# 533
Presented by
MR & Mrs Naginder Puri
JULY 27,2024
4:30 PM -10 PM
Topic
DUNIYA
Attendees
Mr Mrs Arora
Mrs Anu Bhanot
Ms Sukhmani Bhanot
Mr Mrs Chopra
Mrs datta Mrs Sanjay Datta
Mrs Mrs Dillion
Mr Mrs Gulati
Mr Mrs Gupta
Mrs Rita Kohli
Mr Mrs Komal kumar
Mr Mrs Rajni kumar
Mr Mrs Nagpal
Mr Mrs Sethi
Mr R d Sethi
VENUE
BOMBAY GRILL HOUSE
71-51 Yellowstone Blvd
Forest hill, Ny 11375
"
"दुनिया
Host : Mr.& Mrs Naginder Puri
Date : 07/27/2024
Topic: DUNIYA
दुनिया में हम आएं हैं तो जीना ही पड़ेगा ,
जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा ,
यह दो पंक्तियाँ इंसान की मजबूरी दर्शाती है , गरीबी , लाचारी , बीमारी से घिरा इंसान इसी प्रकार की रचना करेगा। कुछ ऐसा ही हुआ होगा उस समय जब यह गीत लिखा गया होगा जिसमे आत्मसमपर्ण ही नजर आता है दुनिया की मुसीबतों से लड़ने का जज्बा नहीं।
फिर एक नया दौर शुरू होता है , दुनिया वही है पर इंसान की सुधरती आर्थिक हालत ने उन्हें प्रसन्न रहने का , हर प्रकार की सुविधाओं को भोगने का एक अवसर मिला तो यह उदासी यह मायूसी भी काफूर हो गई और गीतों नृत्यों में इसकी झलक मिलने लगी
"इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात ,
गम छोड़ के मनाओ रंग रैली ,
मान लो जो कहता है, तुम्हारा बेली "
दुनिया ने फिर रंग बदला , अब उसके पास पैसा है , अमीरी है लोगो के पास एशोआराम के सब साधन मौजूद हैं , जगह जगह रोमांस करने का वक्त मिलने लगता है कॉलेज स्कूल में लड़के लड़कियां एक ही छत के नीचे अपने अपने सपने बुनने लगते है , जिसके सपने टूटे उसने खुद की गलतियां नहीं देखी चल पड़ा मंदिर में भगवान् की मूर्ति के सामने और चिल्लाने लगा के भगवान् सब तुम्हारा किया धरा है जैसे के भगवान् के पास पूरी दुनिया में एक लड़का लड़की प्रेम में रो रहे है तो उनका कोई उपाय भगवन ही बताये वरना भगवान् को कोर्ट में खड़ा कर दो और चौक पे खड़े होके , कोई प्रार्थना नहीं सिर्फ उसे कटघरे में खड़ा करो और पूछो "
"दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई , काहे को दुनिया बनाई , तूने काहे को दुनिया बनाई" तभी से यह दुनिया ऐसे विचारों से घिरी अपनी ही सोच में चलती रहती है और इसमें रहने वाले इसमें कल्प कल्प के बदलते बदलते इस दुनिया से विदा हो जाते है फिर भी दुनिया अपनी गति से पहले की तरह मस्त चलती रहती है , न मालूम कितने करोडो वर्षों से ?
खुद को समझना ज्यादा जरूरी है इस दुनिया को समझने से पहले ,
जिस दुनिया में बसे हो उसकी गिरती दशा को संभालना बहुत जरूरी है
किसी नई दुनिया की तलाश में , चाँद तारों और ग्रहों को खंगालने से पहले
इस पृथिवी पे बसी अपनी दुनिया की सुध तो लेना शुरू करो , जिसका वजूद ही खतरे में आ चूका है , तुम्हारे कुकर्मों से ग्लोबल वार्मिंग , समुद्रो में भी प्रदूषण , हर जीव को खतरा , नभ जल वायु सब में तुम्हारी बेवक़ूफीआं इस दुनिया को ही ख़त्म करने में लगी है ? क्या करोगे नई दुनिया खोज के पहले इसे सम्भालो जिसे तुमने नष्ट किया है
जब थोड़ा अध्यन किया तो राज खुला , दुनिया एक इस्लामिक पर्शियन शब्द है , हम इसे जो भी समझे , इस्लामिक मान्यता यह है के जो उनके कदमो के नीचे है उसकी मिटटी यह सिर्फ भोगने के लिए है इसलिए इसको दुनिया का नाम दिया, जन्नत तो वोह है जो इस निकृश्ट धरती से कहीं करोडो साल दूर है जिसको वोह अप्सराओं और हूरों का घर मानते है जिसे उनके नबी ने बनाया है उनकी किताब इसे आसमानी रचना मानती हैं , तभी उनका मानना है के इस दुनिया पे इस्लाम के लिए शहीद होना उसकी जन्नत की टिकट की गारंटी है जहाँ ७२ हूरें उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रही है
किसी ने कहा दुनिया गोल है तो किसी ने कहा चपटी ? वाह क्या बात है ?
