Monday, October 29, 2018

ADABI SANGAM topic.....................................................समय .... WAQT. "........... TIME "...........................................[ OCTOBER ,26,2018]............................................47


   ..........समय.




 आंसुओ के गिरने से, कोई आहट नहीं होती ,
दिल के टूटने पर भी कोई आवाज़ नहीं होती ,
अगर इसमे खुदा कि मर्जी न होती तो ? ,
क्या इंसान उस खुदा का वजूद समझ भी पाता?

खुदा ईश्वर नाम है उस घडी का उस वक्त के पल का जिसमे हर कुछ घटित होता है , इंसान इसे समझे , इससे पहले वक्त कहीं और चल देता है। लेकिन जाते जाते यह जरूर कह जाता है :-
यह मेरा आखिरी सलाम है , यह मेरा न खत्म होने वाला सफर है कल मुझे कहीं और जाना है ,लोग मुझे गुजरा वक्त कहते हैं , मैं जब गुजर जाता हूँ लौट के वापिस नहीं आता ,मेरे साथ जीना है तो इसी पल जीना होगा , मेरे साथ खेलना होगा ,मुझे मालूम है मेरे चले जाने पे कुछ लोग जिनकी मेरे साथ नहीं जमती ,

 वह मेरे जाने पे बड़े खुश होते है और कुछ जो हमेशा मेरी कदर करते है वह मेरा साथ पाकर हमेशा हँसते हैं , बस यही एक पल है तुम्हारा चाहे तो मुझे पा लो चाहे खो दो , अगर यह पल गुजर गया तो मैं भी रुक न पाऊंगा , मैं भी काल चक्र से बंधा हूँ मुझे जाने से कोई रोक नहीं सकता न ही खुदा न ही खुद वक्त।

वक़्त जिसे हम आज की भाषा में टाइम के नाम से जानते हैं वह एक घडी की सुइंयों में बंधा एक काल है जो पल पल हमें याद दिलाता है की आप के जीवन की हर घडी इस मानव निर्मित घडी के हिसाब से चल रही है जैसे जैसे सूईआं आगे को बढ़ रही है वास्तव में हमारे जीवन की घड़िआ घट रहीं हैं हर सुबह दिवार पे टंगी घडी को देख कर ही हमारा दिन शुरू होता है और शाम उसे देख कर ही खत्म होता है।

जिसने भी इस वक्त के हिसाब से खुद को ढाल लिया वह जिंदगी की सीढियाँ चढ़ता हुआ एक मुकाम तक पहुँच गया और जो गफलत में वक़्त को अनदेखा करते हुए आज को कल और कल को परसों में बदलता चला गया वक़्त ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा।

अब सवाल यह है की वक़्त है क्या चीज़ जिसे हमारे पूर्वज भी और वैज्ञानिक भी खोज में लगे रहे। सिर्फ हमारी धरती ही नहीं पूरा बह्मांड एक ऐसे ही नियम से चल रहा है जिसमे निहित अदृश्य यानी की invisible cosmic forces ने एक ऐसा टाइम सिस्टम बनाया हुआ है
जिसमे सेकेंड minutes में minutes घँटों में और घंटे दिनों में दिन सप्ताह और सप्ताह महीनो से आगे चल कर वर्षों decades ,centuries और centuries ने कितने ही युग और काल बना दिए लेकिन वक़्त का कोई ठौर नहीं पा सके वक़्त की गति को कोई रोक नहीं सका

हमारे वैज्ञानिक वक़्त की खोज में time machine बनाने में लग गए। हम खोज रहे है उस वक़्त को जब चाँद और मंगल ग्रहो पर भी पृथ्वी की तरह एक बसा हुआ संसार था। वहां के जल समुन्दर हवा कहाँ खो गए , वहां के जीवों का क्या हुआ ?अब वो इंसान के रहने लायक क्यों नहीं रहे ? बहरहाल आज हम उस अनादिकाल के एक छोटे से लमहे को जी रहे है और बड़े घमंड से अपने पास वक़्त की कमी का रोना रोते रहते हैं। अब वक़्त की प्रकार और सवभाव दोनों ही बदल गए हैं

