ज़िद्द -- चांदनी
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Adabi sangam meeting Number -524
on Saturday, August 26, 2023, 5 PM
चाँद पे भले न पहुँच पाएं इस जनम,चाँद सी मेहबूबा तो ले आएं
चांदनी में जिसकी नहा जाए दुनिया सारी, सब आएं उससे मिलने ,
लेकर बेशकीमती तौफे , जुबान से जिनके सिर्फ कसीदे निकलें
क्या चाँद का टुकड़ा ले आये हो , और हम सुन फूले न समायें
कुछ विचार कर ,भेज दिया हमने भी अपने चंदरयाण को ,लाने
और चांदनी थोड़ी सी अपने मेहबूब के ख़ूबसूरती के लिए
पहुँच तो गए हैं हम वहां ,अब थोड़ी और जिद्द दिखानी होगी ,
जिस चाँद पे रख दिया है पाँव हमने , हिम्मत भी दिखानी होगी
अब जल्दी से वहां बच्चों की असली ननिहाल बसानी होगी
कभी आ भी जाना ,बस वैसे ही जैसे
परिंदे आते हैं आंगन में , रात को आ जाती है चांदनी
या अचानक आ जाता है
कोई झोंका ठंडी हवा का ,जैसे कभी आती है सुगंध
पड़ोसंन की रसोई से......स्वादिष्ट व्यजनों की
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
आना जाना मासूमीयत से ,जैसे बच्चा आ जाता है
मेरे बगीचे में गेंद लेने ,या आती है गिलहरी पूरे
हक़ से मुंडेर पर, ताकती है मेरी रसोई में
के आज क्या क्या बना है ? ऐसे ही तुम भी कभी झांको हमारी खिड़की से
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
जब आओ तो दरवाजे ,पर घंटी मत बजाना
बेतकुलफ पुकारना ,मुझे वही पुराना नाम लेकर,
अब मैं वकील नहीं , न ही तुम कलेक्टर
वो एहम वो बहम अपनी जवानी की जिद्द का
वो सारा सामान वहीँ छोड़ के आना
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
मुझसे समय लेकर भी कभी मत आना
हाँ , लेकिन अपना पूरा समय साथ ले आना
फिर अपुन दोनों के समय को जोड़,
छल कपट अहंकार जिद्द को छोड़
बनाएंगे एक प्यारा सा झूला
अतीत और भविष्य के बीच झूलता हुआ, चांदनी रात में
उस झूले पर जब हम खूब बतियाएंगे
तो देखना क्या क्या खोया हुआ वापिस पा जाएंगे
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
और जब लौटो तो थोड़ा ,मुझे भी ले जाना साथ
थोड़ा खुद को छोड़े जाना मेरे पास
एक बहाना तो होगा ,फिर वापस आने के लिए
मिल बैठेंगे सुखद चांदनी में एक बार फिर से ,
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
"मोतियों"की"तो आदत"है"बिखर"जाने की..!
ये तो बस"धागे"की"भी ज़िद"है कि,🤞
सबको"पिरोये"रखना है..!! जब तक टूट न जाए
"माला"की"तारीफ"तो सभी करते हैं,
क्योंकि..👌
माला में पिरोया हुआ " मोती"सबको"दिखाई"देता है..!
"काबिले"तारीफ़ तो"धागा"हैं जनाब,
"जिसने"सबको"जोड़"के रखा है .!!👍 लेकिन दिखाई नहीं देता
और चांदनी थोड़ी सी अपने मेहबूब के ख़ूबसूरती के लिए
दिल तो तब टूटा , जब चंदरयाण ने कुछ तस्वीरें भेजी
देख चाँद के गालों पे पड़े , गहरे पाताल नुमा गड्ढों को
देख चाँद के गालों पे पड़े , गहरे पाताल नुमा गड्ढों को
वह भी , तमतमा गई , देख इतनी भयानक तस्वीर से
बोली तो क्या आप हमें ऐसा बनाना चाहते थे ?
