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Monday, September 15, 2014

SOME SOCIAL EVENTS WITH CLASSIC STORYS 16102020- 01012019-- 250216--A .....................................................56















250216--A


"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
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जब हम मर जाते है, हमारा कमाया हुआ पैसा बैंक में या घर की तिजोरी में ही रह जाता है।   जब हम जिंदा रहते हैं तब हमें ये पैसा कम लगता है और इसको बढाने में लगे रहते है और खर्च नहीं करते है।

एक चीनी धनवान मर गया और अपनी विधवा को करीब 190 अरब डालर छोड़ गया। उसकी विधवा ने उनके ड्राईवर से शादी कर ली। कुछ समय बाद ड्राईवर की बीवी भी मर गयी।

ड्राईवर ने कहा " मै सारी उम्र ये सोचता रहा के मै अपने मालिको के लिए काम करता हूँ लेकिन आज मुझे ऐसा लग रहा है की मालिक लोग मेरे लिए काम करते थे "

एक कटु सत्य : ज़िन्दगी जायदा उम्र तक जीना और स्वस्थ रहना जायदा जरूरी है बजाय के अधिक धन संचय के।

जीवन की कुछ सचाइयां :
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** एक महंगे मोबाइल फ़ोन के 70% features ( आकर्षण) हम उपयोग ही  नहीं कर पाते।

** एक बहुत महंगी कार की 70% रफ़्तार की हमें जरूरत नहीं है।

** एक आलीशान बंगले का हम 70% उपयोग नहीं कर पाते।

** एक कपड़ो से भरी अलमारी के 70% कपडे हम नहीं पहन पाते।

** एक पूरी ज़िन्दगी की कमाई का 70% हम दुसरो के उपयोग के लिए छोड़ जाते हैं।

** इसलिए हम जो 30% का उपभोग करते हैं उसका पूर्ण उपयोग करे और इसमें ही    ---***सीमित रहने का प्रयास करे। और अंत में मित्रो
थोडा है थोड़े की जरूरत है।
जियो दिल से दोस्त  ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा " जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये, जीने का शौक भी रखिये "

शमशान ऐसे लोगो की राख से भरा पड़ा है जो समझते थे दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती
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मैंने भगवान से वरदान माँगा
कि दुश्मनों से
पीछा छुड़वा दो,
अचानक दोस्त
कम हो गए...

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

" जितनी भीड़ ,बढ़ रही ज़माने में..।
लोग उतनें ही,  अकेले होते जा रहे हे...।।।

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

इस दुनिया के लोग भी कितने
अजीब है ना ;  सारे खिलौने छोड़ कर
जज़बातों से खेलते हैं...

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

किनारे पर तैरने वाली  लाश को देखकर
ये समझ आया...   बोझ शरीर का नही
साँसों का था....

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

दोस्तो के साथ जीने का इक मौका
दे दे ऐ खुदा... तेरे साथ तो हम मरने के बाद
भी रह लेंगे....

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

“तारीख हज़ार
साल में बस इतनी सी बदली है…
तब दौर पत्थर का था अब लोग
पत्थर के हैं..."

º•○●º•○●º•○●º•○●º•○●

हम वक्त और हालात के
साथ 'शौक' बदलते हैं,,
दोस्त नही ... !!



󾬏 बड़ा महत्व है एक बार पढ़ के तो देखो.
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ससुराल में साली का  बाग़ में माली का
होंठो में लाली का  पुलिस में गाली का
मकान में नाली का कान में बाली का
पूजा में थाली का खुशी में ताली का------

बड़ा महत्व है

फलों में आम का भगवान में राम का
मयखाने में जाम का फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का-------
बड़ा महत्व है

व्यापार में घाटा का लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का  जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का----
-बड़ा महत्व है

फ़िल्म में गाने का  झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का  अंधों में काने का
परिंदों में दाने का-----
बड़ा महत्व है

ज़िंदगी में मोहब्ब्त का  परिवार में इज्ज़त का
तरक्की में किसमत का  दीवानो में हसरत का--
----बड़ा महत्व है

पंछियों में बसेरे का  दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का  शादी में फेरे का-
-----बड़ा महत्व है

खेलों में क्रिकेट का  विमानों में जेट का
शारीर में पेट का  दूरसंचार में नेट का-----
बड़ा महत्व है

मौजों में किनारों का  गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का  प्यार में इशारों का-
-----बड़ा महत्व है