अब हमारे आस पास अक्सर लोग वक़्त की दुहाई देते मिल जायेंगे। न मिलने की एक खास वजह टाइम की कमी बता दी जाएगी। मेरे बचपन के कितने ही संगी साथी वक़्त की कमी के चलते मुझ से कई वर्षों दूर हो गये। वक़्त की रफ़्तार ने सबको अपनी गिरिफ्त में लिया हुआ है। हमारे कदम धीमे होते ही वक़्त हमें पीछे छोड़ जाता है।

this is actually the race against time, survival for the fittest, jo jeetaa wohi Sikander, There is no time still everybody is running around interestingly without any time available with them for their own life, health, family, kids. etc



हमारे बुजर्ग कहा करते थे समय बड़ा अनमोल होता है इसका सदुपयोग कर? और हमारे पास तो समय है ही नहीं तो उपयोग क्या करे वोह तब की बात थी जब लोगों के दिलो दिमाग में सकूंन था अगर सकूँ था तो टाइम भी था इसका मतलब एक बात तो साफ़ हो गई की वक़्त का होना न होना आज की दौड़ भाग वाली पैसे के लिए अंधी दौड़ का ही नतीजा है।

२ ,गुजरा वक़्त वापिस कभी नहीं आता
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होये , माली सींचे सो घड़ा ऋतू आये फल होय यह भक्त कबीर बहुत पहले कह गए थे जो आज भी सामायिक है अर्थार्थ समय से पहले पेड़ पर फल नहीं लगते , तो आज का युवक और समाज सब कुछ इतने कम समय में ही क्यों सब कुछ पा लेना चाहता है ? मेरे हिसाब से इसका सीधा तालुक हमारी शिक्षा प्रणाली को ही जायेगा जो आज इंसान कम पैसा कमाने वाले रोबोट ज्यादा तैयार कर रही है , संस्कारों को खत्म कर के एक ऐसे समाज का निर्माण कर दिया गया है जो पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरते है सिर्फ वक़्त ही नहीं है उनके पास की अपने बुजर्गो से कुछ संस्कार भी ले सके जिसकी वजह से ही आज भी बुजर्गो के पास अधिक टाइम मैनेजमेंट है और मन में सकूँन भी।

3 , मेहनत करते रहे वक़्त आने पर कामयाबी मिलेगी पर वक़्त कब मिलेगा इसका कोई जवाब नहीं हमारे पास। मैंने काफी सोचा यह एक बड़ा ही संजीदा विषय है की हमारी जिंदगी से वक़्त ही गायब होने लगा है कौन खाये जा रहा है हमारे सकूं और वक़्त को ? जैसे जैसे हमने अपनी सुविधाएँ जुटानी शुरू की जैसे की अपने जीवन स्तर को ऊपर ले जाना शुरू किया तो हमारा सबसे पहले ध्यान एक सूंदर पत्नी , बच्चे। एक बड़ा घर , कार , घर में मनोरंजन का फुल सामान , बच्चों की पढाई लिखाई और न जाने क्या क्या ?और घर को गर्म ठंडा रखने के तमाम यंत्र। इसके लिए हमें पैसा चाहिए था। हमारे पास क्या था यह सब जुटाने के लिए। भगवान् का दिया एक शरीर और साथ में काम करने का हुनर। बस इसी कशम काश में अपने शरीर की बलि देते हुए अपने वक़्त को बेच कर धन पैसा कमाने लगे और पूरे जीवन को रक्त और वक्त की कमी में धकेल दिया।

वक़्त के एक एक पल से युग बन कर बीत गए। इस वक़्त ने रामायण और महाभारत काल भी देखा। वक़्त गवाह है हमारी पूरी हिस्ट्री का हमारी उन्नति का।
वक़्त की परिभाषा आज के सन्दर्भ में यह भी है -
oh that was really not my day
इंसान के शरीर पर मार के निशान मिट सकते है पर जिसे कहते है न वक़्त की मार वोह इंसान को उठने नहीं देती।

वक़्त मेहरबान तो गधा पहलवान यानी की इंसान खुद कुछ नहीं उसकी काम याबी वक़्त की गति पर निर्भर करती है। अर्थात उचित अवसर उचित समय।

