Logistics: Meeting# 500 ASVM# 17, May 29:
Topic: Yaad, Memory or to remember.
Part one: Dr Mahtab ji
Part two: Rajni Ji
Story: 6-minute article by Rita Ji, followed by a short story by Mukesh Ji.
Ashok S Ji will send the link.
Please advise your attendance with Participation as soon as possible. Thanks🙏🙏
गुजर जाते हैं ----- खूबसूरत लम्हें ---
युहीं मुसाफिरों की तरह , -------छोड़ के यादों के निशाँन
भूली बिसरि राहों से गुजरे , जो हम कभी,
मंजिल तो मिलती क्या हमें ?
हर कदम पर खोयी हुई कुछ यादें जरूर मिल गयी।
क्योंकि इंसान गुजर जाता है ,अपने मकसद की राहों में ,
यादें वहीँ खड़ी रह जाती है --- सुनसान खंडरों की तरह
एक उम्र के बाद --उस उम्र की बातें --उम्र भर याद आती है
पर वोह "उम्र "जो गुजर गई फिर "उम्र भर " नहीं आती ------
आती हैं तो सिर्फ यादें ---और ढेर सी कचोटती यादें
सब कुछ मिट जाए बर्बाद हो जाए ,
हर इतिहास दफ़न हो जाता है ,
उन्ही खंडहरों से अक्सर
, यादें फिर भी उभर आती हैं --जेहन से टकराती है -- कदम रोक लेती हैं कभी कभी ,
बड़े बड़े बादशाह ,सेनापति दुनिया से चले गए , लेकिन उनके छोड़े हुए किले ,महल , साजो सामान आज भी लोग सैलानी बन बड़े चाव से देखने जाते है
और उन लम्हों की यादो को खुद महसूस करते है.
सोचो इंसान का वजूद ही क्या होता ?अगर उससे जुडी यादें न होती ?
कोई किसी का रिश्तेदार न होता, कोई कर्जदार न ही कोई देनदार होता
न कोई राजा न कोई कहानियां
हर इंसान अजनबी की तरह पैदा होता,
और मिलने पर हर बार पूछता आप कौन ?
इसी उधेड़ बुन में उम्र गुजर जाती , और इंसान खुद ही एक यादगार बन के रह जाता
यादें खुशनुमा हो या दुखदाई , संजोई तो हमने खुद होती है
यादें तो होती ही लहरों की तरह हैं कभी भी उठ जाती हैं ,
कुछ यादें हवा के झोंके जैसी , जो आई और उड़ गई ,
और कुछ पत्थर पे पड़ी लकीर जैसी, हमारे जेहन में आके चिपक गई
वोह यादें अमर हो गई जिसे लाख चाहने पर भी भुलाया नहीं जा सकता।
चलो एक और बात करते हैं
नहीं है कुछ भी मेरे दिल में सिवा ,कुछ खुशनुमा लम्हों के ?
अब मुझे यह भी तो बताओ
मैं उन्हें अगर भुला भी दूँ तो फिर याद क्या रखूँ।
मैं उन्हें अगर भुला भी दूँ तो फिर याद क्या रखूँ।
मौसम की पहली बारिश का शौक दुनिया को होगा,
हम तो रोज किसी की यादो मे ही आंखे भिगोते रहते है।
मजबूर नहीं करेंगे तुम्हे दुनिया वालो साथ निभानें के लिए,
बस एक बार ही आ जाऔ , अपनी यादें वापस ले जाने के लिए।
बस एक बार ही आ जाऔ , अपनी यादें वापस ले जाने के लिए।
बहुत गिला हुआ करता था अपनी बद किस्मती पे ,
जब रोज मिलने वाले दोस्त भी हमें भूल गए ,
छोड़ के चंद यादें हमे तड़पने के लिए ?
