से एक बॉक्स निकाला हमारी पत्नी को देते हुए बोले मना मत करना यह आपके लिए है , अब तो हमारी और भी हालत पतली होने लगी यार यह तो कोई बहुत बड़ी साजिश में हम फंसते जा रहे हमने इनके लिए क्या किया है जो यह इतनी दौलत हमें दे कर जा रहे हैं इन्हें हम पर इतने विश्वास की वजह क्या होगी ? हमारे मना करने का उनपे कोई असर ही नहीं पड़ रहा था ,

अचानक साहब उठे और चलते हुए बोले वह फाइल जो आप ऑफिस से लाएं है न वह हम दो दिन बाद आपसे ऑफिस में ही ले लेंगे , हाँ जो बैग हमने आपको दिया है न किसी से बताएगा नहीं जब तक बड़े साहब खुद न पूंछे ,और कह कर चल दिए हम उनका और अपनी पत्नी का मुहं देखे जा रहे थे कोई शब्द ही ही नहीं निकल रहे थे हम दोनों के मुहं से , यह जो नोटों का बैग हमारे सर पर छोड़ कर साहब गए थे पूरी रात हमें नींद ही नहीं आई और अभी दो दिन के बाद ही साहब से मिलना होगा तब तक इस बैग का पहरा कौन देगा , माजरा क्या है किसी को बताना भी नहीं उस साहब को भी नहीं जिनके लिए यह है ? दिमाग चकरा गया यह सब सोच कर , बड़ी अजीब से दुविधा थी कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था की इस से बाहर कैसे निकलें?


दुसरे दिन हम ऑफिस जाने के लिए बस में ही बैठ गए कहीं फिर भीग गए तो ? एक घंटे का रास्ता था बस द्वारा , हम अपना सर आगे वाले सीट पर टिका कर सुस्ताने लगे , कितने ही दृश्य हमारी अवचेतन मस्तिष्क से उठने लगे

पैसा न होनाऔर बहुत ज्यादा पैसा होना भी कितनी बड़ी मुसीबत है इस इतनी बड़ी सुविधा में कितनी बड़ी दुविधा निहित है , गरीबी में इंसान मंदिर गुरद्वारे हाथ जोड़े भगवान् से भीख मांगता रहता है और जब बहुत ज्यादा पैसा हाथ में आ जाये तो डर क्यों लगने लगता है ? यह साहब क्या कोई फरिश्ता थे जो मेरे पास इतना धन छोड़ गए ? क्या भगवान् को मेरी गरीबी पे रेहम आ गया जो इस साहब को इतना पैसा देकर भेज दिया ? मेरे घर किसी ने शिकायत कर के छापा डलवा दिया तो में तो इस पैसे के बारें में कुछ बता ही नहीं पाउँगा ? फिर तो बाकी की उम्र जेल में ही गुजरेगी।

MAN'S TRUE FRIEND & SINCERE BUDDY

"Tum ne hi to Kaha tha ke Nazar bhar ke dekh Liya Karo...Ab Nazar to bhar aati hai... par tum hi Nazar Nahi rate..... :-( "
Every time you take a risk or move out of your comfort zone, you have a great opportunity to learn more about yourself your capacity. So, let's take that risk & learn NOW :)
Karma cafe has no menus. You get served what you deserve........

Duvidha is a Dilemma, indecisiveness, inability to come out of our own thought process with a clear mind, to take any positive decision. This state of mind happens in everybody's life every now and then, some are fortunately brilliant in their mind configuration they overcome this state sooner and many others get stuck in their day to day life and seek others advice to come out of it, our duvidha has given many self-styled Godmen to portray as if they have solutions to every problem of ours, Many Babas like Asa Ram, Nirmal Baba, Ramkirpal, have looted our Money only on false promises of freeing us from our various mental blocks but in the end, we continue to live in our life full of duvidhas because the solution to our duvidha is within our selves we have to dig out our own subconscious mind where we have all the solutions to our problems provided we have the proper capability to use it.