बड़ी खोज बीन करते हो कुदरत की अपनी औकात से भी बाहर जाकर ,कभी खुद को भी ढूंढा है इस दुनिया में ? एक सूक्ष्म कण जो कहीं दिखाई भी नहीं देता।
क्या हैसियत है तुम्हारी इस रंग बदलती दुनिया में , जहाँ पल पल इंसान भी बदलता है और उसकी नियत भी , कुछ इंसान तो बस इसी बात पे खुश है के वोह यहाँ मौज मस्ती कर रहे है और कुछ सालों से जिन्दा है बाकी किसी से क्या वास्ता उनका ? हर बात में उनकी स्वार्थ ही तो है ,बातें करते है दुनिया को मुठी में बंद करने की चंद सिक्को की खनखनाहट में दबी है उनकी खुद की हैसियत ,
हे परभु की देंन न शुक्रे इंसान ,शक्ल तुम्हारी कितनी मासूम और मन इतना कपटी है ?
सब कुछ तो दिया है दाता ने तुझे , तो फिर क्यों यह छीना झपटी है ,
हे परभु की देंन न शुक्रे इंसान ,शक्ल तुम्हारी कितनी मासूम और मन इतना कपटी है ?
सब कुछ तो दिया है दाता ने तुझे , तो फिर क्यों यह छीना झपटी है ,
फिर नाम दे देते हो, यह तो दुनियादारी है , भाई इतना तो बता दो
सच को दबा कर झूठ की माला जपना कहाँ की ईमानदारी है
दुनिया में रह कर ही, दुनिया को समझना होगा
किसी को बदलने से पहले , खुद को बदलना होगा
दुनिया में रह कर ही, दुनिया को समझना होगा
किसी को बदलने से पहले , खुद को बदलना होगा
कर चुके हो बर्बाद इस खूबसूरत धरती पे बसी दुनिया को
अपने अहंकार से अपने अज्ञान से , अब कहते हैं चाँद पे
एक नई दुनिया बसायेंगे , मंगल पे भी दंगल इनका चालू है
इस दुनिया की बाढ़ों के पानी को यह सहेज न सके
चाँद और मंगल पे पानी होने की खबर से झूमना इनका चालू है
आज भी बुरी क्या है दुनिया ?कल भी ये बुरी क्या थी
किसी की सिमटी थी एक दस बाई दस के कमरे में
किसी की भटकती रहती थी , वीरान हवेलिओं में
किसी की लुढ़कती रही सड़को फुटपाथो पे
मख़मली गद्दों पर कट रही है किसी की करवटों में
फुट पाथ पे भी सो रहे है लोग बेसुध हो खरांटो में
हर तरह के लोग बसते है यहाँ जिसका नाम है दुनिया ,
आज भी बुरी क्या है दुनिया ?कल भी ये बुरी क्या थी
किसी की सिमटी थी एक दस बाई दस के कमरे में
किसी की भटकती रहती थी , वीरान हवेलिओं में
किसी की लुढ़कती रही सड़को फुटपाथो पे
मख़मली गद्दों पर कट रही है किसी की करवटों में
फुट पाथ पे भी सो रहे है लोग बेसुध हो खरांटो में
हर तरह के लोग बसते है यहाँ जिसका नाम है दुनिया ,
तुम बदलो न बदलोपर ये हमेशा बदलती रहती है
हूँ तो मैं भी इसी दुनिया में , पर दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
इसके हर बाजार से गुजरता हूँ ,परखता हूँ पर खरीदार नहीं हूँ
ये जालिम दुनिया ग़म तो देती है पर शरीक-ए-ग़म नहीं होती
यह भी तो सच है न के ,किसी के दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती
यह दुनिया है प्यारे यहाँ हर बड़ी चीज़ दिखती है
हूँ तो मैं भी इसी दुनिया में , पर दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
इसके हर बाजार से गुजरता हूँ ,परखता हूँ पर खरीदार नहीं हूँ
ये जालिम दुनिया ग़म तो देती है पर शरीक-ए-ग़म नहीं होती
यह भी तो सच है न के ,किसी के दूर जाने से मोहब्बत कम नहीं होती
यह दुनिया है प्यारे यहाँ हर बड़ी चीज़ दिखती है
शराब भले कम कर दे,गोया मुझे गिलास तो बड़े दे
मेरा थोड़ा रूतबा तो बढ़ने दे, इसमें तेरा क्या जाता है ?