, जानम हम कोई चाँद पे पहले कभी गए थे क्या
अपनी ग्रहस्थी जो बचानी थी,तौबा की हमने भी
खफा मत होना प्रिय आज से आपकी तुलना
चाँद की बजाय सिर्फ उसकी रौशनी से करेंगे
पर दिल तो बड़ा मायूस है तब से , सारा गुड़ गोबर हो गया
लेकिन सच बताएं वैसे हम भीतर से कुछ कुछ खुश भी हैं ,
खफा मत होना प्रिय आज से आपकी तुलना
चाँद की बजाय सिर्फ उसकी रौशनी से करेंगे
पर दिल तो बड़ा मायूस है तब से , सारा गुड़ गोबर हो गया
लेकिन सच बताएं वैसे हम भीतर से कुछ कुछ खुश भी हैं ,
हमारे विज्ञानिको की मेहनत लगन और उपलभ्दी पे
कम से कम हज़ारो सालों से पला हमारा भरम तो तोडा
दूसरा ,अब हर छोटा बड़ा आशिक
अपनी मेहबूबा को चाँद के नाम पे
बेवकूफ नहीं बना पायेगा
बेवकूफ नहीं बना पायेगा
न ही पढ़ेगा कोई गीतकार चाँद के कसीदे
लेकिन ऐ ज़िंदगी....!अपनी जिद्द में
लेकिन ऐ ज़िंदगी....!अपनी जिद्द में
यह क्या दिखा दिया तूने ,हमें मरने से पहले ?
एक चाँद ही तो था जिसपे ,फ़िदा हमारा प्यार रहता था ,
चंदा मामा की कहानियों से बच्चों का दिल भी गुलजार रहता था
चंदा मामा की कहानियों से बच्चों का दिल भी गुलजार रहता था
अब बच्चों ने भी चन्दर यान का लाइव टेलीकास्ट देखकर बोला
दादू अब और गप मत लड़ाओ ,सब जान गए है हम ,
दादू अब और गप मत लड़ाओ ,सब जान गए है हम ,
वहां कुछ नहीं सिवाय ठण्ड , गड्ढे और पथरों के.
अब बताओ हमसे तो बच्चों का साथ ही छिन गया
कोई कहानी सुनने को ही नहीं आता , कहते है
आपकी कहानियां सब झूठी हैं
वैज्ञानको की जिद्द थी चंद्रयान वहां गया भी तो
कितने डर डर के ? उतरने का खौफ्फ़ इतना के
वैज्ञानको की जिद्द थी चंद्रयान वहां गया भी तो
कितने डर डर के ? उतरने का खौफ्फ़ इतना के
,एक तो पहुंचा ही नहीं, गिर कर रस्ते में फ़ना हो गया
दुसरे चंदरयाण ने जो भारत का था तो एक ही झटके में ,
एक मामा भांजे का रिश्ता था वह भी हमसे छीन लिया
मुश्किलों के सदा ,हल तुमने दिया है आगे भी देना दाता
कहीं इस नई दौड़ में हम भटक कर , थक कर टूट न जाएँ ...!
एक मामा भांजे का रिश्ता था वह भी हमसे छीन लिया
मुश्किलों के सदा ,हल तुमने दिया है आगे भी देना दाता
कहीं इस नई दौड़ में हम भटक कर , थक कर टूट न जाएँ ...!
पहुँच तो गए हैं हम वहां ,अब थोड़ी और जिद्द दिखानी होगी ,
जिस चाँद पे रख दिया है पाँव हमने , हिम्मत भी दिखानी होगी
अब जल्दी से वहां बच्चों की असली ननिहाल बसानी होगी
जो सच्चाई अभी तक कहानियां थी ,फिर से सुनानी होंगी
एक बार चाँद पे हमारी कोठी /मकान बन जाए,
नई दुनिया बसानी होंगी ,तब कहीं फुर्सत से बैठे और ,
फिर किसी सूरज किसी और चाँद पे कवितायें लिखें
एक नए चाँद और उसकी चांदनी को खोज लाएं
दुआ देता है दिल से ,मेरा दिल सबको
इस नए आगाज़ में , मिले नया आज
और मिले बेहतर कल सबको !!!