अचानक बस कंडक्टर ने जोर से बोला साहब बस डिपो में आ चुकी है आप ने कहाँ जाना था ? ओह यार फिर वही हालत अपनी अब वापिस चलें ऑफिस को थ्री व्हीलर पकड़ा , फाइल हमारी बैग में थी उसे हर हाल में ऑफिस पहुँचाना था।

पर यह क्या ऑफिस के गेट पर इतनी पुलिस , किसी को अंदर जाने की इज़ाज़त ही नहीं। पता चला सीबीआई की रेड हो गई है सारी फाइल्स पकड़ी जा रही हैं। हमने काफी कोशिश से अंदर जा कर अपनी फाइल भी अपनी टेबल पे रख कर अपनी जान छुड़ाने की सोची लेकिन एक कर्कश आवाज ने हमें डाँटते हुए बोला आप कौन हैं यहाँ क्या कर रहें है बाहर चलो , हम फाइल अपनी टेबल की दराज में नहीं रख पाए ,

एक अफसर जोर जोर से बोल रहा था साहब इन फाइल्स में वह डिफेन्स की फाइल नहीं है , यह सुनते ही हमारी तो जैसे जान ही निकल गई , अरे मर गए अपनी मौत का समान हम खुद ही लिए फिर रहें है , यह फाइल तो हमारे बैग में है तो मैं इन्हे जाकर दे देता हूँ , मैंने दुबारा जोर से सीबीआई अफसर को आवाज लगानी चाही तो मेरे कंधे पर पीछे से किसी ने हाथ रखा , मैंने मुड़ कर देखा तो मेरे बॉस ही थे " सर वह फाइल मेरे पास है आप को दे दूँ " उन्होने आँखों ही आँखों से मुझे चुप रहने का इशारा किया और वहां से जाने को बोला।

हम सहम गए और चुपके से अपने घर आ कर टीवी देखने लगे , अचानक टीवी पर मोदी जी का देश के नाम सन्देश आ रहा था , अरे यह क्या सारे 1000 और 500 वाले नोट आज के बाद बंद , इसे सिर्फ बैंक में ही जमा करा सकेंगे , अब हम यही सोच रहे थे की किसी तरह सुबह ऑफिस जाकर अपनी इस मुसीबत को बॉस के हवाले कर के सकूँ से रहें , तभी डोर बैल बजी खोला तो सामने बॉस और वह साहब खड़े थे , आये सर अंदर आये , वह थोड़ी देर को अंदर आये और एक कप चाय पी के बोले तुम बड़े परेशान क्यों लग रहे थे क्या प्रॉब्लम है ?

साहब वह फाइल जो मेरे पास है और आपके ५० लाख भी मेरे पास हैं ,
अरे भाई यह नोट तो अब चलेंगे नहीं जला देना इनको हम इसे कौन से बैंक में जमा कराएँगे , सीबीआई हमारे पीछे पड़ी है , देखा नहीं टीवी पर लोग बोरो में भर भर कर नोट नदिओं नालों में बहा रहे हैं , तुम भी इसे बहा देना भाई ,

फिर उनहो ने अपनी जेब से एक पैकेट निकाला बोले यह लो बिलकुल नए नोट हैं 10 लाख हैं यह तुम्हारा इनाम है इस से तुम अपने सारे काम बच्चों का एडमिशन और एक छोटी मारुती गाडी भी बच्चों के लिए ले लेना , पर साहब मैंने तो कोई काम आपका किया ही नहीं , यह जो फाइल तुमने अपने बैग में छुपा कर राखी थी न इस के सीबीआई के हाथ लगने से हम सब फंसने वाले थे अब तुम इसे भी नोटों के साथ जला देना , हमें तुम पर इतना तो भरोसा है ही , क्या यह सारे नोट जला देने है क्या कह रहे हो साहिब ? हाँ हाँ सब जला देना वर्ना हमारी आफत आ जाएगी। हम से उनहों ने कुछ लिया भी नहीं और इतना सब कुछ हमें देकर जा रहे है क्या राज होगा इसके पीछे। ...... बिलकुल समझ ही नहीं आया