फिर खुद ही समझाया, प्यार से खुद को
न कर ज़िद्द, अपनी औकात में रह ऐ नादान दिल,
वो बड़े लोग हैं, अपने शौक से याद करते हैं।
वो बड़े लोग हैं, अपने शौक से याद करते हैं।
एक और दृश्य देखते है:---
अपनी अपनी उम्र के हिसाब से आप अगर 50 -60 वर्ष पूर्व अपने जीवन को आज की उम्र के परिवेश में झांक के देखो , आप एकदम इंतिहा भावुक हो जाओगे और ख्वाइश करने लगोगे काश कोई लौटा दे मेरे बीते हुए वह साल वो जिंदगी का तरीका ,जो आज खुद हमारी यादों में दफन हो चूका है। वो कागज़ की कश्तियाँ बारिश में चलाना , वह छतों पे चढ़कर पतंग उड़ाना और पेच लगाना , दुसरे की पतंग काट के जश्न मनाना , वह गुल्ली डंडे के मैच , वह कांच के बने रंगबिरंगे बंटे ,घंटों खेलते रहना , जब तक माँ ढूँढ़ते हुए न आजाये।
पर यह कभी हो नहीं सकता ,न उम्र लौटती है न ही वो मंजर जिसे पार करके हम आज जहाँ पहुँच चुके है , लौट लौट कर आती हैं तो सिर्फ यादें, एक आंधी का हो गुबार जैसे -------- कुछ हंसाती है कुछ रुलाती भी हैं,
जाते जाते हमारी बीती यादें फिर से एक और नई याद " हमारी उम्र के उस पड़ाव पर एक अनमिट मोहर लगा जाती है एक एहसास छोड़ जाती है "
हमारे जितने भी बड़े बड़े लेखक , गीत कार , संगीतकार , सफल हुए है सबकी ताकत अगर कोई थी तो वह थी उनके जीवन के तजुर्बे ,जो संजोय हुए थे उन की यादों में ,उन्ही लुप्त हुए जीवित लम्हों को एक शायर पुनर्जीवित करके अपने गीत कहानियां ,गजल और शेर लिख डालता है और जब कोई कलाकार उसे एक फिल्म के रूप में पेश करता है ,उसे फ़िल्मी परदे पर हम देखते है तो उसे अपना ही किस्सा समझ लेते है और भावुक हो जाते है , यही तो है हमारे यादो का सांझा संसार। जो अनवरत चलता ही रहता है।
यादें न हों तो परिवार नहीं बन सकता , कोई घर से बाहर काम के लिए जाए और रास्ता ही याद न रहे ? आज की दुनिया में तो जीपीएस मौजूद है पर पहले वक्तो में अक्सर लोग दूर निकल जाएँ तो भटक जाया करते थे और पूछ पूछ कर ही घर पहुँच पाते थे , लेकिन जो फासले हमने पैदा होने से लेकर आजतक तय कर लिए है उनका हिसाब कोई कैसे करें ?
बहुत दूर निकल आये है लेकर जिंदगी की अपनी जर्जर कश्ती अपने ही हौसलों से ,
झेला है जिंदगी ने भीषण तूफानों को , कुछ कमाया ,कुछ गवाया ,
कुछ अहसास मिटा, ख़त्म हुई तलाश भी , मिट गई सदाबहार उम्मीदें भी,
नहीं बचीअब किसी दुनियावी चीज़ की कोई ख्वाइश भी ,
सब कुछ सिमट गया, खुद को वैरागी भी बना लिया ?
सब कुछ सिमट गया, खुद को वैरागी भी बना लिया ?
मगर इनका क्या करू?
मेरी यादें जो अभी भी जिन्दा हैं , चिपकी है मेरे साथ साय की तरह ,
चैन से रहने भी नहीं देती मुझे , पर यह भी तो सच है "मेरी उम्र के इस पड़ाव पर " मेरे साथ कोई रहना भी कौन चाहेगा ?
इंसान की तन्हाई का कोई अगर साथी बचता है तो वह है उसकी यादें,
बहुत ही हसीन सी होती हैं यादें, यूँ तो बोलने को कुछ भी नहीं हैं,
न कुछ दिखाई देता है न ही सुनाई , यह तो एक छुपा हुआ अहसास है ,
जो कभी भी जाग उठता है ,अपना ही तो परछाईं हैं यादें।
कोई दूसरा इसकी अहमियत कैसे जानेगा ,
जिसकी होती हैं यह यादें उसे बहुत चाहती है ,उसे तो सोने ही नहीं देती
आज वक्त की रफ़्तार को देखो जो पल पल, मेरी जिंदगी समेटे भागे जा रहा है
जो मेरे यह पल दिन, रात ,मित्र यार और रिश्तेदार ,
अपने से लगते हैं न ?
