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Saturday, February 23, 2019

ADABI SANGAM ....[shiddat ]....... - शिद्द्त।.... . intensity .......तेहै दिल। ... wholeheartedly .....सच्ची लगन ......Final part 2 35-B....................(FEBRUARY ,23 ,-2019) .......


पार्ट _ 2
शिद्द्त। .. intensity ..... तेहै दिल। ... wholeheartedly .....सच्ची लगन





हमारी जिंदगी में हर कदम पर शिद्दत की दरकार होती है बिना इसके कामयाबी मिलना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन होता है , चाहे प्यार मोहब्बत हो , नफरत हो , तालीम हो , किसी बीमार की तीमारदारी करनी हो , अपने रोजगार को बढ़ाना हो , दोस्त यारों , या अपने कामगारों से काम लेना हो,वफ़ा हो बेवफाई हो ,मिलना ,बिछुड़ना ,गिरना सम्भलना बिना शिद्दत के मनमाफिक परिणाम कहाँ मिलता है ?
बड़ी ही शिद्द्त से गुजारे है हमने वह गुजरे हुए लम्हे ,
जब जिंदगी की जद्दोजहद सिर्फ एक बहाना थी कुछ पाने के लिए ,
जैसे कुदरत भी लगी है शिददत से इस कायनात को सजाने में ,
वैसे ही हम भी मौजूद है यहां फक्त अपना किरदार निभाने में।

कुछ यादें है मेरी जब लड़ा था शिद्द्त से इस ज़माने से ,
जबकि वोह अभी आये भी न थे मेरे गरीब खाने में ,
कहने लगे इतनी उतावली में क्यों है फितरत तुम्हारी ,
कुछ काबलियत भी तो बढ़ाओ , फिर आना घर हमारे

शिद्दते मोहब्बत का इज़हार कुछ ऐसा हुआ हमसे ,
दोस्तों ने पुछा आज वैलेंटाइन डे पर किसके साथ बाहर जा रहे हो
हमने भी तपाक से कहा बड़ी उम्मीद के साथ ,
सभी के नाम पर नहीं रूकती धड़कने अब
दिलों के भी कुछ असूल हुआ करते हैं।

रिश्ते यूहीं हवा में थोड़ा ही बनते है मजनू मियाँ ,
तुमेह बरसों लगेंगे अभी हमें अपना बनाने में ,
शिद्दते मोहब्बत का इज़हार भी किसी काम न आया ,
उन्हें समझाने में ,
अब तो ढहने लगा है हमारा ख्वाब भी दौलत कमाने में,
और उनका इंतज़ार करने में

शिददते गम कुछ इस तरह हावी हुआ की हम पीने लगे ,
और यह रिश्ता बखूभी निभाया हम ने उस अहसास के लिए ,
झूट कहते हैं लोग के शराब ग़मों को कम कर देती है
मैंने तो मयखाने में अक्सर लोगों को रोते पाया है,

इतनी शिद्दत से मोहब्बत मयखाने से भी की हमने ,
पीते रहते थे तब तक जब तक बोतल खुद न कहे हमसे
अब तो जा अपने घर ,तुझे देख मैं भी लड़खड़ाने लगी हूँ

क्या सोच रही होगी उनकी ,इसी सोच में हम भी जीने लगे ,
क्यों लोग सिर्फ उज्जालों से लगाव , और अंधेरों से डरते हैं ?
सब को मालुम है सब को पता है रहता नहीं है एक सा मौसम इस खुदाई में ,
उतार चढ़ाव सभी की जिंदगी में आते हैं ,
किसी को कुछ देकर और किसी से लेकर जाते हैं

शिद्दते वफाई कुछ ऐसी गुजरी हम पर भी
किसी ने पुछा कभी इश्क हुआ था ?
हम मुस्करा कर बोले , आज भी है
शिद्दते मोहब्बत तो दोनों में थी।
पर मुझे शादी करनी थी और उसे निक्काह।
आज भी मैं इंतज़ार में हूँ , क्यों की अब तो

मेरी शिद्दत भी --------- जद्दोजहद बन गई है

कुछ नफ़रतें भी बड़ी शिद्दत से निभाई है हमने ,
ठुकराया भी है मैंने बहुतो को --- सिर्फ तेरी खातिर ,
तुझ से फासला भी शायद , उनकी बद्दुआओं का असर हो ?
कुछ तो सिला दे दो हमारी शिद्दते मोहब्बत का ,

अब तो तुम ही आगे बढ़ कर थाम लो न मुझेसबने छोड़ जो दिया है मुझे ----तेरा समझ कर


डॉ मनमोहन सिंह हमारे पूर्व प्रधान मंन्त्री ने एक बार पार्लियामेंट में बोलते हुए कहा था
शिद्दते जिंदगी में सबसे मुश्किल था अपनों में अपनों को ढूंढ़ना ,
लोग कहते हैं दूरियां हमेशा --किलोमीटर्स में नापी जाती हैं
हमें तो खुद से मिले भी अरसा गुजर गया है ,

शिद्दते तन्हाई में लम्हों ने गुनाह किये ,
और सजा उम्रों ने पाई है।
बीते हुए लम्हों सा हूँ मैं भी , याद तो सबको हूँ मैं
पर जिक्र कोई नहीं करता ,

सो जा ऐ दिल के अब धुंध , बहुत हो गई है तेरे शहर में ,
अपने दीखते नहीं और जो दीखते हैं वो अपने नहीं
यूँ पलके झुका देने से नींद कहाँ आती है ग़ालिब ,

सोते अक्सर वह है जो मेहनत कश हैं
या जिनकी यादें उनसे रूठ चुकी हैं।

बड़ी शिद्दत से कोशिश करते है कोई रूठे न हमसे ,फिर भी
नजर अंदाज़ करने वाले से नजरें हम भी नहीं मिलाते जनाब
मेरे दोस्तों ने कहा यार हमारी बीवी कभी गलती मानती नहीं

नतीज़न , शिद्दते तकरार बहुत रहता है , तुम्हारे यहाँ कैसा है ?