रात मैं अपनी पत्नी से विचार विमर्श करने के लिए उसे अपनी दुविधा से अवगत कराया और उसकी राय भी मांगी , क्यों की कई बार जहाँ मर्द का दिमाग फ़ैल हो जाता है न तो पत्नी का दिमाग कंप्यूटर की तरह काम करता है और कोई न कोई समाधान वह निकाल ही देती हैं , अब तो रिसर्च में भी साबित हो चूका है की स्त्रियों का दिमाग पुरषो सेदस साल ज्यादा एडवांस्ड है। है न हैरानी की बात , और ज्यादा तर मर्द औरत को काम अकल समझते हैं।

ज्यादा तर बातें पत्नी की मौजूदगी में ही हुई थी इस लिए उसे दुबारा नहीं समझाना पड़ा , वह तपाक से बोली तुम्हारी परेशानी देखते ही मैं तो डर ही गई थी और आप से बिना पूछे अपने बड़े भईया को फ़ोन भी कर दिया था की जल्दी आओ हम किसी मुसीबत में फंसने लगे है , वह अभी देर रात आ जायेंगे यहीं बात करेंगे और देखेंगे क्या हो सकता है। बड़ा सहारा हुआ जी आज पहली बार महसूस हुआ की एक साले की भी जिंदगी में कितनी जरूरत होती है , वह बिजनेस करते थे हर ऊंच नीच हमसे बेहतर समझ पाते थे , अब दिल को कुछ सकूं सा महसूस होने लगा की वह हमें जरूर इस मुसीबत से निजात दिला देंगे।


और हमारे बात करते करते रात को वो आ पहुंचे , थोड़ी आवभगत के बाद वह इत्मीनान से बैठ गए और बोले हाँ जीजा जी बोलो कैसे याद किया ? सुना है आपके पास कुछ पुराने नोट्स है जो आप ठिकाने लगाना चाहते हो ? लाओ कहाँ है हमें दो हम इसे निबटा देंगे आप पे कोई आंच नहीं आएगी अब आप निश्चिंत हो कर सो जाओ। और उहोने वह बैग अपनी गाडी में रखा और चल दिए।
अब हमारी जान में जान आई की एक बहुत बड़ी मुसीबत से जान छूटी। तो क्या हर दुविधा का समाधान उस दुविधा रूपी धन को खुद से दूर करने मात्र से दुविधा खत्म हो जाएगी ? क्या मेरी शराफत ही मेरी दुविधा का कारण बनी थी , तो क्या अब यह अध्ययाय बंद हो गया है ? फिर से कोई हमसे फाइल के बारे में पूछने आ गया और पैसों का भी उसे पता हो तो हम क्या करेंगे ? इस सामान को नष्ट करने में हमारे साले साहब पकड़ में आ गए तो भी जांच हम तक आ ही पहुंचेगी ? हमें इन सब चिंताओं से बाहर आने में एक महीना लग गया , जब इस दौरान कोई नहीं आया तो हम भी आश्वस्त हो गए की अब मुसीबत टल चुकी है , समय गुजरने लगा हम ऑफिस बिलकुल पहले की तरह ही जाने लगे कोई बात ही नहीं होती थी वहां इस बारे में।



Thursday, November 1, 2018

Rajinder K. Nagpal TOPIC " ममता " 01102014.........................................................................................................................46


COMPILATIONS: 2010
" ममता "


हाथ थाम कर चलो लाडले वरना तुम गिर जाओगे,
आँख के तारे हो दुलारे मेरे,हमको दुखी कर जाओगे,
राजा बेटा पढ़ लिख कर तुम्हे बड़ा आदमी बनना है,
नाम कमाना है दुनियां में कुल को रोशन करना है,

सब कुछ गिरवी रखकर माँ बाप ने उसे पढाया था ,
जी सके वो शान से जग में इस काबिल उसे बनाया था ,
बड़ा ऑफिसर बन गया बेटा माँ बाप की खुशियाँ चहकी,
सब दुःख दूर हमारे होंगे ऐसी उम्मीदे उनकी महकी,
बड़ी चाहत  से सुन्दर कन्या से उसका ब्याह रचाया,
ढोल नगाड़े शहनाई संग नाचते गाते दुल्हन घर लाया,

कुछ बरस में नन्हा पोता भी  घर आँगन में आया,
लेकिन बेटा रहा न अपना जिस पर सब लुटाया,
एक दिन बेटा बोला माँ से माँ ये सब कुछ मेरा है,
मैने कमाया मैने बनाया अब ये नहीं तुम्हारा डेरा है,
माँ बोली बेटा तुम मेरे, घर भी  मेरा, फिर हममे कौन पराया,

