Friday, March 4, 2011

हिसाब किताब , रखने का "आसान तरीका "KEEP YOUR ACCOUNTS FOOL PROOF ------ NO AUDITS REQUIRED.?

नई नई शादी हुई थी , पति ने पत्नी से कहा :-हमारे कमरे की जो अलमारी है न ? उसमे एक दराज मेरा होगा ! जिसे तुम भी खोल कर कभी नहीं देखोगी . मैं उस पर अपना लाक लगा कर रखूँगा .
पत्नी ने कोई इतराज नहीं किया और ख़ुशी से एक दराज अपने पति को ताला लगाने दिया , पति ने उसमे अपना सामान रखना शुरू कर दिया , सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा .
 तीस साल बीत गए ,अचानक एक दिन पत्नी ने देखा की आज दराज का ताला , पति लगाना भूल गए हैं ,उसने उसमे झांक कर देखा तो पाया की उसमे " तीन गोल्फ की बाल्स और सिर्फ १०००/- रुपए नकद थे "


पति के लोटने पर उसने दराज खोल कर दिखाते हुए कहा " यह क्या रखा है इसमें , गोल्फ बाल्स ?" इसी के लिए तुम इसे लाक कर के रखते थे ? पति ने खुद को संभालते हुए बोला " दरअसल यह बाल्स मैंने अपनी महिला मित्रों की गिनती रखने के लिए रखी हैं ,"मैं जब भी अपनी किसी महिला मित्र के साथ घुमने जाता था तो लोट कर एक बाल दराज में डाल देता था " तीन गोल्फ बाल्स देख कर पत्नी बड़ी खुश हुई की चलो पिच्छले तीस सालों में उसके पति ने सिर्फ तीन बार बेवफाई की ?


पत्नी :-लेकिन यह १०००/रुपे सिर्फ ?
पति ने कुछ सोचते हुए बोला :- शायद जब बाल्स काफी हो जाती थी न , दराज भर जाती थी , तो मै बाल्स को १२/- रुपए दर्जन के हिसाब से बेच देता था , यह उसी के पैसे हैं , मैंने अभी तक हिसाब ही  नहीं जोड़ा था 1

राजेंद्र नागपाल

MARCH 4TH,2011

मुश्किलें ही  होंसलों को  आजमाती हैं...
आँखों पे पड़ी यह गफलत की खुमारी .
सच्चाई पे पड़ी ,झूट की चिलमन ,
दिमागी अक्स  से धुल भी यह हटाती हैं 

मुश्कलें न होती राहों में,तो मंजिलें भी क्या होती !
न होती नींद तो ,सपनो की बिसातभी  क्या होती ?
 ठोकरें खा  खा ,के हौसला न खो राह में ऐ मुसाफिर,
यही दिक्कतें ही तो मानुष को,, इंसान बनाती हैं...?.

Wednesday, March 2, 2011

23 rd january 2011

 पति डॉक्टर से :-पत्नी का ऊपरी होंठ फट गया है । डॉक्टर ने टांके लगाने के 10 रुपए मांगे। 
 पति ने 20 रुपए का नोट दिया " मेरी समस्या  दोनों होंठों पर टांके लगाने पर ही हल होगी "
  जरा ठीक से सीना , बहुत बोलती है ,कहकर ऑपरेशन रूम से बाहर आ गया।

  मत रखना कभी उम्मीद वफ़ा की हमसे ,
 हम ने तो हर कदम पर बेवफाई पाई है ,
 जख्मों के निशाँ मेरे जिस्म पर ढूँढ़ते हो ?
  हमने तो हर चोट अपने दिल पे खाई है
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