हाथ थाम कर चलो लाडले वरना तुम गिर जाओगे,
आँख के तारे हो दुलारे मेरे,हमको दुखी कर जाओगे,
राजा बेटा पढ़ लिख कर तुम्हे बड़ा आदमी बनना है,
नाम कमाना है दुनियां में कुल को रोशन करना है,
सब कुछ गिरवी रखकर माँ बाप ने उसे पढाया था ,
जी सके वो शान से जग में इस काबिल उसे बनाया था ,
बड़ा ऑफिसर बन गया बेटा माँ बाप की खुशियाँ चहकी,
सब दुःख दूर हमारे होंगे ऐसी उम्मीदे उनकी महकी,
बड़ी चाहत से सुन्दर कन्या से उसका ब्याह रचाया,
ढोल नगाड़े शहनाई संग नाचते गाते दुल्हन घर लाया,
कुछ बरस में नन्हा पोता भी घर आँगन में आया,
लेकिन बेटा रहा न अपना जिस पर सब लुटाया,
एक दिन बेटा बोला माँ से माँ ये सब कुछ मेरा है,
मैने कमाया मैने बनाया अब ये नहीं तुम्हारा डेरा है,
माँ बोली बेटा तुम मेरे, घर भी मेरा, फिर हममे कौन पराया,
तुमसे ही है हमारी खुशियाँ मुश्किल से है तुम्हे पाया,
माँ-बाप के आंसुओं ने भी,न उसके दिल को पिघलाया ,
उनकी कोमल ममता पर , जहरीला ज़ुबानी बाण चलाया
बोला सामान बांधलो माँ तुम्हे वृधाश्रम छोड़ आता हूँ,
हम भी सुखी , तुम भी सुखी बस यही मै अब चाहता हूँ,
सुन्न हो गया अंतर्मन सुनके, माँ-बाबा अब क्या बोले,
भूल हुई है क्या हमसे अपने अन्दर रह रहये टटोले,
दोनों सोचे बचा जग में अब कोई नहीं सहारा है,
पुत्र संतान पाकर भी हमने,अपना सब कुछ हारा है ,
फिर भी नहीं शिकायत कोई आखिर खून तो अपना है ,
वो न समझे दिल की व्यथा पर अपने आँगन का सपना है ,
पोते को दुलराया और कातर नजरों से देखा,
कुछ क्षण रुक कर बोले, हमें कुछ तुमसे कहना है,
अपने मम्मी -पापा की बेटा हरदम सेवा करना,
दुःख में सुख में हर हालत में तुम हाथ थाम कर रखना,
खुश रहो मुस्काओ हरपल दुआ यही हमारी है,
शायद तुम ना समझोगे कि तुमसे दुनियां सारी है,
कैसी विडंबना है रिश्तों की ममता भी चित्कारी है,
बुजूर्गो का सम्मान नहीं सोचो क्या यही संस्कृति हमारी है???????????
आज इंसान इंसान को डस रहा है , ममता मर चुकी है
और इंसान को अपनी फितरत बदलते देख सांप दूर से देख हंस रहा है
जब हम जवान होते हैं और फिर बूढ़े भी हो जाते हैं , दोनों अवस्थाओं में हमे दूसरों के प्रेम और ममता की जरूरत होती है , लेकिन इन दोनों अवस्थाओं के बीच के अंतराल में हम इतने दम्भी होते हैं की हमे कभी किसी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी , इसलिए दूसरों के प्रेम ममता की उन्हें कोई जरूरत ही नहीं है
दलाई लामा ने एक बार कहा था की " ममता में कभी रोते रोते मुस्कराये , और कभी मुस्कराते हुए भी रोये , हे माँ तेरी ममता जब भी याद आई , तुझे भुला भुला के रोये , एक तेरा ही नाम था जिसे लिखा था हजार बार अपने सीने में , जिसे लिख लिख कर खुश हुए थे हम , आज उसे मिटा मिटा के रोये
जिंदगी और ममता तो हमेशा ही एक अनबुझ पहेली थी ,बहुतों ने इसे खुदगर्जी से निभाया और कभी इसे समझा ही नहीं , जो समझ भी गए वह निभा न सके
दलाई लामा ने एक बार कहा था की " ममता में कभी रोते रोते मुस्कराये , और कभी मुस्कराते हुए भी रोये , हे माँ तेरी ममता जब भी याद आई , तुझे भुला भुला के रोये , एक तेरा ही नाम था जिसे लिखा था हजार बार अपने सीने में , जिसे लिख लिख कर खुश हुए थे हम , आज उसे मिटा मिटा के रोये
जिंदगी और ममता तो हमेशा ही एक अनबुझ पहेली थी ,बहुतों ने इसे खुदगर्जी से निभाया और कभी इसे समझा ही नहीं , जो समझ भी गए वह निभा न सके
दिल कि धड़कन भी कुछ कहती है ,सुनने ही नहीं देता कोई
अपनी मर्यादा में जीना चाहता हूँ ,पर जीने नहीं देता कोई .