तुमसे ही है हमारी खुशियाँ मुश्किल से है तुम्हे पाया,
माँ-बाप के आंसुओं ने भी,न उसके दिल को पिघलाया  ,
उनकी कोमल ममता पर , जहरीला ज़ुबानी बाण चलाया 

 बोला सामान बांधलो माँ तुम्हे वृधाश्रम छोड़ आता हूँ,
हम भी सुखी , तुम भी सुखी बस यही मै अब चाहता हूँ,

सुन्न हो गया अंतर्मन सुनके, माँ-बाबा अब क्या बोले,
भूल हुई है क्या हमसे अपने अन्दर रह रहये टटोले,
दोनों सोचे बचा  जग में अब कोई नहीं सहारा है,
पुत्र संतान पाकर भी हमने,अपना सब कुछ हारा है ,

फिर भी नहीं शिकायत कोई आखिर खून तो अपना है ,
वो न समझे दिल की व्यथा पर अपने आँगन का सपना है ,
पोते को दुलराया और कातर नजरों से देखा,
कुछ क्षण रुक कर बोले, हमें कुछ तुमसे कहना है,
अपने मम्मी -पापा की बेटा हरदम सेवा करना,
दुःख में सुख में हर हालत में तुम हाथ थाम कर रखना,
खुश रहो मुस्काओ हरपल दुआ यही हमारी है,
शायद तुम ना समझोगे कि तुमसे दुनियां सारी है,

कैसी विडंबना है रिश्तों की ममता भी चित्कारी है,
बुजूर्गो का सम्मान नहीं सोचो क्या यही संस्कृति हमारी है??????????? 
आज इंसान इंसान को डस रहा है , ममता मर चुकी है 
और इंसान को अपनी फितरत बदलते देख सांप दूर से देख हंस रहा है 

जब हम जवान होते हैं और फिर बूढ़े भी हो जाते हैं , दोनों अवस्थाओं में हमे दूसरों के प्रेम और ममता की जरूरत होती है , लेकिन इन दोनों अवस्थाओं के बीच के अंतराल में हम इतने दम्भी होते हैं की हमे कभी किसी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी , इसलिए दूसरों के प्रेम ममता की उन्हें कोई जरूरत ही नहीं है

दलाई लामा ने एक बार कहा था की " ममता में कभी रोते रोते मुस्कराये , और कभी मुस्कराते हुए भी रोये , हे माँ तेरी ममता जब भी याद आई , तुझे भुला भुला के रोये , एक तेरा ही नाम था जिसे लिखा था हजार बार अपने सीने में , जिसे लिख लिख कर खुश हुए थे हम , आज उसे मिटा मिटा के रोये

जिंदगी और ममता तो हमेशा ही एक अनबुझ पहेली थी ,
बहुतों ने इसे खुदगर्जी से निभाया और कभी इसे समझा ही नहीं , जो समझ भी गए वह निभा न सके 

दिल कि धड़कन भी कुछ कहती है ,सुनने ही नहीं देता कोई 
अपनी मर्यादा में जीना चाहता हूँ ,पर जीने नहीं देता कोई .
दिल मेरा लाख कहना चाहे , पर कहने ही नहीं देता कोई ?