ये हसीं ख़ुशी के पल बस यहीं तक हैं ,
जितना प्यार बाँटना है हंसना हँसाना है आज ही कर ले
कल आने पर कोई न होगा जब ,
हमारे साथ रह जाएंगी सिर्फ और सिर्फ हमारी अनमिट यादें
हम तो न होंगे , ये पल भी ना होंगे तब सिर्फ हमारी बातें होंगी,
जब पढ़ेंगे दोस्त हमारी ज़िन्दगी के उन पन्नों को,
तो हो जाएंगी कुछ आँखें नम,
जब पढ़ेंगे दोस्त हमारी ज़िन्दगी के उन पन्नों को,
तो हो जाएंगी कुछ आँखें नम,
किसी के दिलों में थोड़ा गम होगा
और कुछ लबों पर बरबस मुस्कराहटें भी होंगी।
और कुछ लबों पर बरबस मुस्कराहटें भी होंगी।
बस यादों का कारवां इतना ही साथ देता है ,
फिर सब खो जाते है , अपनी ही बनाई यादों में
अपने होकर भी सताने से करते नहीं परहेज ,कुछ लोग बाग ,
दूर रहकर भी दिल जलाने से करते नहीं गुरेज वो जांबाज़,
हम तो भूलना चाहते हैं ,हर उस याद को जो अक्सर रुला देती है
मगर उनकी जुर्रत तो देखो , ख्वाबों में आ धमकने से भी ,आते नहीं बाज़ ।
मगर उनकी जुर्रत तो देखो , ख्वाबों में आ धमकने से भी ,आते नहीं बाज़ ।
अगर आँसू बहा लेने से यादें बह सकती , तो
एक ही दिन में हम सारी यादें मिटा देते। और लम्बी तान के सोते , पर नहीं यह सपना कभी पूरा नहीं हो सकता।
हमारी तुम्हारी नज़दीकियां इस कदर बढ़ी
इस तरह दिल में समाओगे मालूम न था,
दिल को इतना तड़पाओगे मालूम न था,
सोचा था दूर हो तो , भूल ही जाओगे
मगर दूरी में भी इस कदर याद आओगे मालूम न था।
दिल को इतना तड़पाओगे मालूम न था,
सोचा था दूर हो तो , भूल ही जाओगे
मगर दूरी में भी इस कदर याद आओगे मालूम न था।
अब कोरोना काल ने जो हमारा नक्शा बिगाड़ा
अब तो उदास होना भी उतना ही अच्छा लगता है,
जितना कभी खुश होना लगता था ,
जितना कभी खुश होना लगता था ,
दोस्तों के साथ वर्चुअल ही सही मिलान तो है ,
पर इसमें वह गर्म जोशी कहाँ जो मिलने में थी
दूर रह कर भी किसी की यादों में तो हूँ,
बस ये एहसास होना भी अच्छा लगता है।
कभी कभी किसी का पास न होना ,
कभी कभी किसी का पास न होना ,
सिर्फ याद आना ,भी अच्छा लगता है,
जब आपका नाम ज़ुबान पर आता है,
पता नही दिल क्यों मुस्कुराता है,होती है तसल्ली यह सोच कर हमारे दिल को,
पता नही दिल क्यों मुस्कुराता है,होती है तसल्ली यह सोच कर हमारे दिल को,
कि चलो कोई तो है अपना जो हर वक़्त याद आता है।
बिखरे अश्कों के मोती हम पिरो न सके,
अपनी यादों के साय में सारी रात सो न सके,
मिट न जाये आँसुओं से मेरी यादों की लकीरें
यही सोच कर हम रो भी न सके।
अपनी यादों के साय में सारी रात सो न सके,
मिट न जाये आँसुओं से मेरी यादों की लकीरें
यही सोच कर हम रो भी न सके।
जवानी की यादें भी कुछ कम नहीं होती
सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
जब टकरा गए थे लाइब्रेरी में उनसे ,
किताबें जो गिरी उनके हाथों से हमने समेट तो दी थी
लेकिन आज तक खुद को न समेट पाये
ना जाने क्या बात देखि थी हमने उनमे,
ना जाने क्या बात देखि थी हमने उनमे,
सब कुछ भूल गए हम , बस वो चेहरा अभी भी याद है
दस्तूर है ज़माने का , सब जानते हैं
कद्र हर शै की हुआ करती है खो जाने के बाद
तुम भी तो उसे ही करोगे याद , जो तुम्हें नहीं है याद ?
तुम भी तो उसे ही करोगे याद , जो तुम्हें नहीं है याद ?