आज मेडिकल साइंस भी हमारी जीवन और मृत्यु के बीच की घडी को गोल्डन ऑवर के नाम से बुलाते है। हार्ट अटैक होने या स्ट्रोक पड़ने पर एक खास वक़्त की सीमा में ही बचाया जा सकता है वर्ना मौत का वक़्त आ जायेगा। वक़्त की रफ़्तार ने हमारी जीवन की गाड़ी को , पारिवारिक रिश्तों को बदल कर रख दिया है। बच्चों के पास अपने बुजर्गो के पास कुछ पल बैठने का भी वक़्त नहीं है ,माँ बाप ने दिन रात एक कर के बच्चों के लिए सुविधाएँ जुटाई लेकिन अपने जीवन के कीमती वक़्त को अपने लिए इस्तेमाल न कर पाए ,ज्यादा पैसा कमाने के चक्र में समय से पहले बूढ़े होने लगे बीमार पड़ कर दुनिया से जल्द विदा होने लगे। पहले जहाँ इंसान 100 वर्ष से ऊपर पहुँच जाते थे आज 40 साल की उम्र में ही स्वर्ग सिधार जा रहे हैं।






सोचते सोचते नींद आ गई सपने में दिवार पे टंगे घड्याळ को मुस्कराते देखा वह मुझ बात करना चाहता था " बोला वक़्त को वश में करने के लिए ही तूने मुझे बनाया था न ? मुझ पर विजय पाने के लिए ही मुझे अपाहिज बनाया एक बाजू मेरा छोटा और एक बड़ा लेकिन फिर भी तेरा दिल मेरी टिक टिक से रात में कितना घबराता है डरता है अपने एकांत जीवन में। क्योंकि मेरी टिक टिक में ही तेरे साँसों की डोर बंधी है न जाने कब टूट जाये ? याद कर तेरे पैदा होने और मरने पर भी वक़्त मुझ से ही पूछ कर लिखा जाता है , तेरी जनम कुंडली से लेकर बियाह लगन तक सब पे मेरा ही वर्चस्व चलता है। मैंने बहुत से युगो में इंसान को गिरते पड़ते मरते देखा है। लेकिन मैं अमर हूँ पर तुम्हऐ मरने से नहीं बचा सकता हाँ जो मेरी कदर करता है मैं उसे फर्श से अर्श तक पहुंचा देता हूँ वरना गुमनामी के अंधेरों में गर्क कर देता हूँ।दुनिया में सिकंदर नाम कोई भी रख सकता है पर असली सिकंदर वक़्त ही है जिसके आगे कोई नहीं जीत सका।


वक़्त से दिन और रात
वक़्त की हर शै गुलाम
वक़्त का हर शै पे राज

*एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली*..
*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे*..!!
*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से*..
*पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला* !

दुनिया का सबसे "अच्छा तोहफा वक्त "है।
क्योंकि जब आप किसी को अपना वक्त देते हैं तो आप उसे अपनी जिंदगी का वह हँसीन पल दे देते हैं जो कभी लौट कर नहीं आने वाला "

क्योंकि जब मेरा "वक्त" था मेरे पास "वक्त "नहीं था
आज मेरे पास "वक्त "ही "वक्त" है पर मेरा "वक्त"नहीं है














Friday, January 20, 2017

POETRY COLLECTIONS :08112018- 16102020 .........................................................................................................................48


" POETRY "



💮 _*हरिवंशराय बच्चन की एक सुंदर कविता*_ ...
*खवाहिश नही मुझे मशहूर होने की*।

*आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है*।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे*।

*क्यों कि जिसकी जितनी जरुरत थी
उसने उतना ही पहचाना मुझे*।

*ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी कितना अजीब है*,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे हैं*....!!

*एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी*,
*जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं*,
और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं*।

*बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर*...
*क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है*..
*मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा*,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना*।।

*ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है*
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है*
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने*
*न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले* .!!.

एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली*..
*वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे*..!!

*सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से*..
पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला* !!!

*सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब*....
बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता*

जीवन की भाग-दौड़ में*
*क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है* ?
हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है*..

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम और*

*आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है*..

*कितने दूर निकल गए*, *रिश्तो को निभाते निभाते*..
खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते*..

लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है*,
और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते*..

खुश* *हूँ और* *सबको खुश* *रखता हूँ*,
लापरवाह* *हूँ फिर भी सबकी परवाह*
करता हूँ*..

*मालूम है कोई मोल नहीं मेरा, फिर भी*,
कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ*...!

यह जो शख्स यूँ बेफिक्र मुस्करा रहा है ,जरूर किसी दर्द ने इसे पाला होगा ,अपनी मंजिल पे खुद के बल पर पहुंचा है तो , जरूर पाऊँ में उसके छाला होगा।
संघर्ष बिना, इंसान कभी चमक नहीं सकता ,जलते दिए से ही तो उजाला होगा
शौक़ है तो जी लेना मायूसी में फिर कभी , पूरी उम्र रोने को अभी बाकी है ,
अपनी हंसी को होटों से यूँ बुझने न देना ,यही तो इक नियामत है जिसे , छीनने को दुनिया तुम्हारे पीछे पड़ी है

हर रोज की तरह "दिन की रौशनी " आज भी उमीदों में गुजर गई
बेशुमार रातें भी बोझिल " आँखों की खुमारी "में खो गई
जिस घर को अपना समझा ,मेरे नाम की रियासत नहीं थी
फिर क्यों सारी उम्र मेरी उस घर को सजाने में निकल गई ?
यह मेरा शरीर ही एक नाशवान घर था जिसकी मल्कियत भी मेरी नहीं थी

एक कुतिया रात को बाहर जा रही थी...
रास्ते में 5/6 कुत्ते मिले
कुतिया घबरा गई....
कुत्ते बोले... आप आराम से जाइये और डरिये नहीं...
हम कुत्ते हैं... इंसान नहीं...एक इन्सान की हकीकत क्या है ,

जरा सोच के बताइए उसकी ताकत ,
इज्ज़त व् गरूर क्या है ?

तूफानी हवाएँ उसे इक पल में उड़ा दें ,
नदियाँ बिफ़रे तो बहा लें जाएँ ,

बनायें हैं उसने आलिशान मकान तो क्या ?
एक जलजला हो तो सब ,
पल में ढह जाये जरा सोच के बताइए ....
आखिरएक इन्सान की हकीकत क्यां हैं ?


***************************************
💐A very nice tribute to the passing year 2018. A poem by Gulzar:


आहिस्ता आहिस्ता चल जिंदगी अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी
कुछ दर्द मिटाना बाकी है , कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है
.
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए , कुछ छूट गये
रूठों को मनाना बाकी है , रोतों को हँसाना बाकी है

कुछ हसरते अभी अधूरी हैं , कुछ काम भी और जरूरी हैं
ख्वाइशें तो घुट के रह गई इस दिल में , उनको दफनाना बाकी है

कुछ रिश्ते बन कर टूट गए कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए
उन टूटे -छूटे रिश्तों के जख्मो को मिटाना बाकी है

तू आगे चल मैं आता हूँ , क्या छोड़ तुझे जी पाउँगा ?
इन साँसों पर हक़ है जिनका , उनको समझाना बाकी है

आईस्था चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है

गुनाहों की सजा से डरता हूँ ,

जहर से ज्यादा दवा से डरता हूँ 
दुश्मनों का भी कोई खौफ नहीं ,
हम तो दोस्तों  की बेवफाई से डरते हैं

बेवफाई जिनका मिज़ाज़ था उनसे वफ़ा की उम्मीद रखी थी मैंने ,

कितना मासूम था मैं , कांटो से खुशबू की उम्मीद रखी थी मैंने ,

मोहब्बत में अक्सर दिल टूटते हमने सुने थे ,
यहाँ तो पूरी की पूरी उम्मीद ही टूटती देखी  मैंने
ज़माने के डर से टॉयलेट में छुपा रखी थी तेरी तस्वीर मैंने ,
दीदार कर सकूँ बार बार तेरा , जुलाब की गोली भी खा ली थी मैंने