तुम्हे मालुम नही क्या? के दुनिया में लोग गिलास को बाहर से देखते है अंदर से नहीं ,कितनी बर्फ है कितना पानी ,उन्हें इसी भरम में ही रहने दे
संसार, जिसे हम अपनी आँखों से देखते हैं,जिसे वह एक अद्वितीय संग्रहालय है। यहाँ पर अनगिनत जीवों का आवास है,
जो अपनी अलग-अलग जीवनशैलियों में विकसित हो रहे हैं। यहाँ पर विभिन्न भाषाएँ, संस्कृतियाँ, धर्म, और जीवन के अनगिनत रूप हैं।
दुनिया में आना अपने आप में ,संसार की अनंत गहराईयों में छुपे रहस्यों को खोजने का अद्वितीय अवसर है। यहाँ पर जन्म और मृत्यु,सुख और दुःख,सफलता और असफलता की बेशुमार कहानियाँ बसी है
संसार, जिसे हम अपनी आँखों से देखते हैं,जिसे वह एक अद्वितीय संग्रहालय है। यहाँ पर अनगिनत जीवों का आवास है,
जो अपनी अलग-अलग जीवनशैलियों में विकसित हो रहे हैं। यहाँ पर विभिन्न भाषाएँ, संस्कृतियाँ, धर्म, और जीवन के अनगिनत रूप हैं।
दुनिया में आना अपने आप में ,संसार की अनंत गहराईयों में छुपे रहस्यों को खोजने का अद्वितीय अवसर है। यहाँ पर जन्म और मृत्यु,सुख और दुःख,सफलता और असफलता की बेशुमार कहानियाँ बसी है
कुछ के लिए यह दुनिया मतलबी है किसी के लिए है यह जन्नत ,
असल में जैसा मन है वैसी दिखती है यह दुनिया
संसार की यात्रा में हम अपनी आत्मा को जानने की चाह में ,अपने जीवन के उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं।दुन्यादारी का तो नाम ही है एक दूजे का साथ देना
हम अपने पारिवारिक ,पिछले जनम के कर्मों के फल भोगते रहते हैं, और अपने अच्छे कर्मों से अन्यों की मदद करते हुए इस जीवन में और भी अच्छे कर्म कमाते रहते है ।
संसार की यात्रा एक अनंत अवेन्यु है, जो हमें हर पड़ाव पे जीवन के असली मूल्य को समझाती है।यहाँ पर हम अपने असली गुणों को पहचानते हैं, और अपने आत्मा को शुद्ध करते हैं।बचपन से जवानी और बुढ़ापे तक का इस दुनिया का सफर बहुत कुछ सिखा देता है
संसार की यात्रा में हम अपने अंतरात्मा के साथ जुड़ते हैं,
और अपने जीवन को एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं। यहाँ पर
हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगे रहते हैं ,कुछ लोग अपने अंतरात्मा की आवाज सुनते है और कुछ सिर्फ अपनी मनमानी करते है ,
संसार की अनंत विविधता में हम अपने जीवन की यात्रा करते रहते हैं।
हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं,
और अपने अनुभवों से सीखते हैं। कुछ खोते है कुछ पाते है पर इस दुनिया की सच्चाई नहीं समझ पाते है
संसार की यात्रा में हम अपनी आत्मा को जानने की चाह में ,अपने जीवन के उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं।दुन्यादारी का तो नाम ही है एक दूजे का साथ देना
हम अपने पारिवारिक ,पिछले जनम के कर्मों के फल भोगते रहते हैं, और अपने अच्छे कर्मों से अन्यों की मदद करते हुए इस जीवन में और भी अच्छे कर्म कमाते रहते है ।
संसार की यात्रा एक अनंत अवेन्यु है, जो हमें हर पड़ाव पे जीवन के असली मूल्य को समझाती है।यहाँ पर हम अपने असली गुणों को पहचानते हैं, और अपने आत्मा को शुद्ध करते हैं।बचपन से जवानी और बुढ़ापे तक का इस दुनिया का सफर बहुत कुछ सिखा देता है
संसार की यात्रा में हम अपने अंतरात्मा के साथ जुड़ते हैं,
और अपने जीवन को एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं। यहाँ पर
हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगे रहते हैं ,कुछ लोग अपने अंतरात्मा की आवाज सुनते है और कुछ सिर्फ अपनी मनमानी करते है ,
संसार की अनंत विविधता में हम अपने जीवन की यात्रा करते रहते हैं।
हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों का सामना करते हैं,
और अपने अनुभवों से सीखते हैं। कुछ खोते है कुछ पाते है पर इस दुनिया की सच्चाई नहीं समझ पाते है
बस जब कुछ कुछ समझने लगते है के अचानक दिल की घडी की टिक टिक बंद हो जाती है , हमारे विदा होते ही , उसकी जगह लेने एक और इंसान आ जुटता है और दुनिया का सफर युहीं अनवरत चालू रहता है
यही है प्यारे दुनिया ,घूमती रहती है घुमाती रहती है , मिलती है मिलाती भी है फिर अचानक एक दिन सब छोड़ के खाली हाथ चले जाते है न जाने कहाँ और किसके पास ? इसी रहस्य की खोज में इंसान बार बार जनम लेते लेते मर जाता है पर दुनिया उसी गति से चलती रहती है जीना हमें नहीं आया और पूछने लगे परमात्मा से ऊँची ऊँची आवाज में -
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई। काहे को दुनिया बनाई , तूने काहे को दुनिया बनाई
दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई। काहे को दुनिया बनाई , तूने काहे को दुनिया बनाई
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