एक नए चाँद और उसकी चांदनी को खोज लाएं
दुआ देता है दिल से ,मेरा दिल सबको
इस नए आगाज़ में , मिले नया आज
और मिले बेहतर कल सबको !!!
लेकिन इस जिद्द में भी एक डर छिपा है ,
के न मालूम कल क्या हो जाए ? कोई एलियन या कुछ और ?
अभी अभी देखा दुनिया में तबाही का मंजर ,
जहाँ कभी बरसात भी ,होती न थी
मक्का मदीना में भी आई प्रलह को ,
के न मालूम कल क्या हो जाए ? कोई एलियन या कुछ और ?
अभी अभी देखा दुनिया में तबाही का मंजर ,
जहाँ कभी बरसात भी ,होती न थी
मक्का मदीना में भी आई प्रलह को ,
क्या इसका हमारी जिद्द से कोई नाता तो नहीं ?
शिमला में पहाड़ो का यूँ फिसल कर दरकना
भव्य इमारतों का पल में जमींदोज़ होना
चाँद की चांदनी खोजने जो निकले थे,
शिमला में पहाड़ो का यूँ फिसल कर दरकना
भव्य इमारतों का पल में जमींदोज़ होना
चाँद की चांदनी खोजने जो निकले थे,
चांदनी रातो में जो धरती के समुन्द्रों में उफान आता था ,
वो तो पहले समझ लेते , कुछ तो है
अपनी जिद्द में न जाने क्या क्या ,
इस धरती पे हम खोने लगे हैं
"जीवन"शतरंज के"खेल"भी एक जिद्द की तरह है..!
और..🤞
यह"खेल"हम"ईश्वर"के साथ खेल रहे है..!!
"हमारी"हर"चाल"के बाद..!
"अगली"चाल"वह"चलता है.!!
"हमारी"चाल हमारी"पसंद"कहलाती है..,!
और..👌
"उसकी"चाल परिणाम"कहलाती है..!!
अपनी जिद्द में न जाने क्या क्या ,
इस धरती पे हम खोने लगे हैं
"जीवन"शतरंज के"खेल"भी एक जिद्द की तरह है..!
और..🤞
यह"खेल"हम"ईश्वर"के साथ खेल रहे है..!!
"हमारी"हर"चाल"के बाद..!
"अगली"चाल"वह"चलता है.!!
"हमारी"चाल हमारी"पसंद"कहलाती है..,!
और..👌
"उसकी"चाल परिणाम"कहलाती है..!!
तभी अगर जिद्द निभानी है तो अपने किरदार को बखूबी निभाओ
मानवता का कोई नुक्सान भी न हो , और पर्दा गिरने के बाद भी
तालियां खूब बजती रहे
एक बड़े ज्ञान की बात भी सुनलो ,
ज्ञानी मित्र ना राखिये, वो भाषण देते झाड़,
राई को परबत करें,तिल को करते ताड़ !
मित्र तो ऐसा चाहिये,जिसकी जिद्द से
चिन्ता भी जाए हार
लड़ना झगड़ना काहे को ,जब देखे दुख यार का,
मानवता का कोई नुक्सान भी न हो , और पर्दा गिरने के बाद भी
तालियां खूब बजती रहे
एक बड़े ज्ञान की बात भी सुनलो ,
ज्ञानी मित्र ना राखिये, वो भाषण देते झाड़,
राई को परबत करें,तिल को करते ताड़ !
मित्र तो ऐसा चाहिये,जिसकी जिद्द से
चिन्ता भी जाए हार
लड़ना झगड़ना काहे को ,जब देखे दुख यार का,
दिखा के थोड़ा प्यार, झट ले आए बोतल चार !!
कुछ लोग लड़ें धन के नाम पर
कुछ लड़ें जाति के नाम
सिर्फ पति पत्नी ही हमेशा लड़े ,निष्काम
जो न देखें कोई धर्म न देखे कोई काम
कुछ लोग लड़ें धन के नाम पर
कुछ लड़ें जाति के नाम
सिर्फ पति पत्नी ही हमेशा लड़े ,निष्काम
जो न देखें कोई धर्म न देखे कोई काम
निस्वार्थ भाव से , बेवजह लड़ते रहें जो हरदम
होके सिर्फ अपनी जिद्द के गुलाम
होके सिर्फ अपनी जिद्द के गुलाम
"कुछ"पाना"जीत"नही है..!