कुदरत के कानून में अगर रात न होती,

तो ख्वाबों में उनसे मुलाकात कैसे होती,

उनका वायदा था की आएंगे रोज मेरे ख्वाबों में
मारे ख़ुशी के नींद ही न आई  हमको  ,

 गिला शिकवा कहाँ करते , सुनवाई कहाँ होती



आपस में एक जुट रहें, ताकत है-   तो इसी में है
देखो न ऐब उनके ,मुहब्बत है - -तो इसी में है ,
सेहत भी हो ,रोटी कपडा और मकान भी हो ?
और हमारे दिल को भी हो तस्कीन मुक्कमल ।

दुनिया में बशर के लिये नेमतें हैं- तो इसी में हैं बशर =(मन

शिकायत कौन करे

जो दर्द मिला है अपनों से , गैरों से शिकायत कौन करे,
जो जख्म दिया फूलों ने , काँटों से शिकायत कौन करे ?
इन आँखों ने जो देखा है , पग पग पर दुनिया का मंजर !
,ऐ दिल बता किस मुहँ से कहें कुछ अपनों का नाम भी आता है ,

बेहतर है खामोश रहें यह जुबान , जब कर न सके अपनों से गिला..........
.. गैरों से शिकायत कौन करे ???

"FOR MAKING TRUE FRIENDS WE DON'T NEED TO SHARE CUPS OF TEA BUT OUR HONEST VIEWS"







Friday, December 30, 2016

"मैं शायर तो नहीं " 01012019---.09112018.................................................................................................................49

"





An excellent poem by Gulzar ..will touch your heart .... if you are humane inside?

ऐ उम्र! कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!


हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता...
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले भी
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता...

खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,असल
में उनसे ही गहरे रिश्ते हमारे होते है.


किसी ने खुदा से इक दुआ मांगी,

दुआ में अपनी ही मौत मांग ली ,
खुदा ने हैरान हो के पुछा , मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या दूंगा जिसने दुआ मांगी.है .तेरी जिंदगी की.


हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान भी बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से.भी ...
हर बार कुसुर हवा का नही होता !!!
- गुलजार🌾


हर रोज की तरह "दिन की रौशनी " उमीदों में गुजर गई
बेशुमार रातें भी बोझिल " आँखों की खुमारी "में खो गई
जिस घर को अपना समझा ,मेरे नाम की विरासत भी न थी
फिर क्यों सारी उम्र मेरी उस घर को सजाने में निकल गई ?


यह मेरा शरीर ही एक नाशवान घर था जिसकी मल्कियत भी मेरी नहीं थी

यह जो शख्स यूँ बेफिक्र मुस्करा रहा है ,

जरूर किसी दर्द ने इसे पाला होगा ,

अपनी मंजिल पे खुद के बल पर पहुंचा है तो ,

जरूर पाऊँ में उसके एक छाला होगा।


संघर्ष बिना, इंसान कभी चमक नहीं सकता ये तो हकीकत है ,

दिया जलेगा तभी तो उजाला होगा

शौक़ है तो जी लेना मायूसी में फिर कभी ,

पूरी उम्र रोने को अभी बाकी है ,

अपनी हंसी को होटों से यूँ बुझने न देना ,

यही तो इक नियामत है जिसे ,

छीनने को दुनिया तुम्हारे पीछे पड़ी है


अँधेरा मिला है , तो रौशनी भी मिलेगी ,
गम मिला है। ..... तो ख़ुशी भी मिलेगी
रहता नहीं है एक ही मौसम हमेशा

आंसू गर मिलें हैं तो हंसी भी मिलेगी

खफा नहीं हूँ तुझसे " ए-गमे जिंदगी"
थोड़ा यकींन तो कर मेरी सचाई पे
जरा ,दिल लगा बैठा हूँ इन उदासियों से.
रोज रोज मिल रही मायूसियों से। ...


किस्मत का हर फुल कभी खिलता ही नही
हर कदम साथ कोई कभी चलता ही नही....!
ये तो दस्तुर है सेहर-ए-मोहब्बत का
जिसे ज्यादा चाहो वो कभी मिलता ही नही....!!


