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Tuesday, November 16, 2010

OCT,19,2010

आंसूंओं   को  आँखों  की  देहलीज़  पर यूँहि  लाया  न  करो
यह बेशकीमती मोती हैं इनहे  ,ऐसे ही जाया न करो  ?
जब तक बहुत मजबूरी  ,असहनीय बेकरारी न हो ,
अपने  दिल  की  हालत  किसी  को  बताया  न  करो
लोगों का काम है जख्मों को हर वक़्त कुरेदने का !
अपने  ज़ख़्म  किसी  को यूँही  ,  दिखाया  न  करो ..






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