और...🤞
कुछ"खो"देना"हार"नही है..!!
केवल"समय"का"प्रभाव"है..!
और..👌
*"परिवर्तन"तो समय का" स्वाभाव है
कहीं मिलेगी जिंदगी में चांदनी सी प्रशंसा तो,
कहीं प्राकृतिक नाराजगियों का बहाव मिलेगा l
कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो,
कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा
तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे, अपनी ही धुन में
जैसा तेरा भाव ,वैसा प्रभाव मिलेगा।
चाँद पे पहुंचने की जिद्द ने किया कमाल है
सफलता भी मिली तो जिद्द से
जो "प्रेरित और उत्साहित" होकर...
उसे पाने के लिए दिन - रात
अपने कार्य में जुटे रहते हैं...!!!सफलता भी वहीँ है
मिलकर बैठ गये मजलिस में जुगनू सारे ;
मुद्दा था हमारी फीकीं पड़ी चमक कैसे वापिस पाई जाये ?
अब तो चांदनी भी फीकी हो गई है चंदरयाण के उतरने से
गोया ऐलान पास हुआ क्यों ना सूरज को ही बदल दिया जाये ?
और...🤞
कुछ"खो"देना"हार"नही है..!!
केवल"समय"का"प्रभाव"है..!
और..👌
*"परिवर्तन"तो समय का" स्वाभाव है
कहीं मिलेगी जिंदगी में चांदनी सी प्रशंसा तो,
कहीं प्राकृतिक नाराजगियों का बहाव मिलेगा l
कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो,
कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा
तू चलाचल राही अपने कर्मपथ पे, अपनी ही धुन में
जैसा तेरा भाव ,वैसा प्रभाव मिलेगा।
चाँद पे पहुंचने की जिद्द ने किया कमाल है
सफलता भी मिली तो जिद्द से
जो "प्रेरित और उत्साहित" होकर...
उसे पाने के लिए दिन - रात
अपने कार्य में जुटे रहते हैं...!!!सफलता भी वहीँ है
मिलकर बैठ गये मजलिस में जुगनू सारे ;
मुद्दा था हमारी फीकीं पड़ी चमक कैसे वापिस पाई जाये ?
अब तो चांदनी भी फीकी हो गई है चंदरयाण के उतरने से
गोया ऐलान पास हुआ क्यों ना सूरज को ही बदल दिया जाये ?
ऐलान नशे में था , कोई जिद्द नहीं ,सो कभी पूरा न हो सका
"दुनिया"का"सबसे"अच्छा"तोहफा" वक्त है..!
क्योंकि..👍 इसमें किसी की जिद्द नहीं चलती
जब"आप"किसी को अपना"वक्त"देते है,
तब..👌
आप"उसे"अपनी"जिंदगी"का वह "पल"देते है,
जो"कभी"भी"लौटकर"नही आता..!!
झूठ"कहते"है लोग की..!
"संगत"का"असर"होता है..!!
*"आज"तक.
मैंने तो पाया है के
ना"काॅटों"को"महकने"का"सलीका"आया है..!
और...👌
ना"ही फुलो"को"चुभना"आया है..!!
"दुनिया"का"सबसे"अच्छा"तोहफा" वक्त है..!
क्योंकि..👍 इसमें किसी की जिद्द नहीं चलती
जब"आप"किसी को अपना"वक्त"देते है,
तब..👌
आप"उसे"अपनी"जिंदगी"का वह "पल"देते है,
जो"कभी"भी"लौटकर"नही आता..!!
झूठ"कहते"है लोग की..!
"संगत"का"असर"होता है..!!
*"आज"तक.
मैंने तो पाया है के
ना"काॅटों"को"महकने"का"सलीका"आया है..!
और...👌
ना"ही फुलो"को"चुभना"आया है..!!