जो चाहा कभी पाया नहीं,
जो पाया कभी सोचा नहीं,

जो सोचा कभी मिला नहीं,
जो मिला ,रास आया नहीं,

जो खोया वो याद आता है पर
जो पाया संभाला जाता नहीं ,

अजीब सी पहेली है ज़िन्दगी
जिसको कोई सुलझा पाता नहीं...

जीवन में कभी समझौता करना पड़े ,
तो कोई बड़ी बात नहीं है,क्योंकि,

झुकता वही है जिसमें जान होती है,
अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है।

ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीके होते है!
जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो.!
या जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो.!
समझ लो जीना इस दुनिया में आसान नहीं होता;

और बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता.!

जिंदगी सिखाती तो है बहुत ;हर पल में
कभी हंसाती है तो कभी रुलाती भी है;
जो हर हाल मेंखुश रहना जानते हैं; यारो

उनके आगे ही सर झुकाती है।यह जिंदगी


चेहरे की हंसी से सबके गम चुराओ; तो जाने
बहुत कुछ बोलो पर सब छुपा जाओ तो जाने,

तुम्हारी ख़ुशी सब को भा जाये यह जरूरी नहीं

खुद रूठ कर भी सबको मना लो ;तो जाने


राज़ यही है जिंदगी का बस जीते चले जाओ।
"गुजरी जिंदगी को पलट कर न देखो तो जाने
तकदीर मे जो लिखा है , वह तुम्हें मिलके रहेगा।,


गर मिलने में देर है तो उसकी फर्याद न कर...

देरी की वजह को पहचान सको. तो ही जाने
जो होगा वो होकर रहेगा,तु कल की फिकर मे
आज अपनी हंसी बरकरार रख सके , तो जाने ..

जिंदगी में रोना हंसना लगा रहता है
दोस्तों ,हंस मरते हुये भी गाता है ,
मयूर नाचते हुये भी रोने लगता है....


ये जिंदगी का फंडा है बड़ा ही अजीब
दुखो वाली रात जरा भी नींद नही आती,
और खुशी वाली रात कोई सोने नहीं देता ?


जो तेरे कर्मो का फल है वह मिल रहा है
उस ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
जो हर बार टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;

मन की हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।


"सांस और साथ"जिंदगी में टूट ही जाते हैं
एक के टूटने से तो इंसान मर ही जाता है;
दूसरा टूटने से जीने को भी तरस जाता है ।

🌿
जीवन का सबसे बड़ा तुम्हारा कसूर '
किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।

औरजीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि -
किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।


जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;

जब तक न पड़े चोट हथोड़े की ;
पत्थर से भी कभी भगवान नहीं बनता

जरुरत के मुताबिक जिंदगी जीना सीखो -
ख्वाहिशों के आधीन हो कर नहीं।

जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।

जिंदगी में गर मांगना ही पड़े तो। ……
अपने परवरदिगार से मांगो;

जो सब को देता है गर वो दे दे

तो उसकी रहमत समझना ,
न कुछ भी मिले तो किस्मत;समझना


दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;दोस्तों
गर दे देंगे तो एहसान करेंगे, न दे तो शर्मिंदगी

समझना कौन देगा तुमेह , जीवन भर का सहारा।
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।


कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग में और
'नकामी' को दिल में जगह न दे देना
कामयाबी से दिमाग अकड़ जायेगा
नाकामी में दिल पूरा ही , डूब जायेगा ।


पानी में प्रतिबिम्ब होने से , तस्वीर कहाँ बनती है,
ख्वाबों के जाल बुनने से तकदीर भी कहाँ बनती है,?
किसी रिश्ते को निभाना तो सच्चे दिल से निभाना ,
ये जिंदगी बेशकीमती है सिर्फ एक बार मिलती है!


