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Sunday, April 26, 2020

ADABI SANGAM --------------TAKRAR-- तकरार -- APRIL ---2020----------------------------------------------------------------------------------------------------------------


तकरार


इकरार करते है कुछ खरीदने से पहले , बिना इकरार , करार मुमकिन नहीं ,हर करारों की अंतिम घडी है " तकरार " इसमें रिश्ते बिखरने लगते है ,मायने रखते हैं तो सिर्फ कुछ नुक्ते जिसमे लोभ ,मोह ,माया , अहंकार , फिर शुरू होता है न खत्म होने वाला तकरार।

जैसा सोचा वैसा हुआ नहीं , जिसे चाहा वह मिला नहीं , जम कर तकरार हुआ ,खतो किताबत , क़ानूनूनी दांव पेच में वक्त भी खूब फरार हुआ , सकूँ तब जा के मिला जब आपस में करार हुआ।
दिल जब उदास होता है, तो दिमाग उसे करार देता है,
 
यही तो करार है दोनों में ? जब दिमाग उदास होगा तो क्या होगा ? करार ख़त्म तो तकरार शुरू प्यार भी एक करार है , शादी के बाद पति पत्नी का तकरार भी खूब होता है जितना भी प्यार कर लो दिल का करार कभी न कभी छिन जाएगा , इकरार , इज़हार ,इसरार , दिले गुलज़ार हो कर वोह एक दिन बेकरार भी हो ही जाएगा।
करार कर लीजिये ,जिसमे प्यार ही न हो वहां इज़हार मुमकिन नहीं ,जिससे करार ही न किया हो कभी, उनसे तकरार मुमकिन नहीं।
 
आज सब बंद है ,पति पत्नी भी एक ही चारदीवारी में कैद होकर रह गए है। अब सुबह शाम पति पत्नी यूँ एक दुसरे पे निगरानी रखे रहेंगे तो प्यार से ज्यादा तकरार ही होंगे न ?

तुम्हे सब्जी बनानी नहीं आती इतना नमक डाल दिया , माँ बाप ने कुछ सिखाया भी है के नहीं ? मेरे माँ बाप पर मत जाना वरना तुम्हारी भी पोल पट्टी खोल के रख दूँगी , कितना झूट बोल के मेरे पिताजी को मनाया था तुमने , के मैं तो एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर हूँ , और हो क्या ? सिर्फ फाइलों को इधर उधर करने वाले क्लर्क। 


यह तकरार का शुभ आरम्भ है अभी न मालूम कितनी किताबे खुलेंगी और तकरार रोका न गया तो घर भी टूट सकता है।

न जाने क्यों मायूसी , बेबसी दिल पे छाने लगी है , बहुत तकरार किया करते थे हम भी लोगों से एक जमाने में , यह अब सब बेस्वाद बे मजा हो गया है शायद मुझे मेरी औकात समझ आने लगी है

खुशबाग थी कभी जिंदगी हमारी भी , न किसी से प्यार , करार न ही कोई तकरार ,गमे हयात ने जो हाथ फैलाये , हम भी फंस गए ,तकरारों के जाल में , गिरेबान बचा न पाए।

आज उठते बैठते पत्नी जी से झिक झिक हो ही जाती है कभी किसी बात पे और कभी बेबात भी, ग्रहस्थी जो हुई समझौता कर लेते है तकरार को ताक पे रख किसी तरह अपनी साख बचा लेते है।

हँसते थे कभी आईने में अपनी खूबसूरती देख कर , आज आइना भी रोने लगा हमें परेशां देख कर करार था जिंदगी से , हर हाल में खुश रहेंगे , कॉन्ट्रैक्ट ) गम छोटे हो या बड़े , सब को ख़ुशी का समान वक्त की बहार ,दिल का करार ही समझेंगे।पर यह सब इतना आसान थोड़ा ही होता है ?

तकरारों से बचने का एक तरीका आखिर हमने भी खोज लिया , विचार किया और पालन शुरू किया ज़िंदगी से जब हम अपनी कभी कुछ उधार लेते,नही ,कभी कफ़न भी लेंगे तो अपनी ज़िंदगी देकर, वरना तकादा होगा, तकरार होगा जो हमसे सहा न जाएगा।


चारों तरफ नज़रें घुमाई तो देखा ,क्या आलम फैला है चारोँ तरफ।क्यों हमारा दिले इज़हार भी ,तकरार लगे है सबकी नज़र में
एक छोटे से तकरार ने सारी ख़िज़ाँ ही बदल के रख दी
तकरार क्या हुआ उनसे की सब कुछ बदल गया, कभी दिन रात का साथ था आज मेरी तरफ वोह देखते ही नहीं ? मैं तो हमेशा से चाहता था मासूम बने रहना ,मगर जिंदगी के करार ,इंकार और तकरार ,बिना मेरी किसी मंशा के।मुझे समझदार किये जा रहे है

न मुझे किसी से सरोकार है ,न ही दिखावटी प्यार ,भीड़ें जिसके लिए खडी है वो बनना है मुझे, मैंने ठाना है यह मेरी प्रतिज्ञा है,लोगों की नज़रों में यह फैसला मेरा उन्हें तकरार क्यों लगता है? 


