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What Others Are Doing is None Of My Business, I Am Focusing Only on What Can Be Done To Make My Life Useful And Purpose Full. I wonder if it is possible to always be in good happy mood even if every thing around you is NOT OF YOUR LIKING , except when you are deaf , dumb and blind all at the same time.
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Friday, November 18, 2011
Thursday, November 17, 2011
"Raha gardishon mein hardam" Film : Do Badan
Friday, November 11, 2011
DIL KI AWAAZ NA SUNI ?
आज जब मुद्दतों के बाद , उनकी कोई खबर आई ...,
लगा तन्हाई में रहते रहते ...जैसे बज उठी कोई शेहनाई
फिर से ज़िन्दगी को जीने की , वजह भी नज़र आई ...
"जिस दिन भी मेरे साथ , कोई हादसा नहीं होता.....
जिंदगी का ,जिन्दा होने का कोई एहसास नहीं होता
दहशत में सारी रातें और दिन मेरे गुजरते हैं,सोच कर
कि, कहीं ....ये ..किसी बडे हादसे कि तेयारी तो नहीं
जैसे तूफ़ान के आने से पहले की ख़ामोशी तो नहीं?"
कैसे कह दूं की तेरी रहमत का , कोई ठौर ठिक्काना नहीं है ,
तुजेह याद न करने का मेरे पास कोई बहाना भी तो नहीं है !
लोगों क़ी बेवजह शिकायतों से मेरा क्या वास्ता ...........
जब भी पुकारा है दिल से ,मैंने तुझे अपने करीब ही पाया है
मौन खड़ा रहता हूँ और ,देखता रहता हूँ इस असीम सागर में
इन उठने वाली असंख्य लहरों को जो निरंतर खेलती रहती है .
क्या ये तेरे वजूद क़ी वजह से भी कम तर है ?.........................
इन उठने वाली असंख्य लहरों को जो निरंतर खेलती रहती है .
क्या ये तेरे वजूद क़ी वजह से भी कम तर है ?.........................
सागर की छाती पर ,एक के बाद एक
बढती आती हैं , तीव्रवेग से धकेलती
उठती, उभरती, और छलाँगें भरती।
मानो प्रत्येक इसी कोशिश में लगी है
कि एक दूजे से आगे ही निकलती जाए
।
ओह यह कैसी आपाधापी छाई है यहाँ ,
यह कैसी प्रतिद्वन्दिता की भावना भरी ,
जहाँ देखो जिधर देखो दूसरों को पीछे छोड़
जबर दस्ती स्वयं आगे बढ़ जाने का दौर
युगों युगों से अनन्तकाल से यही होता रहा है
हैरत है क़ी कोई भी रूक कर,किसी क़ी सुध ,
दम लेने की बात भी नहीं करता
जो भी पीछे से आता है ,धक्का मुक्की से
गिरा के सब को ,आगे बढ़ने की कोशिश करता है
शायद जीवन का रहस्य यही है,जो मैं आज तक ,
अपने संस्कारों के बोझ तले दबा ,समझ ही न पाया ?
जो सबको लूट ता ,रोंद्ता ,दबाता हुआ आगे बढ़ जाये
वोही इंसान दुनिया में , काबिल कहलाय, बाकि सब नाकारा ।
सागर की छाती पर ,एक के बाद एक
बढती आती हैं , तीव्रवेग से धकेलती
उठती, उभरती, और छलाँगें भरती।
मानो प्रत्येक इसी कोशिश में लगी है
कि एक दूजे से आगे ही निकलती जाए
।
ओह यह कैसी आपाधापी छाई है यहाँ ,
यह कैसी प्रतिद्वन्दिता की भावना भरी ,
जहाँ देखो जिधर देखो दूसरों को पीछे छोड़
जबर दस्ती स्वयं आगे बढ़ जाने का दौर
युगों युगों से अनन्तकाल से यही होता रहा है
हैरत है क़ी कोई भी रूक कर,किसी क़ी सुध ,
दम लेने की बात भी नहीं करता
जो भी पीछे से आता है ,धक्का मुक्की से
गिरा के सब को ,आगे बढ़ने की कोशिश करता है
शायद जीवन का रहस्य यही है,जो मैं आज तक ,
अपने संस्कारों के बोझ तले दबा ,समझ ही न पाया ?
जो सबको लूट ता ,रोंद्ता ,दबाता हुआ आगे बढ़ जाये
वोही इंसान दुनिया में , काबिल कहलाय, बाकि सब नाकारा ।
बढती आती हैं , तीव्रवेग से धकेलती
उठती, उभरती, और छलाँगें भरती।
मानो प्रत्येक इसी कोशिश में लगी है
कि एक दूजे से आगे ही निकलती जाए
।
ओह यह कैसी आपाधापी छाई है यहाँ ,
यह कैसी प्रतिद्वन्दिता की भावना भरी ,
जहाँ देखो जिधर देखो दूसरों को पीछे छोड़
जबर दस्ती स्वयं आगे बढ़ जाने का दौर
युगों युगों से अनन्तकाल से यही होता रहा है
हैरत है क़ी कोई भी रूक कर,किसी क़ी सुध ,
दम लेने की बात भी नहीं करता
जो भी पीछे से आता है ,धक्का मुक्की से
गिरा के सब को ,आगे बढ़ने की कोशिश करता है
शायद जीवन का रहस्य यही है,जो मैं आज तक ,
अपने संस्कारों के बोझ तले दबा ,समझ ही न पाया ?
जो सबको लूट ता ,रोंद्ता ,दबाता हुआ आगे बढ़ जाये
वोही इंसान दुनिया में , काबिल कहलाय, बाकि सब नाकारा ।
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