कौन किस से जान कर ,कभी दूर होता है,
शायद वोह खुद हालातों से मजबूर होता है,
हम तो बस इतना समझते है ,इस दुनिया के मंजर को
यहाँ हर रिश्ता "मोती"और हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।

ज़िंदगी किताबों मे नही होती, ज़िंदगी ख्वाबों में नही होती
कांटे भी सहने पडते हैं सबको, ज़िंदगी गुलाबों में नही होती

सरेआम खिलती है ज़िंदगी, ज़िंदगी नकाबों में नही होती
मयकदों में भटकने वालों, ज़िंदगी शराबों में नही होती


ज़िंदगी को बेहिसाब रहने दे, ज़िंदगी हिसाबों में नही होती
ज़िंदगी को ज़िंदगी में ही ढूंढ, ज़िंदगी खिताबों में नही होती

ज़िंदगी तो खुद इक सवाल है, ज़िंदगी जवाबों में नही होती
खुली बिखरी पडी है हर जगह, ज़िंदगी नकाबों में नही होती ...



एक आदमी स्कूटर पर बैठ कर
पिक्चर हाल के सामने सरदार से पूछ बैठा :-
आदमी :- भाईसाहब , स्कूटर स्टैंड कहाँ है ?
सरदार :- भाईसाब , पहले आप अपना नाम बताइये ?
आदमी :- रमेश !

सरदार :- आपके माता पिता क्या करते हैं ?
आदमी :- क्यों ? वैसे भाईसाब मैं , लेट
हो जाऊंगा और पिक्चर शुरू हो जाएगी !
सरदार :- तो जल्दी बताओ ??
आदमी :- मेरी माँ , एक डॉक्टर हैं और मेरे
पिता जी इंजीनियर हैं ! अब बता दीजिये ?
सरदार :- आपके नाम कोई जमीन जायजाद है ?
आदमी :- हाँ , गांव में एक खेत मेरे नाम है ? प्लीज़ भाईसाब
अब बता दीजिये स्कूटर का स्टैंड कहाँ है ?
सरदार :- आखिरी सवाल , तुम पढ़े लिखे हो ?
आदमी :- जी हाँ ! मैं, MBA कर रहा हूँ ! अब बताइये जल्दी से !
सरदार :- भाईसाब , देखिये आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि इतनी अच्छी है ,
आपके माता पिता दोनों उच्च शिक्षित हैं , आप खुद भी इतने पढ़े लिखे हैं ,
पर मुझे अफ़सोस है कि आप इतनी सी बात नहीं जानते कि....
स्कूटर का स्टैंड उसके नीचे लगा होता है ,.....

तेरी बेरुखी को भी, रुतबा दिया हमने

प्यार का हर फ़र्ज़ भी अदा किया हमने


मत सोच की हम भूल गए हैं तुझको

आज भी खुद से पहले, तुझे याद किया हमने


अँधेरा मिला है , तो रौशनी भी मिलेगी ,
गम मिला है। ..... तो ख़ुशी भी मिलेगी

रहता नहीं है एक ही मौसम हमेशा

आंसू गर मिलें हैं तो हंसी भी मिलेगी


A very rich man took his son to a village to show what poverty is all about IN THIS COUNTRY :
After the trip, he asked his son about poverty...

The son replied THINKING :
We have 1 dog ........... ...... They had 4...
We have a small pool....🚿...They have a long river...

We've lamps..... they've stars...
We've a small piece of land.......They've large fields......
We buy food..... They grow their & eat fresh.......🍠🍍🍐🌽🍌

They have friends to play..........We don't have friends, we have to play with Computers PS.....

They have happiness.😀 We have only money......💸💶

Their fathers have time for their children.....👪 Our father doesn't have.......⏰

The boy's dad was speechless.....🙊

Then the boy said ''thanks dad for showing me how poor we are?

Life is all about how we see, interpret & accept things..!


💯 ✅
खफा नहीं हूँ तुझसे " ए-जिंदगी"
थोड़ा यकींन तो कर मेरी सचाई पे जरा ,

दिल लगा बैठा हूँ इन उदासियों से






शराब भी क्या क्या कहानियां बनवा देती है ,
पति जब पी कर आते है तो कोई न कोई बहाना भी खरीद कर ले आतें हैं , यह शराबी कभी सुधरेंगे नहीं , देख लो

सोमवार की रात :-
पत्नी : आज तुम दारु पीके आये हो ! क्यों ?