भीड़ में खड़ा होना ,भीड़ के पीछे चलना ,मकसद नहीं हैं मेरा,
भीड़ से अलग दिखने की ख्वाइशें दिल में पाले रहता हूँ। लोगों से मेरा इस बात पे भी तकरार है ,वोह इसे Attitude कहते है ,और मैं स्वाभिमान

या रब तूने मेरी फरियाद का मतलब ही बदल दिया , क्या होगया है तेरे जहाँ को , भीड़ की बात तो अलग ,मिलने जुलने की कवायद जो चला करती थी ,वोह भी छीन ली ,

अब तो लोग दुआ सलाम करने से भी डरने लगे है , कहते है सोशल डिस्टेंसिंग कर रहे है।अभी तो हम मैदान में उतरे भी नहीं थे और यह सोशल डिस्टन्सिंग?

और लोगों ने हमारे चर्चे शुरू कर दिये!!मेरी खिलाफत ही उनका पहला धर्म बन गई , कभी मिल भी जाते तो प्यार से कम तकरार ज्यादा होने लगा ,पर लोग मुझे कभी का छोड़ चुके थे , पता ही नहीं चला ,किसको किस बात से बदमजगी हुई , तकरार बन गई और तकरार एक दरार बन कर रह गई।

आपसी गुफ्तुगू में लोग तो कुछ भी बोल दिया करते है ,किसी से खफा होने को किसी को भड़काने को , लफ़्ज़ों के मतलब ही बदल देते है।वह भूल जाते है की लफ़्ज़ों के भी जायके होते है ,
उन्हें परोसने से पहले थोड़ा खुद से चख भी तो लेते ,कम से कम तकरार तो न होता

मेरा मन तो जरूर साफ़ है , पर मूड फिर भी क्यों ऑफ है , हुआ था किसी बात पे दोस्तों से तकरार ,न वह समझे न मैं उन्हें समझा पाया , गरूर किसी का भी हो टकराव भी हुआ और और तकरार भी उतना ही बड़ा। पर दिल है के मानता नहीं , फिर खुराफात सुझा रहा है की ,चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये,किसी से प्यार किसी से तकरार किया जाए ,बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये। यह भी शौक है कुछ हमारे शरीफ दोस्तों के ?

लोग पूछने लगे अम्मा आज कल नजर आते नहीं , न ही कुछ बहसों में शामिल होते हो हम बोले अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें, खबरें देख देख कर ,सुना है किसी नयी अजनबी सी बिमारी ने दस्तक दी है ,मौत का तमाशा चल रहा है बेतहाशा , जीने का खौफ हावी है सब पर। अब कोई और तमाशा करने को फुरसत ही कहाँ है? नज़र बंद हैं हम सब , साँसे चल रहीं है , घड़ियाँ बीत रहीं है , तुम्हे हमसे बहस की पड़ी है ? इसके आलावा कुछ काम है आपको तो बताईये ,नहीं यार बिना बतियाये वक्त नहीं कट रहा था सोचा आपसे बात करूँ ,


 सिर्फ मन कुछ जरूरत से ज्यादा शांत है ,इतनी शान्ति हाज़मा खराब किये दे रही है ,बाकी आपकी दुआ से सब ठीक ठाक है,
लोगों ने बहुत समझाया तकरार से बेहतर है थोड़ा झुक जाना ,बिना झंझट मामले सुलझ जाते है , हमने भी बोल दिया आज तक नहीं आया हुनर हमे सर झुकाने का।बिना लड़े , भी कभी युद्ध जीते जाते है क्या ? तकरार के पीछे ही तो करार छुपा है।

सोशल distancing ने बाहर के लोगों से तो तकरार कम कर दिए है पर घर के अंदर तकरार नए नए रूपों में प्रगट हो रहा है , पति पत्नी की नोकझोंक काफी बढ़ चुकी है , इतना लम्बा वक्त एक दुसरे को लगातार देखते रहने से जी भरने लगा है , एक दूजे की गलतियां ज्यादा नजर आने लगी है।

वैसे इंसान अच्छी से अच्छी आबो हवा के बगैर भी ,
अपने ही घर के अंदर जिन्दा हैं दवा के बगैर भी ,
साँसों का कारोबार , बदन की जरूरते ,
सब कुछ तो चल रहा है दुआ के बगैर भी ,
बरसों से इस विशाल भवन में रहते हैं चंद लोग ,
आपस में मिले बगैर एक दुसरे के साथ वफ़ा के बगैर भी।
उनके लिए न कोई सोशल डिस्टन्सिंग और न ही
तकरार का अस्तित्व है वह तो पहले से तन्हा थे। वह कहते है अब जिंदगी का कोई भरोसा भी नहीं रहा , मरने लगे है लोग कजा के बगैर भी

हम बेक़सूर लोग भी दिलचस्प लोग हैं , तकरार करें भी तो किस से ?खुद ही शर्मिंदा हो रहे है ख़ता के बगैर भी। चारागरी बताये अगर कुछ इलाज है ,तो ?
अब तो दिल भी टूटने लगे है सदा के बगैर भी