खेत में फसल का  तालाब में कमल का
उधार में असल का  परीक्षा में नकल का-----
बड़ा महत्व है

ससुराल में जमाई का  परदेश में कमाई का
जाड़े में रजाई का  दूध में मलाई का ----
-बड़ा महत्व है

बंदूक में गोली का  पूजा में रोली का
समाज में बोली का  त्योहारों में होली का
श्रृंगार में चोली का----
-बड़ा महत्व है

बारात में दूल्हे का  
रसोई में चूल्हे का-------
बड़ा महत्व है

सब्जियों में आलू का  बिहार में लालू का
मशाले में बालू का  जंगल में भालू का
बोलने में तालू का-------बड़ा महत्व है

मौसम में सावन का  घर में आँगन का
दुआ में दामन कालंका में रावन का------
-बड़ा महत्व है

चमन में बहार का  डोली में कहार का
खाने में अचार का  मकान में दीवार का----
-बड़ा महत्व है

सलाद में मूली का  फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का  स्टेशन में कूली का----
--बड़ा महत्व है

पकवानों में पूरी का  रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का  रसोई में छूरी का ---
-बड़ा महत्व हैै

LAST ONE
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खेत में साप का  सिलाई में नाप का
खानदान में बाप का
और
FACEBOOK पर आप का----
बड़ा महत्व है


कुछ न कुछ महत्व जरूर होता है  कुछ इसे समझते हैं और कुछ

हमारी जिंदगी में हर चीज़ को ,  समझ के भी नादाँ बने रहते हैं ?


Saturday, July 26, 2014

खुशिओं का घरोंदा कहाँ है ? 01012019--270214 ...........REAL HAPPINESS ......................................................................57

where is my happiness

?

खुशिओं का घरोंदा कहाँ है 
On Teacher's Day:

No matter how much you learn from other teachers in school or college life, our training starts at home in the lap of our mother. Amongst the first teachers in the world, are at home. Moms teach basics at home and Dads teach, how to deal with the world outside. ..my dad carried me on his shoulders to show me around and kept me tied with his chest when I felt insecure, My Dad taught me how to be generous while being strong with a message that no one can afford to be indecent with you if you are strong, how to always be nice to the neighbourhood as a tough time they are the first aid when you are in trouble? how to take first steps to rally people around for a good cause; being socially active without being politically ambitious, how some of the available time and money needs to be spent on society, how to keep emotions in control; not to dance when happy and not to weep when sad ... At the outside world, every friend and adversary I met, taught me something. Thanks all. You all will remain my teacher, forever. TO TOP IT ALL I CAN NOT FORGET THE SEEDLINGS WHICH MY TEACHERS GAVE IN SCHOOL WHICH HAS MADE ME WHAT I AM TODAY? HATS OFF TO MY TEACHERS AND GUIDES.


ARE YOU HAPPY ??
We ARE all searching for happiness. it does not come with our wishes
In achieving this happiness our attitude in life plays a crucial role. one instance goes like this:----

After years of hard dedicated service to his Company, Ajay was being appointed at an elegant reception as the new Director.
It was a small function where his wife Anita, a Home Executive & some of the wives of the other persons in top management were also present.

In an adjacent room, Ann, the wife of the CEO of the Company, asked Ajay's wife a very odd & usual question; are you happy at the elevation of your husband to directors level? "Does your husband make you happy at home?

The husband, Ajay, who at that moment was not at her side, but was sufficiently near to hear the question, became alert and, paid attention to the conversation, sitting up slightly, feeling secure, even filling his chest lightly in pride & hope, that his wife would definitely not publically lower or degrade her husband, would answer affirmatively, since she had always been there for him during their marriage and generally in life.

Nevertheless, to both his & the others' surprise, she replied simply;
"No, no he doesn't make me happy…" who is he to make me happy?
The room became uncomfortably silent as if everyone were listening to the spouse's response. they all expected some exposure of a sort.


There was a sudden coldness in the air. The husband was petrified.
A frown appeared on his face. He couldn't believe what his wife was saying, especially at such an important occasion for him.

To the amazement of her husband & of everyone!
Anita sat up firmly & explained in a modest but stern tone to the other wives who were present;

"No, he doesn't make me happy… I AM HAPPY. The fact that I am happy or not doesn't depend on him but on me.AND my own thoughts
GOD has granted each of us intellect & discretion to reason, interpret & decide.
GOD made me the person upon which my happiness depends.
I make the choice to be happy in each situation at each moment of my life.
If my happiness were to depend on other people, on other things or circumstances on the face of this earth, I would be in serious trouble!