पति :-: अरे आज न ऑफिस मे फॉरेन क्लाइंट्स के साथ मीटिंग थी तो पीनी पड़ी

मंगलवार की रात;-

पत्नी : आज तुम फिर दारु पीके आये हो ! क्यों ?

पति : अरे आज मेरे एक फ्रेंड की इंगेजमेंट थी तो उसने पार्टी दी थी इसलिए

बुधवार:- रात

पत्नी : आज भी तुम फिर पीके आये हो ?.

पति : अरे आज एक फ्रेंड का ब्रेकअप हो गया था तो ..वो बहुत उदास था तो उसका मूड फ्रेश करने के लिए साथ देना पड़ा ..

बृहस्पतिवार :- Night:

पत्नी :- आज फिर से ..अब किसका ब्रेकअप हो गया ?

पति : ब्रेकअप नहीं ...आज ऑफिस मैं वर्क लोड बहुत था ...बहुत टेंशन थी ....इसलिए

फ्राइडे : Night:

पत्नी : आज क्यों ?

पति : अरे जिस फ्रेंड की इंगेजमेंट थी न ट्यूसडे को , आज उसकी शादी थी ...तो ख़ुशी के मौके पे तो पीनी ही पड़ती है ....समझ गयी न

शनिवार : Night:

पत्नी : हम्म्म ..अब ?

पति : आज पुराने स्कूल फ्रेंड्स मिल गए थे बोले ३१ दिसंबर है नया साल मनाते हैं , तो वो डिस्को ले गए और ज़बरदस्ती पिला दी ..मैंने बहुत मना भी किया पर माने ही नहीं ..

रविवार : Night:

पत्नी (गुस्से से ): यह रोज रोज का क्या नाटक है ,अब आज क्या हो गया है बताओ ?.

पति : भागवान इतना काम पूरे सप्ताह करने के बाद इतना शरीर थक जाता है , टूटने लगता है ,दिल करता है न की कुछ हो जाए ?आज मेरा मूड था तो मरता क्या न करता


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...A lovely poem from Gulzar...


कुछ हँस के

बोल दिया करो,

कुछ हँस के

टाल दिया करो,

यूँ तो बहुत

परेशानियां है

तुमको भी

मुझको भी,

मगर कुछ फैंसले

वक्त पे डाल दिया करो,

न जाने कल कोई

हंसाने वाला मिले न मिले..

इसलिये आज ही

हसरत निकाल लिया करो !!

समझौता

करना सीखिए..

क्योंकि थोड़ा सा

झुक जाना

किसी रिश्ते को

हमेशा के लिए

तोड़ देने से

बहुत बेहतर है ।।।

किसी के साथ

हँसते-हँसते

उतने ही हक से

रूठना भी आना चाहिए !

अपनो की आँख का

पानी धीरे से

पोंछना आना चाहिए !

रिश्तेदारी और

दोस्ती में

कैसा मान अपमान ?

बस अपनों के

दिल मे रहना

आना चाहिए...!

- गुलज़ार😊




हमारी तो फितरत ही कुछ ऐसी है कि


हम तो रोते हैं उस हवा के झोंके को भी ,

जिसका कसूर सिर्फ इतना ही था

की वोह छूकर हमे निकल गया।इक जब्र है अब एहसास ए वफ़ा ,

यह दिल में बसाना ठीक नहीं ,

अब साज़े दिल ,दिल अफ़सुर्दा पर

इस गीत को गाना ठीक नहीं .


तुम भूल चुके यह सब बेहतर है ,

तुम छोड़ चले यह और भी अच्छा .

ख्वाबों में मगर मजबूरों के ,

यह आना जाना भी ठीक नहीं .


कह दो के नहीं हम मिल सकते।

कह दो के कोई मजबूरी है .

लेकिन यह लबों तक ला ला कर

बातों को छुपाना ठीक नहीं .


ऐय शोक इ जुनुओ अब बाज भी आ,

कुछ मान भी ले तु मेरा कहा .

जो जान के भी अनजान बने ,

जो जान के भी अनजान बने ,

गम उसको सुनाना ठीक नहीं