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Saturday, June 28, 2014

Koun Hai Hamara is Dunya mein,--01012019









रोये थे वो इस कदर उनकी लाश से लिपटकर,
उनकी  साँसों की गर्म तपिश सह  न सकी वो ,
कि लाश खुद उठ कर बोली, हट पीछे ,
"ले तूँ ही मर ले पहले, मरने भी न दिया चैन से ,
..उपर ही चढे जा रहा था  इतनी गर्मी में।"



ऐसा भी नहीं कि ,ज़िन्दगी बहुत छोटी है....
दरअसल है तो बहुत बड़ी यह दोस्तों ,पर
हम इसे छोटे २ शिकवों में गुजार देते हैं
कहते तो इसे हम जिंदगी ही है लेकिन ,
बहुत कम लोग है इस दुनिया में ,
जो ठीक से इसे जी पाते हैं ,,,,,,,


क्या ख़ूब लिखा है किसी ने ...

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, मगर ... !
जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !!
लेकिन वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते , .
जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"


न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा,
न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक'
मेरा होगा ... !! फिर भी। ..
गुरुर न कर इस "शाह-ए-शरीर" का, एक दिन ... !
मेरा भी 'खाक' होगा, और तेरा भी 'खाक'
होगा ... !!


जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रांडेड'में जीने वालों ... !
याद रखना 'कफ़न' का कोई ब्रांड नहीं होता ... !!
कोई रो कर अपना 'दिल बहलाता' है ... !
और कोई हँस कर 'दर्द' छुपाता है ... !!
क्या करामात है 'कुदरत' की, ... !
'ज़िंदा इंसान' पानी में डूब जाता है और
'मुर्दा' तैर के किनारे पे लग जाता है ?
'


मौत' को देखा तो नहीं मैंने ,
पर शायद 'वो' बहुत "खूबसूरत" होगी, ... !
"कम्बख़त" जो भी 'उस' से मिलता है,
"जीना ही छोड़ देता है" ..
फिर किसी और से मिलता ही नहीं ?



'ग़ज़ब' की 'एकता' देखी "लोगों की इस ज़माने में" ... !
'ज़िन्दों' को "गिराने में" और 'मुर्दों' को "उठाने में" ..

'ज़िन्दगी' में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री"होगी, ... !
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी ।
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से
ना जाने उनसे कौनसी "मुलाक़ात" "आख़री होगी" .


कहने को तो थे,, खून के रिश्ते हमारे उनसे ;;;;;;;पर
उन की दुश्मनी  से भी अब मोहब्बत सी होने लगी है।

वक़्त के तराजू पे ,जैसे जैसे अपनों को आजमाते चले गए ,

तैसे तैसे गैरों की तरह तनहा होते चले गए 


कहते है न की जब भी कोई बुरा कर्म करता है तो उसकी नाक झुक जाती है या कट जाती है तो मुलायम जी के साथ यह तो हो रहा है , उनका ट्रेड मार्क ही यह है की नाक कटवाओ या हार्ड हो तो मोड़ के काम चलाओ पर हर्कतो से बाज़ मत आओ



मैं एक गाय हूँ , मुझे याद है तुम मुझे माता बुलाते थे ?
मैंने बहुत दूध पिलाया है तुमको , आज मैं बूढी हूँ तो क्यों
मै कत्लखानों मै कसाइयों के सम्मुख ठेल दी जाती हूँ।
मेरे दूध से तुम इतने बलिष्ट हुए , मैंने अपने बच्चे के ,


मुख से छीन कर दूध तुमेह पिलाया और आज मेरा यह हाल क्यों ?
चार दिनों तक मुझे भूखा रखा जाता है ताकि मेरा हीमोग्लोबिन,
गलकर माँस से चिपक जाये। फिर मुझे घसीट कर
लाया जाता है क्योंकी मै भूख से मूर्छित रहती हूँ।


मुझ पर 200 डिग्री सेल्सियस गरम वाष्प में
उबलता हुआ वाष्प पानी डाला जाता है।
मै सिहर के जलन से तडप उठती हूँ ..सोचती हूँ मेरा कसूर क्या था ?
हे ! मेरा दूध पीने वालों मै तुम्हे याद करती हूँ ।


क्या मेरे दूध का क़र्ज़ ऐसे उतारोगे ?
दूध के साथ साथ मेरा गोश्त भी खा जाओगे ? हैमबर्गर बना के ?
मुझे कठोरता से पीटा जाता है ताकि, मेरा चमडा आसानी से उतर जाये।
मेरी दौनो टाँगे बाँध कर मुझे उल्टा लटका दिया जाता है।
फिर मेरे बदन से सारा चमडा निकाल लिया। जाता है।
सुनों मनुष्यों के भेष में जल्लाद , अभी भी मैने
प्राण नहीं त्यागे है।मैंने उमीदें भी नहीं छोड़ी है ,