ममता जब रोती है।,आंसुओ के गिरने की आवाज नहीं होती , 

और दिल इतना भी  शीशे का नहीं जो टूटने पर कोई उसकी आवाज  सुने 

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एक आदमी हस्पताल में बेंच पर बैठा अपनी बारी की इंतजार कर रहा था , उसकी एक टांग टूटी हुई थी ,तभी एक और आदमी व्हील चेयर पर लाया गया उसकी दोनों टांगे टूटी हुई थी , दोनों वहीँ इंतजार करने लगे ! पहले वाले आदमी से रहा न गया , और पूछ बैठा , भाई साहिब लगता है आपकी बीवी मेरी बीवी से दोगुनी ताकत व् गुस्से वाली है ? तभी तो आपकी दोनों। ......
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संता अपने घर से खाना लेकर काम पर निकला , काम न बनने पर उदास हो कर जंगल में पेड़ के नीचे जाकर लेट गया ,अचानक कुछ शोर से उसकी आँख खुल गई ,उसने देखा एक चुड़ैल जैसी औरत उसके सर के पास बैठी हुई है . वोह घबरा कर उठ गया ! उसे उठा हुआ देख चुड़ैल बोली अच्छा हुआ तुम जग गए मुझे बहुत भूख भी लग गई थी १ अब मैं तुम्हारा खून पी सकती हूँ , ही .ही ,ही ,ही ....संता बोला बहुत खुश होने की जरुरत नहीं , तुम्हारी एक बहिन पहले ही मेरे घर में रहती है जो बीस साल से मेरा खून पी रही है ? खून बचा होगा तो पियोगी न ?
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तकदीर के लिखे पर कभी शिकवा ना किया कर ....!
ऐ दोस्त ....
तू इतना अकलमंद नहीं जो खुदा के इरादे समझ सके ..









Monday, October 29, 2018

ADABI SANGAM topic.....................................................समय .... WAQT. "........... TIME "...........................................[ OCTOBER ,26,2018]............................................47


   ..........समय.




 आंसुओ के गिरने से, कोई आहट नहीं होती ,
दिल के टूटने पर भी कोई आवाज़ नहीं होती ,
अगर इसमे खुदा कि मर्जी न होती तो ? ,
क्या इंसान उस खुदा का वजूद समझ भी पाता?

खुदा ईश्वर नाम है उस घडी का उस वक्त के पल का जिसमे हर कुछ घटित होता है , इंसान इसे समझे , इससे पहले वक्त कहीं और चल देता है। लेकिन जाते जाते यह जरूर कह जाता है :-
यह मेरा आखिरी सलाम है , यह मेरा न खत्म होने वाला सफर है कल मुझे कहीं और जाना है ,लोग मुझे गुजरा वक्त कहते हैं , मैं जब गुजर जाता हूँ लौट के वापिस नहीं आता ,मेरे साथ जीना है तो इसी पल जीना होगा , मेरे साथ खेलना होगा ,मुझे मालूम है मेरे चले जाने पे कुछ लोग जिनकी मेरे साथ नहीं जमती ,

 वह मेरे जाने पे बड़े खुश होते है और कुछ जो हमेशा मेरी कदर करते है वह मेरा साथ पाकर हमेशा हँसते हैं , बस यही एक पल है तुम्हारा चाहे तो मुझे पा लो चाहे खो दो , अगर यह पल गुजर गया तो मैं भी रुक न पाऊंगा , मैं भी काल चक्र से बंधा हूँ मुझे जाने से कोई रोक नहीं सकता न ही खुदा न ही खुद वक्त।

वक़्त जिसे हम आज की भाषा में टाइम के नाम से जानते हैं वह एक घडी की सुइंयों में बंधा एक काल है जो पल पल हमें याद दिलाता है की आप के जीवन की हर घडी इस मानव निर्मित घडी के हिसाब से चल रही है जैसे जैसे सूईआं आगे को बढ़ रही है वास्तव में हमारे जीवन की घड़िआ घट रहीं हैं हर सुबह दिवार पे टंगी घडी को देख कर ही हमारा दिन शुरू होता है और शाम उसे देख कर ही खत्म होता है।

जिसने भी इस वक्त के हिसाब से खुद को ढाल लिया वह जिंदगी की सीढियाँ चढ़ता हुआ एक मुकाम तक पहुँच गया और जो गफलत में वक़्त को अनदेखा करते हुए आज को कल और कल को परसों में बदलता चला गया वक़्त ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।

अब सवाल यह है की वक़्त है क्या चीज़ जिसे हमारे पूर्वज भी और वैज्ञानिक भी खोज में लगे रहे। सिर्फ हमारी धरती ही नहीं पूरा बह्मांड एक ऐसे ही नियम से चल रहा है जिसमे निहित अदृश्य यानी की invisible cosmic forces ने एक ऐसा टाइम सिस्टम बनाया हुआ है
जिसमे सेकेंड minutes में minutes घँटों में और घंटे दिनों में दिन सप्ताह और सप्ताह महीनो से आगे चल कर वर्षों decades ,centuries और centuries ने कितने ही युग और काल बना दिए लेकिन वक़्त का कोई ठौर नहीं पा सके वक़्त की गति को कोई रोक नहीं सका