मैंने तो अक्सर इंसानो को अपनी में जिद्द में तिल तिल मरते पाया है
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
कभी आ भी जाना ,बस वैसे ही जैसे
परिंदे आते हैं आंगन में , रात को आ जाती है चांदनी
या अचानक आ जाता है
कोई झोंका ठंडी हवा का ,जैसे कभी आती है सुगंध
पड़ोसंन की रसोई से......स्वादिष्ट व्यजनों की
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
आना जाना मासूमीयत से ,जैसे बच्चा आ जाता है
मेरे बगीचे में गेंद लेने ,या आती है गिलहरी पूरे
हक़ से मुंडेर पर, ताकती है मेरी रसोई में
के आज क्या क्या बना है ? ऐसे ही तुम भी कभी झांको हमारी खिड़की से
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
जब आओ तो दरवाजे ,पर घंटी मत बजाना
बेतकुलफ पुकारना ,मुझे वही पुराना नाम लेकर,
अब मैं वकील नहीं , न ही तुम कलेक्टर
वो एहम वो बहम अपनी जवानी की जिद्द का
वो सारा सामान वहीँ छोड़ के आना
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
हाँ , लेकिन अपना पूरा समय साथ ले आना
फिर अपुन दोनों के समय को जोड़,
छल कपट अहंकार जिद्द को छोड़
बनाएंगे एक प्यारा सा झूला
अतीत और भविष्य के बीच झूलता हुआ, चांदनी रात में
उस झूले पर जब हम खूब बतियाएंगे
तो देखना क्या क्या खोया हुआ वापिस पा जाएंगे
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
और जब लौटो तो थोड़ा ,मुझे भी ले जाना साथ
थोड़ा खुद को छोड़े जाना मेरे पास
एक बहाना तो होगा ,फिर वापस आने के लिए
मिल बैठेंगे सुखद चांदनी में एक बार फिर से ,
खुद को एक-दूसरे से पाने के लिए।
मित्रों क्या जिद्द है तुम्हारी ,भी
सिर्फ तुम ही क्यों ,आते नहीं ?
चांदनी की ठंडी रात थी , मस्ती में चले जा रहे थे ,
ख़ुशी बड़ी जल्दी में थी , रुकी नहीं
गम फुर्सत में थे , इत्मीनान से ठहर गए
लोगों की नज़रों में , फर्क अब भी नहीं है
पहले मुड कर देखा करते थे
अब देख कर मुड़ जाते हैं
आज अपनी ही परछाई से पूछ बैठे
क्यों चलती रहती हो अपनी जिद्द में हमारे साथ
वह मुस्कराई , तुम्हारी जिद्द के वजह से दूसरा और है भी कौन तुम्हारे साथ ?
बात में दम था सुनकर स्तब्ध रह गए
हमारी जिंदगी में था बड़ो का सत्कार बच्चों से प्यार
आज अजीब दौड़ है ,सनक है जिद्द है , और है सिर्फ पैसों का व्य्वहार
तो साथ कौन होगा ?
"मोतियों"की"तो आदत"है"बिखर"जाने की..!
ये तो बस"धागे"की"भी ज़िद"है कि,🤞
सबको"पिरोये"रखना है..!! जब तक टूट न जाए
"माला"की"तारीफ"तो सभी करते हैं,
क्योंकि..👌
माला में पिरोया हुआ " मोती"सबको"दिखाई"देता है..!