हमने मुस्कराते हुए बड़े फक्र से कहा ,
भाई हमारी तो कई बार कबूल भी कर चुकी है
मुझ से शादी करना ही उसकी जिंदगी की
सबसे बड़ी गलती थी। यह अपने मुहं से कहती हैं

एक शिद्दत से हमने नजरें ,अपने सलूक पर भी रखी
कभी उसका दिल रखा , कभी इसका दिल रखा ,
इसी कश्मकश में ही भूल गए ,
खुद का दिल कहाँ रखा

किसी ज्ञानी ने महिलाओं को ज्ञान दिया ,
जितने भी अपने राज होते हैं , वो सिर्फ अपने पति के अलावा किसी को न बताएं " क्योंकि जो तुम्हारी बात ही ध्यान से नहीं सुनता वो फैलाएगा क्या ?

शिकवे तो सभी को होंगे अपनी जिंदगी से साहब ,
पर जो अपनी मौज़ में रहते हैं वह शिकायत नहीं करते
भरपूर शिद्दत हमने अपनी नींद में भी देखी ,
हमारी अंतरात्मा की आवाज , हमें छोड़ सबको सुनाई देती,
लोगों ने इसे खरांटो का नाम दे दिया

मैं सरकारी अस्पताल में अपने टेस्ट करवाने गया-
फुरसत मिलने पर उधर मौजूद कैंन्टीन से बर्गर और जूस खरीदा और मज़े से वहीं खड़े खड़े खाना पीना शुरू कर दिया-

ऐन उसी वक़्त मेरी नज़र कुर्सी पर बैठे एक छोटे बच्चे पर पड़ी जो बड़ी हसरत से देख रहा था- मैंने इंसानी हमदर्दी में जल्दी से उस बच्चे के लिए भी बर्गर और जूस खरीदे जो बच्चे ने बिला तकल्लुफ ले लिए और जल्दी जल्दी खाने लगा- बेचारा पता नहीं कब से भूखा होगा- ये सोचकर मैंने खुदा का शुक्र अदा किया जिसने मुझे एक भूखे को खाना खिलाने की तौफीक़ बख्शी-इतनी देर में बच्चे की मां,जो उसकी पर्ची बनवाने के लिए खिड़की पर खड़ी थी ,वापस आई और बच्चे को बर्गर का आखिरी टुकड़ा खाते देखा-

फिर अचानक पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो दोनों हाथ उठा कर,बा क़ायदा क़िब्ला रुख होकर,उस शख्स को बद्दुआएं देने लगी जिसने उसके बच्चे को ये चीज़ें लेकर दी थीं- कह तो वो बहुत कुछ रही थी,मगर मैंने वहां से फरार होते हुए जो चंद बातें सुनीं वो ये थीं:

"इंतिहाई बेग़ैरत और खबीस था वो शख्स जिसने मेरे बच्चे को बर्गर लेकर दिया-
मैं 25 किलोमीटर दूर से किराया लगा कर उसके खाली पेट टेस्ट करवाने लाई थी-"
*************************************************सेठ

सेठानी में बहस हो गई.. कि उनके 1 मात्र लड़के के लिये गाँव की बहू लाऐं या शहर की..??!!
सेठानी कहती कि गाँव की लाऐंगे.. क्योंकि वह घर का काम संभाल लेगी.. !
सेठजी कहते कि वे गँवार होती हैं.. उन्हे शहर के तौर-तरीके नही आते हैं.. !


आखिर सेठानी कि जिद पर 1 गाँव पहुंचे.. सेठजी ने कहा :-- *" बेटी जरा मैंगो शेक ले आओ.. ! "*
लड़की हाँ में सिर हिलाकर .. रसोईघर मे आ गई..
4 आम लिये.. तवे पर सेका.. मसाला डाला और प्लेट मे मैंगो सेक कर ले आई.. !
सेठ सेठानी इस मैंगो शेक को देखते ही रह गए.. ! 🤔🙄
अब सेठजी के कहने पर शहर मे लड़की देखने गये.. !
सेठानी ने नई बहू की परीक्षा लेने के लिए बोला :--
*" बेटी जरा पापड़ सेक लाओ.. ! "*
लड़की किचन मे गई.. 4 पापड़ लिए.. मिक्सर मे डाले.. पानी मिलाया और गिलास मे भर कर ले आई.. और बोली :--

*" लीजिये पापड़ शेक.. ! "*
छोरा अभी भी कुंवारा ही है.. !!!
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बोर्ड परीक्षा में ही मिलता है भारत का छिपा हुआ टैलेंट.
रानी लक्ष्मी बाईं के बारे मे चार लाइन लिखो
आज के स्टूडेंट का जवाब
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..जब कन्या अपने, पिता के घर होती है,"रानी" बन के रहती है.
पहली बार ससुराल जाती है,"लक्ष्मी",बनकर जाती है.
और ससुराल में काम कऱते-करते "बाई" बन जाती है,
इस तरह लडकियां "रानी-लक्ष्मी-बाई" बन जाती है...!!!
और फिर वो पति को अंग्रेज समझ कर बिना तलवार के ही इतना परेशान कर देती है कि
बेचारा वो पति, अंग्रेज न हो कर भी "अंग्रेजी" 🥃🥃 लेना शुरू कर देता है

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