Over my life I have learned a couple of things:
I decide to be happy & the rest is a matter of 'experiences or circumstances' like helping, understanding, accepting, listening, consoling & with my spouse, I have lived & practised this many times.
Honestly, true happiness lies in being content"

Moral of the story is :
Happiness will always be found in contentment, forgiveness & in loving yourself & others.
To love everyone is difficult, but it is to forgive unconditionally which gives you immense satisfaction, to live, to take the "experiences or circumstances" as they are, facing them together & being happy with conviction.

There are those who say I cannot be happy :
· Because I am sick.
· Because I have no money.
· Because it's too cold.
· Because they insulted me.
· Because someone stopped loving me.
· Because someone didn't appreciate me.

Because someone cheated me and took my money
But what you don't know is that you can be happy even though you are sick, whether it is too hot, whether you have the money or not, whether someone has insulted you, or someone didn't love you or hasn't valued you.

Being Happy is an attitude about life & each one of us must decide!

Tuesday, July 22, 2014

MONEY'S WORTH ................................... 01012019-, 250216 ..........................................................................................58

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "
ऑस्ट्रेलिया भ्रमण 



यह दिल है की मानता ही नही 

एक राजमहल के द्वार पर बड़ी भीड़ लगी थी। किसी फकीर ने सम्राट से भिक्षा मांगी थी। सम्राट ने उससे कहा, ''जो भी चाहते हो, मांग लो।'' 

दिवस के प्रथम याचक की कोई भी इच्छा पूरी करने का उसका नियम था। उस फकीर ने अपने छोटे से भिक्षापात्र को आगे बढ़ाया और कहा, ''बस इसे स्वर्ण मुद्राओं से भर दें।राजा '' सम्राट ने सोचा इससे सरल बात और क्या हो सकती है! 

लेकिन जब उस भिक्षा पात्र में स्वर्ण मुद्राएं डाली गई, तो ज्ञात हुआ कि उसे भरना असंभव था। वह तो जादुई था। जितनी अधिक मुद्राएं उसमें डाली गई, वह उतना ही अधिक खाली होता गया! 

सम्राट को दुखी देख वह फकीर बोला, ''न भर सकें तो वैसा कह दें। मैं खाली पात्र को ही लेकर चला जाऊंगा! ज्यादा से ज्यादा इतना ही होगा कि लोग कहेंगे कि सम्राट अपना वचन पूरा नहीं कर सके !'' 

सम्राट ने अपना सारा खजाना खाली कर दिया, उसके पास जो कुछ भी था, सभी उस पात्र में डाल दिया गया, लेकिन अद्भुत पात्र न भरना था , सो न ही  भरा। तब उस सम्राट ने पूछा, ''भिक्षु, तुम्हारा पात्र साधारण नहीं है। उसे भरना मेरी साम‌र्थ्य से बाहर है। क्या मैं जान  सकता हूं कि इस अद्भुत पात्र का रहस्य क्या है?'' 

वह फकीर हंसने लगा और बोला, ''कोई विशेष रहस्य नहीं।मैं तो राजन आपको यह सन्देश देने आया हूँ कि , यह पात्र मनुष्य के हृदय समान है ,ईसे बनाया गया है।

 क्या आपको ज्ञात नहीं है कि मनुष्य का हृदय कभी भी भरा नहीं जा सकता? हमारा दिल इछाओं का गुलाम है ,धन से, पद से, ज्ञान से- किसी से भी भरो, वह खाली ही रहेगा, क्योंकि इन चीजों से भरने के लिए वह बना ही नहीं है।

 इस सत्य को न जानने के कारण ही मनुष्य जितना पाता है, उतना ही उसकी लालसा और बढ़ जाती है , हर इच्छा के आते ही  दरिद्र होता जाता है। हृदय की इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं। क्यों? क्योंकि, हृदय तो परमात्मा को पाने के लिए बना है।''

शांति चाहते हो? संतृप्ति चाहते हो? तो अपने संकल्प को कहने दो कि परमात्मा के अतिरिक्त और मुझे कुछ भी नहीं चाहिए।




मिली थी जिन्दगी, दुनिया में
किसी के 'काम' आने के लिए..

पर वक्त बीते जा  रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..

दिल ने पुछा :-
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'

और ये मौत के फ़रिश्ते तो ,

लोक पॉल के भी बाप हैं
'रिश्वत' भी नही लेते.....!!!!!