"काबिले"तारीफ़ तो"धागा"हैं जनाब,
"जिसने"सबको"जोड़"के रखा है .!!👍 लेकिन दिखाई नहीं देता
है कुछ ऐसे ही अनमोल मजबूत धागे इस अदबी संगम में भी जिसने हम सबको पिरो के रखा है , कुछ दीखते है और कुछ अद्रश्य हैं
यही जिद्द बनी रहे इन धागो की , माला के मोती भी यूँ ही जुड़े रहे, खुद भी कभी न हारें , गले का हार जरूर बने रहे
यही जिद्द बनी रहे इन धागो की , माला के मोती भी यूँ ही जुड़े रहे, खुद भी कभी न हारें , गले का हार जरूर बने रहे
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कल्लन आधी रात को सन्नाटे में अपनी शादीशुदा पड़ोसन को लेकर भागा।
दोनों ने रेलवे स्टेशन के लिए ऑटो लिया।
😘
स्टेशन पहुचने पे भाड़ा देने के लिए जैसे ही कल्लन ने अपना पर्स खोला, तो ऑटो वाले ने मना कर दिया, और बोला: -
😉
इनके पतिदेव भाड़ा पहले ही दे चुके हैं।
"उठो सुबह हो गई चाय नहीं पीनी"
"नहीं मैंने सुबह की चाय पीनी छोड़ दी है"
"क्यों "
"जब तुम थी तो सुबह सुबह मेरे हाथ की बनी चाय पीती थी, हम दोनों खुली छत या बरांडे में चाय की चुस्की लेते थे, परंतु अब नहीं"
" मगर क्यों ? "
"क्योंकि वो चाय नहीं प्यार का ही एक रूप था, तुम्हारे चले जाने के बाद, अब चाय की प्याली का क्या मतलब ? "
"अरे ये क्या तुम बिस्तर झाड़ रहे हो,चादर ठीक कर रहे हो ?" "हां कर रहा हूं "
"मेरे होने पर तो नहीं करते थे"
"तब मैं यह काम तुम्हारा समझता था,एक बेफिक्री थी । अब तुम्हारे सारे काम में खुद ही करता हूं "
"बहुत सुधर गए हो, अब क्या करोगे ?"
" टहलने जाऊंगा "
"वहीं जहां मेरे साथ कभी कभी जाते थे"
" हां वही ढूंढता हूं तुम्हें ,लेकिन तुम मिलती ही नहीं, निराश होकर लौट आता हूं "
"फिर क्या करते हो ?
"थोड़ी देर बाद नहाने चला जाता हूं "
"इतनी सुबह सुबह पहले तो तुम 12:00 बजे के बाद नहाते थे तुम्हारे साथ साथ मेरी भी तो देर से नहाने की आदत हो गई थी"
"हां मगर अब सुबह ही नहा लेता हूं"
" क्यों ?"
"क्योंकि अब जिंदगी के मायने बदल गये हैं "
" नहाने के बाद क्या करते हो ?"
" पूजा करता हूं भगवान जी और तुम्हारे फोटो के सामने अगरबत्ती जलाता हूं "
"मेरे फोटो के सामने"
" हां "
"किस लिए ?"
"भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हारी आत्मा को शांति प्रदान करें"और हर जन्म में मुझे तुम ही पत्नी के रूप में मिलो.
"मेरा इतना ख्याल रखते हो,"
"इतना प्यार करते हो मुझे"
" पहले भी रखता था बस तुम समझती नहीं थी"
" मैं भी तो रखती थी तुम ही कहां समझते थे"
" हां,कह तो ठीक ही रही हो"
"अब क्या करोगे ? "
अब योग ,प्राणायाम आदि करूंगा "
"मेरे सामने तो नहीं करते थे"
" तब मन शांत था, अब मन को शांत करना होता है"
" चाय भी नहीं पीई, कुछ खाया भी नहीं है ,नाश्ता नहीं करोगे ?"
"हां ,10:00 बजे करूंगा"
"अरे, नाश्ते में ये क्या खा रहे हो?"
" जो बना है "
"अब फरमाइश नहीं करते"
" नही अब बहुत कम, हाँ जब कभी तुम्हारी बनाई डिश की याद आती है तो कभी कभी मांग लेता हूं"
" अक्सर क्यों नहीं ?"
"तुमसे ही तो करता था, क्योंकि तुम पर मेरा एक विशेष अधिकार था इसलिए ,उसमें भी अधिकतर तो तुम बिना कहे ही मेरी पसंद की डिश बना लाती थी"
" तो अब कहकर बनवा लिया करो "
"जो तुम बनाती थीं वो हर कोई थोड़े ही बना सकता है ? वैसे भी मेरे स्वाद और पसंद तो तुम्हारे साथ चले गए"
"अच्छा,अब क्या करोगे ?"
"अब 2 घंटे मोबाइल चलाऊंगा"
तुम्हारे लिए कुछ लिखूंगा
"2 घंटे ? "
"क्यों ? ऊपर जाने के बाद भी मेरे मोबाइल से तुम्हारा बैर खत्म नहीं हुआ?"