याद किसी को करना ,ये बात नहीं जताने की,
दिल पे चोट देना आदत है ज़माने की,
हमारा वादा है , आपको बिल्कुल नहीं करेंगे याद
क्योकि याद किसी को करना तो ,निशानी होता है भूल जाने की।
हमारा वादा है , आपको बिल्कुल नहीं करेंगे याद
क्योकि याद किसी को करना तो ,निशानी होता है भूल जाने की।
यादों की कीमत वो क्या जाने,
जो किसी को यूँ ही पल में भुला देते हैं,
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिंदगी जिया करते हैं।
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो,
यादों के सहारे जिंदगी जिया करते हैं।
लफ्ज़,अलफ़ाज़,कागज,और किताब,
कहाँ कहाँ नहीं रखता मैं
सबकी यादों का हिसाब।
सबकी यादों का हिसाब।
बारिश की यादों का जिक्र करूँ तो आँखें भी बरस जाती है
बूंदो से बना हुआ छोटा सा समंदर,
लहरो से भीगती छोटी सी बस्ती,
चलो ढूंढे इस बारिश में दोस्ती की यादें,
हाथ में लेकर एक कागज़ की कश्ती।
लहरो से भीगती छोटी सी बस्ती,
चलो ढूंढे इस बारिश में दोस्ती की यादें,
हाथ में लेकर एक कागज़ की कश्ती।
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है।
मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।
अजीब ज़ुल्म करती हैं, मिलकर यह सब नामुराद यादें
,सो जाऊं तो उठा देती हैं ,जाग जाऊं तो रुला देती हैं।
हिम्मत करो हौसला रखो
शिकवा ना करो जिंदगी से,
आज जो जिंदगी है न तुम्हारी
वही कल की याद कहलायेगी ।
आज जो जिंदगी है न तुम्हारी
वही कल की याद कहलायेगी ।
एक उम्मीद का दिया जो जला रखा था,
उसे भी आज अश्कों की बारिश ने बुझा दिया,
तनहा अकेले कितनी ख़ुशी से जी रहा था,
आज फिर आपकी याद ने रुला दिया।
तनहा अकेले कितनी ख़ुशी से जी रहा था,
आज फिर आपकी याद ने रुला दिया।
अच्छा एक सिगरेटे पी के आता हूँ,
एक याद फसी है उसे धुए में उड़ा के आता हूँ।
किसी कि यादों ने हमें बेहिसाब तन्हा कर दिया,
वरना हम खुद में किसी महफ़िल से कम न थे।
किसी कि यादों ने हमें बेहिसाब तन्हा कर दिया,
वरना हम खुद में किसी महफ़िल से कम न थे।
हम अपनी दोस्ती को यादों में सजायेंगे,
दूर रहकर भी उनकी यादों में नजर आयेंगे,
हम कोई गुजरा वक़्त नहीं जो लोट न पाए ,
जब भी याद करोगे ,जेहन में उत्तर आयेंगे।
हम कोई गुजरा वक़्त नहीं जो लोट न पाए ,
जब भी याद करोगे ,जेहन में उत्तर आयेंगे।
तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के दीवाने को,
चले जाएँगे जब हम ,कभी ना वापस आने को,
करेगा महफ़िल मे जब, ज़िक्र हमारा कोई,
तब आप भी ढूंढोगे तन्हाई ,एक कोना आँसू बहाने को।
करेगा महफ़िल मे जब, ज़िक्र हमारा कोई,
तब आप भी ढूंढोगे तन्हाई ,एक कोना आँसू बहाने को।
एक दिन हमारे आँसू हमसे पूछ बैठे,
हमें रोज़-रोज़ क्यों बुलाते हो,
हमने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं,
तुम ख़ामख़ा बीच में आ टपकते हो।
हमने कहा हम याद तो उन्हें करते हैं,
तुम ख़ामख़ा बीच में आ टपकते हो।
बड़ी गुस्ताख है यह यादें , इसे तमीज सिखा दो,
दस्तक भी नहीं देती ,और जब तब चली आती है ।
हम तो रो भी नहीं सकते उसकी याद में…
उसने एक बार कहा जो था,मेरी जान निकल जाएगी,
तेरे आंसू गिरने से पहले।
उसने एक बार कहा जो था,मेरी जान निकल जाएगी,
तेरे आंसू गिरने से पहले।
खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार सरे-आम,
फिर मेरी रात इसी रौनक में गुजर जाती है।
कितना खुश था, मैं अपने देस में
अजीब लोगों का बसेरा है तेरे शहर में,
मदमस्त अकेले अकेले पड़े रहते है