हमारे वैज्ञानिक वक़्त की खोज में time machine बनाने में लग गए। हम खोज रहे है उस वक़्त को जब चाँद और मंगल ग्रहो पर भी पृथ्वी की तरह एक बसा हुआ संसार था। वहां के जल समुन्दर हवा कहाँ खो गए , वहां के जीवों का क्या हुआ ?अब वो इंसान के रहने लायक क्यों नहीं रहे ? बहरहाल आज हम उस अनादिकाल के एक छोटे से लमहे को जी रहे है और बड़े घमंड से अपने पास वक़्त की कमी का रोना रोते रहते हैं। अब वक़्त की प्रकार और सवभाव दोनों ही बदल गए हैं

अब हमारे आस पास अक्सर लोग वक़्त की दुहाई देते मिल जायेंगे। न मिलने की एक खास वजह टाइम की कमी बता दी जाएगी। मेरे बचपन के कितने ही संगी साथी वक़्त की कमी के चलते मुझ से कई वर्षों दूर हो गये। वक़्त की रफ़्तार ने सबको अपनी गिरिफ्त में लिया हुआ है। हमारे कदम धीमे होते ही वक़्त हमें पीछे छोड़ जाता है।

this is actually the race against time, survival for the fittest, jo jeetaa wohi Sikander, There is no time still everybody is running around interestingly without any time available with them for their own life, health, family, kids. etc



हमारे बुजर्ग कहा करते थे समय बड़ा अनमोल होता है इसका सदुपयोग कर? और हमारे पास तो समय है ही नहीं तो उपयोग क्या करे वोह तब की बात थी जब लोगों के दिलो दिमाग में सकूंन था अगर सकूँ था तो टाइम भी था इसका मतलब एक बात तो साफ़ हो गई की वक़्त का होना न होना आज की दौड़ भाग वाली पैसे के लिए अंधी दौड़ का ही नतीजा है।

२ ,गुजरा वक़्त वापिस कभी नहीं आता
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होये , माली सींचे सो घड़ा ऋतू आये फल होय यह भक्त कबीर बहुत पहले कह गए थे जो आज भी सामायिक है अर्थार्थ समय से पहले पेड़ पर फल नहीं लगते , तो आज का युवक और समाज सब कुछ इतने कम समय में ही क्यों सब कुछ पा लेना चाहता है ? मेरे हिसाब से इसका सीधा तालुक हमारी शिक्षा प्रणाली को ही जायेगा जो आज इंसान कम पैसा कमाने वाले रोबोट ज्यादा तैयार कर रही है , संस्कारों को खत्म कर के एक ऐसे समाज का निर्माण कर दिया गया है जो पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरते है सिर्फ वक़्त ही नहीं है उनके पास की अपने बुजर्गो से कुछ संस्कार भी ले सके जिसकी वजह से ही आज भी बुजर्गो के पास अधिक टाइम मैनेजमेंट है और मन में सकूँन भी।

3 , मेहनत करते रहे वक़्त आने पर कामयाबी मिलेगी पर वक़्त कब मिलेगा इसका कोई जवाब नहीं हमारे पास। मैंने काफी सोचा यह एक बड़ा ही संजीदा विषय है की हमारी जिंदगी से वक़्त ही गायब होने लगा है कौन खाये जा रहा है हमारे सकूं और वक़्त को ? जैसे जैसे हमने अपनी सुविधाएँ जुटानी शुरू की जैसे की अपने जीवन स्तर को ऊपर ले जाना शुरू किया तो हमारा सबसे पहले ध्यान एक सूंदर पत्नी , बच्चे। एक बड़ा घर , कार , घर में मनोरंजन का फुल सामान , बच्चों की पढाई लिखाई और न जाने क्या क्या ?और घर को गर्म ठंडा रखने के तमाम यंत्र। इसके लिए हमें पैसा चाहिए था। हमारे पास क्या था यह सब जुटाने के लिए। भगवान् का दिया एक शरीर और साथ में काम करने का हुनर। बस इसी कशम काश में अपने शरीर की बलि देते हुए अपने वक़्त को बेच कर धन पैसा कमाने लगे और पूरे जीवन को रक्त और वक्त की कमी में धकेल दिया।

