कोई सुने या न सुने , तारीफ करे या न करे
हम फिर भी कभी अर्ज किया करते थे ?
जब तुम्हारी बातों को सुना करते थे
,मशालें लेकर तुम्हारे गम की .
हम अंधेरों में भी निकला करते थे.
हम अंधेरों में भी निकला करते थे.
अब कहाँ तुझ सी फितरत वाले .
चोट खाकर भी जो दुआ किया करते थे
चोट खाकर भी जो दुआ किया करते थे
जब तुम्हारी बातों को सुना करते थे ,
म़ोका देख बीच में हम भी कभी ,
अर्ज किया करते थे
म़ोका देख बीच में हम भी कभी ,
अर्ज किया करते थे
अब तो वोह मेह्फ़लें भी हवा हुई
सुनने वाले दोस्त भी कहीं खो गए ,
सुनने वाले दोस्त भी कहीं खो गए ,
हमारी हर बात पे जो , फ़िदा रहते थे
याद आता है आज भी वोह मंजर ,
याद आता है आज भी वोह मंजर ,
जब तुम्हारी बातों को सुना करते थे
बीच में कभी हम भी , अर्ज किया करते थे 1
बीच में कभी हम भी , अर्ज किया करते थे 1
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