दिल मेरा लाख कहना चाहे , पर कहने ही नहीं देता कोई ?
ममता जब रोती है।,आंसुओ के गिरने की आवाज नहीं होती ,
और दिल इतना भी शीशे का नहीं जो टूटने पर कोई उसकी आवाज सुने
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दिल मेरा लाख कहना चाहे , पर कहने ही नहीं देता कोई ?
ममता जब रोती है।,आंसुओ के गिरने की आवाज नहीं होती ,
और दिल इतना भी शीशे का नहीं जो टूटने पर कोई उसकी आवाज सुने
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एक आदमी हस्पताल में बेंच पर बैठा अपनी बारी की इंतजार कर रहा था , उसकी एक टांग टूटी हुई थी ,तभी एक और आदमी व्हील चेयर पर लाया गया उसकी दोनों टांगे टूटी हुई थी , दोनों वहीँ इंतजार करने लगे ! पहले वाले आदमी से रहा न गया , और पूछ बैठा , भाई साहिब लगता है आपकी बीवी मेरी बीवी से दोगुनी ताकत व् गुस्से वाली है ? तभी तो आपकी दोनों। ......
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संता अपने घर से खाना लेकर काम पर निकला , काम न बनने पर उदास हो कर जंगल में पेड़ के नीचे जाकर लेट गया ,अचानक कुछ शोर से उसकी आँख खुल गई ,उसने देखा एक चुड़ैल जैसी औरत उसके सर के पास बैठी हुई है . वोह घबरा कर उठ गया ! उसे उठा हुआ देख चुड़ैल बोली अच्छा हुआ तुम जग गए मुझे बहुत भूख भी लग गई थी १ अब मैं तुम्हारा खून पी सकती हूँ , ही .ही ,ही ,ही ....संता बोला बहुत खुश होने की जरुरत नहीं , तुम्हारी एक बहिन पहले ही मेरे घर में रहती है जो बीस साल से मेरा खून पी रही है ? खून बचा होगा तो पियोगी न ?
*************************************************तकदीर के लिखे पर कभी शिकवा ना किया कर ....!
ऐ दोस्त ....
तू इतना अकलमंद नहीं जो खुदा के इरादे समझ सके ..
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संता अपने घर से खाना लेकर काम पर निकला , काम न बनने पर उदास हो कर जंगल में पेड़ के नीचे जाकर लेट गया ,अचानक कुछ शोर से उसकी आँख खुल गई ,उसने देखा एक चुड़ैल जैसी औरत उसके सर के पास बैठी हुई है . वोह घबरा कर उठ गया ! उसे उठा हुआ देख चुड़ैल बोली अच्छा हुआ तुम जग गए मुझे बहुत भूख भी लग गई थी १ अब मैं तुम्हारा खून पी सकती हूँ , ही .ही ,ही ,ही ....संता बोला बहुत खुश होने की जरुरत नहीं , तुम्हारी एक बहिन पहले ही मेरे घर में रहती है जो बीस साल से मेरा खून पी रही है ? खून बचा होगा तो पियोगी न ?
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ऐ दोस्त ....
तू इतना अकलमंद नहीं जो खुदा के इरादे समझ सके ..