वक़्त के एक एक पल से युग बन कर बीत गए। इस वक़्त ने रामायण और महाभारत काल भी देखा। वक़्त गवाह है हमारी पूरी हिस्ट्री का हमारी उन्नति का।
वक़्त की परिभाषा आज के सन्दर्भ में यह भी है -
oh that was really not my day
इंसान के शरीर पर मार के निशान मिट सकते है पर जिसे कहते है न वक़्त की मार वोह इंसान को उठने नहीं देती।

वक़्त मेहरबान तो गधा पहलवान यानी की इंसान खुद कुछ नहीं उसकी काम याबी वक़्त की गति पर निर्भर करती है। अर्थात उचित अवसर उचित समय।

आज मेडिकल साइंस भी हमारी जीवन और मृत्यु के बीच की घडी को गोल्डन ऑवर के नाम से बुलाते है। हार्ट अटैक होने या स्ट्रोक पड़ने पर एक खास वक़्त की सीमा में ही बचाया जा सकता है वर्ना मौत का वक़्त आ जायेगा। वक़्त की रफ़्तार ने हमारी जीवन की गाड़ी को , पारिवारिक रिश्तों को बदल कर रख दिया है। बच्चों के पास अपने बुजर्गो के पास कुछ पल बैठने का भी वक़्त नहीं है ,माँ बाप ने दिन रात एक कर के बच्चों के लिए सुविधाएँ जुटाई लेकिन अपने जीवन के कीमती वक़्त को अपने लिए इस्तेमाल न कर पाए ,ज्यादा पैसा कमाने के चक्र में समय से पहले बूढ़े होने लगे बीमार पड़ कर दुनिया से जल्द विदा होने लगे। पहले जहाँ इंसान 100 वर्ष से ऊपर पहुँच जाते थे आज 40 साल की उम्र में ही स्वर्ग सिधार जा रहे हैं।






सोचते सोचते नींद आ गई सपने में दिवार पे टंगे घड्याळ को मुस्कराते देखा वह मुझ बात करना चाहता था " बोला वक़्त को वश में करने के लिए ही तूने मुझे बनाया था न ? मुझ पर विजय पाने के लिए ही मुझे अपाहिज बनाया एक बाजू मेरा छोटा और एक बड़ा लेकिन फिर भी तेरा दिल मेरी टिक टिक से रात में कितना घबराता है डरता है अपने एकांत जीवन में। क्योंकि मेरी टिक टिक में ही तेरे साँसों की डोर बंधी है न जाने कब टूट जाये ? याद कर तेरे पैदा होने और मरने पर भी वक़्त मुझ से ही पूछ कर लिखा जाता है , तेरी जनम कुंडली से लेकर बियाह लगन तक सब पे मेरा ही वर्चस्व चलता है। मैंने बहुत से युगो में इंसान को गिरते पड़ते मरते देखा है। लेकिन मैं अमर हूँ पर तुम्हऐ मरने से नहीं बचा सकता हाँ जो मेरी कदर करता है मैं उसे फर्श से अर्श तक पहुंचा देता हूँ वरना गुमनामी के अंधेरों में गर्क कर देता हूँ।दुनिया में सिकंदर नाम कोई भी रख सकता है पर असली सिकंदर वक़्त ही है जिसके आगे कोई नहीं जीत सका।


वक़्त से दिन और रात
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज

*एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली*..
*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे*..!!
*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से*..
*पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला* !

दुनिया का सबसे "अच्छा तोहफा वक्त "है।
क्योंकि जब आप किसी को अपना वक्त देते हैं तो आप उसे अपनी जिंदगी का वह हँसीन पल दे देते हैं जो कभी लौट कर नहीं आने वाला "

क्योंकि जब मेरा "वक्त" था मेरे पास "वक्त "नहीं था
आज मेरे पास "वक्त "ही "वक्त" है पर मेरा "वक्त"नहीं है