" मैं,शुरु शुरु में ही तो टोका करती थी बाद में तो टोकना बंद कर दिया था"
" हां बंद तो कर दिया था , लेकिन तुम्हारे मन में मेरा मोबाइल हमेशा सौत ही बना रहा, बस दिखावे के लिए चुप रहती थी"
"अच्छा अब लड़ो नहीं, चलो चला लो लिख लो"
" तुम तो 2 घण्टे से भी ज्यादा देर तक चलाते रहे "*
"हां ,तुम टोकने वाली नहीं थी ना"
"अच्छा,अब भी उलाहना ,अब क्या करोगे ?"
" अब आंखें थक गई हैं थोड़ी देर आंखों को आराम दूंगा, आंख बंद करके लेटूंगा ।"
" अच्छा है आराम कर लो"
"अरे सोते ही रहोगे 2:30 बज गए तुम्हारा खाने का टाइम तो 12:00 बजे का है उठो खाना खा लो "
"अच्छा क्या बना है ?"
"पता नहीं "
"देखता हूं "
"यह सब्जी, यह तो तुम्हें बिल्कुल पसन्द नही थी "
"लेकिन ,अब पसन्द है "
" कैसे ?"
"क्योंकि जब तुम थी तो मुझे चैलेंज करती थी ना कि मैं ही हूं जो तुम्हारे सारे नखरे बर्दाश्त करती हूं ,मैं चली जाऊंगी तब पता चलेगा "
" अब तुम चली गई अपने साथ-साथ मेरे सारे नखरे और तुनक मिजाजी भी ले गई,अब तो मैं तुम्हारे सारे चैलेंज स्वीकार कर चुका हूं"
"बहुत बदल गए हो
" गलत ,बदल नहीं गया हूं, असल में जो मैं था वह तो तुम साथ ले गई ,अब तो बस शरीर है सांसे चल रही है ,कब तक चलेंगी,पता नहीं "
"अरे देखो तुम्हारी कामवाली ने तुम्हारी पसंद का लाफिंग बुद्धा तोड़ दिया"
" टूट जाने दो "
"अरे,तुम्हें गुस्सा नहीं आया"
" नहीं अब मुझे गुस्सा नहीं आता"
" क्यों ?"
" क्योंकि गुस्सा तो अपनों पर आता है, तुम तोड़ती तो जरूर आता, इस पर कैसा गुस्सा ?"
" काश ! तुम मेरे होते हुए भी ऐसे ही होते हैं ?"
"हां, मैं भी यही सोचता हूं कि मैं तुम्हारे होते हुए ऐसा क्यों नहीं था ? क्यों हमने जिंदगी के कितने ही अमूल्य पल नोकझोंक अपने ईगो में गंवा दिए ?"
" मुझे याद करते हो ?"
" भूलता ही नहीं,तो याद करने की बात कहां से आ गई, हर समय मेरे चारों ओर जो घूमती रहती हो, "
" रात हो गयी है, चलो अब सो जाओ तुम्हारे सोने का समय हो गया है,"
" अच्छा ठीक है "
"अरे ! सोते-सोते उठ कर कहां जा रहे हो ?"
"टीवी बंद कर दूँ ,अब तुम तो हो नहीं जो मेरे सोने के बाद बंद कर दोगी "
"मैं तो अब चाह कर भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकती, तुम्हें छू भी नहीं सकती । चलो, दूर से ही थपकी देकर सुला देती हूँ "
"चलो सुला दो, अब सो ही जाता हूं ...."
अगर इस कहानी का एक भी शब्द आपके मन को छुआ है अगर आंखे थोड़ी भी नम हुई हैं,तो अभी सही समय है अपने जीवनसाथी से क्षमा मांगने का अगर आप भी उस पर बात बात गुस्सा करते हैं, गले लगिए और मांग लीजिए अपनी हर गलती के लिए उससे माफी उसके जीते जी उसे बता दीजिए आप उससे कितना प्यार करते हैं,क्योंकि बो भी आपसे असीम प्रेम करती है😢😢