मै मजबूर निगाहों से देख रहीं हूँ शायद इन कसाइयों के मन में
मनुष्यता का कोई संस्कार जाग जाये !
किन्तु इस समय मुझसे पोषित होने वाला,
कोई भी मानव मुझे बचाने नहीं आता।
मेरे चमडे की चाहत रखने वाले दुष्ट कसाई ,


मेरी जीवित अवस्था में ही मेरा चमडा
उतारना आरम्भ कर देते हैं कुछ भी दया नहीं करते
मेरी चींखों का उन पे कोई असर नहीं पड़ता।
और तडप तड़प कर मै प्राण त्याग देती हूँ...
इस पावन और पवित्र भारत भूमी पर, नेता लोग सिर्फ नारे लगाते रहे
ऐसा कोई नहीं है क्या जो धर्म और कानून का पालन कर,


मेरे प्राण बचाये। तुम्हारे द्वारा किये गये
क्रूरतम हत्याचारों को सहकर भी मै
तुम्हे श्राप भी नहीं दे सकती .................
क्योंकि मै एक माँ हूँ ना.... पर
कुदरत के असूलों पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है ,
इस पाप की सजा तुमेह खुद कृष्ण कन्हैया देगा।
फिर तुम्हे कोई भी नहीं बचा सकेगा ,


मैं चाहूँ तो भी नहीं ''''''''''''''''
अच्छा , अब मेरे से बोला नहीं जा रहा मेरे सांस रुकने लगे है
मैं चलती हूँ इस दुनिया से दूर बहुत दूर जहाँ इंसान न हो


अगर आप भी गौमाता से प्यार करते हैं
और आपने कभी भी गौमाता का दूध पिया है
तो इस मेसेज को शेयर करके थोडा बहुत दूध का कर्ज
चुकता करे.......!!!! सर्व हिन्दू कि एक पुकार....!
गौ हत्या अब नहीं स्वीकार....!!
गौमाता की यह पीड़ा जन जन तक
पहुँचाने के लिये केवल 2 मिनट का
समय निकाल कर दोस्तों को
शेयर जरुर करें.........जय गौमाता कि...
जय श्री कृष्णा ...जय श्री राम ...




************************************

जब से कुमार विश्वास को कौन बनेगा करोड़ पति से न्योता , अमिताभ बच्चन जी ने भेजा है , केजरी वाल का भेजा भी चक्कर खा गया , की उनका चेला हॉलीवुड और ओक्सफोर्ड में लेक्चर देने को बुलाया गया है और मुझे क्या मिला ?आम आदमी बन कर ?
केजरीवाल निर्मल बाबा के दरबार में गए ...
केजरीवाल : बाबा कुछ ऐसा उपाय सुझाएँ जिससे मेरा भी चुनाव कम से कम बिग बॉस में तो हो जाये..... बाबा आपकी बड़ी कृपा होगी ... वरना मैं तो थप्पड़ खा खा के मेरे गाल ही सूज गए हैं और इलेक्शन में भी हार गया हूँ , कुछ पैसा ही बन जाये , माकन का किराया , बच्चों की पढाई के लिए भी पैसा चाहये
निर्मल बाबा : अच्छा सुनो , पिछली बार थप्पड़ कब खाया था ...?
केजरीवाल : लोकसभा - 2014 के समय पर ...
निर्मल बाबा : अभी कुछ और थप्पड़ खाओ। .... बीच बीच में समोसे भी खाते रहना , पोदीने की चटनी डाल के , कृपा बरसने लगेगी ..
केजरी वाल :- बाबा आप तो नरेंदर मोदी जैसी लम्बी लम्बी छोड़ रहे हो , बड़े मजाकिया हो गए हो
हम सब रोज़े पर हैं , सुना है यहाँ रोटी मिल रही है ? थोड़ी जबरदस्ती हम से भी हो जाती तो हम भी ''''..........



Monday, June 23, 2014

DESTINY-2 FOR ADABI-- SANGAM {31122018-JULY 2014}

"LIFE BEGINS HERE AGAIN "





ARE YOU HAPPY
We Are all searching for happiness.

In achieving this happiness our attitude in life plays a crucial role.
After years of hard & dedicated service to his Company, Ajay was being appointed at an elegant reception as the new Director. It was a small function where his wife Anita, a Home Executive & some of the wives of the other persons in top management were also present.

In an adjacent room, Ann, the wife of the CEO of the Company, asked Ajay's wife a very odd & usual question;
"Does your husband make you happy?"

The husband, Ajay, who at that moment was not at her side, but was sufficiently near to hear the question, paid attention to the conversation, sitting up slightly, feeling secure, even filling his chest lightly in pride & hope, would definitely not publically lower or degrade her husband, would answer affirmatively, since she had always been there for him during their marriage and generally in life.

Nevertheless, to both his & the others' surprise, she replied simply;
"No, no he doesn't make me happy…"

The room became uncomfortably silent as if everyone were listening to the spouse's response.
There was a sudden coldness in the air.
The husband was petrified.