ग़ुरूर में मिट जाते हैं पर हमें कभी याद नहीं करते।
ग़ुरूर में मिट जाते हैं पर हमें कभी याद नहीं करते।
बहुत दर्द देता है उस इंसान का याद आना,
जो हमें कभी भूलकर भी याद नहीं करता ।
साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तो,
जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे कहते है ।
जब अपने याद करना छोड़ दे, मौत तो उसे कहते है ।
रात हुई जब शाम के बाद,तेरी याद आयी हर बात के बाद,
हमने खामोश रहकर भी देख लिया ,
तेरी ही आवाज़ आयी हर सांस के बाद
तेरी ही आवाज़ आयी हर सांस के बाद
कस्तियाँ रह जाती हैं तूफान चले जाते हैं,
याद रह जाती है इंसान चले जाते हैं,
प्यार कम नहीं होता किसी के दूर जाने से,
बस दर्द होता है उनकी याद आने से।
प्यार कम नहीं होता किसी के दूर जाने से,
बस दर्द होता है उनकी याद आने से।
सज़ा बन जाती हैं साथ गुजारे हुए, वक़्त की यादें,
न जाने छोड़ जाने के लिए ज़िन्दगी में आते ही क्यों हैं लोग।
यादें आती हैं यादें जाती हैं,
कभी खुशियाँ कभी गम लाती हैं,
यूँ तो मुद्दतें गुजार दी हैं,
हमने तेरे बगैर भी मगर,
आज भी तेरी यादों का एक झोका,
मुझे टुकड़ों में बिखेर देता है।
आज भी तेरी यादों का एक झोका,
मुझे टुकड़ों में बिखेर देता है।
एक बात मेरी जरूर याद रखना
जब करोगे याद, हमारे साथ गुजरे जमाने को,
फिर से तरसोगे हमारे साथ एक पल बिताने को,
कितनी ऊँची आवाज भी दोगे हमे वापिस बुलाने को,
और जवाब सिर्फ एक ही मिलेगा , नहीं है दरवाजा कोई
---------------------कबर से बाहर आने को।
कितनी ऊँची आवाज भी दोगे हमे वापिस बुलाने को,
और जवाब सिर्फ एक ही मिलेगा , नहीं है दरवाजा कोई
---------------------कबर से बाहर आने को।
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तुम्हारी याद के फूलो को मुरझाने नहीं देंगे हम,
हमने अपनी आँखे रखी हैं उसे पानी देने के लिए।
कर रहा था ग़म-ए-जहान का हिसाब,
आज तुम याद आये तो बे-हिसाब आये।
यादें उनकी ही आती हैं जिनसे कोई ताल्लुक हो,
हर शख्स मोहब्बत की नजर से देखा नहीं जाता।
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं,
पलकों पर आँसू छोड जाते हैं,
कल कोई और मिले तो हमें न भुलना
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगी भर याद आते हैं।
कल कोई और मिले तो हमें न भुलना
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगी भर याद आते हैं।
जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है,
हम ने उदास रहने की आदत बना ली है,
हर दिन हर रात गुजरती है तेरी याद में,
तेरी याद हमने अपनी इबादत बना ली है।
हर दिन हर रात गुजरती है तेरी याद में,
तेरी याद हमने अपनी इबादत बना ली है।
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास हो,
रोशनी में भी अँधेरे का एहसास हो,
तब किसी खास की याद में मुस्कुरा दो,
शायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो।
सुना है रब कि ......
___कायनात में ......
एक से बढ़कर एक ....
___चेहरे हैं ...........
मगर मेरी आँखों के लिए .....
__सारे जहाँ मॆ .....
सबसे खुबसुरत ....
___सिर्फ तुम हो ...
साँसों में मेरे कुछ अजीब सी कशिश है आज जान शायद ये तुम्हारे साँसों को महसूस कर रहा है
आँखें मेरी तुम्हारी राहों पे आके थम गयी हैं और ये दिल तुम्हारे आने का इंतेज़ार कर रहा है।
अपने दिल में तो अपने अल्फ़ाजों को बसना ही है..,
जिनकी तड़प में लिखते दिल में उनके भी गर उतरे तो अल्फ़ाज अच्छें है..!