A frown appeared on his face.
He couldn't believe what his wife was saying, especially at such an important occasion for him.
To the amazement of her husband & of everyone!


Anita sat up firmly & explained in a modest but stern tone to the other wives who were present;
"No, he doesn't make me happy… I AM HAPPY. The fact that I am happy or not doesn't depend on him but on me.

GOD has granted each of us intellect & discretion to reason, interpret & decide.

GOD made me the person upon which my happiness depends.

I make the choice to be happy in each situation & in each moment of my life.

If my happiness were to depend on other people, on other things or circumstances on the face of this earth, I would be in serious trouble!

Over my life I have learned a couple of things:
I decide to be happy & the rest is a matter of 'experiences or circumstances' like helping, understanding, accepting, listening, consoling & with my spouse, I have lived & practised this many times.

Honestly, true happiness lies in being content"
Relieved & reassured a smile was clearly noticed on Ajay's face.


Moral:
Happiness will always be found in contentment, forgiveness & in loving yourself & others.

To love truly is difficult, it is to forgive unconditionally, to live, to take the "experiences or circumstances" as they are, facing them together & being happy with conviction.


There are those who say I cannot be happy :

· Because I am sick.

· Because I have no money.

· Because it's too cold.

· Because they insulted me.

· Because someone stopped loving me.

· Because someone didn't appreciate me.


But what you don't know is that you can be happy even though you are sick, whether it is too hot, whether you have the money or not, whether someone has insulted you, or someone didn't love you or hasn't valued you.

Being Happy is an attitude about life & each one of us must decide!
Being Happy depends on U !!!!!!

A Chinese tycoon passed away.
He left for his widow $1.9 billion in the bank.
The widow remarried her young Chauffeur.
The Chauffeur said,

"All the while I thought I was working for my boss."
But Now only I realize that my boss was all the time working for me!"

Moral of the story?
It is more important to live longer than to have more wealth.


• Strive to have a strong and healthy body.
• In a ‘high end’ handphone, 70% of the functions are useless.
• In an expensive car, 70% of the speed is not needed.
• In a luxurious villa, 70% of the space remains un-occupied or un-utilized.
• In a whole wardrobe of clothes, 70% of them are seldom worn.
• Out of whole life’s earnings, 70% stays behind for other people to use.
*70% of talent/ Brain is not utilized


*So, How to make full use of our balance 30%.?

• Go for a medical checkup even when you feel fit.
• Drink more water even if you’re not thirsty.
• ‘Let go’ your ego, whenever you can.
• ‘Give in’ even if you are ‘right’.
• Be humble even if you are very powerful.
• Be content even if you are not rich.

Have a very good Life!!! & a Blessed life
Very Imp Msg 4 Life

एक सवाल इस भोली भाली या मूरख भारत की जनता से !
मोदी सरकार के आने से महंगाई बढ़ गई है न ?
तो हम में से कितने लोग दारू पीना छोड़ रहे हैं ?
कितने लोग महंगा नॉन-वेज खाना बंद कर रहे हैं ?
कितने लोग स्वस्थ के लिए घातक गुटखा सिगरेट खरीदना बंद कर रहे हैं ?

कितने लोग अपने बच्चों को पिज्जा नहीं ला कर देंगे ?
कितने लोग अपने बच्चों को स्मार्ट फोन नहीं ला कर देंगे ?
कितने लोग सिनेमा और होटल के मोह को छोड़ देंगे ?
कोई कुछ नहीं छोड़ेगा , सब मुफ्त में चाहते हैं की सरकारी
तंत्र हमेशा घाटा उठाता रहे ,हमे अपनी जेब से देश के लिए कुछ भी नहीं देना है  न ही इनकम टैक्स न ही रेलवे की असली कीमत ?

हम हिंदुस्तानियों को शायद "बलिदान" का अर्थ ही नहीं पता ! कितने गए गुजरे है हम ? गुलामी की रोटियाँ मंजूर हैं पर "बलिदान" नहीं !


On his first day in office, as President of USA, Abraham Lincoln entered to give his inaugural address, one man stood up. He was a rich aristocrat. He said, “ Mr Lincoln, you should not forget that your father used to make shoes for my family.” And the whole Senate laughed; they thought they had made a fool of Lincoln.

But certain people are made of totally different mettle. Lincoln looked at the man directly in the eye and said, “Sir, I know that my father used to make shoes for your family, and there will be many others here because he made shoes the way nobody else can.

He was a creator. His shoes were not just shoes; he poured his whole soul into them. I want to ask you, have you any complaint? Because I know how to make shoes myself. If you have any complaint I can make you another pair of shoes. But as far as I know, nobody has ever complained about my father’s shoes. He was a genius, a great creator and I am proud of my father”.

The whole Senate was struck dumb. They could not understand what kind of man Abraham Lincoln was. He was proud because his father did his job so well that not even a single complaint had ever been heard.
Remember: “No one can hurt you without your consent.”

“It is not what happens to us that hurts us. It is our response that hurts us.”